इच्छामृत्यु यूथेनेशिया S Sinha द्वारा स्वास्थ्य में हिंदी पीडीएफ

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इच्छामृत्यु यूथेनेशिया

 

                               इच्छामृत्यु  यूथेनेशिया 


इच्छामृत्यु या यूथेनेशिया( Euthanasia ) स्वैच्छिक मृत्यु है जो विशेष परिस्थितियों में किसी व्यक्ति विशेष के लिए कानून के अंतर्गत स्वीकार की जाती है  . वह व्यक्ति लाइलाज रोग का शिकार होता है और उसके बचने की कोई आशा नहीं रहती है जिसे टर्मिनली इल ( terminally ill ) भी कहा जाता है  . इस स्थिति में रोगी को किसी दवा या इंजेक्शन द्वारा बिना दर्द दिए मौत दी जाती है  .


 यूथेनासिया दो प्रकार के होते हैं -


1 . एक्टिव यूथेनेशिया - टर्मिनली इल रोगी को किसी घातक दवा या इंजेक्शन द्वारा बिना दर्द मृत्यु देना  . 


2 . पैसिव यूथेनेशिया - जब टर्मिनली इल रोगी परमानेंट वेजिटेटिव स्टेट ( permanent vegetative state ) में हो , जैसे लम्बे समय से कोमा में हों और कोई रिस्पॉन्स न हो  उसका लाइफ सपोर्ट कंसेंट से हटा कर मरने दिया जाय  . 


असिस्टेड सुसाइड ( Assisted suicide ) - जब डॉक्टर  किसी टर्मिनली इल रोगी स्वयं घातक दवा द्वारा आत्महत्या की इजाजत देते हैं ,नीदरलैंड में यह मान्य है  .  


 हालांकि दुनिया में बहुत कम देशों द्वारा इसे कानूनन वैधता मिली है - कनाडा , नूज़ीलैण्ड , अमेरिका के 10 राज्य और डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कोलंबिया और कुछ यूरोप के देश - बेल्जियम , जर्मनी , स्पेन , ऑस्ट्रिया , पूर्तगाल और लक्संबॉर्ग  . भारत में  IPC की धारा 309 के अंतर्गत  एक्टिव यूथेनेशिया एक दंडनीय अपराध है  . 


इसी वर्ष 29 नवंबर को ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ़ कॉमन्स ने इस विधेयक को बहुतमत  से स्वीकार कर लिया  है  . इस विधेयक के अंतर्गत डॉक्टर 18 वर्ष से ऊपर के वैसे रोगी जिसकी मौत 6 महीने के अंदर संभावित है उसे डॉक्टर स्वैच्छिक मृत्यु दे सकते हैं  . इस प्रक्रिया को असिस्टेड डाईंग ( assisted dying ) कहा गया है  . हालांकि अभी इस पर और चर्चा और संशोधन की संभावना है जिसके बाद यह कानून बन जायेगा . जिस ब्रिटेन  में मौत की सजा 1969 में समाप्त कर दी गयी हो वहां के लिए ऐसा विधेयक एक मील का पत्थर है  . 

 

यूथेनेशिया के दोनों पहलू हैं - सकारात्मक ( pros ) या पक्ष  और नकारात्मक ( cons ) या विपक्ष  . इसके दोनों पहलुओं पर एक नजर  डालते हैं - 


यूथेनेशिया के पक्ष में तर्क  


1 . व्यक्ति  को आत्मनिर्णय का अधिकार होना चाहिए कि वह कब और कैसे मरे  . 


2  व्यक्ति  अपनी परिस्थिति को कंट्रोल करे और उसे सम्मान के साथ मरने की स्वतंत्रता हो  . 


3 . मृत्यु किसी व्यक्ति का निजी मामला है और इस अधिकार में सरकार या किसी अन्य का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए  . 


4 . जब किसी रोगी की चिकित्सा लाइलाज हो और उस के इलाज में बहुत महंगा दवा दारू व्यर्थ जा रहा हो और   उसके जीने की कोई उम्मीद  नहीं हो तब उसे स्वयं मृत्यु प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए  . 


5 . उस लाइलाज रोगी के प्रिय जन रोगी को दर्द से लम्बे समय तक तड़पते देख कर स्वयं बहुत दुखी हो रहे हों , ऐसे में रोगी और उसके प्रियजनों सभी के लिए  यूथेनासिया बेहतर है  . 


6 . एक तरफ बीमार और टर्मिनली इल पशुओं के लिए समाज में यह मान्य है वही मनुष्य के लिए नहीं 

 

. यूथेनेशिया के विपक्ष में  तर्क  - 


1  . यूथेनेसिया से समाज में मानव जीवन के प्रति सम्मान में ह्रास संभावित है  . 


2  . टर्मिनली इल रोगी के कभी आशा के विपरीत ठीक होने की संभावना रहती है  . 


3  . डॉक्टरों के हाथ में यूथेनेशिया के  पावर के दुरूपयोग की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है  . 


4  . कभी परिवार का सदस्य , मित्र या डॉक्टर रोगी पर यूथेनेशिया के लिए दबाव दे  सकते हैं  . 


5  . डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के जीवन बचाने की प्रतिबद्धता को यूथेनेशिया कमजोर करती है  . 


6  .  टर्मिनली इल रोगी के उपचार के लिए नयी खोज की दिशा में यूथेनेशिया बाधक हो सकता है   . 

 

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