स्वर : एक संगम या जंग - 2 Shruti Sharma द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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स्वर : एक संगम या जंग - 2

वही दूसरी ओर स्टेज़ पर होस्ट announce करता हैं कि -"पायल! अब आप शुरू कर सकती हैं।"

तभी तालियों की गूंज होती हैं। और लाइट पायल पर पड़ती हैं। और music बजना शुरू हो जाता हैं। पायल अपनी वीणा के स्वरों को छेड़ अपनी मधुर आवाज में गाती हैं -"सा सा .... रे ...... गा ... मा ..पा .. धा.. नि.. सा आआआ.... नि ईईई.... पा आ आ... मा आआ.. गा आ... रे ए... सा आ... 

सा सा रे रे गा गा मा मा पा पा धा धा नि नि सा सा।

साआ साआ... रेए रेए. ... गाआ गाआ.......साआअ..."

तभी गिटार बजाती हुई स्वरा संगीत को महसूस करती हुई अपनी पीड़ा भरी मधुर आवाज में गाती हैं -"आवन कह गये, अजहुं न आये। आवन कह गये, अजहुं न आये। लीनी न मोरी खबरिया।" गाती हुई आगे बढ़ रही थी। सब तालिया बजा रहे थे। 

स्वरा स्टेज पर आकर गिटार थामे भैरवी राग में गाती हैं - 🔥"जो मैं ऐसा जानती 
के प्रीत किये दुख होय
ओ, नगर ढिंढोरा पीटती
के प्रीत न करियो कोय।
मोहे भूल गए साँवरिया, 
भूल गए साँवरिया -२
आवन कह गये, अजहुं न आये -२
लीनी न मोरी खबरिया
मोहे भूल गए...
(नैन कहे रो-रो के सजना
देख चुके हम प्यार का सपना) -२
प्रीत है झूटी, प्रीतम झूटा -२
झूटी है सारी नगरिया
मोहे भूल गए..." 🔥 

तब पायल अपनी वीणा बजाती हुई मधुर आवाज़ में गाती हैं -🔥 "ये मोह-मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
ये मोह-मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह-टोह ना लागे, किस तरह गिरह ये सुलझे?
है रोम-रोम इक तारा...
है रोम-रोम इक तारा जो बादलों में से गुज़रे...."🔥 

तब स्वरा अपनी गिटार पर धुन छेड़ते हुए भैरवी राग में गाती हैं - 🔥  "ऐ री मैं तो प्रेम-दिवानी,
मेरो दर्द न जाणै कोय ।
ऐ री मैं तो प्रेम-दिवानी,
मेरो दर्द न जाणै कोय ।
ऐ री मैं तो प्रेम-दिवानी,
मेरो दर्द न जाणै कोय ।
घायल की गति घायल जाणै,
जो कोई घायल होय ।
जौहरि की गति जौहरी जाणै,
की जिन जौहर होय ॥
ऐ री मैं तो प्रेम-दिवानी,
मेरो दर्द न जाणै कोय ।
ऐ री मैं तो प्रेम-दिवानी,
मेरो दर्द न जाणै कोय ।" 🔥 

तब पायल अपनी वीणा के सुर छेड़ती हैं। बजाते बजाते वीणा का एक तार निकल जाता हैं और पायल का हाथ जख्मी हो जाता हैं और वह गा नहीं पाती।

यह देख पायल की दादी सा परेशान हो जाती हैं।

वही स्वरा अपनी गिटार की धुन छेड़ राग भैरवी में गाती हैं -🔥"सूली ऊपर सेज हमारी,
सोवण किस बिध होय ।
गगन मंडल पर सेज पिया की,
किस बिध मिलणा होय ।
दर्द की मारी बन-बन डोलूं,
वैद्य मिल्या नहिं कोय ।
मीरा की प्रभु पीर मिटेगी,
जद वैद्य सांवरिया होय ॥" 🔥 

स्वरा के गाने में , उसके रोम रोम में प्रेम की वो पीड़ा झलक रही थी जिसने वहां बैठी ऑडियंस, judges को भा गया था और वह उसके सम्मान में खड़े होने को विवश हो गए थे।

वही दूसरी ओर पायल मुंह खोले  😲 देखे जा रही थी। उसे जोर का झटका बड़े धीरे से जो लगा था। साथ में उसकी दादी मां को भी 440 वोल्टस का झटका लगा।

