एक तरफा वाला प्यार Jayesh Patel द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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एक तरफा वाला प्यार

लायब्रेरी एक ऐसी जगह जहां लोग अपने सपने को साकार करने के लिए दिन रात पढ़ाई करने आते हैं उन में से में भी एक हु। लाइब्रेरी में में और मेरा दोस्त जो मेरा रुमपार्टनर हैं वह पास ही में बैठते हैं तो कुछ भी बात हो एक दुसरे को बताते थे।वो कहते है न लडके है तो आदत से मजबूर। ऐसे ही मेरा दोस्त पढाई के साथ साथ कौनसी लड़की कहा बैठती हैं कोन सुंदर सब खबर रखता था।

ऐसे ही एक दिन बहार किसी लड़की को देखके अचानक से आके मुझे बोला भाई क्या लड़की थी वो यार कसम से अपनी लायब्रेरी की सबसे सुंदर लड़की है । अब यह सुनकर मेने कहा हा हा तुझे तो हर रोज एक नई दिखाई देगी सुंदरी इतना कहने के बाद में फिर आपने काम में लग गया।दुसरे दिन जब मैं लायब्रेरी आया तो दरवाजे के बहार एक लडकी को दिख रुक सा गया।क्युकी कल जो मेरा दोस्त तारीफ कर रहा था वैसी ही लड़की को देखा और में इसे देखता ही रह गया । वो इतनी खूसबूरत थी की अगर चांद उसे देखले तो वह भी उसका मोहताज हो जाए, उसकी आंखे काली जिसमे डूब जाने का मन कर रहा था।, उसके बाल लहरा रहे थे जिसमे अपनी उंगलियां फेरने का मन कर रहा था। फिर वह लायब्रेरी के अंदर चली गई। वो प्रीमियम रूम में बैठती थी ओर हम जनरल रूम में तो जब वह अंदर गई तब में दरवाजे में आइना लगा हुआ था जिससे आरपार दिखता था तो मैं वो कहा बैठती है देखा और फिर में हमारे जनरल रूम में गया और मेरे दोस्त को सब बताया फिर पता चला की उसने कल वाली लड़की की बात की थी वो यही लड़की थी।

अब उस समय मैं त्योहार के दिन थे तो मेरा दोस्त और लायब्रेरी के ज्यादातर स्टूडेंट्स त्योहार मनाने अपने अपने गांव चले गए । में और कुछ गिने चुने स्टूडेंट्स ही बचे थे लाइब्रेरी में। में जब लायब्रेरी से बहार पानी पीने गया और जाके ग्लास हाथ में पकड़ा उतनी देर में वह लड़की वहा फोन में बात कर रही थीं। उसने पानी भरने का आवाज सुनी और उसने मेरी तरफ फोन में बात करते करते देखा तो मेने नजरे हटा ली उसपे से तब उसने अचानक वापिस मेरी तरफ देखा। ओर उसने मुझे 4 से 5 सेकंड मुझे देखके फिर अपने फोन में बात करने लगी । मेने पानी पीते हुए उसे देखा और फिर वह लायब्रेरी के अंदर चली गईं।अब मुझे वो इतनी पसंद आ गई थीं कि बार बार उसको ही देखने का मन कर रहा था, ओर में पागलोसा अंदर बहार सिर्फ उसको दरवाजे से देखने के लिए चक्कर लगाने लगा था। ऐसे ही दिन में कई चक्कर लगाए लेकिन फिर वो लाइब्रेरी से चली गईं और में भी फिर अपने रूम पे गया।

