भारत में बदकिस्मती से सड़कों कि बदहाली या ट्रैफिक नियंत्रण नहीं है इसलिए अधिक एक्सिडेंट होना खास तौर पर बेलगाम दौड़ती ट्रक से छोटे मोटे टू व्हीलर गाड़ियां हो या चार व्हील वाले सबको रौंद कर ट्रक बदनाम है और नागरिकों के नजरों में ट्रक साक्षत यमराज होता है , ऐसी ही एक सड़क दुघर्टना हुई और एक बाइक सवार कि मौत हुई ,बाइक पर दो लोग थे एक ने दुर्घटना में तुरंत जान गंवा दिया और बाइक के पीछे बैठे दूसरा व्यक्ति घायल हुआ था ...
ऑन द स्पॉट मरे आदमी हैरान परेशान अपने शरीर को तड़पता हुआ देखते खड़े हुआ वहीं सड़क के दूसरे किनारे यमराज के दो दूत खड़े थे , एक्सिडेंट हुए आदमी का उम्र लगभग तीस पैंतीस साल लग रहा था ,वो ज्यादा हताहत थे इसलिए उसकी प्रणपखेरू सेकंड नहीं लगा शरीर से आत्मा बाहर आया , फिर क्या था दूतों ने आत्मा को अपने कब्जे में लिया और बोले " चलो भाई ऊपर हाजिरी लिखवाने फिर जब तक तुम्हारे परिवार के द्धारा पूरे क्रियाक्रम करके अंतिम बिदाई नहीं होती तब तक जमीन पर देखने आ सकते हो पर अभी तुम्हें चलना है चलो ...
दूत उस आत्मा को लेकर आकाश मार्ग कि ओर ले चले गए उड़ते हुए ...
आत्मा के मन बहुत से सवाल थे अभी उसकी उम्र नहीं हुई है मरने कि घर पर जिम्मेदारी पड़ी है , बच्चों को आगे पढ़ाई कर अपने पैरों में खड़े करना है शादी करना घर का ईएमआई भरना है वगैरह वगैरह.....फिर उसने सुना था कि यमराज के दूतों तो उड़नखटोला या भैंस पर आती है हंटर लेकर यहां तो कुछ भी नहीं है और हिम्मत करके पूछा " आदरणीय दूत महाशय कृपया बताएं मेरे लिए भैंस या उड़नखटोला क्यों नहीं आए मुझे सिर्फ खड़े-खड़े उड़ाकर ले जा रहे हो क्यों ..!!
दूतों ने कहा "हम वर्कर है हमसे जो बड़े ग्रेड में है उनके पास भैंस है और उनसे भी बड़े ग्रेड में है उसके पास उड़नखटोला होती है और तुम हमारे कॉन्टैक्ट पर आए तुमने ज्यादा लोगों को नहीं सताया है इसलिए पाप नहीं किया और इस कारण तुमने ज्यादा दान पुण्य नहीं किया यहां तक कि घरवालें भी तुम्हारी कमाई से खुश नहीं थे और बीवी भी खुश नहीं थी इसलिए उसने जितने भी व्रत किए उसमें लालच ज्यादा था भक्ति कम इसलिए तुम हमारे ग्रेड वाले को मिले , बातचीत करते हुए वो तीनों यम लोक आ गये बड़े से दरवाजा खुला और वो लोग अंदर आए ..
आत्मा चलते हुए आसपास को देखने लगे और शोर शराबा सुनने और मन में बुदबुदाया " यहां भी शांति नहीं है लगता है...
तभी आवाज आई " oye चलो इस दरवाजे ..
आत्मा चल पड़ा और अंदर हाजिरी लगवाने लगा बही खाता निकला हुआ था वहां भी एक विशेष तरह के सोने चांदी के जेवर पहने केसरिया रंग के धोती और अंगवस्त्र से सुसज्जित चित्रगुप्त के अस्सिटेंट बैठा था उसने नाम लिया" लक्ष्मी नाथ पिता सुखी नाथ जन्म दिन 12 दिसंबर सन् 1985 ,मरण दिवस आज दिनांक 22 जुलाई 2024 को सांयकाल में हुआ है चित्रगुप्त के अस्सिटेंट ने बही खाता लिखना शुरू किया उस आत्मा ने अपने जीवन काल कितना बेईमानी किया कितना भ्रष्टाचार में लिप्त रहा और कितना दान पुण्य किया वा कितने जीव जन्तुओं को मारा , चित्रगुप्त ने सारे जीवन काल के विस्तार पूर्वक कर बता दिया था अब बारी थी नरक या स्वर्ग भोगने जिसे खुद यमराज के हुकुम से होना है लेकिन इसकी जीवन अभी शेष भी इसलिए पेंडिंग लिख दिया फिर नेक्स्ट कहा...
लक्ष्मी नाथ आश्चर्य से दूतों को पूछा " अरे बही खाता धारक ने तो उसे कोई नरक भोगने भेजा ना स्वर्ग ...!!
दूत बोले " चलो यहां से अब दूसरे आत्मा कि बारी है हाजिरी लिखवाने कि वो तीनों दूत वहां से जाने लगे..!!
लक्ष्मी नाथ ने फिर पूछा " बताओ ना मैं कहां जा रहा हुं अभी मुझे कोई सजा नहीं सुनाई है ..??
दूत ने कहा " अभी के लिए तुम फ्री हो चाहो धरती विचरण करने जाओ चाहे यमलोक विचरण करो तुम्हारा नरक जाना या स्वर्ग जाने का फैसला पेंडिंग हैं क्योंकि तुम अल्पकाल में मृत होकर आए हो इसलिए..!!
लक्ष्मी नाथ ने कहा" आदरणीय दूत महाशय मैं इस जगह से अनजान हुं तो मेरे साथ विचारण करने चलो ..!!
एक दूत ने दूसरे दूत से कहा " अभी तो हमारी कोई ड्यूटी नहीं है और ना ड्यूटी के लिए कोई घंटी बजी है तो चलो इसे घुमा लेते हैं..!!
दूसरे दूत ने कहा" ठीक है फिर हम चार नंबर पर चलते हैं वहां कोई पेशगी के लिए गुटखा तंबाकू भांग लेकर आया होगा थोड़ा ले लेते तो एनर्जी बनी रहती हमारी ...!!
लक्ष्मी नाथ बड़े आश्चर्य हुआ और बोला " क्या यहां भी ये सब मिलता है वो तीनों चलते हुए बातचीत कर रहे थे..!!
दूत ने कहा" हां पर ये टॉप सीक्रेट है तुम किसी भी दूतों को मत बताना वरना अस्सिटेंट को बोलकर नरक भोगने दो बार भेज दूंगा..!!
लक्ष्मी नाथ मन में बुदबुदाया " बड़ी अजीब बात है क्या यहां भी भ्रष्टाचार है ,चलो देखते हैं क्या क्या होता है यहां भी ...
शेष अगले भाग में...
अगले भाग में पढ़िए यमदूतें क्या क्या गुल खिलाते हैं और आत्माएं कैसे उसे पेशगी देते हैं ..
कमेंट करके जरूर बतायें...
हर हर महादेव 🙏