BTH (Behind The Hill) - 1 Aisha Diwan Naaz द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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BTH (Behind The Hill) - 1

परिंदों का झुंड सर के ऊपर से फड़फड़ाते हुए गुज़र रहा था। कड़ाके की ठंड में घने धुंध में वे उड़ते हुए तो नहीं दिख रहे थे लेकिन उनके पंखों की आवाज़ बेला को अपने सिपाही साथ होने का और खुद को इन परिंदों और जानवरों की मलिका होने का यक़ीन दिला रही थी। वह तने तन्हा एक महल नुमा घर के सामने बैठी थी। सफेद ईंटों से जुड़ा हुआ हुआ महल मगर उस सफेदी में कजली छा गई थी। दीवारों पर फैली लताओं ने एक दूसरे को जकड़ लिया था। महल को हर तरफ से आसमान छूते हुए सनोबर (पाइन) के जंगल ने घेरा हुआ था। पुराना सा दिखने वाला महल किसी ज़माने में शानदार और चमकता हुआ ताज की तरह दिखता होगा पर आज किसी डरवाने किले से कम न था। 
काले लिबास में लिपटी हुई बेला जिसका मुखड़ा चांदी सा चमक रहा था। समंदर की लहरों जैसे बाल कमर तक लहलहा रहे थे। मालिका बन कर एक बड़े से गद्दी दार कुर्सी पर बैठी झूल रही थी। हाथ में एक बंदूक था जिसको कुर्सी के हत्थे पर धीरे धीरे मार रही थी। जिसकी टक टक सी आवाज़ गूंज रही थी। 
ऊंची नीची ज़मीन पर बसे इस दूर तक फैले घने सनोबर के जंगल में सिर्फ बेला ही की हुक्मरानी थी। जंगल के एक तरफ शहर बसा है तो दूसरी तरफ बादलों को चीरता हुआ पहाड़ है। उस पहाड़ के पार दूसरा देश है। 
उम्र पच्चीस साल, लंबा क़द, ऐसा गोरा रंग के काले कपड़ों में गुलाब के उन पंखुड़ियों के तरह लग रही थी जिसके ऊपर वाले हिस्से का रंग थोड़ा ज़्यादा गुलाबी होता है। उसी तरह उसके हथेली, एड़ी, नाक के नोक पर और गालों पर फीके गुलाबी रंग की लालिमा छाई थी। होंठ चेरी जैसे थे मगर सूखे हुए। ऐसा लगता है सुंदरता उसकी विरासत है पर वह अपने सुंदरता की कोई परवाह नहीं करती। उसकी आंखें बे खौफ दिखाई देती। उसके चेहरे पर कोई भाव नज़र नहीं आते। उसके माथे पर एक कटा हुआ निशान है जो बहुत क़रीब आने पर ही दिख सकता है। 
जब शाम की भीनी खुशबू फैल गई तब वह उठ कर घर के अंदर गई और अपने साथ उस कुर्सी को घसीट कर ले गई जिस पर वह देर तक बैठी थी। घर के अंदर जंगल से भी ज़्यादा सन्नाटा था। जंगल में तो कम से कम जानवरों और परिंदों की आवाज़ें होती हैं यहां सिर्फ बेला को अपने सांस लेने की आवाज़ ही सुनाई दे सकती है। इस घर में ऐसा सन्नाटा था के दिल की धुकधुकी आसानी से सुन सकते हैं। बंदूक को हाथ में लटकाए वह एक कमरे में गई जो बिल्कुल अंधेरा था। एक ही छोटी सी खिड़की थी और न वहां कोई फर्नीचर था। उसने लाइटर से मोमबत्तियां जलाई और कोने में पड़े हाथ पांव रस्सियों से बंधे नौजवान को खड़ी हो कर घूरने लगी। कुछ देर घूरने के बाद उसके करीब गई और उसके थुड़ी में बंदूक की नोक को लगा कर उसे जगाते हुए बोली :" नींद पूरी हो गई हो तो उठ जाओ! मुझे तुम से बात करनी है।"
वह थोड़ा सा कसमसाया और मुश्किल से आंखे उठा कर बेला की ओर देखने लगा। 

नौजवान के पूरे शरीर में चोट के निशान थे। कई जगह से खून निकल कर उसके सफेद शर्ट को रंग दिया था। उसके चहरे को भी नहीं बख्शा गया था। एक आंख सुझा हुआ था और ऊपर का हिस्सा नीला पड़ चुका था। सर पर भी चोट लगे थे। कई जगह खून के साथ नीली पड़ी हुई चमड़ी उसके साथ हुए मार पीट की गवाही दे रही थी। 
ऐसा नहीं था के वह कमज़ोर है। वह भी दिखने में हट्टा कट्टा भरा हुआ गठीला जिस्म का मालिक था। लंबे कद काठी का सजीला जवान पर इस समय मजबूर और लाचार हो कर बेला के आगे पड़ा था। 

( यह कहानी लंबी नहीं होगी अगर आपको पसंद आई हो तो कॉमेंट कर के बताएं तभी आगे लिखूंगी! ये बस एक झलक है।)