तेरा बीमार मेरा दिल - 4 Anjali Vashisht द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरा बीमार मेरा दिल - 4

अब तक :

थोड़ी देर बाद राधिका की कोशिशें भी रुक गई । वो उसे धकेलते हुए थक चुकी थी । वहीं उत्कर्ष का किस शुरुवात में बहुत सख्त था लेकिन धीरे धीरे उसकी किस नर्म हो चुकी थी । पहले उसकी कोशिश राधिका को चुप कराने की थी लेकिन उसके होठों को छूने के बाद अब उसकी भावनाएं जागने लगी थी ।

उसकी बॉडी राधिका के लिए रिएक्ट करने लगी थी ।उसका एक हाथ राधिका की गर्दन पर था तो दूसरा उसकी कमर पर सहला रहा था ।

अब आगे :

राधिका के होठों को चूमते हुए उत्कर्ष अपनी जीभ को उसके मुंह के अंदर डालने लगा तो राधिका ने एक बार फिर उसके सीने पर मार दिया ।

उसके मारने से उत्कर्ष होश में आया तो अगले ही पल उसने राधिका को छोड़ दिया । वो उसके साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहता था वो तो बस उसे चुप करवाना चाहता था । ना जाने कैसे वो बहक सा गया था।

" आपकी हिम्मत कैसे हुई ? " राधिका ने चिल्लाते हुए कहा तो उत्कर्ष ने उसके होठों पर उंगली टिकाकर कहा " आवाज नीचे , अगर आप दुबारा चिल्लाई तो इतनी आसानी से नही छूट पाएंगी । चुप कराने के कई तरीके पता हैं हमें "

राधिका उसके धमकाने के बाद अब चुप थी । उसके दिल की धड़कने बढ़ चुकी थी ।

उसने उत्कर्ष की उंगली की तरफ देखा फिर उसका हाथ हटाकर गुस्से से बोली " आप बहुत घटिया इंसान हैं "

" हो सकता हूं "

" आपके जैसा घटिया इंसान मैने आज तक नही देखा "

" अगर ऐसा है तो आपको घर से बाहर निकलने की सख्त जरूरत है । क्योंकि घर बैठे बैठे आपको मुझ जैसा इंसान नजर नही आयेगा "

राधिका ने उससे चेहरा फेर लिया।

उत्कर्ष ने उसके चिन पर हाथ रखकर चेहरे को अपने सामने किया और उसकी आंखों में देखकर घूरते हुए कहा " ध्यान रखिएगा , इस कमरे के अंदर की बातें बाहर नही जानी चाहिए । और हां , जहां तक सवाल रहा आपके यहां से भागने का , तो वो किसी भी हाल में मुमकिन नही है क्योंकि इस बंगले के चारों तरफ गार्ड्स तैनात हैं । ये जाने की धमकियां देकर मजबूर मत कीजिए कि हम आपको इसी कमरे में बंद करके रखें । बेहतर होगा कि आप अपनी मर्जी से यहां रहने का मन बना लें वरना जबरदस्ती मन बनेगा तो मुंह कड़वा बनाकर घूमेंगी आप "

" अपनी मर्जी से ! ये बात आप ना ही करें तो अच्छा होगा । जबरदस्ती बात मनवाने को आप अपनी मर्जी कैसे कह सकते हैं "

" मुंह से " बोलकर उत्कर्ष ने उसके चिन से हाथ हटा लिया और कमरे से बाहर निकल गया ।

राधिका मुट्ठी बनाए गुस्से से उसे जाते हुए देखने लगी । उत्कर्ष कमरे से बाहर निकल गया लेकिन दरवाजा खुला छोड़ गया ।

राधिका ने कुछ पल सोचा फिर कमरे से बाहर निकल गई । दरवाजे के पास रुककर उसने सिर बाहर निकालकर आस पास उत्कर्ष को देखा तो उसे वो कहीं नजर नहीं आया।

राधिका ने राहत की सांस ली और बोली " अगर यहां फंसे रहे तो बिल्कुल नही निकल पाएंगे । चलिए राधिका भाग जाइए जहां से रास्ता दिखे "

बोलते हुए उसने अपने पैरों में पहनी पायल उतारी और दबे पांव कॉरिडोर से चलने लगी ।

उत्कर्ष कमरे में निकलकर बगल वाले कमरे में चला आया । वो उसका प्राइवेट रूम था । जिसमे मीटिंग टेबल , सोफा से लेकर बुक शेल्फ , प्रोजेक्टर और बाकी भी कई सारा बंदोबस्त किया गया था ।

अक्सर वो इस रूम में कुछ जरूरी मीटिंग्स को किया करता था ।

उत्कर्ष जाकर अपनी हेड चेयर पर बैठा और headrest से सिर टिका लिया । राधिका का चेहरा उसकी आंखों के आगे घूमे जा रहा था ।

" आपसे दूर रहें भी तो कैसे । नींद करार सब गायब है । लेकिन फिर भी हम आपके साथ कोई जबरदस्ती नहीं करना चाहते । आपसे शादी की है तो पहले आपको राज़ी करेंगे इस शादी को मानने के लिए । उसके बाद आगे की जिंदगी । पर इस बीच हमारा इजहार नही रुकेगा राधिका " बोलकर उसने आंखें बंद कर ली और किस को याद करने लगा ।

वहीं राधिका सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी तो देखा कि नीचे हॉल में उत्कर्ष की मां और चाची दोनो बैठी हुई थी । राधिका अपनी जगह पर ही रुक गई ।

