हमराज - 5 Gajendra Kudmate द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हमराज - 5

बादल और यासीन की बातें सोच सोच कर ज़ेबा की आंख के सामने वह खौफ़नाक मंजर आ गया. यह बात कुछ ही साल पहले की थी ज़ेबा की बड़ी बहन हिना वह ज़ेबा से पाच साल बडी थी. ज़ेबा से बड़ी होने के कारण वह उन दोनों की उम्र में फासला तो था ही. जेबा तब नासमझ थी और हिना जवानी की आगोश में थी. दिखने में हिना ज़ेबा से भी ज्यादा खुबसुरत थी वह भी एक कॉलेज में पढने जाती थी. इस दौरान हिना के नयन एक लड़के से लड़ गये और वह दोनों प्यार कर बैठे. यह सिलसिला करीब करीब एक डेढ साल चला किसी को कानोकान ख़बर नहीं हुई थी. लेकिन एक दिन वह बात सबके सामने इस तरह से आयी के सभी को बहोत बड़ा सदमा दे गयी. हिना ने प्यार की सभी हदे पार कर ली थी और वह पेट से थी. यह बात जब हिना के अम्मी और
अब्बू को पता चली तो उनके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा. इस बात का अब्बू के जेहन पर ऐसा असर पड़ा की वह बहोत संगदिल हो गए और उन्होंने हिना को प्यार करने के गुनाह की खौफ़नाक सजा दी. अब्बू ने पहले वह बच्चा गीरवा दिया और बाद में हिना का निकाह एक ऐसे ऐय्याश शख्स से करवा दिया जिसकी पहले से तीन बीवीयाँ थी. वह शख्स नामचीन और दौलतमंद था इस कारण से उसमें ऐब भी उतने ही थे. वह शख्स औरत को एक मशीन समझता था बच्चे पैदा करने की. उस शख्स की तीन बीवीयों के नौ बच्चे थे तो अब हिना की बारी थी. लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था हिना के प्यार की निशानी को मिटाते वक्त एक ऐसी गलती हो गयी थी के उसके बाद वह फिर से माँ नहीं बन सकी.

     इस बात का जब उस शख्स को पता चला तो उसने हिना पर जुल्म करना सुरु कर दिया. जो लड़की अम्मी अब्बू के घर में हमेशा परदे में रहा करती थी उसे उस शख्स ने दुनीया के सामने बेपरदा कर दिया था. उस शख्स ने हिना को तवायफ़, वेश्या बना डाला था. वह शख्स लोगों को अपने घर बुलाता था और हिना से मुजरा करवाता था. उसके बाद उसके जिस्म का सौदा कर के लोगों के साथ उसे हमबीस्तर होने को मजबूर करता था. इतने जुल्म हिना ने सिर्फ दो साल की शादीशुदा जिन्दगी में सहे थे. फिर वह कयामत का दिन आया और एक बुरी ख़बर ने हिना के अब्बू और अम्मी के दरवाजे पर दस्तक दी. उस दिन उन्हें पता चला की उनकी बेटी ने दुनीया को अलवीदा कह दिया है. लेकिन इस जुल्मों सीतम के बारे में उन्हें पुरे एक साल के बाद पता चला. हिना के अब्बू ने तो हिना का भला ही चाहा था लेकिन उनके हाथों अनजाने में यह गुनाह हो गया था. उन्होंने अनजाने में गुस्से में आकर
जल्दबाजी में अपने फुल सी बेटी को एक कसाई के हाथों सौंप दिया था. उस गुनाह के लीये वह अब भी खुद को दोषी मानते है. यह सारा मंजर ज़ेबा की आँखो के सामने घटा था जब वह नासमझ थी. इस मंजर की छाप ज़ेबा के नाजुक नासमझ दिल पर ऐसे छप गयी की उस सदमे से वह आज तक नीकल नहीं पायी. इसलीये उसकि दिल में बादल के लीये प्यार होने के कारण इस खौफ़ से वह अपने दिल के जज्बात जाहिर करने से डर रही है.