दुसरे दिन में जल्द से तैयार होके लाइब्रेरी चला गया और सीधे दरवाजे के पास जाके उसको देखने की कोशिश की लेकिन वो आज आई ही नई थी अब में थोड़ा सा उदास सा हो गया, अब ऐसे दो दिनों तक में आते जाते दरवाजे से उसके डेस्क को देखता तो वह सुना सुना सा लगता था क्योंकि वोह दो दिन लाइब्रेरी नई आई, ये दो दिन मेरे लिए लायब्रेरी में सबसे मुस्किल दिन से लगे थे।लेकिन फिर मेरा दोस्त भी वापिस आचुका था, तो हम दोनो लाइब्रेरी गए। ओर जब खाना खाने के समय हम बहार निकले हमने रूम पे दुसरे दोस्त को फ़ोन किया उसने बताया खाना अभी बना नही है। फिर हम वही लाइब्रेरी के बहार खड़े थे और उस लङकी के बारे में ही बात चल रही थीं की अचानक लाइब्रेरी का दरवाज़ा खुला और वह लङकी दिखी और मेरी नजर उसपे जाके अटक सी गई ।वो मेरे पास से निकली में उसको ही देख रहा था वो अपना टिफिन बॉक्स ले रहि थी तभी मेरी नजर उसके हाथ में लगे इंजेक्शन ट्यूब पे पड़ी में वो देख रहा था वो अब सायद उसको पता चल गया था। में जो हाथ देख ही रहा था वही हाथ उसने दबाया उसको वहा दर्द तो हो रहा था लेकिन मुझे लग रहा था की मेरी वहा नजर थी इसी लिए उसने ऐसे मुझे दिखाने के लिएं किया है। फिर वो अपना टिफिन बॉक्स लेके खाने के लिएं चली गईं।

हम वही खड़े रहे और फिर उसकी ही बात की वो बीमार है हाथ में इंजेक्शन ट्यूब लगी हुई है । इतने में थोडी देर में वो लङकी वापिस आई अपना टिफिन बॉक्स रखा और मेरे सामने से नजदीक सी होके लाइब्रेरी में चली गईं । मैने उसका नाम जानने के लिए उसके टिफिन बॉक्स पे नाम देखा और उसका नाम समीरा था अब तो ओर ही नये नये खयाल आने लगे ओर में और मेरा दोस्त वही खेड़े थे की फिर से लाइब्रेरी का दरवाज़ा खुला और अब वो लङकी ऐसे कुछ सोचते हुऐ मेरे ही तरफ आ रही थीं। अब मेरे दिल की धड़कने तेज हो रही थीं और वो पास आके मुझसे बोली की क्या आप ये मेरे हाथ से इंजेक्शन की ट्यूब निकाल देंगे इतना सुनते ही में तो उसको ही देखता रह गया क्योंकि इसको इतनी नजदीक से जो देख रहा था।फिर उसने मेरी ओर देखके अपना हाथ आगे किया मैने उसका हाथ अपने हाथो मै पकड़ा और में अपने अंदर से कांप उठा क्योंकि जब पहली बार किसी लङकी का हाथ पकड़े और तो और जिसको आप कई दिनों से देख रहे है और वो पंसदीदा लङकी हो तब तो ओर भी ज्यादा कांपने लगते है मैने किसी तरह अपने आप को संभाला और उसके हाथ में लगी इंजेक्शन ट्यूब को निकलने के लिए उसपे लगी बैंडेज को निकलने लगा।

लडको की एक खासियत होती है अपने दोस्त को ऐसे कोई लङकी के साथ देखले तो वोह बीच में आएगा ही आएगा और ऐसा ही मेरे दोस्त ने किया वो लड़की के सामने मुझे सीखाने लग गया, मैने उसको टोकते हुए कहा यार मै पहले भी निकाल चुका हु मेरी मम्मी के हाथ से हालाकि जब मैने मेरी मम्मी के हाथ से इंजेक्शन ट्यूब निकला था तब में कांप नही रहा था लिकन यहां तो वो लङकी का हाथ पकड़ते ही कांप रहा था फिर भी में बैंडेज निकल ही लिथी को वो फिर से मेरा दोस्त जब बैंडेज थोडी सी ही रही थीं की उसने वो बैंडेज निकाल ली बीच में आके हालाकि उस लड़की का हाथ मेरे ही हाथ में था। फिर अब इंजेक्शन ट्यूब निकालना था मेरे दोस्त ने वो ट्यूब पकड़ी उस लङकी को दर्द हो रहा था उसने अपने दुसरे हाथ से मुझे पकड़ लिया इस समय में अपने आप को संभालते हुए ट्यूब निकलने के बाद इसकी नस में से खून न निकले इस लिए वहा अपने अंगूठे से दबा के रखा। वो लङकी अब थोडा कमजोर होने लगी थीं उसने मुझे मजबूती से पकड़ लिया था और में अपने आप को खो बैठा अब में उसके हाथ को अपने हाथ में पकड़के पास लिया और उसकी हथेली देखने लगा । मेरा दोस्त उसी समय अचानक से बोला चक्कर तो नही आ रहे न तो लङकी ने मेरी ओर रेखा वो मुझे पकड़े ही रखी थीं और बोली मुझे चक्कर आ रहें है। मेने अब उसे ठीक से पकड़ लिया की वो गिर न जाय।मेरे दोस्त ने पानी लाया उसके मुंह पे छिड़का और ग्लास मेने लिया और उस लङकी को मेने पानी पिलाया और ग्लास साइड में रखा। फिर वो अचानक से बेहोश हो गई तब मैंने उसको पकड़े रखा था मेरे दोस्त ने एक दूसरी लङकी को बुलाया जिसे हम दीदी कहती है।और उसने इसको पकड़ा और दीदी में कहा खुर्शी लाओ में जल्द से दोडके लायब्रेरी में गया और खुरशी खींच के ले आया तब तक दीदी ने और मेरे दोस्त ने उसे सीडियो में बिठाया था। अब में उसको ऐसे देखके उसकी साइड में जाके बैठा ओर उसके कपड़े ठीक करवाने लग गया । मुझे खुद पता नही था की में क्या कर रहा हु जैसे में उसको बहुत लंबे समय से जनता हु और इसकी केयर कर रहा था।फिर दीदी ने कहा यही पास में हॉस्पिटल है वहा इसको ले जाते हे।

