भाग 4: क्रांति की नई राह
गौरवनगर – विद्रोह की हलचल
कबीर के धोखे का पर्दाफाश और उसकी सजा के बाद, पियाली और उसकी टीम ने राहत की सांस ली, लेकिन उनकी चुनौतियां कम नहीं हुई थीं। तानाशाह आकाश ठाकुर अब और भी ज्यादा आक्रामक हो चुका था। उसने पूरे गौरवनगर में सैनिकों की संख्या बढ़ा दी थी और शहर में कर्फ्यू लगा दिया। हर गली और हर चौराहे पर लोगों की तलाशी ली जा रही थी।
“अब हमें और सावधानी से आगे बढ़ना होगा,” पियाली ने टीम के सामने कहा।
“हमारे पास समय कम है, लेकिन हमें जनता के दिलों में आशा का दीप जलाना है। इस बार हमारी हर योजना जनता तक पहुँचनी चाहिए।”
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तानाशाह का नया षड्यंत्र
राजभवन के गुप्त कक्ष में, आकाश ठाकुर अपनी कैबिनेट और सुरक्षा प्रमुख के साथ बैठा था।
“यह विद्रोह अब काबू से बाहर हो रहा है। जनता के मन में डर कम हो रहा है, और यह हमारे लिए खतरा है। हमें उन्हें ऐसा सबक सिखाना होगा कि कोई भी सिर उठाने की हिम्मत न करे,” उसने ठंडे स्वर में कहा।
सुरक्षा प्रमुख ने जवाब दिया,
“सर, हमने शहर के हर कोने में सैनिक तैनात कर दिए हैं। लेकिन विद्रोही बहुत चालाक हैं। वे गुप्त रूप से जनता को भड़काने का काम कर रहे हैं। अगर हमें इस विद्रोह को खत्म करना है, तो हमें उनकी नेता को खत्म करना होगा।”
“नेता?” आकाश ने गहरी आवाज़ में पूछा।
“हाँ, सर। हमारी जाँच में पता चला है कि पियाली ही इस विद्रोह की मुख्य कड़ी है। अगर उसे खत्म कर दिया जाए, तो विद्रोह बिखर जाएगा।”
आकाश ठाकुर ने एक खतरनाक मुस्कान के साथ सिर हिलाया।
“तय करो। मुझे पियाली की मौत चाहिए। चाहे इसके लिए हमें किसी भी हद तक जाना पड़े।”
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पियाली का निर्णय
पियाली ने नंदिता और आर्यन के साथ एक गुप्त बैठक बुलाई।
“अब समय आ गया है कि हम अपने कदम और तेज़ करें। हमें सिर्फ छुपकर काम नहीं करना चाहिए, बल्कि जनता के बीच जाकर उन्हें क्रांति के लिए तैयार करना चाहिए,” उसने कहा।
नंदिता ने सहमति जताई,
“यह सही है। लेकिन हमें सावधानी बरतनी होगी। तानाशाह की सेना हर तरफ फैली हुई है। अगर हमारी पहचान हो गई, तो हम सब खतरे में पड़ जाएंगे।”
आर्यन ने बीच में कहा,
“हम छोटे-छोटे समूह बनाकर काम करेंगे। हर समूह का काम होगा जनता तक संदेश पहुँचाना और उन्हें विरोध प्रदर्शन के लिए तैयार करना। इससे हमारा नेटवर्क और मजबूत होगा।”
“और इस बार, हमें सिर्फ जनता को जागरूक नहीं करना है, बल्कि उन्हें लड़ाई के लिए तैयार करना है,” पियाली ने आत्मविश्वास के साथ कहा।
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जनता के बीच क्रांति का संदेश
पियाली और उसकी टीम ने छोटे पर्चे तैयार किए, जिन पर तानाशाह के अत्याचारों और क्रांति के उद्देश्य का संदेश लिखा था। ये पर्चे शहर के हर कोने में बाँटे गए।
“आज़ादी हमारी पहचान है। इसे छीनने वाले को बर्दाश्त न करें। विद्रोह के लिए तैयार हो जाएं!”
शहर के लोगों ने धीरे-धीरे इन पर्चों को पढ़ना शुरू किया। एक तरफ उनमें तानाशाह का डर था, तो दूसरी तरफ इस संदेश ने उनके भीतर उम्मीद की किरण जगा दी।
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तानाशाह का पलटवार
आकाश ठाकुर को पर्चों के बारे में जानकारी मिली। उसने तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया।
“हर उस व्यक्ति को गिरफ्तार करो जिसके पास ये पर्चे मिले। मैं जनता को यह दिखाना चाहता हूँ कि विद्रोह का क्या अंजाम होता है।”
सैनिकों ने शहर के कई निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया। उन्होंने उन्हें सार्वजनिक रूप से सजा दी, ताकि बाकी जनता डर जाए।
लेकिन यह तानाशाह की सबसे बड़ी भूल थी।
“वह जितना जनता को डराने की कोशिश करेगा, उतना ही जनता हमारे साथ खड़ी होगी,” पियाली ने कहा।
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क्रांति का पहला प्रदर्शन
पियाली ने नंदिता और आर्यन के साथ मिलकर पहला विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। यह प्रदर्शन गुप्त रूप से तैयार किया गया था, और इसमें कई छोटे समूहों ने भाग लिया।
“तानाशाह के खिलाफ हमारी आवाज़ एकजुट होगी,” पियाली ने प्रदर्शन के दौरान कहा।
शहर के मुख्य चौक पर, सैकड़ों लोग एकत्र हुए। उन्होंने तानाशाह के खिलाफ नारे लगाए और आज़ादी की माँग की।
“तानाशाही मुर्दाबाद!
