दर्द..... Raj द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दर्द.....

सब  फूल  ले  आये, मैं  काँटे  उठा  लाया रह जाते जो  राहों   मे  तो  किसी  अपने  को  चुभ  जाते.. 

बड़े  दीदार  के  साथ  आज  ' Rose Day'  पर  ग़ुलाब  को  हमने  हसीन  वादियों  मे  जाकर  ढूँढा  , ग़ुलाब  तो  सारे  ही  अच्छे  थे  मगर  ' चाँद  से  मुखड़े'  के  लिए  चाँदनी  जैसी  सौंदर्यता  चाहिए  इसलिए  थोड़ी  देर  लगी  ढूंढने  मे  आख़रकार  मिल  ही  गया  , जब  ग़ुलाब  लेकर  लाखों  सपनो  को  समेट  कर  हम  अपनी  महबूबा  के  पास  गए  तो  क़यामत  भरा  लम्हा  हमारे  आंखों  के  सामने  था  .... 

उनके  जुल्फो  मे  ग़ुलाब  था  और  मेरे  सामने  मेरा  टूटा  हुआ  ख्वाब  था... वो किसी  और की  बाहों  मे  थी  और अब  मुझे  खबर  मिली  कि मेरी  मंज़िल  अंजान  राहों  पर  थी, समझ  मे  नही  आई  एक  बात  की  दर्द  काँटों  मे  ज्यादा  होता  है  या  टूटे  हुए  आशिक  के  दिल  मे 

जब  हम  उन  वादियों  मे  गए  तो  हमें  पता  चला  की  बद्दुआ  तो  उन  कलियों  ने  भी  हमे  दी  थी  जिससे  हमने  ग़ुलाब  तोडा  था। दर्द  होता  है  न  जब  किसी  को  बेइंतेहा  चाहो  और  वो  किसी  और  को  चाहने  लगे  वो  भी  सिर्फ  इसलिए  की  किसी  एक  का  होना  उनकी  फितरत  मे  नही  , मोहब्बत  दम  तोड़  देती  है  और  दर्द  का  वहाँ  जन्म  होता   है  ये  दर्द  बेवफाई  की  कड़वाहट  का  एहसास  दिलाता  है  जिसमे  इंसान  न  तो  मर  सकता  है  न  तो  जी  सकता  है ऐसे  दर्द  का  कोई  इलाज  नही  और  जब  दर्द  का  इलाज़  नही  तो  ज़ख़्म  नासूर   बन  जाते  हैं  और  जब  ज़ख़्म  नासुर  बन  जाए तो  दर्द  का  एहसास  भी  नही  रहता  इंसान  सिर्फ  एक  जिंदा  लाश  बन  कर  रह  जाता  है। 

आज  हमसे  उन्होंने  बेवफाई  की  है  अब  समझ  नही  आता  की  इस  बेवफाई  का  इंतेक़ाम  लूँ  या जिंदगी  भर   सिर्फ   उनका  नाम  लूँ  क्या  इंसान  का  दिल  वो  खिलौना  है  जिसे  जब  चाहे  जो  भी  चाहे  खेल  सकता  है महज़  दिल  बहलाने  के  लिए? जब  मोहब्बत  बेवफाई  मे  बदल  जाए  तो  खुद  मे  छोटेपन  का  एहसास होता है  मानो  इस  क़दर  किसी  ने  इज़्ज़त  लूटी  हो  की  आह  भी  नही  निकली  और  किसी को पता  भी  नही चला  , मोहब्बत  नही  ये  तो  शिकार  है  जब  किसी  एक  से  जी  भर  जाए  और  हवस  जिस्म मे  अटकी  हो  तो लोग अक्सर  ऐसा  ही करते  हैं ,

  1. धोखा  कोई  एक देता  है पर  नफरत  मोहब्बत  से  हो  जाती  है 
  2. धोख़ा  एक  इंसान  देता  है  पर  नफरत  मोहब्बत  से  हो  जाती  है  
हर  धोखे  की  सज़ा  सिर्फ  मोहब्बत  को मिलती  है  क्युकि  बदनाम  भी  मोहब्बत  ही  होती  है। 

हम  तो  शिकार  हो  ही  चुके  हैं  पर  क्या  ये  शिलशिला  कभी  खत्म  नही  होगा  , दिल  टूट  रहे  हैं  , डोलियाँ  उठ रही  हैं  आशिक़ों  के  जनाज़ों  पर  , मगर  कोई  फ़र्क  नही  । 

हर  उस  'कल ' से  नफरत  हो चुकी  है  जिसने  मुझे  ये  'आज ' दिया  है। 

अब  ज़िंदगी  की  मंज़िल  का  तो  पता  नही  मगर  क्या  कोई  ऐसा  साथी  होगा  जो  मुझे  अंधेरे  की बेवफाई  से खींचकर  मोहब्बत की रोशनी  की  तरफ  खींचकर ले  जायेगा  या  ये  सिलसिला  युं ही  हमे  तोड़ता  रहेगा  , 

ऐ  वक़्त  ज़रा  इतना  रहम  करना, टूट चुका  हूँ  अपनो  के ख़ातिर  बस इतना  रहम  करना। 

Written by Raj