फिर हमने उसको खुर्शी में बिठाया मेने उसके चहेरे को पकड़े रखा और लिफ्ट से होकर नीचे गए अब मेरे दोस्त को रिक्शा लेने भेजा रिक्शा वाला आया वो बोला की उसके बाल खोल दो थोडा उसको गुनलामन हो रही होगी,फिर दीदी ने उस लङकी के बाल खोल लिए, लेकिन इसकी जुल्फे उसके चहेरे पे आ रहि थीं , वोतो बेहोश थी लेकिन उसकी जगह वो जुल्फे मुझे डिस्टर्ब कर रही थी फिर मेंने उसके चहेरे की जुल्फो को उसके कानो के पास अटकाया और फिर रिक्शा में पहले में अंदर गया और उसको मेने अंदर लिए और अपनी बाहों में इसे पकड़ रखा वो दीदी भी उसके दूसरी तरफ बैठी मेरा दोस्त आगे बैठा और रिक्शा हॉस्पिटल की ओर चली में उस लङकी को अपने हाथ से कवर कर रहा था की उसे परेशानी न हो। फिर हॉस्पिटल पहुंच के उसे बेड में लेटाया गया और उसकी बीपी, शुगर सब चेक किया सब नोरमल आया और डॉक्टर ने एक इंजेक्शन दिया। थोडी ही देर में वो लङकी होश में आगई , ओर उसने हम सब की ओर देखा, फिर उसको चक्कर आने का कारण पता चला की उनसे ज्यादा टेंशन और गभरा गई है। फिर दीदी ने बताया की ये लङकी ने अभी अभी ही ग्रेजुएशन किया है और बैंक में नौकरी भी थीं 50,000 हजार तंखा की नोकरी को रिजाइन करके अब दूसरी नोकरी की तैयारी कर रहि है। में और मेरा दोस्त ये सुन के थोडी देर के लिएं तो सोच में डूब गए क्योंकि एक तो छोटी उमर में ही नोकरी लेली थी उसमे और फिर भी अब दूसरी नोकरी के लिए रिजाइन करके आई है। फिर उस लङकी से दीदी ने पूछा कोनसी परीक्षा को तैयारी कर रहि हो तो उसने बताया की यूपीएससी, में और मेरा दोस्त शोक हो गए एक परीक्षा के लिएं इतना टेंशन।