जहां स्वरा खुश थी वही पायल के चेहरे पर उदासी छाई हुई थी।

जैसे ही स्वरा ने पायल के चेहरे पर उदासी और उसकी जख्मी उंगली देखी तो उसके चेहरे पर भी परेशानी की लकीर उभर आई। जैसे वो जीतने के स्थान पर हारी हो। पर ऐसा क्यों था? क्यों उसे पायल से इतना फर्क पड़ रहा था? इंसानियत के नाते या वजह और कुछ थी जो अभी वह खुद नहीं जान पा रही थी।

पायल अपने हाथ में वीणा ले वहां से चली जाती हैं।

तभी होस्ट की आवाज़ आती हैं - "रिजल्ट एकदम साफ हैं। जो participant यहां से जीत हासिल कर सुर संगम समिति को स्टेट लेवल पर represent करेंगी वह हैं स्वरा बॉस।"

होस्ट के कहते ही वहां ऑडियंस की तालियों की आवाज एक बार और गूंजती हैं।

तभी स्वरा की नानी हंसते हुए पायल की दादी से बोली - "क्या हुआ घमंडी? तुम्हारी पोती के वीणा की तार के साथ साथ तुम्हारी जीभ भी टूट गई क्या? अब खामोश क्यों हो? अब बोलो कुछ।"

पायल की दादी मां उसे गुस्से से देख रही थी। और वहां से उठकर जाने लगी।

वह गुस्से से बाहर सीढ़ियों की तरफ से जाने लगी तो पायल ने जैसे ही उन्हें गुस्से में जाते देखा तो वह भी अपनी दादी का पीछा करते हुए उनसे बोली - "दादी मां! हमे नहीं पता लास्ट टाइम पर कैसे हमारी वीणा का तार टूट गया। दादी मां! हमारी बात तो सुनिए।"

यह कहकर अपनी दादी मां का हाथ पकड़ लेती हैं, वैसे ही उसकी दादी मां उसे गुस्से से देख रही होती हैं।

तभी वहां और लोग भी आ जाते हैं जिनमें एक स्वरा की नानी मां भी हैं।

तभी स्वरा की नानी मां बोली - "ओ मारवाड़न! अपनी पोती को आंख दिखाने से वह जीत नहीं जाएगी।"

उसकी बात सुन पायल की दादी मां बोली -" मेरी पोती हैं, मैं उसे आंख दिखाऊं या वाकी आंख नोच लूं, म्हारी मर्जी। तुझे इतनी मिर्ची क्यों लग रही हैं बंगालिन?"

पायल की दादी मां उनकी बात सुनकर उसे चिढ़ाते हुए बोली -"मैने अपनी पोती को हमेशा फ्रीडम दी हैं, नाकि तुमहारी तरह उसे काले पानी की सज़ा। तुम्हे एक बात बता दू मारवाड़न हम बंगाली कभी संगीत में नहीं हारे। तू आज एक काम करियों अपने घर की खिड़कियां बंद कर लियो। उसकी जीतने की खुशी में मैं अपनी स्वरा के लिए उसका मनपसंदीदा खाना बनाऊंगी, तो मैं नहीं चाहती कि तेरी नाक तक भी उस भोजन की सुगंध भी तुम तक पहुंचे।"

तभी पायल की दादी मां चिल्लाते हुए तेज आवाज़ में बोली -"ओ बंगालिन! अपनी आवाज को लगाम लगा। जिस खाने की तू बात कर रही हैं न, उसमें से सुगंध नहीं दुर्गंध आती हैं। अरे! यह जो लाल लाल लिपिस्टिक लगा कर घूम रही हैं न सोलह साल की हसीना बनकर, तेरे सारे लक्षण पढ़ लिए मैने। तू, तेरी बेटी और नातिन ना जाने कब मेरा पीछा छोड़ेंगे। डायन कही की।"

तभी स्वरा की नानी भी उसकी बात सुन गुस्से 😡 से बोली -"ओ मारवाड़न! जो कहना हैं मुझे कह, मेरी नातिन को कहने की जरूरत नहीं हैं। वरना जुवान हलक में दे दूंगी सुषमा।"

उसकी बात सुन सुषमा (पायल की दादी मां) गुस्से से बोली -"क्यों सच कड़वा लगा? बेटी तो आ गई अपने पति का घर छोड़, तेरे घर में और तेरी बेटी और नातिन दोनों बेशर्म! रात रात भर छोरो के संग आवारागर्दी, आयाशी। बिन मर्द के घर, शोर शराबा होए वा पर से और ऊपर से वा पर भी रोज़ मास मच्छी। नाक जल गई म्हारी।"

स्वरा की नानी मां बोली -"तुम सब टेररिस्ट हो। टेररिस्ट हो बुड्ढी!"

