भाग -3
लेकिन वह निखत और खुदेजा की फ़्रेंडशिप में इतने गहरे उतर गई कि उसका ध्यान भी इस तरफ़ नहीं गया। वह अपने पेरेंट्स भाई-बहनों से भी अपनी इन दोनों फ़्रेंड की प्रशंसा करते नहीं थकती। घरवालों को समझाया कि पहले इन्हें ठीक से समझ नहीं पाई थी। उन दोनों के घर जाने लगी। वह दोनों उसके यहाँ आने लगीं।
एक दिन वह उनके साथ किसी पार्क में बैठी आइसक्रीम खा रही थी कि तभी निखत ने कहा, “कितना सुंदर पार्क है और मौसम भी। जानती हो यह सब अल्लाह का बनाया हुआ है, वह ग्रेट है। यह आसमान, मैं, तुम, सब उसी की देन हैं। हमें हमेशा उनका शुक्रगुज़ार होना चाहिए। हमेशा उनके सामने सज्दा करना चाहिए, उनसे ख़ौफ़ खाना चाहिए।
“अपना सब-कुछ उन पर क़ुर्बान कर देना चाहिए। जो लोग ऐसा नहीं करते, अल्लाह का क़हर उन पर टूट पड़ता है। उन्हें दोज़ख में डाल दिया जाता है। और जो अल्लाह की बात मानता है, वह उस पर मेहरबान हो जाते हैं, दुनिया की सारी ख़ुशियाँ उसके दामन में भर देते हैं। बहुत जल्दी ही यह पूरी दुनिया अल्लाह को मानने वालों की होगी।”
वह ऐसी ही तमाम बातें कहती चली जा रही थी। उसने जब देखा कि वह ध्यान से नहीं सुन रही है तो भीतर ही भीतर कुछ नाराज़ भी हुई, लेकिन भाव चेहरे पर नहीं आने दिया, और बहुत ही पोलाइटली कहा, “अरे तुम तो आइसक्रीम ही खाने में लगी हो। मैं इतनी इंपॉर्टेंट, इतनी मुक़द्दस बातें तुम्हें बता रही हूँ। हमें इस आइसक्रीम के लिए भी अल्लाहता'ला को तहेदिल से शुक्रिया कहना चाहिए।”
निखत की बातें उसे कुछ अखर गईं। उसने कहा, “निखत मैं ईश्वर को सदैव याद रखती हूँ। हमेशा उनकी पूजा करती हूँ। खाना अपने ईश्वर को स्मरण करने के बाद ही खाती हूँ, खाने के बाद उन्हें धन्यवाद कहती हूँ। मेरे परिवार में भी सभी लोग ऐसा ही करते हैं।”
निखत बोली, “लेकिन मैं अल्लाहता'ला की बात कर रही हूँ। देखो तुम इंटेलिजेंट हो, समझने की कोशिश करो, अल्लाह के सिवा कोई और ऐसा नहीं है जिसकी इबादत की जाए। एक वही इबादत के क़ाबिल है, एक वही सच्चा है। तुम लोग जो करोड़ों देवी-देवताओं, पत्थरों, पेड़ों, नदियों, आकाश, पाताल, सितारों की पूजा करती हो, यह सब गुनाह है। अल्लाहता'ला इससे सख़्त ख़फ़ा होते हैं। मैं तुम्हारी बेस्ट फ़्रेंड हूँ, तुम्हें अल्लाह के क़हर से बचाना चाहती हूँ।
“इसलिए तुम्हें ऐसी सारी चीज़ों से तौबा कर लेनी चाहिए, जिससे अल्लाह खफ़ा होते हैं। तुम्हें मूर्तियों की पूजा बंद कर देनी चाहिए, बुर्क़े में रहना चाहिए। कभी भी हिजाब के बिना बाहर नहीं आना चाहिए। बुर्क़ा हम इस्लाम मानने वाली महिलाओं का सबसे बड़ा, सबसे सुंदर गहना है। करोड़ों देवी-देवताओं की पूजा करके तुमने अब-तक जो ढेर सारे गुनाह किए हैं, उसे तुम जैसे ही इस्लाम क़ुबूल करोगी, अँधेरे से रोशनी में आओगी, अल्लाहता'ला तुम्हारे सारे गुनाहों को पलक झपकते ही माफ़ कर देगा, वह बहुत ही रहम-दिल हैं।”
निखत की यह बातें सुनते-सुनते उसके चेहरे के भाव कुछ ज़्यादा ही बदल गए। उसकी आइसक्रीम भी ख़त्म हो गई थी। उसने कहा, “क्या यार तुम तो जिहादी मुल्ला मौलवियों की तरह बात करने लगती हो। रहते-रहते तुम्हें हो क्या जाता है कि जब देखो तब मुझे अपने मज़हब के बारे में बताने लगती हो। आइसक्रीम कितनी अच्छी थी, मौसम कितना बढ़िया है, देखो पार्क में लोग किस तरह एंजॉय कर रहे हैं, और तुम हो कि मज़हब मज़हब कर रही हो। तुम फ़्रेंड हो या अपने मज़हब की प्रचारक हो, ब्रेन-वॉश टूल हो।”
निखत को लगा कि वह नाराज़ हो गई है तो तुरंत ही अपनी भाव-भंगिमा, आवाज़ में और मिश्री घोलती हुई बोली, “अरे मेरी प्यारी फ़्रेंड तुम तो नाराज़ हो गई। ये जितने लोग तुम्हें अल्लाह को भूलकर एन्जॉय करते हुए दिख रहे हैं, ये यह नहीं समझ रहे हैं कि, यह लोग कितना बड़ा गुनाह कर रहे हैं, इन्हें निश्चित ही दोज़ख मिलेगी। तुम क्योंकि मेरी सबसे प्यारी फ़्रेंड हो, इसलिए मैं तुम्हें अल्लाह के क़हर से बचाना चाहती हूँ।”
यह बातें उसे चुभ गईं। उसने कहा, “ओफ़्फ़ो, देखो निखत मेरा सनातन धर्म, मेरा भगवान ही मेरा सब-कुछ है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड उसी का बनाया है। एक समय इस पृथ्वी पर सभी सनातनी ही थे, क्योंकि दुनिया का पहला धर्म सनातन है। और पृथ्वी के सभी लोग इसे ही मानते थे। इसलिए आज जो सनातनी नहीं हैं, वह भी एक्स सनातनी ही हैं। आज भी पृथ्वी पर एकमात्र धर्म सनातन ही है, बाक़ी सभी तो मज़हब हैं। इसलिए इसकी किसी से तुलना ही नहीं हो सकती। जब दुनिया का प्राचीनतम, श्रेष्ठतम, एकमात्र धर्म, सनातन धर्म मेरा है तो मुझे कुछ और सुनने, जानने, समझने की आवश्यकता ही क्या है?”