अब दीदी ने उसको उनका मोबाइल दिया घर से किसी को लेने बुलाने के लिएं इसने फ़ोन किया। ओर दीदी ने उसके मोबाइल का पूछा की कही गिर तो नही गया।तो उसने बताया की जहा उसको चक्कर आए वही गिर गया था । तो मेरे दोस्त ने दुसरे लाइब्रेरी वाले दोस्त को फ़ोन करके वो मोबाइल मंगाया । फिर नर्स ने कहा नींबू पानी पिला दीजिए फिर आप जा सकते है।तो में और मेरा दोस्त बहार नींबू पानी लेने गए वही वो जो दूसरा दोस्त मोबाइल लेके आ रहा था वो मिला उससे मेंने मोबाइल लिया और में नींबू पानी ढूंढ ने लगा और वो दोनो दोस्त वो सब कैसे हुआ ये सब बाते कर रहे थे फिर में नींबू पानी लेके आया और दोस्त के साथ अस्पताल में गए वहा जाके उस लड़की को उसका मोबाइल दिया और नींबू पानी भी उसने उस मेंसे थोड़ा पिया और फिर वह बैठी। दीदी ने पूछा कैसे हों गया था तो उसने बोला मुझे कुछ पता ही नहीं चला फिर मेरी ओर देखके बोली हा लास्ट में में इनको पकड़े खड़ी थी बस इतना याद हे, यह सुनकर मेरे दोस्त ने मेरीओर देखा और इशारा किया ये इशारा लडको में बहुत होता है चिडाने के लिए। अब उस लड़की को लेने एक लड़का आया था जोकि वो हमे देख तो ऐसा रहा था की हमने कुछ गलत किया हो। फिर हम अस्पताल से बाहर आए और लड़की को लेने वो लड़का गाड़ी लेके आया था तो उस लड़की ने उससे कहा भाई गाड़ी यहां लाओ यह सुनकर मुझे बहुत ही सुकून हुआ।

फिर हम लाइब्रेरी के निचे गए और वो लड़की अपने शूज पहनने आई थी तो दीदी और मेरा दोस्त अपने काम में लग गए पर मेरा हाल तो "दिल हे की मानता ही नहीं "में उसके पास खड़ा रहा उसने शूज पहने फिर मैंने पूछा निचे तक छोड़ने आऊ हा अगर मेंने न पूछा होता तो वो खुद भी मुझे यही कहने वाली थी। फिर हम दोनोलिफ्ट में गए और उसने मुझसे पूछा की रिक्शा के कितने पैसे हुऐ.. मेंने उसको बोल नई रिक्शा वाले ने पैसे नहीं लिए। फिर मैंने उससे पूछा क्या आपका नाम समीरा है उसने अपना सिर हामी भरते हुए हिलाया। फिर मैंने पूछा की वो कोन है जो आपको लेने आए हे तो उसने बताया की भाई है फिर हम निचे पहुंच चुके थे गाड़ी सामने ही खड़ी थी वो मुझे थैंक यू कहके गाड़ी की ओर चली ओर गाड़ी में बैठ के चली गईं। ओर फिर में वापिस लाइब्रेरी में गया वहां मेरे दोस्त ने मुझे पूछा कहा गया था। मेंने बोला उसे निचे तक छोड़ने गया था।मेरा दोस्त मुझे कहने लगा हम कह दे कुछ तो तो करता नही और यह निचे तक छोड़ने जाते हो फिर में चुप चाप बैठा रहा मेरे मन में उसके ही ख्याल आ रहै थे ।फिर पूरा दिन उसीके खयालों में डूबा सा रहा।

दुसरे दिन लाइब्रेरी में मेरा दोस्त दरवाजे के पास बैठा था ओर में बहुत ही आगे बैठा था ओर में अपने काम में व्यस्त था की अचानक से वो लड़की समीरा आई और उसने मुझे बहार आने का इशारा किया में उठा हों सब लडको की नज़र मेरे पे ही टिकी थी में थोड़ा नर्वस हो रहा था की कैसे बात करूंगा लेकिन जब में उसके पास गया तो मेंने उसको भी थोड़ा नर्वस देखा वो एक किताब लेके खड़ी थी। मेंने बोला क्यों किताबो के बिना रहा नही गया क्या.... अभी तो आराम करना चाहिए आपको। फिर उसने कहा किताबे तो मेरी जान हे लेकिन सिर्फ किताब लेने ही यहां आई थी । आपका नाम पता नही था ओर आज रविवार भी हे तो लगा नही की आप आए होंगे। फिर भी लाइब्रेरी में सब डेस्क में देखा फिर आप दिख गए ,ओर आज तो घर जाना है। मेंने पूछा आब तबीयत कैसी है। उसने बताया कल से बेहतर है । लेकिन आज भी थोड़े थोड़े चलकर आ रहे है।मेंने कहा खाने में ध्यान दीजिए और टेंशन मत लीजिए आपंको कोनसा टेंशन भी हो सकता है ।तो उसने बताया बस यही पढाई।।

