जब मुर्दे जी उठे
कुछ ऐसी घटनाओं की चर्चा है जिनमें व्यक्ति अपनी मौत के बाद पुनः जीवित हो उठे ….
दुर्भाग्यवश मृत्यु जीवन के अंत का वह भाग है जिसका न कोई भविष्यवाणी कर सकता है और न ही इस से बचा जा सकता है . मौत सबको गले लगाती है वह किसी तरह का लिंग , धर्म , जाति , भूगोल या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं करती है . हाँ , अपने पीछे प्रिय जनों के लिए दुःख का अम्बार छोड़ जाती है . पर जब किसी व्यक्ति की मौत के बाद जब यह खबर मिलती है कि वह व्यक्ति मरा नहीं है जीवित है तब एट फर्स्ट ग्लांस इस पर विश्वास करना आसान नहीं होता है . अंततः जब आपको पता चले कि उस व्यक्ति की मौत की खबर गलत थी तब ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता .
दुनिया भर में कुछ ऐसी घटनाएं भी देखने को मिली हैं जब शव गृह या श्मशान से मुर्दा जिन्दा हो गया हो . ऐसी स्थिति में अंतिम यात्रा में शामिल निकट जनों का कभी भयभीत होना या कभी आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है . बाद में इस खबर से गम ख़ुशी में बदल जाती है . ऐसी ही कुछ घटनाएं इस तरह की हैं -
1 . अमेरिका के फ़रवरी 2014 की एक घटना -
यह घटना अमेरिका के मिसिसिप्पी की है . फ़रवरी 2014 में एक दिन अमेरिका के एक फ्यूनरल होम ( शवशाला ) के कर्मचारियों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब 78 वर्षीय वाल्टेर विलियम की डेड बॉडी बैग से मुर्दे ने लात मारना शुरू कर दिया . .
तब लोगों ने कॉरोनर ( सरकारी मृत्यु समीक्षक अधिकारी ) को विलियम की मृत्यु की प्रमाणिकता के लिए बुलाया . अधिकारी के अनुसार विलियम के हार्ट बीट्स बुधवार को बंद हो गए थे और उन्हें मृत घोषित किया गया था . गुरुवार को फ्यूनरल होम से वर्कर ने आ कर जब डेड बॉडी को एम्बाल्म ( embalm - सुगंधित लेप लगाना ) कर बैग में रखा तब बॉडी ने लात मारना शुरू किया . लोग विलियम को तुरंत अस्पताल ले गए . वहां डॉक्टर ने एक्जामिन कर कहा कि विलियम के पेसमेकर ने कुछ समय के लिए काम करना बंद कर दिया था इसलिए वे मृत समझे गए . अब पेसमेकर पुनः काम करने लगा है इसलिए वे जिन्दा हो उठे . विलियम जो एक किसान हैं अपनी मौत के बाद खुद को जिन्दा महसूस कर बहुत खुश हुए .
2 . पोलैंड नवंबर 2014 की घटना
यह कहानी पोलैंड की 91 वर्षीय एक महिला जनिना कोलकीएविक्ज़ की है . जनिना की मृत्यु के बाद उन्हें कोल्ड स्टोरेज शवगृह ( mortuary ) में रखा गया था . लगभग 12 घंटे बाद वे पुनः अपने घर लौट कर आयीं और उन्होंने कहा “ मुझे बहुत ठंड लग रही है . “ गर्म महसूस करने के लिए उन्हें सूप और कुछ स्नैक दिया गया .
शवगृह में स्टोरेज के दौरान वहां के वर्कर्स ने जनिना के डेड बॉडी बैग में कुछ हलचल देखी . उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ तब उन्होंने पुलिस और डॉक्टर को सूचित किया .
