"तानाशाह"
लेखक: मनोज संतोकी मानस
प्रस्तावना
देश का नाम भले ही "आजादिस्तान" हो, लेकिन इस धरती पर आज़ादी नाम मात्र की चीज़ थी। यहाँ के लोग एक निर्दयी तानाशाह "आकाश ठाकुर" के शासन में साँस लेते थे। उसकी सत्ता का डर लोगों की आत्मा तक में बसा हुआ था।
लेकिन हर अंधेरे में कहीं न कहीं एक चिंगारी छुपी होती है। इस चिंगारी का नाम था "पियाली"। एक साधारण सी लड़की, जिसका जीवन तानाशाह के हाथों उजड़ गया था। अपने पिता के खोने के बाद, पियाली को अपने पिता की कुछ गुप्त फाइलें मिलीं, जिनमें तानाशाह के सबसे बड़े राज छुपे हुए थे।
यह कहानी है पियाली की—उसकी क्रांति की, उसकी लड़ाई की, उसके प्रेम की और उसकी कुर्बानियों की।
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भाग 1: अंधेरे का पहला संकेत
गौरवनगर – रात के 2 बजे
शहर सो रहा था। सड़कों पर सिर्फ सन्नाटा और डर का साम्राज्य था। जगह-जगह सेना के जवान तैनात थे। हर गली, हर मोड़ पर कड़ी निगरानी रखी जा रही थी।
इसी बीच, शहर की मुख्य सड़क पर एक सफाईकर्मी ने कचरे में से एक लिफाफा उठाया। लिफाफे पर लिखा था:
"तानाशाह का अंत नज़दीक है। जो सच जानते हैं, वे चुप नहीं रहेंगे।"
यह संदेश तुरंत सेना के एक गश्ती दल के हाथ लगा। संदेश पढ़ते ही उन्होंने इसकी सूचना राजभवन को दी।
राजभवन:
आकाश ठाकुर अपनी आलीशान कुर्सी पर बैठे हुए थे। उनके चारों तरफ उनकी कैबिनेट और सुरक्षा प्रमुख खड़े थे। जैसे ही संदेश उन तक पहुंचा, उनकी आँखों में गुस्से की लहर दौड़ गई।
“कौन है यह जो मेरी सत्ता को चुनौती देने की हिम्मत कर रहा है?” उन्होंने गरजते हुए पूछा।
उनके सुरक्षा प्रमुख ने झिझकते हुए कहा, “सर, हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। शायद यह किसी विद्रोही गुट का काम है।”
“मुझे नाम चाहिए। मुझे सबूत चाहिए। इस शहर में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं बचना चाहिए जो मेरी सत्ता को चुनौती दे सके,” आकाश ने आदेश दिया।
पियाली का घर:
दूसरी ओर, पियाली अपनी छोटी सी झोपड़ी में बैठी थी। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन उनमें डर नहीं था। उसके सामने एक पुरानी डायरी और कुछ फाइलें रखी थीं। ये फाइलें उसके पिता के गुप्त दस्तावेज़ थे, जिन्हें उन्होंने अपनी जान देकर छुपाया था।
पियाली ने फाइल के पन्ने पलटे। हर पन्ने पर आकाश ठाकुर के क्रूर कारनामों का विवरण था—चोरी, हत्या, देशद्रोह।
“अगर यह सच जनता के सामने आ गया, तो आकाश ठाकुर का खेल खत्म हो जाएगा,” पियाली ने खुद से कहा।
लेकिन पियाली यह भी जानती थी कि यह काम इतना आसान नहीं होगा। राजभवन की निगरानी, आकाश ठाकुर का डर, और उसकी खुद की सुरक्षा, सब कुछ खतरे में था।
अगले दिन:
पियाली ने अपनी एक सहेली, नंदिता, को बुलाया। नंदिता एक पत्रकार थी, जो गुप्त रूप से तानाशाह के खिलाफ खबरें इकट्ठा कर रही थी।
“नंदिता, यह फाइल देखो। इसमें वे सारे राज़ हैं जिनकी तुम्हें तलाश थी,” पियाली ने कहा।
नंदिता ने फाइल को ध्यान से देखा।
“अगर यह सच है, तो हम आकाश ठाकुर के खिलाफ सबसे बड़ी खबर ब्रेक कर सकते हैं। लेकिन हमें यह बहुत सावधानी से करना होगा,” नंदिता ने चेतावनी दी।
राजभवन में साजिश:
उधर, राजभवन में आकाश ठाकुर ने अपने जासूसों को आदेश दिया कि हर उस व्यक्ति को ढूंढा जाए जो उसके खिलाफ साजिश कर रहा है।
“कोई भी छूटना नहीं चाहिए। और जो कोई विद्रोही निकले, उसे सरेआम फांसी दी जाएगी,” आकाश ने ठंडे लहज़े में कहा।
भाग 1 का अंत:
पियाली ने अपनी लड़ाई शुरू कर दी थी। लेकिन क्या वह नंदिता के साथ मिलकर यह सच्चाई उजागर कर पाएगी? या आकाश ठाकुर की साजिशें उनके इरादों को तोड़ देंगी?