आज़ादी ज़िंदाबाद!”
तानाशाह की सेना ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियाँ चलाईं, लेकिन लोगों ने डरने से इंकार कर दिया। यह विद्रोह की पहली बड़ी सफलता थी।
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राजभवन में खलबली
आकाश ठाकुर को प्रदर्शन की खबर मिली।
“यह असंभव है! जनता मेरे खिलाफ सड़कों पर कैसे उतर सकती है?” उसने गुस्से में कहा।
सुरक्षा प्रमुख ने सुझाव दिया,
“हमें यह जानना होगा कि उनके पीछे कौन है। अगर हम उनके मुख्य ठिकाने तक पहुँच गए, तो हम इस विद्रोह को खत्म कर सकते हैं।”
आकाश ने कबीर की जगह एक नया गुप्त जासूस भेजने का आदेश दिया।
“इस बार कोई गलती नहीं होनी चाहिए। मुझे उनके हर कदम की जानकारी चाहिए।”
तानाशाह और विद्रोहियों के बीच लड़ाई अब और तेज़ हो चुकी थी। जनता के बीच पियाली की लोकप्रियता बढ़ रही थी, लेकिन तानाशाह का गुस्सा और उसका जासूसी तंत्र उनकी हर योजना के लिए खतरा था।
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तानाशाही की दरारें
गौरवनगर – विरोध की आग
गौरवनगर अब तानाशाह और विद्रोहियों के बीच युद्धभूमि बन चुका था। जनता के मन में पियाली और उसकी टीम के संदेशों ने आज़ादी की चिंगारी जला दी थी। हालांकि तानाशाह ने अपनी सेना को शहर में फैलाकर जनता को डराने की कोशिश की, लेकिन डर की जगह लोगों में आक्रोश और बढ़ गया।
“हमें अब विरोध को केवल सड़कों तक नहीं रखना है। हमें इसे हर गली, हर घर तक ले जाना है,” पियाली ने अपनी टीम से कहा।
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तानाशाह की रणनीति
राजभवन में आकाश ठाकुर अपने सुरक्षा प्रमुख और कैबिनेट के साथ बैठक कर रहा था।
“ये विद्रोह अब काबू से बाहर हो रहा है। हमें इसे कुचलने के लिए और कड़े कदम उठाने होंगे,” उसने गुस्से से कहा।
सुरक्षा प्रमुख ने सुझाव दिया,
“सर, अगर हम विद्रोहियों के गुप्त ठिकाने का पता लगा लें, तो उन्हें खत्म करना आसान होगा। हमने एक नया जासूस उनकी टीम में भेजा है। वह हमें जल्द ही सारी जानकारी देगा।”
आकाश ने सिर हिलाया,
“अच्छा। लेकिन मुझे इस बार कोई गलती नहीं चाहिए। अगर यह विद्रोह आगे बढ़ा, तो यह मेरी सत्ता को हिला सकता है।”
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गुप्त ठिकाने पर तनाव
दूसरी ओर, पियाली की टीम अपने गुप्त ठिकाने पर चर्चा कर रही थी।
“तानाशाह अब और आक्रामक हो चुका है। उसने हमारी हर गतिविधि पर निगरानी बढ़ा दी है,” नंदिता ने कहा।
आर्यन ने कहा,
“हमारे पास ज्यादा समय नहीं है। हमें जनता को और तेजी से तैयार करना होगा। अगर हम जल्दी कोई बड़ा कदम नहीं उठाएंगे, तो तानाशाह हमारी योजनाओं को नष्ट कर सकता है।”
पियाली ने गंभीरता से कहा,
“हमें सतर्क रहना होगा। हमने हाल ही में कबीर जैसे गद्दार को पकड़ा है। लेकिन तानाशाह फिर से कोई चाल चल सकता है। हर कदम सावधानी से उठाना होगा।”
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नया जासूस – शिवेंद्र की एंट्री
तानाशाह का नया जासूस, शिवेंद्र, अब विद्रोहियों के बीच घुसपैठ कर चुका था। वह खुद को एक साधारण नागरिक के रूप में पेश कर रहा था, जिसने तानाशाह के अत्याचारों से परेशान होकर विद्रोहियों का साथ देने का नाटक किया।
शिवेंद्र ने पहली ही बैठक में पियाली और उसकी टीम का भरोसा जीतने की कोशिश की।