दरअसल जनिना की भतीजी ल्यूबेल्स्की ने जब महसूस किया कि जनिना की साँसे और पल्स बंद हो गयीं थीं तब उसने डॉक्टर को बुलाया . डॉक्टर ने भी उन्हें मृत घोषित कर उनकी डेथ सर्टिफिकेट लिख दी . उनकी बॉडी को शवगृह फ्रीजर में रखा गया और दो दिनों के बाद उनकी फ्यूनरल थी .
डॉक्टर क्ज़ीज़ ने दुबारा भी यही कहा कि जांच के समय जनिना की सांसें और हार्टबीट बंद हो चुके थे इसलिए उन्होंने महिला को मृत घोषित किया . उनके डेथ सर्टिफिकेट को रद्द किया गया . जनिना जिन्दा थीं और नॉर्मल अनुभव कर रही थीं . उन्हें याद नहीं कि वे मौत के मुंह में कब और कैसे पहुंचीं , उनकी भतीजी के अनुसार वैसे भी वे डिमेंशिया की पुरानी पेशेंट थीं .
3 . स्पेन की जनवरी 2018 की घटना
कैसा लगेगा जब कोई रात्रि में सो गया हो और सुबह निद्रा भंग होने पर स्वयं को शवगृह ( morgue ) के कोल्ड स्टोरेज में पाए . ऐसी ही घटना 29 वर्षीय गोंजालो मोंटोया जिमेनेज , स्पेन के एक जेल में कैदी के साथ घटी थी . 7 जनवरी को कैदियों की हाज़िरी के समय वे अनुपस्थित थे . जब ढूँढा गया तब लोगों ने उन्हें अपने कमरे की कुर्सी पर बेहोश पाया . ऑक्सीजन की कमी के चलते उनके होंठ और नाखून नीले थे और चेहरे का रंग भी बदल गया था जेल में तीन डॉक्टरों की टीम, जिसमें फोरेंसिक एक्सपर्ट भी था ,ने देखा कि उनमें जीवित होने का कोई भी लक्षण नहीं था इसलिए उन्हें मृत घोषित कर दिया . उनकी बॉडी को बैग में रख कर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा गया .
जब गोंजालो का पोस्टमार्टम होने जा रहा था उसी समय फोरेंसिक टीम को उनके जीवित होने के कुछ सिम्पटम्स दिखे . तुरंत ही उनको निकट के अस्पताल के ICU यूनिट में भेजा गया . कुछ ही समय बाद उन्हें होश आया . होश आने के बाद गोंजालो ने अपनी पत्नी के बारे में पूछा . उनकी पत्नी आकर उनसे मिली .
डॉक्टरों ने जांच कर कहा कि उनकी मौत का कारण catalepsy ( धनुस्तंभ या टेटनेस ) मान लिया था हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकी . catalepsy में अक्सर यह गलतफहमी हो जाती है कि पेशेंट की मौत हो चुकी है . डॉक्टरों ने कहा कि कुछ समय के लिए उनके मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा होगा जिसके कारण गोंजालो में जीवन के लक्षण नहीं रहे होंगे और उस पल उनको मृत समझना स्वाभाविक था . परन्तु अब उन्हें होश आ गया है और उनकी याददाश्त सही है इसलिए वे नार्मल हैं .
4 . जुलाई 2019 में भारत की घटना ( इंडिया )
सोमवार 21 जून 2019 को 20 वर्षीय मोहम्मद फ़ुरक़ान एक भीषण दुर्घटना के शिकार हुए . वे बुरी तरह घायल हो कर बेहोश पड़े थे . उन्हें बेहोशी की हालत में एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया . डॉक्टरों ने वहां उन्हें मृत घोषित किया . फ़ुरक़ान की बॉडी को एम्बुलेंस में घर भेजा गया . वहां उनके रिश्तेदार और अन्य निकट जन बॉडी को दफन करने के लिए कब्रगाह ले जाने की तैयारी कर रहे थे .