    ज़ेबा अपने ख्यालों में ही थी के उसके कानों में अम्मी और अब्बू के बात करने की आवाज आती है. ज़ेबा झट से अपने ख्यालों की दुनीया से बाहर आकर सुनती है तो उसे पता चलता है की बादल और ज़ेबा के बीच में सड़क पर जो बाते हुई वह अब्बू को पता चल गयी. इस कारण से अब्बू और आम्मी के बीच लड़ाई हो रही है. ज़ेबा को समझ आगया था की उसके अब्बू को इस बात का पता चल गया है तो वह और ज्यादा घबरा गयी थी. ज़ेबा की अम्मी ने बड़ी ही मुश्किल से बात को संभाला था और अब्बू को वादा किया की कल वह इस बारे में ज़ेबा से बात करेंगी. उधर बादल भी घर में जाकर ज़ेबा के बारे में सोचने लगा था. उसके दिलोदिमाग से ज़ेबा का वह खौफ़ से भरा डरा सहमा सा चेहरा नीकल ही नहीं रहा था. अपने दिल की बात ज़ेबा तक पहुँचाने की ख़ुशी से ज्यादा उसे ज़ेबा के इनकार करने का दुःख था. इस बात की तसल्ली उसे हो रही थी के ज़ेबा भी उससे प्यार करती है लेकिन किसी न किसी बात से वह डरती है. ज़ेबा जीस खौफ़ के साये में जी रही है वह खौफ़ किस बात का है और क्या है इस बात का पता वह लगाकर रहेगा. बादल ज़ेबा के खिड़की की तरफ देखकर सोचने लगा की कल वह फिर से एकबार ज़ेबा से मीलकर बात करेगा और उसके उस खौफ के बारे में जानने की कोशिश करेगा. इस बारे में वीचार करते करते उसकी जाने कब आँख लग
गयी और वह सो गया.

    दुसरे दिन सुबह होने पर बादल ने उठकर जेबा के घर की तरफ देखा तो उसे सबकुछ बंद दिखाई दिया. उसे ताज्जुब हुआ की ज़ेबा के घरवाले इतनी देर तक सोते नहीं है तो फिर आज इतनी देर हो गयी है लेकिन अबतक वह बाहर क्यों नहीं नीकले. इस ही सोच में वह बिस्तर से उठा ब्रश कर के और नहाकर तैयार हो गया. उसके बेचैन दिल से अभी और इंतजार नहीं हो रहा था इसलीये वह घर से नीकलकर सड़क के किनारे जहाँ कल ज़ेबा से मीला था उस जगह जाकर ज़ेबा के आने का इंतजार करने लगा. काफी देर इंतजार करने के बाद उसने सोचा की शाम को कॉलेज से लौटते वक्त ज़ेबा से बात करेगा. इसलीये वह सीधा अपने कॉलेज की तरफ चला गया. शाम को कॉलेज से लौटते वक्त वह फिर से उस जगह पर ज़ेबा के आने का इंतजार करने लगा ही था के वहाँ उसे रास्ते पर यासीन आते हुए दिखी. बादल ने फिर यासीन को रोककर पूछा, " सुनीये यासीन, आज आप अकेली क्यों है, ज़ेबा कहा रह गयी है." तब यासीन ने कहा, " जनाब आशिक, आज तो आपकी माशुका कॉलेज ही नहीं आयी है. हमे तो लग रहा था की वह आपके साथ कहीं हसीन वादियों में सैर करने तो नहीं नीकल गयी." इसतरह बोलकर यासीन हसने लगी. यासीन का जवाब सुनकर बादल ओर भी ज्यादा बेचैन हो गया और तुरंत ज़ेबा के घर की तरफ जाने के लीये नीकल पड़ा. घर जाकर उसने देखा तो सुबह की तरह सबकुछ बंद बंद ही था.
शेष अगले भाग में .........५