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भारत का ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का सफर - भाग 3

भारत को ओलंपिक में दूसरा स्वर्ण पदक 2008 के बीजिंग ओलंपिक में मिला। यह पदक अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में जीता था। इस जीत के साथ, अभिनव बिंद्रा भारत के पहले व्यक्ति बने जिन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। इससे पहले भारत ने पहला स्वर्ण पदक 1928 में एम्स्टर्डम ओलंपिक में पुरुष हॉकी टीम के माध्यम से जीता था।

अभिनव बिंद्रा की इस जीत ने भारत के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा और देश को प्रेरित किया कि वे अन्य खेलों में भी विश्वस्तरीय प्रदर्शन कर सकते हैं।

भारत ने अपना दूसरा ओलंपिक स्वर्ण पदक 2008 में बीजिंग ओलंपिक खेलों में जीता, जिसे निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में हासिल किया। यह पदक कई मायनों में ऐतिहासिक था, क्योंकि यह स्वतंत्र भारत का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक था। इससे पहले भारत को केवल टीम स्पर्धाओं में ही स्वर्ण पदक प्राप्त हुए थे, जिनमें प्रमुखतः हॉकी शामिल थी।

1. अभिनव बिंद्रा का सफर

अभिनव बिंद्रा का प्रदर्शन उस समय भारतीय खेलों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। भारत ने 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में पुरुष हॉकी टीम के माध्यम से अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था और इसके बाद भारत ने हॉकी में कई स्वर्ण पदक जीते। लेकिन व्यक्तिगत स्पर्धा में किसी भी भारतीय खिलाड़ी को स्वर्ण पदक हासिल नहीं हुआ था। इस स्थिति को बदलते हुए, अभिनव बिंद्रा ने 11 अगस्त 2008 को बीजिंग ओलंपिक में अद्भुत प्रदर्शन किया और यह जीत हासिल की।

अभिनव बिंद्रा की यह जीत भारत के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी और इसके बाद भारत में निशानेबाजी का महत्व भी बढ़ा। 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में, उन्होंने कुल 700.5 अंक हासिल किए और फाइनल में 10.8 की शानदार शॉट के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह प्रदर्शन दर्शाता है कि उनकी तैयारी कितनी मजबूत थी और उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में एकाग्रता बनाए रखी थी।

2. बीजिंग ओलंपिक का प्रभाव

अभिनव बिंद्रा की जीत के बाद भारतीय खेलों में एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार हुआ। उनकी इस उपलब्धि ने भारत के युवाओं को विभिन्न खेलों में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। इस उपलब्धि के बाद, भारतीय निशानेबाजी संघ और अन्य खेल संघों ने खेल में नए और आधुनिक प्रशिक्षण उपकरणों का इस्तेमाल करना शुरू किया। इसके अलावा, भारत सरकार और अन्य प्राइवेट संगठनों ने भी खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाएं और संसाधन प्रदान किए।

3. भारतीय खेलों में एक नया अध्याय

अभिनव बिंद्रा की जीत के बाद भारत ने व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भी लगातार अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया। इस सफलता ने भारत में अन्य खेलों को भी बढ़ावा दिया, और इसके परिणामस्वरूप, भारत ने बाद के ओलंपिक खेलों में कुश्ती, बॉक्सिंग और बैडमिंटन जैसे खेलों में भी पदक जीते।

बिंद्रा की जीत के बाद, भारत के कई खिलाड़ी ओलंपिक में व्यक्तिगत पदकों के लिए प्रेरित हुए और उन्होंने विभिन्न खेलों में अपनी सफलता दर्ज की। नीरज चोपड़ा का 2021 टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण जीतना भी इसी प्रेरणा का एक उदाहरण है।

निष्कर्ष

अभिनव बिंद्रा की 2008 की यह जीत भारतीय खेल इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसने भारत में खेलों के प्रति नजरिया बदल दिया। इसने साबित किया कि भारतीय खिलाड़ी भी व्यक्तिगत स्पर्धाओं में विश्वस्तरीय प्रदर्शन कर सकते हैं। उनकी इस जीत ने भारतीय खेलों में निवेश और रुचि को बढ़ाया और आने वाले समय में भारत के लिए ओलंपिक पदकों की राह को प्रशस्त किया।