जब बॉडी को एम्बुलेंस से उतारा गया तब लोगों ने बॉडी में कुछ हरकत देखी और उनकी साँसें भी चल रहीं थीं . घटना के क्लाइमेक्स के बारे में उनके बड़े भाई इरफ़ान ने बताया . फुरकान कभी मरा ही नहीं था . एक्सीडेंट के बाद फ़ुरक़ान को वेंटीलेटर पर रखा गया था और ट्रीटमेंट चल रहा था . पर अस्पताल का बिल इतना ज्यादा हो रहा था कि उसे देना हैसियत से बाहर था . तब उसे वेंटीलेटर से हटा दिया और पेशेंट को मृत घोषित कर दिया .
जब घर पर फ़ुरक़ान में जीवन के लक्षण देखे गए तब उन्हें RML अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया . मंगलवार को डॉक्टर ने कहा कि पेशेंट की हालत नाजुक जरूर है पर वे ब्रेन डेड नहीं हैं . जो भी हो उस समय तक फ़ुरक़ान जिन्दा थे .
5 . 2015 मुंबई की घटना
2015 में एक रविवार के दिन 50 वर्षीय आदमी मुंबई के एक बस स्टॉप पर बेहोश हो गिरा पड़ा था . पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया . मंगलवार के दिन अस्पताल के सीनियर डॉक्टर ने उस व्यक्ति को मृत घोषित कर बॉडी को शवगृह में भेज दिया . कानून के अनुसार मौत के दो घंटे बाद तक बॉडी को वार्ड में ही रखना चाहिए था . उस व्यक्ति का नाम प्रशांत था और वह बेघर था . मौत का कारण स्पष्ट नहीं था . बुधवार को उसका पोस्टमार्टम होना था . पर शवगृह के स्टाफ ने प्रशांत में जीवित होने के कुछ सिम्पटम्स देखे . प्रशांत को तत्काल फिर अस्पताल में ट्रीटमेंट के लिए भेजा गया पर उपचार के बावजूद दो दिनों के बाद उसकी मृत्यु हो गयी . डॉक्टरों के अबुसार उसके दाएं कान में मग्गोट ( maggot एक कीड़ा ) था , उसे खून की कमी थी और एलेक्ट्रोलिट इम्बैलेंस आदि बीमारी थी .
6 . बेला मोंटोया इक्वाडोर , स्पेन जून 2023
76 वर्षीय बेला मोंटोया एक रिटायर्ड नर्स थीं . 9 जून 2023 को स्ट्रोक और कार्डिओ पल्मोनरी अरेस्ट ( cardiopulmonary arrest ) के चलते वे बेहोश हो गयीं . CPR आदि क्रिया के अनेक प्रयास के बावजूद बेला की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं देख कर डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया .
उनकी बॉडी को फ्यूनरल होम भेज दिया गया . उनके परिवार जन और मित्र उनकी फ्यूनरल में शामिल होने वाले थे . कुछ घंटों के बाद उनके ताबूत से अजीबोगरीब आवाजें आने लगीं . जब लोगों ने ताबूत खोला तो देखा गया वे जोर जोर से सांस लेने का प्रयास कर रही थीं . उन्हें पुनः अस्पताल के ICU में रखा गया . डॉक्टरों का कहना था कि शुरू में सम्भवतः रेस्पिरेटरी अरेस्ट और catalepsy को उनकी मौत समझ लिया गया . इस घटना का सही कारण जानने के लिए एक्सपर्ट डॉक्टरों की कमिटी बनायीं गयी . परन्तु एक सप्ताह के बाद उसी अस्पताल में स्ट्रोक के बाद बेला मोंटोयो की मृत्यु हो गयी .
