इश्क जैसा कुछ नहीं - 2 Miss devil द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क जैसा कुछ नहीं - 2


हमने ये कवर पेज नहीं लगाया था... इसलिए इसे देखकर कोई भी ये ना समझे की ये स्ट्रेट कपल स्टोरी है... अपने आप ही ये कवर पेज लग गया और अब हम इसे चेंज नहीं कर पा रहे हैं तो कृपया इस बात के लिए हम माफी चाहते हैं....




आगे :-



अगली सुबह



वो पेट के बल सोया हुआ था उसके चेहरे पर काफी क्यूट सी स्माइल थी शायद वो कोई सपना देख रहा था और दो निगाहें उसे देख रही थी तभी जाने एकाएक उसे क्या होता है उसके माथे में बल पड़ जाते हैं और चद्दर पर मुट्ठियां कस जाती हैं.......




सामने बैठे शख्स भी तुरंत हरकत में आ उसे अपने सीने से लगा लेती हैं हम्म वो एक अधेड़ उम्र की औरत थी......



वो अब लंबी लंबी सांसे लेने लगा था साथ में कुछ बड़बड़ा भी रहा था.......



वो औरत उसका सिर सहलाते हुए - शशशशशशश शांत बच्चा कुछ नहीं हुआ है तुम्हें, देखो आंखें खोलों सब ठीक है, उठो बेटा वो बहोत प्यार से उसके गाल को थपथपाते हुए कहतीं हैं लेकिन उस पर कोई असर नहीं हो रहा था अब तो जैसे उसकी सांसें उचटने लगी थी......



उसकी ऐसी हालत देख वो औरत घबरा जाती है और जोर जोर से किसी को आवाज देने लगती है - आबिद ....
आबिद कहां हो तुम जल्दी आओ देखो इस बच्चे को क्या हुआ है शायद इसे पैनिक अटैक आ रहा है वो उसे किसी छोटे से बच्चे की तरह अपने सीने में छिपाकर रोते हुए कहती हैं......




तभी वहां एक चौबीस पच्चीस साल का लड़का भागता हुआ आता है जिसे देखकर ही लग रहा था कि वो कोई मेहनत का काम कर रहा होगा जिससे पसीना उसकी मस्कुलर बॉडी पर मोतियों सा चमक रहा था 




वो लड़का हांफते हुए - क्या हुआ मां तुम इतनी जोर से क्यों चिल्लाई और ये क्या तुम रो रही हो ????



वो औरत - आबिद देख ना जल्दी इसे क्या हो रहा है वो अपनी गोद की तरफ इशारा कर कहती है 




आबिद नजर अपनी मां से हट अब उस लड़के पर पड़ी थी जोकि खींच खींचकर सांस ले रहा था और कुछ बोलने की कोशिश कर रहा लेकिन उसकी आंखें बंद थीं और उसकी मां पर पकड़ कसती ही जा रही थी , था तो वो दुबला पतला लेकिन उसकी मां बीमार रहने की वजह से काफी वीक थी जिस वजह से उन्हें भी तकलीफ़ हो रही थी 




आबिद एक नजर अपनी मां को देखकर स्टील का जग उठा लेता है और कहता है - मां तुम दूर हो जाओ उनके दूर होते ही वो उसपर पानी का जग उड़ेल देता है 





जिससे उसकी आंखें यकायक खुल जाती हैं और उठकर लंबी लंबी सांसे लेने लगता है 





वो औरत - ये क्या तरीका है आबिद, तुम्हें दिखाई दे रहा था ना वो कितनी तकलीफ़ में है तब भी तुमने ये हरकत की........




आबिद - तो????? क्या हुआ मां मर थोड़ी गया वो देखो सही सलामत बैठा तो है तुम्हारे सामने 




वो औरत - आबिद..... यही सिखाया है मैंने तुम्हें इंसानियत नहीं बची है ना तुम्हारे अंदर.....




आबिद - अगर नहीं होती ना ये सो कोल्ड इंसानियत मेरे अंदर तो आज ये अमीरजादा यहां ना होता बिक रहा होता कहीं किसी हैवान के हाथों बात करती हैं इंसानियत की इतना कह वो बाहर निकल जाता है.....




वो लड़का अब तक अपनी हालत पहचान चुका था पहले तो वो हैरानगी से दोनों मां बेटे को लड़ते हुए देख रहा था लेकिन आबिद की आखिरी बात सुनकर उसके शरीर ने स्पष्ट झुरझुरी ली थी , वो अपने कपड़े झडका कर बेड से खड़ा होता है कमजोरी तो फील हो रही थी उसे लेकिन वो यूं अजनबियों के बीच नहीं रह सकता था वो उनका शुक्रिया कर यहां से निकलना चाहता था.......




वो औरत उसके पास आ कहती है - अब ठीक हो बेटा आप , कुछ चक्कर वगैरह तो फील नहीं कर रहे ना ???




वो लड़का - जी जी आंटी थैंक्स फॉर एवरीथिंग वो जबरदस्ती स्माइल कर , अब मुझे चलना चाहिए घर वाले परेशान हो रहे होंगे......




'हां हां जाओ ये तो तुम्हारे बाप का होटल है ना कि आए रात गुजारी और चलते बने ' तभी वहां आबिद ' ने वापिस आते हुए कहा.....



वो औरत तल्खी से - आबिद..... 



आबिद - शशशशश तुम कुछ नहीं बोलोगी मां वरना मैं एक हफ्ते तक ख़ाना नहीं खाऊंगा और तुम जानती हो मैं ऐसा ही करूंगा.....