" इनसे बात करूं क्या ? पर उन्होंने साफ मना किया है । अगर मैंने इन लोगों से बात की और फिर यहां से भाग भी नही पाई तो वो दानव मेरा जीना हराम कर देंगे । भाग जाइए राधिका , किसी से कुछ बात मत कीजिए । कोई तो रास्ता होगा जो आपको बाहर ले जायेगा " बोलते हुए वो जल्दी से छुपते हुए सीढ़ियों से नीचे आई ।

तभी उसकी नजर उपर गई तो उत्कर्ष कॉरिडोर से फोन पर बात करते हुए चलता आ रहा था। उसकी नज़र अभी राधिका पर नही पड़ी थी ।

" हे कृष्णा " बोलते हुए राधिका ने आस पास देखा फिर जल्दी से अपने बगल में लगे दरवाजे को खोलकर अंदर चली गई ।

उत्कर्ष कमरे के बाहर पहुंचा तो दरवाजा खुला देखकर पहले ही समझ गया कि राधिका कमरे में नही होगी । लेकिन फिर भी उसने अंदर जाकर एक झलक देख लिया । वो वाकई में अंदर नही थी ।

फिर जेब में हाथ डाले और कमरे से बाहर निकल आया । सीढ़ियों से नीचे आया तो मां कामिनी जी और चाची सुलेखा दोनो उसकी तरफ देखने लगी । सीढियां उतरकर उत्कर्ष कुछ पल रुका फिर आगे बढ़ गया ।

फिर जाकर उन दोनो के उनके सामने वाले सोफे पर बैठ गया ।

सुलेखा जी बोली " शादी के अगले दिन ही राधिका को कमरे में अकेला छोड़ आ गए क्या ? "

उत्कर्ष ने इंकार में सिर हिलाया और बोला " ummhmmm... वो मुझे अकेला छोड़ आई "

कामिनी और सुलेखा ने सुना तो असमंजस से उसे देखने लगी । उन्हें उसकी बात समझ में नही आई थी ।

" क्या मतलब ? " सुलेखा ने पूछा ।

" मतलब वही चाची तो आपने सुना " बोलकर उत्कर्ष ने पैर पर पैर चढ़ा लिए ।

कामिनी जी बोली " ये कैसी शादी थी उत्कर्ष ? आपने किसी को भी नही बताया । आपके मां बाप को भी तब पता चल रहा है जब आप दुल्हन लेकर घर आ गए हैं । कब से चल रहा था ये सब और कबसे सोच रहे थे आप इस तरह से शादी करने का ? "

उत्कर्ष ने गहरी सांस ली और बोला " बस दो दिन पहले सोचा "

कामिनी जी ने सुना तो निराशा से सिर हिला दिया।

" आपके जवाब हमेशा उलझा देते हैं । आप ऐसी मनमर्जी करेंगे हमने नही सोचा था । आपकी पसंद को हम कभी मना नही करते , ये बात आप भी जानते हैं तो फिर ऐसे चोरी छिपे शादी का क्या मतलब है । आपके पापा भी आपकी इस हरकत से बहुत निराश हैं "

उत्कर्ष ने एक झलक सीढ़ियों के पास वाले दरवाजे को देखा फिर बोला " आप ही चाहती थी ना हम शादी कर लें । तो कर ली हमने शादी । अब कैसे की और क्यों की , इन सब बातों का कोई मतलब नहीं रहा । आपको बहु चाहिए थी हमने लाकर दे दी । अब तो आपकी शिकायतें खतम हो जानी चाहिए "

" हम आपकी शादी में शामिल होना चाहते थे उत्कर्ष और आप हैं कि " कामिनी जी बोल ही रही थी कि तभी राधिका के जोरों से चिल्लाने की आवाज आई । आवाज सुनकर कामिनी और सुलेखा जल्दी से खड़ी हो गई । उत्कर्ष वैसे ही पैर पर पैर चढ़ाए बैठा रहा ।

सुलेखा बोली " ये आवाज तो यहीं हॉल के किसी कमरे से आई है "

" सही कह रही हो सुलेखा " बोलते हुए कामिनी ने उत्कर्ष को देखा और बोली " ये चिल्लाने की आवाज कैसी है ? "

" घबराइए मत , आपकी बहू घर घूम रही है " बोलकर वो बेफिक्र था।

कामिनी और सुलेखा हैरानी से उसे देखने लगी ।

" उत्कर्ष वो चिल्ला रही है " कामिनी जी ने फिक्र से कहा । अब तक घर में काम करने वाले सब लोग भी वहां इकट्ठे हो चुके थे ।

कामिनी ने उनकी तरफ देखा और बोली " ढूंढो कहां से आवाज़ आ रही है "

उनके कहते ही सब लोग राधिका को ढूंढने लग गए ।

कामिनी ने उत्कर्ष को देखा तो उनकी आंखों में शिकायत साफ थी ।

" आप ऐसा कैसे कर सकते हो उत्कर्ष ? आप राधिका से शादी करके उन्हें यहां लाए हैं और अब आपको उनकी चीखें भी नही सुनाई दे रही ? " कामिनी जी ने हल्के गुस्से से कहा तो उत्कर्ष खड़ा होते हुए बोला " किसी की जिद्द को समझाने से नही मिटाया जा सकता । इसलिए जो इंसान करना चाहे उसे करने देना चाहिए " बोलकर वो वहां से आगे बढ़ गया ।

कामिनी और सुलेखा दोनो को ही उसकी बातें समझ में नही आई थी । एक बार फिर वो बातों को घुमाकर जा रहा था ।

क्यों चिल्लाई राधिका ? आखिर क्यों की है उत्कर्ष ने राधिका से इस तरह से शादी ?