इंतजार आपका - भाग २ Sankhat Nayna द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इंतजार आपका - भाग २

      खुशी ए एस पी की ऑफिस निकल गई। उस दिन  १४ फरवरी थी। खुशी हाथ में गुलाब का फूल लेके    ऑफिस पहुंची ओर बहुत खुश हुई आखिरकार उसे उसका प्यार मिलने वाला था। वो किसीको प्रपोज करने वाली थी। ऑफिस का बेर डोर बजाया,,, अन्दर से आवाज आई आ जाओ,,, खुशी धड़कन तेज हो गई.  उसने देखा तो सर के पास उसका असिस्टेंट भी था। खुशी ऑफिस के अंदर गई। गुलाब का फूल पीछे छुपा दिया। ओर बोली... में वो... में... वो. सर बोले.. बोलो क्या हुआ? क्या बात है? बैठो और बताओ। 

खुशी डर गई, मन में बड़बड़ाने लगी। कैसे बोलूं? जैल में बंद कर दिया तो? फिर हिम्मत कर के बोली मुझे आपसे पर्सनल बात करनी है। अकेले में।

   ए एस पी सर ने उसके असिस्टेंट को बाहर जाने को बोला। ओर खुशी ने दिल पर हाथ रखकर बोली: सर में एक रिपोर्टर हु  मेरा नाम खुशी मेहता है। सर बोले: आगे बोलो। खुशी ने कहा : में.. वो.. कुछ नहीं। सर खुर्शी पर से उठ गए और आगे आए खुशी बहुत डर गई। मनमें बड़बड़ाने लगी: करेंगे तो नहीं न? आगे आके ए एस पी सर बोले; तुम्हारे हाथ में क्या है?  पीछे क्या छुपाया? खुशी घबरा गई और बोली कुछ नहीं सर बस ऐसे ही । सर बोले कुछ गडबड है बोलो वरना लेडीज पुलिस को बुलाता हु। खुशी बोली नहीं नहीं सर में बताती हु। के यहां इसलिए आई हु कि............... I love u. खुशी एक श्वास में सब कुछ कह दिया गुलाब हाथ में पकड़ा कर बोली। मैने जब से आपको देखा मेरी नींद चैन सबकुछ आप ले गए हो। मेरा किसी में मन ही नहीं लगता। नहीं पढ़ाई में, नहीं किसी ओर काम में। फिर वहीं से भागी सर ने हाथ पकड़ लिया। खुशी  डर गई। बोली : sorry 😔 पर मुझे माफ कर दीजिए मैं आपको बोलना नहीं चाहती थीं लेकिन बोल दिया माफ करदो सर आइंदा ऐसा कभी नहीं होगा। सर ने चुप कराया और बोले। सच में मुझे प्यार करती हो? खुशी बोली है सचमे। ए एस पी सर बोले में तुमसे प्यार नहीं करता, खुशी उदास हो गई। फिर बोले:  हा पर तुम्हारा दोस्त बन सकता हु, खुशी बोली ओके कोई बात नहीं, फिर खुशी का नंबर लिया और सर ने उसका पर्सनल नंबर खुशी को दिया।। 

    जब सर खुशी के गांव आते थे तब खुशी से जरूर मिलते थे। खुशी को मिलना रूठी हुई को मनाना। टाइम पर खाना खाने को बोलना। एक बार खुशी का फोन बिजी आ रहा था, सर बार बार कॉल किया। और लास्ट में कॉल लग ही गया सर गुस्से में बोले: एक घंटे से तुम्हारा फोन बिजी आ रहा है,, किससे बात  कर रही थी? कौन था वो? इतनी तो क्या बात की? खुशी बोली आप मेरे दोस्त हैं और दोस्त बनके रहिए। बॉय फ्रेंड मत बनिए ओके। सर को गुस्सा आया और बोले आज के बात मुझे कॉल मत करना। फिर खुशी बहुत रोई। सर भी बहुत दुखी हुए। बार बार खुशी की ही याद आ रही थी। उसकी आदत जो हो गई थी। सर ने सोचा ए मुझे क्या हो गया उस लड़की तो मेरी फ्रेंड थी में इतना क्यों उसके बारे में सोच रहा हु? दो दिन हो गए। सर से रहा नहीं गए सर खुद की ips की गाड़ी लेके निकल पड़े।

