हम सब की ही कोई कहानी है। Neeraj Sharma द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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हम सब की ही कोई कहानी है।

(4)                    राहुल की सोच की दाद देनी होंगी। कपनी को अबर तक लिजाने वाला वो शक्श कब सोता होगा। उसे आज एयर पोर्ट निकलना था। कार स्टाट थी। तभी सूटकेश मे उसने सब कुछ रख लिया था... हाँ कपनी की चेकबुक मुंशी जी दे गए थे। आज किसी से मिलना था।कपनी को फायदा देना था।                        वहा के लोग याद करे।एयर पोर्ट पे पहुंच कर किशोर का फोन आ गया "-अक्ल आप ये डील केन्सिल करे।" राहुल जैसे गुपचुप हो गया।जलती हुई सिगरेट की आग जैसे कोट पे गिरी हो... "कयो, बोल कौन रहा है, मेरा नंबर कैसे तेरे पास.." राहुल एकदम चूकना जानता था।"मैं अक्ल, दिल्ली से मिश्रा का बेटा बोल रहा हु "उसने आदर भाव से कहा। सातों आसमान का पानी उस पर गिरा।"बेटा, तुम "----जल्दी से बोले "कयो?" राहुल चुप गुप था।      (5)                      राहुल को उस वक़्त करंट लगा, "हम किडनेप किये है, अक्ल।" फिर किसी ने जैसे फोन हटा दिया। हेलो.... राहुल चुप सा सहम गया।कोई अप्रिचत बोला "बता दू, बरखुरदार तेरा बेटा, औऱ तेरा भतीजा हमारे पास है, हम छोड़ देंगे, पता कयो।"राहुल के पसीने छूट गए। कोई नई घटना नहीं थी। पर ये कुछ हद से जयादा घनोनी हरकत थी।"हेलो, कया चाहते हो, कया बोल ते हो..." "मेरा वादा बच्चे सही सलामत मिल जायेगे।"बस फिर रुका "पांच सौ का प्रोजेकट तुम्हाराखरीदा है, करोड़ का लेन देन करते हो तुम!!""ये प्रजेक्ट हम खरीदेंगे, तुम्हारे कहने पे "चुप छा गयी। "आपने बेटे से बात करो " वो शक्श बोला।रो रहा था फोन पे, "बेटा... ठीक हो ना... बोलो...""पापा "जॉन रो पड़ा।"हाँ बेटा मै आ रहा हु " --------------- 

तभी फोन पे कोई लेडीज़ बोली... आवाज़ एक दम सुरीली थी ---"हाँ, कैसे हो, र. प्रजेक्ट। मैं कौन हु, बताने की जरूरत है जा नहीं, नहीं होनी चाहिए। "

एका एक तबक कर बोला, "माया।"

उधर कसक थी, व्यंग्य था। "तुम ये सौदा हमें दें दो, हम तुम्हारे लवली बच्चे सोप देंगे।" फिर रुक कर, " जल्दी फैसला दो, हम तो लेलायत है तेरी बाहो मे आने के लिए " माया ने हसते हुए कहा।

"माया तुम इतनी गिर सकती हो, सोचा न था.. तुम बिजनेस मे ऐसे हठकंडे आपना सकती हो, सोचा न था।"राहुल ने तेजी से कहा।

"तुम्हारी चीज हमारे पास है, तुम ये लो, भविष्य है तुम्हारा, औऱ वो मीटिंग फिक्सिंग हमें दो।" आदमी की आवाज उबरी चीख थी।

"ईमानदारी से " माया ने दुबारा कहा... "

                ----------------*------------

                                    दोनों बच्चे घर मे थे, हालत बेहोशी थी, घर मे हड़कप मच गया। डॉ विनय ने कहा " घबराने की बात नहीं, दोनों को होश आ जायेगा। "---!! "राहुल बेटा कैसे हुआ सब "बाबा के स्वर थे।

राहुल चुप था, जैसे संसार उसकी पतीक्षा ले रहा हो।

बाबा जानी दादा जी नबे वर्ष के हो गए थे।

घबराने से बाहर आने तक, दोनों बच्चों ने उल्टिया की...

"पापा "राहुल से चिपट गया। जॉन ने पापा को सिसकियाँ लेते कहा,"पापा डर लग रहा है, "राहुल की आँखे भरी हुई थी।

पैसा इस दुनिया मे अहम हो गया था। जंगल आग की ता जल रहा था ---पैसा ---पैसा।

माँ कार मे से भागी हुई आयी। "जॉन मेरे बच्चे " माँ सहम गयी थी।

"माधुरी तुम यहाँ ----कैसे ----कयो??" माधुरी ने हाथ जोड़ दिए। "मेरा बच्चा मत छिनो, तुम "माधुरी चुप कर गयी। ये पता नहीं कैसे भावुकता से बोल गयी।

-----------*-------चलता हु।