7 . सैमी बैर्को जनवरी 2023 , अमेरिका
यह घटना अमेरिका के टेक्सास प्रान्त के मसूरी सिटी की है . 7 जनवरी 2023 को 16 वर्षीय सैमी बैर्को अपने मित्रो के साथ रॉक क्लाइम्बिंग जिम गए थे . रॉक की चोटी पर जा कर उन्होंने घंटी बजा कर चोटी पर पहुँचने का संकेत दिया पर उसके तुरंत बाद अचानक वे लंगड़े हो कर और बेहोश हो गए .
बैर्को को किसी तरह नीचे उतारा गया और CPR दिया गया . कुछ हल्के रिस्पांस देख कर लोग उन्हें अस्पताल ले गए . वहां भी डॉक्टरों ने बहुत देर तक CPR दे कर उनके हार्ट बीट वापस लाने का प्रयास किया पर सैमी को बचाया नहीं जा सका और उन्हें मृत घोषित किया .
कुछ देर बाद उनके माता पिता सैमी को अलविदा कहने आये तो सैमी के शरीर में कुछ हरकत दिखी . उन्होंने डॉक्टर को सूचित किया , डॉक्टर ने प्रथम दृष्टि में इसे रिफ्लेक्स एक्शन कहा . पर कुछ ही पल बाद उनके कैरोटिड आर्टरी में भी मूवमेंट देखा गया जिसका अर्थ हुआ कि सैमी के हृदय ने काम करना शुरू कर दिया है . कुछ देर बाद उनकी स्थिति नार्मल होने लगी . डॉक्टरों ने बाद में कहा कि उनके स्पाइन को गंभीर चोट लगी होगी और कुछ समय के लिए ब्रेन को ऑक्सीजन नहीं मिली होगी जिसके चलते कुछ देर के लिए सैमी बेहोश हो गए होंगे और कमर के नीचे लकवा मार गया था .
बाद में और टेस्ट के बाद देखा गया कि सैमी को एक जेनेटिक बीमारी थी जिसके चलते व्यायाम या कठिन परिश्रम के दौरान उनकी हृदय गति पर प्रतिकूल असर होता था . अगर इसका उपचार नहीं किया गया तब हार्ट बीट सदा के लिए बंद हो सकता है . 2020 में सैमी की माँ को भी यही बीमारी थी और उनके भाई की मौत इसी बीमारी से हुई थी .
8 . टोनी याले 2013 , अमेरिका की घटना
यह घटनां अमेरिका के ओहियो प्रांत के 37 वर्षीय निवासी टोनी याले के साथ घटी थी . 5 अगस्त 2013 की रात्रि में नींद में टोनी आश्चर्यजनक तरीके से सांस ले रहे थे . उनकी पत्नी ने उन्हें उठाना चाहा पर टोनी उठने का नाम नहीं ले रहे थे . पत्नी ने इमरजेंसी नंबर 911 पर फोन किया और टोनी को अस्पताल ले गयीं . टोनी को घातक एरिथमिया ( fatal arrhythmia ) था और डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका . टोनी को डेड घोषित किया गया और अस्पताल ने उनके परिवार को सूचित करने के लिए कहा . टोनी की बॉडी को शवगृह भेजने की तैयारी हो रही थी . कुछ समय के बाद उनके पुत्र लॉरेंस ने दुखी हो कर पिता की ओर मुख कर कहा “ डैड , आज आप ऐसे नहीं जा सकते हैं . “ इतना बोल कर वह अन्य लोगों के पास जाने लगा . बेटे ने जैसे ही यह कहा मानो पिता ने सुन लिया और टोनी का दिल धड़कने लगा . टोनी को तुरंत एक हेलीकॉप्टर द्वारा बड़े हॉस्पिटल लाया गया . वहां टोनी पांच दिन तक कोमा में रहे पर उसके बाद उन्हें होश आ गया . 15 अगस्त 2013 को उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी मिल गयी . डॉक्टरों को उनकी तथाकथित मौत के कारण का पता नहीं चल सका क्योंकि उनका हार्ट नार्मल था .
