दोहें का साहित्यिक विवेचन - 1 Sonu Kasana द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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दोहें का साहित्यिक विवेचन - 1

**दोहा**:  
*जुगत भीड़ाई काग नै पी लिया घड़े से नीर।  
प्रयत्न कर ऐ मानव तू मत रह खड़ा अधीर।।*

**साहित्यिक विवेचन**:

इस दोहे में कवि ने जीवन में जुगत (चतुराई) और प्रयत्न के महत्व को रेखांकित किया है। कौए का उदाहरण देकर, कवि यह संदेश देता है कि कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और चतुराई से काम लेने पर सफलता प्राप्त की जा सकती है। मनुष्य को प्रेरित किया गया है कि वह अधीर न हो, बल्कि अपनी बुद्धि और प्रयत्न से समस्या का समाधान निकाले। आइए इसका विस्तार से साहित्यिक विवेचन करते हैं:

**विषय-वस्तु**:

इस दोहे की मूल विषय-वस्तु "प्रयत्न और धैर्य" है। कौआ प्रतीकात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो अपनी चतुराई से घड़े से पानी पीने में सफल होता है। यह घटना मनुष्य को सिखाती है कि उसे कठिनाइयों में भी धैर्यपूर्वक अपनी बुद्धि का उपयोग करना चाहिए। "प्रयत्न कर" के माध्यम से मनुष्य को कर्मशीलता और धैर्य का संदेश दिया गया है।

**मुख्य भाव**:

1. **जुगत और प्रयत्न की महत्ता**:
   - "जुगत भीड़ाई" का अर्थ है कि कौए ने चतुराई और योजनाबद्ध तरीके से अपने कार्य को अंजाम दिया। यहाँ जुगत का अर्थ केवल चतुराई नहीं है, बल्कि बुद्धि और साहस का संयोजन है, जिससे कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है। कौआ कठिन परिस्थिति में भी हार नहीं मानता, बल्कि अपनी चतुराई से समस्या का हल निकालता है। यह दर्शाता है कि जीवन में जुगत और प्रयत्न की महत्ता सबसे अधिक है।

2. **अधीरता से बचने का संदेश**:
   - "मत रह खड़ा अधीर" यह स्पष्ट करता है कि जीवन में कठिनाइयाँ और समस्याएँ आती रहती हैं, लेकिन मनुष्य को अधीर नहीं होना चाहिए। अधीरता से कुछ भी हासिल नहीं होता, बल्कि प्रयत्नशील रहकर धैर्यपूर्वक कार्य करने से ही सफलता मिलती है।

3. **प्रेरणा का संदेश**:
   - यह दोहा मनुष्य को प्रेरित करता है कि वह अपनी परिस्थितियों के सामने हार मानकर खड़ा न रहे, बल्कि कौए की तरह अपने प्रयत्न और बुद्धि से आगे बढ़े। यह संदेश देता है कि कठिनाइयों से घबराने की बजाय उनसे जूझने की आवश्यकता होती है।

**शैलीगत विवेचन**:

1. **प्रतीकात्मकता**:
   - दोहे में "काग" (कौआ) और "घड़ा" प्रतीकात्मक रूप में प्रयुक्त हुए हैं। कौआ बुद्धि और धैर्य का प्रतीक है, जबकि "घड़ा" जीवन की कठिनाइयों का। कौए ने अपनी चतुराई और धैर्य से घड़े से पानी पीकर यह दिखाया कि कठिन परिस्थिति में भी प्रयत्न और धैर्य से सफलता प्राप्त की जा सकती है। यह प्रतीकात्मकता दोहे के भाव को गहराई देती है।

2. **सरल भाषा**:
   - दोहे की भाषा अत्यंत सरल और स्पष्ट है। यह सीधे मानव जीवन के संघर्षों और कठिनाइयों को समझाने का प्रयास करता है। भाषा की सरलता इसे व्यापक जनमानस के लिए सहज और बोधगम्य बनाती है।

3. **लय और छंद**:
   - दोहा पारंपरिक छंद में लिखा गया है, जिसमें 13-11 मात्राएँ होती हैं। इस लयबद्धता के कारण दोहा आसानी से स्मरणीय हो जाता है और इसका प्रभाव भी अधिक गहरा होता है। इस लय के कारण दोहे की सरलता और मधुरता में वृद्धि होती है।

**काव्यगत उपकरण (Alankars)**:

1. **अनुप्रास अलंकार**:
   - "प्रयत्न कर ऐ मानव तू" पंक्ति में 'त' ध्वनि की पुनरावृत्ति अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है, जो कविता की ध्वनि को सुंदर और प्रभावशाली बनाता है।

2. **रूपक अलंकार**:
   - "जुगत" और "प्रयत्न" रूपक के रूप में प्रयुक्त हुए हैं, जो केवल कौए की क्रिया को ही नहीं, बल्कि जीवन के संघर्षों को भी प्रतिबिंबित करते हैं। यह रूपक कविता के संदेश को और अधिक प्रभावशाली बनाता है।

**दर्शन और जीवन दृष्टि**:

1. **प्रयत्न और धैर्य का महत्व**:
   - इस दोहे का मुख्य संदेश है कि जीवन में कठिनाइयों का सामना करने के लिए हमें धैर्य और प्रयत्नशीलता से काम लेना चाहिए। जो व्यक्ति निरंतर प्रयास करता है, वह किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकता है। कौए के उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि चतुराई और साहस से बड़ी से बड़ी बाधा को भी पार किया जा सकता है।

2. **आशावादी दृष्टिकोण**:
   - दोहा यह दर्शाता है कि मनुष्य को अपनी परिस्थितियों से घबराकर खड़ा नहीं रहना चाहिए। उसे अधीरता का त्याग कर हर समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। यह एक सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण प्रदान करता है।

3. **जीवन के संघर्ष और सफलता**:
   - कौआ जीवन के संघर्ष का प्रतीक है, जिसने अपने धैर्य और चतुराई से सफलता प्राप्त की। यह दोहा जीवन में आने वाली कठिनाइयों को एक चुनौती की तरह प्रस्तुत करता है और यह संदेश देता है कि जो व्यक्ति हिम्मत और धैर्य से प्रयत्न करता है, वह अंततः सफल होता है**निष्कर्ष**:

यह दोहा जीवन में प्रयत्न और धैर्य की महत्ता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। कौए के प्रतीक द्वारा यह सिखाया गया है कि कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करते हुए भी हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए और प्रयत्नशील बने रहना चाहिए। दोहे की सरल भाषा, प्रतीकात्मकता, और शिक्षाप्रद संदेश इसे गहरे अर्थों से भरपूर बनाते हैं। यह दोहा हमें जीवन में निरंतर प्रयास करने और अधीरता से बचने की प्रेरणा देता है, जो जीवन के हर पहलू में उपयोगी है।