मेरी कृतिका
तुम्हारा तो कुछ पता नही लेकिन फिर भी जहां हो ठीक ही होगी और रही बात मेरी तो मेरा हाल भी ठीक ठाक ही है।
रोज ही तुम्हारी याद आती है रोज ही एक मुस्कान के साथ खुद मे उन यादो को फिर से जी लेता हू लेकिन आज, आज तुम्हारी याद रोज से ज्यादा आ रही है आज मुस्कान नही है होंठों पे बल्कि आँखों में एक नमी सी है। दिल कर रहा बस तुमसे लिपट के खूब रोऊँ।
खैर, मौसम का मिजाज अचानक बिगाड़ गया सुबह की जला देने वाली धूप शाम होने से पहले ही कही छुप गयी है। पिछले दो महीने भीषण गर्मी में गुज़ारने के बाद आज इन गर्म हवाओ की जगह ठंडे तेज हवाओ ने ले ली है काफी इंतजार के बाद आज जाके बारिश अपना मुह दिखा रही है। ठंडी हवा मेरे चेहरे को छू के गुज़र रही थी। मौसम तुम्हारी तरह एकदम प्यारा हो गया था।
तुम्हारी यादों से बचने के लिए मै खिड़की के पास लगी अपनी कुर्सी और टेबल की किताबे सही कर पढ़ने बैठ जाता हू। थोड़ी देर पढ़ने के बाद मेरी नजरे टेबल पर रखी तुम्हारी तस्वीर पर चली जाती है जिनमे में तुम काफी खुशी से हँस रही हो। तुम्हारी आँखों में ठीक वही चमक दिख रही है जो मेरे अंधकार भरे जीवन को आज भी रौशन कर सकता है। अब हर जगह सिर्फ तुम और तुम्हारी यादे घर कर चुकी है अब कैसे बचा जाए तुमसे?
बैचैनी से भरा मैं हाथ में अपनी चाय लेके बालकनी में चला जाता हू। ये ठंडी तेज हवाएं मुझसे बार बार टकरा रही है ये मेरे अंदर जल रही उन तमाम सवालों को एकदम ठंडा और शांति का एहसास दिला रही है। इन बारिश के बूंदों में तुम्हारा चेहरा झिलमिला रहा है। बरसती हुई इन बूंदों के साथ हमारी सारी यादें ताजा होती जा रही थी। तुम्हारे साथ बिताए हर पल की, तुम्हारी हर हंसी की, तुम्हारी हर बात की और वो हमारा साथ भीगना तुम्हारा वो कहना " की तुम्हें पता ये बारिश बिलकुल तुम्हारी तरह है करन, तुम्हारे होने से मैं जितना खुश होती हूं बारिश का आना भी मुझे उतना ही खुश करता है, हमारा प्यार इन बारिश की बूंदों की तरह एकदम साफ और पवित्र है, इन ठंडी हवाओं की तरह ही तुम्हारा हँसता चेहरा मेरे दिल को ठंडक पहुंचता है।" वो हर चीज़ मुझे याद आ रही थी। हर बूंद के साथ तुम्हारी कमी और ज्यादा महसूस हो रही थी।
और इन सब में मैं इतना खो गया था कि बारिश की छींटे कब मुझे भिगोने लगी पता ही ना चला। जब ये बूंदे मेरे हाथों पर पड़ी तो ऐसा लगा जैसे तुमने ही इसे वापस थाम लिया हो और मेरे बालो को संवारते हुए कह रही हो की "ध्यान रखा करो अपना ज्यादा परेशान नहीं हुआ करो परेशान होते हुए तुम बिल्कुल भी अच्छे नही लगते इसलिए खुश रहा करो, और मैं तो अपने करन के साथ हु ही"। मगर अफसोस की यह सिर्फ एक ख्याल था, एक याद थी। वास्तविकता यह है कि तुम अब मेरे साथ नहीं हो। तुम्हारी कमी मुझे हर दिन हर पल महसूस होती रहेगी और मैं हमेशा यही सोचता रह जाउंगा की 'काश तुम यहां होती'।
दिल का दरिया कुछ ज्यादा ही बह गया और अभी काफी कुछ लिखना रह गया है लेकिन अब यही रोक देता हूं खुद को वैसे भी तुम्हें लंबे लंबे खत पढ़ने में आलस आता है मगर उम्मीद करता हूं इसे थोड़ा ही सही मगर पढ़ोगी जरूर तुम। आगे की बाते अगले खत में लिख दूंगा। अपना काफी ख्याल रखना।
करण