तब खुशी अपने रिपोर्टर के काम से बाहर शहर गई थी। सर उसकी लोकेशन ट्रेस करवाई। ओर मन में बुरे ख्याल आ रहे थे। किसके साथ होगी कहा होगी। खुशी को देखा खुशी खड़ी खड़ी फोन खुमड़ रही थी। सर ने गाड़ी रोककर नीचे उतरे... बोले खुशी, गाड़ी में बैठो... खुशी बोली क्यों? मुझे काम है आप जाइए। सर ने बोला खुशी गुस्सा मत दिलाओ गाड़ी में बैठो। खुशी तभी नहीं बैठी। सर ने हाथ पकड़कर खुशी को गाड़ी में बिठा दिया और सीट बेल्ट बांध दिया। गाड़ी में बैठकर चल पड़े। खुशी रोती हुई बोली ये क्या है सर? ऐसा क्यों? मैने किया क्या है? सर ने पूछा दो दिन पहले किससे बात कर रही थी बताओ अपना फोन। खुशी ने फोन दे दिया देख लीजिए.. फोन में देखा तो उसकी फ्रेंड थी हेतल... सर ने बोला ए किसका नंबर है? हेतल लिखा है। खुशी बोली : हेतल ही है.. कॉल कर के देख लो। सर ने कॉल लगाया। किसीने कॉल उठाई और बोली हेलो.... बोलो खुशी.. सर ने काट दिया।   

    सर को पछतावा हो रहा था खुशी रो रही थी।खुशी की मनमें सोच रही थी,, आखिर सर को क्या हुआ है और ऐसा बिहेवियर क्यों कर रहे हैं? सर ने सासनगिर में गाड़ी रोक दी। और खुशी को नीचे उतारा। बोले: sorry 😔 मुझे पता नहीं क्या हो गया था। खुशी रोती रही। सर ने बोला : प्लीज तुम रो मत,. ओर खुशी के पैर में  गिर गए। बोले: एक बात बोलूं? I love you.. मे तुम्हे प्यार करने लगा हु, बहुत ज्यादा तुम्हारे बिना नहीं रह सकता यार,,,,,,,,,, सोरी प्लीज माफ करदो... खुशी भी नीचे बैठ गई और बोली: रियली? आप सच में एक छोटी सी रिपोर्टर को प्यार करते हो? ए एस पी सर ने बोला: में रिपोर्टर से नहीं बल्कि मेरी खुशी से,, खुशी मेहता से प्यार करता हु,.. ओर बहुत ज्यादा, क्या तुम मुझसे शादी करोगी? खुशी खुश होके गले लिपट गई। सर ने अपने हाथों से खुशी को खाना खिलाया। दोनों सासन गिर में घूमे। अच्छा पल साथ में बिताया.. ए एस पी ओर खुशी महीने में ४ बार मिलते थे। हर रविवार को साथ में खाना खाते थे साथ में घूमते थे। शॉपिंग करते थे। एक दिन की बात हे खुशी का बर्थडे आया? खुशी को सर ने विश नहीं किया खुशी गुस्सा हो गई। खुशी बोली:  सर आज क्या है? सर ने कहा आज? आज तो ४ नवरात्रि है... तुम जाओगी खेलने? खुशी बोली वो नहीं? पर ए एस पी सर को पता था वो खुशी को सरप्राइज़ देना चाहते थे। रात हो गई खुशी को सर पूरा दिन विश नहीं किया। ओर खुशी को कॉल आया। हेलो मेम.. में ताज होटल में से बात कर रहा हु आपकी फ्रेंड यहां गिर गई हे जल्दी आइए।।। खुशी गाड़ी लेके जल्दी गई। ताज होटल करीब ५ km दूर थीं। खुशी पहुंची तब जिसने कॉल किया था वो वेटर आया। ओर बोला: आप ही खुशी मेम हो? खुशी बोली जी हा। आपकी फ्रेंड वही ऊपर हे जाओ। खुशी दौड़कर ऊपर गई। देखा तो खुशी के होश उड़ गए।। ओह.......... माई....... गॉड........... सर ने खुशी को इतना बड़ा सरप्राईज दिया खुशी देख कर बहुत खुश हुई। खुशी के मारे सर को गाल पर किस कर लिया। ओर.... शर्मा गई।। सर ने ओर खुशी ने मिलके केक काटा और बर्थडे सेलिब्रेशन किया।

     खुशी लक्की थी उसने उतना प्यार करने वाला कोई मिला। आगे की कहानी अगले भाग में भाग ३