वो लड़का - को कोई नहीं आप झगड़ा मत किजिए मेरी वजह से , आप कहिए आपको क्या चाहिए वो अपनी जेब से कार्ड निकाल, ये मेरा कार्ड है और मैं शरार्थ मल्होत्रा हूं, विपुल मल्होत्रा का बेटा आप.....




आबिद बीच में ही अपना हाथ दिखा कर - मेरे को तेरी कुंडली नहीं निकालनी है मेरे को बस इन सब का पैसा चाहिए दैट्स इट वो उसके पहने कपड़े और वहां रखी दवाइयों की तरफ पांइट आउट करके कहता है....




शरार्थ अपने कपड़ों की तरफ देखकर - ज जी लेकिन मेरे पास अभी पैसे नहीं शा शायद कल मेरा पर्स कहीं गिर गया होगा वो हकलाते हुए कहता ना जाने क्यों उसे अपने सामने खड़े खंबे से इतना डर क्यों लग रहा था....




( यहां हम आपको बता दें आबिद की हाइट 6'5 की है और शरार्थ की हाइट 5'5 की है जिस वजह से आबिद उसके लिए किसी खंबे से कम नहीं था, और आबिद की बॉडी काफी मस्कुलर और कसाव वाली थी, और शरार्थ नाजुक शरीर और पतली कमर का मालिक था जोकि उसकी खुबसूरती में चार चांद लगाती थी अभी वो किसी खरगोश से कम नहीं लग रहा था आबिद के सामने)




वो औरत - कोई बात नहीं बेटा आप फिर कभी पैसे दे देना.....



आबिद तल्खी से - मांआआ......



वो औरत - क्या मां ज्यादा बकवास की ना तो अभी झाड़ू से मारूंगी समझा....



शरार्थ मुस्कुरा कर - ठी ठीक मैं चलता हूं इतना कह वो लंबी लंबी डंग भरता हुआ उस कमरे से निकल जाता है.....



शरार्थ पीछे देखते हुए चल रहा था वो बस जल्दी से यहां से भाग जाना चाहता था लेकीन तभी उसे चक्कर आने लगते हैं शायद कल के ड्रग्स का असर था वो मेन गेट को पकड़ खड़ा हो जाता है....



शरार्थ अपने सिर को मलते हुए - नहीं शरार्थ तू इतना कमजोर नहीं है तूझे बस घर तक जाना है, लेकिन कैसे मेरे पास तो पैसे ही नहीं है 😔😔 , चलो देखते हैं पहले यहां से निकलते हैं इतना कह वो दो कदम आगे बढ़ता है लेकिन तभी उसके सिर में डीक ( तेज दर्द की लहर ) उठती है और बस वो गया एक पेडी ( जिससे कोई व्हिकल अंदर जा सके ) पर सिर लगते ही खून निकलने लगता है और उसकी आंखें फीर से बंद हो जाती हैं ....




तभी आवाज सुनकर आबिद भागते हुए आता है और अपनी माथे को पीटते हुए कहता है - गये हजार रुपए और 😖😖






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बिग ब्रो... प्लीज़ वेक अप ना उसके कानों में कई देर से ये आवाज जा रही थी लेकिन उसकी आंखें खुल ही नहीं रही थी अजीब सा भारी पन छाया हुआ था लेकिन अब कहीं जाकर थोड़ी रोशनी उसे दिखाई दी हां वो आंखें खोल पा रहा था एक बार बंद कर दोबारा खोल कर वो निश्चिंत भी हो चुका था तभी उसका ध्यान उसके पास बैठे अपने से एक दिन छोटे भाई पर जाती है......



वो मुस्कुरा कर - हैप्पी बर्थडे गूंगी गाय🤭🤭



आचमन पाउट बनाकर - आए एम नॉट गूंगी गाय ब्रो 



विश्नव उसे बैठाते हुए - तुम नहीं सुधरोगे कहा था वहीं बैठे रहना वो कल की बात याद दिलाते हुए कहता है 




शरार्थ मुंह बनाकर - क्या नव तुम मुझे ऐसी हालत में भी डांटोगे क्या????



विश्नव - तुम काम ही ऐसे करते हो......




आबिद भौंह चढ़ाकर - ओ भरत मिलाप हो गया तो चलो निकलो यहां से कोई धर्मशाला नहीं है ये के जब तक मन होगा तब तक पड़े रहोगे.....



आचमन - ये आप किस तरह से बात कर रहे हैं आए एम गलेड कि आपने मेरे भाई की देखभाल की और हमें इन्फॉरम भी किया लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि आप हमसे इस तरह से बात करेंगे जानते भी हैं कौन हैं हम ?????




आबिद जबरदस्ती स्माइल कर - हां, जानता हूं ना अमीर बाप की बिगड़ी हुई औलाद चलो निकलो अब यहां से 



आचमन गुस्से से उसकी तरफ बढ़ने लगता है तभी विश्नव उसे कमर से पकड़ अपने से सटा लेता है और आबिद से कहता है - वी आर सॉरी सर आपको हम सबकी वजह से तकलीफ़ उठानी पड़ी, हम लोग अभी चले जाते हैं...




आबिद हाथ जोड़कर - आभार आपका महोदय🙏




विश्नव और आचमन शरार्थ को सहारा देकर उठाते हैं और वहां से चल पड़ते हैं.....




आबिद - एक मिनट अमिरजादो ............

















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टू बी कंटिन्यू ❣️❣️