सुषमा भी गुस्से से बोली -"लाल लिपिस्टिक वाली सोलह साल की कुंवारी हैं तू तो मीनाक्षी।"

यह सुनकर मीनाक्षी (स्वरा की नानी मां) बोली -"जुबान संभाला कर।"

उनकी लड़ने की आवाज सुनकर स्वरा आई और अपनी नानी मां को रोकते हुए बोली - "यह सब क्या हैं नानी मां? आप दोनो यहां भैस और बिल्लियों की तरह क्यों लड़ रही हैं? घर कम पड़ गया था जो आज सड़क पर भी आप दोनो शुरू हो गई। घर की लड़ाई, घर में ही रहे तो ज्यादा अच्छा हैं। हो क्या गया हैं आप दोनो को? क्यों इतना लड़ रही हैं? आखिर कारण क्या हैं?"

तब स्वरा पायल का हाथ लेकर जैसे ही उसके जख्म देखने उसका हाथ अपने हाथ में लेती हैं तो सुषमा फिर गुस्से से बोली -"छोरी! खबरदार! जो जख्म देकर मलहम लगाने चली आई। जो म्हारी पोती का हाथ अपने इन अपवित्र हाथो से भी लिया तो। म्हारे घर खानदान से दूर रहे। पायल को गंगा जल से निल्हाना होगा। पूरे घर में गंगा जल के छीटे मारने होंगे।"

उसकी बात सुन मीनाक्षी गुस्से से बोली -"गंगा जल से नहीं तेजाब से नहा, तो कलेजे को ठंडक महसूस हो।"

"ओ बंगालन!" सुषमा गुस्से से बोली।

"ओ मारवाड़न! मीनाक्षी जी भी गुस्से से बोली।

इधर स्वरा अपनी नानी मां को शांत कराते हुए बोली - "नानी मां! अभी शान्त हो जाइए। इतने सारे लोगो के सामने तमाशा बन रहा हैं।"

लोगो को अपनी तरफ देख मीनाक्षी जी शांत 🤫 हो जाती हैं।

वही पायल भी अपनी दादी मां के गुस्से को शांत करने के लिए उनके सामने हाथ जोड़ बोली - "दादी मां! हम आपके आगे हाथ जोड़ते हैं please 🥺 अभी के लिए शान्त हो जाइए। घर जाकर जितना मर्जी लड़ना हैं लड़ लीजिएगा।"

सुषमा जी पायल के ऊपर चिल्लाते हुए बोली -" खामोश रह पायल। यह सब तेरी वजह से हो रहा हैं। आज तू जीत जाती न तो यह बंगालन कुछ कह भी न पाती। आज तेरी वजह से ही यह मुझे इतना सुना गई।"

यह कहकर सुषमा जी वहां से जाने लगती हैं और पायल की आंखो से बेतहाशा आंसू निकल रहे होते हैं। आखिर उसकी दादी मां जो उससे नाराज़ थी।

अब क्या करेगी पायल अपनी दादी को मनाने के लिए? और क्या उसमें पायल लेगी स्वरा की मदद? क्या दादी मां को मना पाएगी पायल? और ऐसी क्या वजह हैं जो दोनों परिवारों के बीच इतना तनाव हैं? क्या उसकी वजह स्वरा की मां से जुड़ी हुई हैं या और कोई वजह हैं? यह तो समय ही बताएगा और आगे आगे क्या होगा इसे जानने के लिए आपको ' स्वर: एक संगम या जंग ' पढ़ना होगा।

तब तक के लिए अपना ख्याल रखे और आपसे कल होती हैं मुलाकात।

राधे राधे।

जय श्री कृष्ण।