9 .श्रीकेश कुमार , 2021 में मुरादाबाद की घटना
यह घटना 40 वर्षीय श्रीकेश कुमार के साथ घटी थी . वे मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश ) के निवासी थे . 18 नवंबर के दिन एक तेज रफ्तार मोटर बाइक ने उन्हें टक्कर मारी . उनके सिर में आंतरिक चोट लगी . उनको सही इलाज के लिए एक अस्पताल ने दूसरे अस्पताल को रेफर किया फिर दूसरे ने तीसरे अस्पताल को जहाँ ट्रीटमेंट के लिए उन्हें भर्ती किया गया . यहाँ डॉक्टरों ने बार बार उनको चेक किया और देखा कि उनके शरीर में हार्ट बीट , पल्स और ब्लड प्रेशर कुछ भी मौजूद नहीं था . उन्हें मृत घोषित कर बॉडी को शवगृह के फ्रीजर में रखा गया .
लगभग सात घंटों के बाद कुमार के परिवार के सदस्य पुलिस से बॉडी की पहचान के लिए मिले ताकि बॉडी पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाए . तभी उनके परिवार की एक महिला ( सिस्टर इन लॉ ) को लगा कि कुमार का गाल कुछ गर्म है . डॉक्टर ने तुरंत कुमार को मेरठ के बड़े अस्पताल में रेफर किया . उनके सिर में आंतरिक चोट लगने के कारण वे कोमा में चले गए . इंटरनल ब्लीडिंग के चलते सर्जरी भी सम्भव नहीं था . पांच दिनों के बाद उनकी मृत्यु हो गयी .
डॉक्टर के अनुसार कुमार को शुरू में मृत मान लेने का कारण सस्पेंडेड एनिमेशन , एक ऐसी मेडिकल स्थिति जिसमें जीवन गति स्लो हो जाती है और बंद भी हो जाती है , रहा होगा .
10 . टोरिएण्टो ब्रिंसों ( Jr ) , 2021 टेक्सास , अमेरिका
टेक्सास के मिसूरी सिटी में 26 सितंबर 2021 के दिन 15 वर्षीय ब्रिंसों एक कार एक्सीडेंट में कार की खिड़की से बाहर उछल कर फेंका गए . इमरजेंसी टीम ने आ कर देखा कि ब्रिंसों की सांसें बंद थी , शरीर में कोई हलचल नहीं थी और घटनास्थल पर वे किसी भी उपचार का कोई रिस्पांस नहीं दे रहे थे . वे तुरंत उन्हें लाइफ फ्लाइट से अस्पताल ले गए .पर अस्पताल ने ब्रिंसों की जाँच कर उन को मृत घोषित किया .
ब्रिंसों की माँ लकिशा वेल्स को विश्वास नहीं हो रहा था कि उनका बेटा अब नहीं रहा और वे बेटे का हाथ पकड़े दिल से प्रार्थना करने लगीं . कुछ ही देर में बेटे के शरीर में कुछ हरकत हुई जिसे डॉक्टर ने भी देखा . डॉक्टर तत्काल ब्रिंसों को ऑपरेशन थियेटर ले गए . उनके ब्रेन की सर्जरी हुई , 21 दिनों तक वे कोमा में थे और कुछ महीने वे सेमी कोमा में भी रहे . अस्पताल से डिस्चार्ज कर उन्हें रिहैबिलिटेशन सेंटर भेजा गया . एक साल की थेरिपी और ट्रेनिंग के बाद ब्रिंसों वापस घर आये और तब वे अपने ज्यादातर काम खुद करने लगे . बाद में ब्रिंसों स्कूल जाने लगे .
नोट - इस तरह के सैकड़ों उदाहरण मिल सकते हैं यहाँ कुछ की चर्चा की गयी है .
उपरोक्त जानकारियां देश विदेश के कुछ समाचार पत्रों और गूगल पर उपलब्ध लेखों का यथासंभव अनुवाद है . E & O संभावित