“मैंने अपनी बहन को तानाशाह के सैनिकों के हाथों खो दिया। अब मैं इस क्रांति का हिस्सा बनकर तानाशाह को खत्म करना चाहता हूँ,” उसने झूठी भावुकता के साथ कहा।
हालांकि, पियाली और नंदिता ने उसकी कहानी सुनकर सहानुभूति दिखाई, लेकिन आर्यन ने उसकी आँखों में कुछ शक देखा।
“हम तुम्हें हमारी टीम का हिस्सा बना लेंगे, लेकिन तुम्हें पहले हमारी कुछ छोटी योजनाओं में काम करके अपनी निष्ठा साबित करनी होगी,” आर्यन ने कठोर स्वर में कहा।
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तानाशाही का पलटवार
तानाशाह ने जनता पर दबाव बढ़ाने के लिए शहर में और भी सख्ती कर दी। हर गली में तलाशी अभियान चलाए जा रहे थे। बेगुनाह लोगों को पकड़कर सजा दी जा रही थी।
“तुम्हारी आज़ादी सिर्फ एक भ्रम है। अगर कोई तानाशाह का विरोध करेगा, तो उसका यही अंजाम होगा,” सैनिकों ने लोगों से कहा।
लेकिन जनता अब चुप रहने वाली नहीं थी। हर अत्याचार के साथ विरोध की आग और भड़क रही थी।
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गुप्त सूचना और जाल
शिवेंद्र ने एक छोटी सी योजना के बारे में तानाशाह को जानकारी दी। उसने बताया कि विद्रोही अगले सप्ताह एक महत्वपूर्ण बैठक करने वाले हैं।
“यह हमारा मौका है। हम उनकी योजना को वहीं खत्म कर देंगे,” उसने आकाश को कहा।
लेकिन शिवेंद्र को यह नहीं पता था कि पियाली और आर्यन ने उस पर नज़र रखने के लिए पहले ही जाल बिछा दिया था।
“अगर यह व्यक्ति वाकई हमारा साथी है, तो वह हमारी योजनाओं को किसी को नहीं बताएगा। लेकिन अगर वह जासूस है, तो तानाशाह को इस योजना की भनक जरूर लगेगी,” पियाली ने कहा।
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तानाशाह का हमला
जिस दिन शिवेंद्र ने तानाशाह को गुप्त बैठक की सूचना दी थी, उसी दिन तानाशाह की सेना उस स्थान पर पहुँच गई।
लेकिन वहाँ विद्रोहियों की बजाय केवल कुछ झूठे दस्तावेज और नकली नक्शे थे। तानाशाह को महसूस हुआ कि वह धोखा खा चुका है।
राजभवन में आकाश ठाकुर ने गुस्से में कहा,
“यह विद्रोही हमारे साथ खेल रहे हैं। शिवेंद्र को कहो कि वह असली ठिकाने का पता लगाए, नहीं तो उसकी मौत पक्की है।”
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शिवेंद्र का पर्दाफाश
पियाली और आर्यन ने शिवेंद्र की गतिविधियों पर नज़र रखी। जल्द ही, उन्हें यकीन हो गया कि वह तानाशाह का जासूस है।
“हमें उसे तुरंत पकड़कर उससे सारी जानकारी उगलवानी होगी,” आर्यन ने कहा।
नंदिता ने कहा,
“लेकिन हमें उसे खत्म करने से पहले यह जानना होगा कि तानाशाह की अगली योजना क्या है। वह हमारी लड़ाई में एक अहम कड़ी हो सकता है।”
शिवेंद्र को एक सुनसान जगह पर बुलाया गया। जैसे ही वह पहुँचा, पियाली की टीम ने उसे घेर लिया।
“अब सच बोलो, शिवेंद्र। तुम हमारे साथ हो या तानाशाह के?” पियाली ने कड़क आवाज़ में पूछा।
शिवेंद्र ने डर के मारे सच कबूल कर लिया। उसने बताया कि तानाशाह ने उसे विद्रोहियों की जानकारी देने के लिए भेजा था।
“तानाशाह की अगली योजना क्या है?” आर्यन ने पूछा।
“वह एक बड़ा हमला करने की तैयारी कर रहा है। उसने सेना को आदेश दिया है कि वे पूरे गौरवनगर को घेर लें और विद्रोहियों को खत्म कर दें,” शिवेंद्र ने कहा।
शिवेंद्र की सच्चाई सामने आ चुकी थी। पियाली और उसकी टीम ने अब तानाशाह की अगली योजना के बारे में जानकारी हासिल कर ली थी।
“यह हमारी सबसे बड़ी लड़ाई होगी। हमें जनता को इस बार हर हाल में जीत दिलानी होगी,” पियाली ने आत्मविश्वास के साथ कहा।
क्रमश: