थ्री बेस्ट फॉरेवर - 4 Kaju द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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थ्री बेस्ट फॉरेवर - 4





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( >💜💌💜 हेलोलो दोस्तों मैं स्टोरी का चौकीदार बंकू next ep के साथ हाजिर हु तालिया तालिया,,,🥳अरे भईया कोई तो ताली बजाओ😒 रहने दो तुमसे न होगा जल कोयला जो हो गए मेरी वाह वाही देख 😏 सच्छु बोल रिया न चल हट अब स्टोरी पढ़,,,

इनकी प्यारी सी दोस्ती की नोकझोक के साथ बस स्टेशन पहुंच गई। तीन बस पहले से वहा खड़ी थी जब सभी बस से नीचे उतरे तो हैरान रह गए प्रिंसिबल सर और बाकि टीचर्स और स्टूडेंट सभी गुस्से भरी नज़रों से उन्हे घुर रहें थे। अब आगे,,,,

"क्या हुआ ये लोग ऐसे आखें क्यों फाड़ रहे?" मस्तानी नासमझी से बोली।

"शायद देरी के कारण" मनीष ने उसकी बात का जवाब दिया।

"पूरी बात बोल ना की देरी के कारण ट्रेन छुट गई इसलिए" रियू  सामने देख बेपरवाही से बोली।

मस्तानी किसी जासूस की तरह सीरियस लुक
बनाकर "ओह,,,इसलिए इनकी आंखे ऐसे बाहर निकल आई है" 

"ध्यान से देख पागल आखें बाहर उनकी नही हमारी है वो लोग तो गुस्से में देख रहे हमे" रियू सामने देखते हुए ही बोली।

"कोई बात नहीं हिम्मत रखो सब एक साथ आगे बढ़कर कर डटकर सामना करतें है ताकि उनकी आंखे अंदर की ओर खिसक जाए" मस्तानी ने जोश के साथ कहा। 

उसकी बात सुन रियू और मनीष तो सिर पीट लिए लेकिन बाकी सब में जोश आ गया पर इससे पहले की सब आगे बढ़ते बस पार्क कर स्ट्रॉन्ग सबके सामने 
प्रकट हुए बोला "ओए बाराती तुम सब ऐसे भूत प्रेत की तरह क्यों खड़े हो चलो आग,,,मम्मीईईई" वो उनकी तरफ मुंह करके बोल ही रहा था की जैसे ही आगे बढने के लिए पलटा प्रिंसिबल सर को ठिक सामने अपने इतने करीब देख डर से चीख पड़ा और मनीष से बेताल की तरह जा लिपटा 

स्ट्रॉन्ग बड़बड़ाते हुए "पता नहीं किस मनहूस का मुंह देख लिया मैने,,,सुबह से डर डर के थोड़ा थोड़ा मर रहा हू" 

"किसका मुंह देखा वो तुम खुद पता लगा लेना और देरी अगर बिना किसी कारण के हुई है तो सजा सबको मिलेगी" प्रिंसिबल सर कड़क आवाज में बोले।

कॉलेज के प्रिंसीबल कटाक्ष गुरुवंत उम्र 48, जितने कड़क और रौबदार उतने ही नरम और प्यारे इनका नरम और प्यार भरा रूप एक ही स्टूडेंट के ऊपर झलकता है और इनके कटाक्ष भरे शब्द का भी उसपर कोई असर नहीं होता अब वो कौन है आगे पढ़ो।

"इतना टाइम है बड़बड़ाने के लिए इसमें से थोड़ा सा घटा कर यहां जल्दी पहुंचने में लगा देते तो अभी हम सब ट्रेन में सफर कर रहे होते" कॉमर्स के सर ज्ञानेद्रिय  गुस्से से बोले। 
कॉमर्स सर ज्ञानेद्रीय गुरुवंत उम्र47, खडूस टाइप के सब कहते इनकी  हंसी देखने के लिए हजार साल तपस्या करनी होगी क्युकी किसी ने इन्हें मुस्कुराते हुए भी नहीं देखा,,,देखा तो  बस खडूस वाली शक्ल,,,पर जल्द ही कोई इनके चहरे पर हसी लाने वाला है। और इनकी ऐसे बिहेवर के पीछे एक राज है जिससे पर्दा कोई और ही उठाएगा। पढ़े आगे,,,

"मतलब मैं सही थी,,," रियुमा हाथ बांधे बोली। 
उसकी बात सुन सभी एक साथ बोल पड़े "क्या सही थी???"

सबके सवाल का जवाब मस्तानी रियू की तरह हाथ बांध उसी की नकल करते हुए "यही की ट्रेन छुट गई इसलिए आप सब आखें बाहर निकाल रहे थे"
उसकी बात पर सभी अपना सिर पीट लिए।

"सर मेरी कोई गलती नही है" स्ट्रॉन्ग मनीष को छोड़ प्रिंसिबल सर के पैरो में गिरते बोला।

"तो किसकी है?" प्रिंसीबल सर भौंहे उठाकर पूछे।
इससे पहले की प्रिंसीबल सर अपना लेक्चर सुनाते एक लड़का भागते हुए आया और हाफ्ते हुए बोला "सर दूसरी ट्रेन 15 मिनट में पहुंचेगी जल्दी चलिए "

प्रिंसिबल सर एक आह भर सख्त लहजे में "hmm अब बहस बाजी कर के टाईम वेस्ट करने से अच्छा है सब अपना बैग उठाओ और चलो अंदर और जिसे नही जाना वो यहां से ऑटो रिक्शा पकड़,,,"  
उनकी बात पूरी भी नही हुई थी की उस जगह पर सन्नाटा छा गया सब वहा से खिसक लिए थे अकेले प्रिंसिबल सर ही खड़े रह गए थे बस और एक सरसराती हवा जो धूल को उड़ा कर ले गई।

"इन नमूनों का कुछ नहीं हो सकता"  वो हताश होकर खुद में ही बोले की उन्हे पीछे से एक मरियर सी 
आवाज आई "स,,स,,र जल,, दी चले,, चलिए वर,, ना ये ट्रेन भी छु,,ट जाए,, गी" प्रिंसिबल सर चिहुंक कर मुड़े  तो देखे मनीष अपना और उनके बैग का बोझ डोहे खड़ा था। 

प्रिंसिबल सर हैरानी से बड़ी बड़ी आंखे कर उसे देख जल्दी से उसका बोझ कम किए "मनु तुम क्यों उठाए मैने तो राहुल को बोला था" 

"सर,,,वो,,,वो उठा नही पा रहा था ना तो,,,तो,,," मनीष हाफ़ते हुए इतना ही बोल पाया था की 
"तो तुम प्रकट हो गए उसकी सहायता करने" प्रिंसिबल सर उसकी बात अपने ताने भरे शब्द से पूरी करते हुए बोले। 
और मनीष वो तो था ही थोड़ा बुद्धू भोला भाला वो समझ नहीं पाता और सर हा में हिला दिया।

"पर बेटा ये काम मैने उसे दिया था जो उसे करना चाहिए था तुम क्यू किए?" उसकी मासूमियत देख प्रिंसिबल सर प्यार से उसका सर सहलाते हुए बोले। 

"नहीं सर मैंने उसका काम नही अपनी दोस्ती निभाई है,,, आप ही ने कहा था ना मुश्किल समय में दोस्त ही दोस्त के  काम आता है" मनीष ने उनके सवाल का सीधे और सय्यम से जवाब दिया।

"दोस्ती के मामले में तुमसे कोई नहीं जीत सकता,,, निभाओ अपनी दोस्ती शौक से,,," प्रिंसिबल सर एक आह भर कर बोले। तभी 
मस्तानी वहा प्रकट हुई बोली "सर जी शॉक तो आपको भी लगेगा क्युकी आपके लेक्चर के कारण ट्रेन पटरी पर भाग निकलने के कंगार पर है" 
फिर दात दिखा कर मस्का लगाते हुए "वैसे सप्राइज का है? हमका बता दीजिए सर कच्चा बादाम वचन देत है हम किसी को ना बताएंगे" 

प्रिंसिबल सर उसकी बात इग्नोर कर हैरानी से "क्या,,, ट्रेन आ गई चलो चलो जल्दी भागो ट्रेन की तरफ" 

मस्तानी उन्हे घूरते हुए "हु,,, मुझे इग्नोर करना आपको भारी पड़ेगा सरजी,,,लाइए अपना बोरिया बिस्तर मुझे दीजिए वरना क्या पता  भागते भागते यही छूट गया तो आपकों पूरे ट्रिप में कच्छ,,," 

"क्या उटपटांग बोल रही पागल" मस्तानी आखिरी शब्द पूरा बोलती की मनीष ने उसका मुंह चाप दिया और उसके कान में  फुसफुसाते हुए बोला। 

"बस बस समझ गया मैं तो उठाओ मेरा बोरिया बिस्तर और जल्दी जल्दी आगे बढ़ो" प्रिंसिबल सर दोनो को घूरते हुए बोले। 
मनीष और मस्तानी दात दिखाते हुए उन्हे देखे मस्तानी प्रिंसिबल सर और मनी का बैग उठाई और जैसी प्रकट हुई थी वैसे ही गायब हो गई। 

प्रिंसिबल सर देखते रह गए,,,,?????

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( >💜💌💜 हेलोलोला दोस्तों मैं स्टोरी का चौकीदार बंकू प्रिंसिबल का देखते रहना,
ज्यादा सिरियसली मत लेना 
फिलहाल आगे क्या होगा जानने के लिए ,
हर ep पढ़ते रहना ।