भाग 2: साज़िश की शुरुआत
गौरवनगर – सुबह के 6 बजे
तानाशाह आकाश ठाकुर के शासन में शहर अब भी भय और सन्नाटे से भरा हुआ था। हर गली, हर चौराहे पर सशस्त्र सैनिक तैनात थे। राजभवन के आस-पास सुरक्षा और कड़ी कर दी गई थी। रात को मिले रहस्यमय संदेश ने आकाश ठाकुर की नींद उड़ा दी थी।
राजभवन में तनाव:
राजभवन के मुख्य कक्ष में मीटिंग चल रही थी। सुरक्षा प्रमुख राजेश ने रिपोर्ट पेश की।
“सर, यह संदेश किसी विद्रोही गुट का काम हो सकता है। हमारी गुप्त टीम ने शहर के कई इलाकों की तलाशी शुरू कर दी है। हमें कुछ संदिग्ध हरकतें दिखी हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं है।”
आकाश ठाकुर ने अपनी कड़क आवाज़ में कहा,
“मुझे नाम चाहिए। यह बगावत फैलाने वाला कोई साधारण इंसान नहीं हो सकता। इस शहर के हर नागरिक की गतिविधियों पर नजर रखो। और जो भी संदिग्ध लगे, उसे तुरंत पकड़ो। अगर ज़रूरी हो तो सरेआम सज़ा दो। डर हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”
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पियाली की योजना:
दूसरी तरफ, पियाली और नंदिता ने अपनी योजना पर चर्चा शुरू कर दी थी। नंदिता ने कहा,
“पियाली, ये फाइलें बहुत कीमती हैं। इनमें तानाशाह के काले कारनामों के सबूत हैं। लेकिन इसे जनता तक पहुँचाना आसान नहीं होगा। हर जगह उसकी सेना का कब्जा है।”
पियाली ने आत्मविश्वास से कहा,
“अगर हम डर गए, तो यही तानाशाही हमें हमेशा के लिए खत्म कर देगी। मैं इन फाइलों को सही हाथों में पहुँचाकर ही दम लूँगी।”
नंदिता ने चेतावनी दी,
“तुम्हें यह समझना होगा कि तुम अब सिर्फ एक साधारण लड़की नहीं हो। तुमने उनके खिलाफ सबूत जुटाए हैं। अब वे तुम्हारे पीछे आएंगे। तुम्हारी सुरक्षा सबसे ज़रूरी है।”
पियाली ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
“अगर मेरे पिता डर गए होते, तो ये फाइलें मेरे हाथों तक कभी न पहुँचतीं। अब यह मेरी ज़िम्मेदारी है।”
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प्रेम का एक नया मोड़:
उस दिन, नंदिता ने पियाली को अपने एक मित्र, आर्यन से मिलवाया। आर्यन एक युवा और साहसी व्यक्ति था, जो गुप्त रूप से तानाशाह के खिलाफ लड़ाई में शामिल था। आर्यन ने पियाली से कहा,
“मैंने तुम्हारे पिता के बारे में सुना है। वे एक महान व्यक्ति थे। अगर तुम्हें मेरी मदद की ज़रूरत हो, तो मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
पियाली को आर्यन की आँखों में ईमानदारी और साहस दिखा। उसने कहा,
“मुझे सिर्फ सच को बाहर लाने में मदद चाहिए। यह लड़ाई अकेले नहीं जीती जा सकती।”
आर्यन ने उसे आश्वस्त किया,
“मैं तुम्हारे साथ रहूँगा, चाहे इसके लिए कितनी भी बड़ी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।”
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राजभवन में जासूस:
उधर, राजभवन में एक गुप्त सूचना पहुँची। एक जासूस ने आकाश ठाकुर को जानकारी दी कि शहर के एक पुराने इलाके में कुछ अज्ञात लोग संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त हैं।
“यह विद्रोही गुट हो सकता है,” जासूस ने कहा।
आकाश ने अपने सुरक्षा प्रमुख को आदेश दिया,
“उस पूरे इलाके को घेर लो। जो कोई भी संदिग्ध दिखे, उसे पकड़कर लाओ। और अगर ज़रूरी हो, तो वहीं खत्म कर दो।”
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भाग 2 का अंत:
पियाली और आर्यन ने योजना बनानी शुरू कर दी थी। लेकिन उन्हें पता नहीं था कि आकाश ठाकुर के जासूस उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे।
(क्रमश:)