फिर उसने मुझे कहा कि कल नींबू पानी के पैसे कितने हुए थे। मेने कहा नहीं वो जाने दीजिए उसने मोबाइल निकाला मेने मना किया फिर वो कहने लगी आपका नंबर तो दीजिए । अब नंबर देना था तो मैंने उसके मोबाइल में अपना नंबर लिखा ओर उसने पैसे मेरे अकाउंट में डाले मेरे मना करने के बावजूद उसमें पैसे अकाउंट में डाले फिर वो बोली चलो अब जाना होगा मेने बोला कैसे जाएगी तो बोली उबेर बुक कर लूंगी मेने कहा ठीक ।फिर मेने कहा नीचे तक छोड़ने आऊ क्या तो वो कुछ बोली लेकिन मुझे ठीक से सुनाई न दीया और वह लिफ्ट में खड़ी थी फिर दरवाज़ा बंद हो गया । में वही खड़ा रहा ओर उसका नंबर सेव करने की कोशिश कर रहा था थोडी देर में उसका कॉल आया और वो बोली में इंतजार कर रही हु फिर मैंने बोला है बस आही रहा हु लिफ्ट बीच में अटक गई थी फिर में निचे गया तो वह वहा खड़ी थी ।में उसके पास गया फिर वो बोली चलो कही नाश्ता करने जाते हे। मेने यह लहते हुऐ मना कर दीया की नई में नाश्ता नही करता मैंने कसरत की हुई है इस लिए नाश्ता नही कर पाऊंगा। तो फिर चाय पी लेते है उसने कहा। मेने कहा मेने आज तक चाय कभी नहीं पी उसने बोला चाय तो मेभी नई पीती में सिर्फ काफी ही पीती हु मुझे बहुत पसंद है लेकिन यहां अच्छी काफी नही मिलती फिर उसका फ़ोन बजा उसने बोला अब में 15 या 16 दिनों तक नहीं आउंगी और शायद त्योहार है उस समय उसके बाद आउंगी मेने कहा अभी घर पे जाने आराम और ठीक से खाना खाओ दूसरा टेंशन लेने की जरूरत नही है। यह में कह तो रहा था लेकिन में में वो 15 दिन चल रहें थे की अभी अभी तो उस से बातचीत शुरू हुई है और यह एब घर जाएंगी तो में कैसे रह पाऊंगा।फिर उसका फ़ोन बजा और कहा अब जाना होगा और फिर हमें एक दुसरे को बाय बोलके में लाइब्रेरी में चला गया।

अब में बहुत ही खुश था की जिस लड़की को चोरी छिपे देखता था वह एक अच्छी दोस्त बन गई थी और फिर थोडी देर बाद उसने मैसेज किया की में घर के लिएं निकल गई हु मेने उसको पूछा कब निकली और फिर ऐसे हि बात चीत हहुई। ओर दो या तीन घंटे बाद मेने मेसेज किया और उसने बोला की पूछ गई हु में तुम्हें ही मेसेज करने ही वाली थी की तुम्हारा मेसेज आ गया फिर वह घर पे थी तो ज्यादा बात हुई नहीं।

अब मुझे पता नही था की समीरा के मन में मेरे लिए क्या था। शायद उसके मेरे जितना तो नही सोचा होगा। लेकिन हा समीरा को में पसंद आऊ या नहीं , में उससे बहुत ही प्यार करता था वो बात मुझे भी समझ आ गई थी। क्युकी जब वोह बेहोश थी तब में अपने से ज्यादा उसका खयाल रख रहा था इसकीकेयर कर रहा था उस बख्त मुझे कुछ पता ही नही था की में क्या कर रहा हु क्योंकि में उस समय उसकी हथेली को दिखते रहना, उसके कपडे ठीक करवाना, उसको खुर्शी पे ठीक से बैठा के उसको पकड़े रखना, उसके बालो को ठीक करना, उसको रिक्शा में अपनी बाहों में लिए बैठना जैसे वोही मेरी दुनियां हे, उसकी यह हालत देख में बहुत ही बुरा फिल कर रहा था।

क्या इसी को एक तरफा वाला प्यार कहते है.…? पहली ही मुलाकात में किसी के लिएं इतना केयरिंग हो जाना और इतना प्यार करना सचमे एक तरफा वाला प्यार भी हमे बहुत ही खुशी देता है। समीरा मुझसे प्यार करे या नहीं लेकिन मेरे मन में उस के लिएं हमेशा प्यार बना रहेगा।