उसने इतनी दृढ़ता, आत्म-विश्वास के साथ यह बात कही कि, निखत कुछ क्षण उसे अवाक् देखती रही, फिर बोली, “अरे यह क्या बात हुई। धर्म और मज़हब एक ही बात है। तुम कंफ्यूज़्ड हो। अल्लाह के बताए रास्ते पर आकर सही बातों को जान जाओगी।”
“छोड़ो भी निखत, मैं अंधविश्वासी नहीं हूँ। पूरी दुनिया सनातन को आदि और एकमात्र धर्म मानती है। तुम्हें धर्म मज़हब का अंतर नहीं पता इसी लिए तुम कन्फ्यूज़ हो, मैं जानती हूँ, इसलिए बिल्कुल भी कन्फ्यूज़ नहीं हूँ। मेरे पेरेंट्स, मेरे घर में आने वाले, हमारे घर के गुरुजी ने हमें बचपन से ही ऐसी सारी बातें बताई हैं।
“धर्म मज़हब का अंतर भी, कि धर्म और मज़हब विपरीत बातें हैं। धर्म क्रियात्मक बात, सिद्धांत या वस्तु है और मज़हब पूरी तरह से विश्वास की बात है। सनातन धर्म पूरी तरह से वैज्ञानिक है, शोध पर केंद्रित है। वहाँ अंधविश्वास को कोई स्थान नहीं है। एकमात्र यही धर्म है, जिसमें वैदिक गणित भी है, वैदिक साइंस भी है। इसने जो जो बातें कहीं आज विज्ञान भी उसे सही मान रहा है
“शून्य से लेकर विस्तृत चिकित्सा शास्त्र सनातन धर्म का हिस्सा हैं। अब तो पश्चिमी विद्वानों ने भी यह मान लिया है कि शल्य चिकित्सा हो या चिकित्सा की अन्य विधाएँ, चरक और सुश्रुत संहिता में सभी का विस्तृत वर्णन है। प्लास्टिक सर्जरी जैसी जटिल बातें, विधियाँ इन ग्रंथों ने क़रीब तीन हज़ार साल पहले ही तब बता दी थीं, जब दुनियाँ में इस्लाम छोड़ो, ईसाई धर्म भी अस्तित्व में नहीं आया था।
“वैदिक ग्रंथों में ही बताया गया है कि सारे ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं। मंगल ग्रह भी कभी पृथ्वी का हिस्सा था। ज्योतिष शास्त्र के ज़रिये ज्योतिषी भविष्य में सैकड़ों हज़ारों वर्ष बाद सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण कब-कब पड़ेगा या बीते सैकड़ों हज़ारों वर्ष पूर्व कब-कब पड़ा था, गणना कर के या पंचांग देख के मिनटों में बता देते हैं, जब कि चौंसठ-पैंसठ साल पहले बनी अमेरिका की नासा को भी यह बताने में समय लगता है।
“ईसाई अपना कैलेण्डर मात्र दो हज़ार तेईस साल पहले बना पाए, तुम्हारा इस्लामी कैलेण्डर चौदह सौ चौवालीस साल पहले बन पाया जब कि हम सनातनियों का कैलेण्डर ब्रह्मसंवत आज एक अरब सत्तानवे करोड़ चालीस लाख उन्तीस हज़ार एक सौ चौबीस वर्ष की गणना बता रहा है।
“परमाणु बम, रॉकेट साइंस का जिन्हें जनक माना जाता है, वह वैज्ञानिक भी अपनी किताबों में लिख गए हैं कि ज्ञान के लिए वो वेदों, उपनिषदों को पढ़ते थे, ये विज्ञान का भंडार हैं।
“ऐसे सनातन धर्म, संस्कृति, विज्ञान वाले सनातन देश को रेगिस्तान के क़बीलों से आने वाले अपनी अधूरी अधकचरी भाषा, ज्ञान के कारण सिंधु को हिंदू-हिंदू कहने लगे और यह प्रचलन में आ गया। पूरी पृथ्वी पर सनातन ही था इसका बड़ा प्रमाण तो यह है कि आज भी दुनिया में जहाँ भी खुदाई होती है तो सनातन देवी-देवताओं की मूर्तियाँ निकलती हैं। सऊदी अरब, मिस्र, ईराक़, ईरान, तुर्की, चीन, रूस आदि तमाम देशों में यह सब निकल चुका है।
“दुनिया में यही एकमात्र धर्म है जिसमें स्त्री-पुरुष तो क्या प्राणी मात्र से कोई भेद-भाव नहीं किया गया है। आदि काल में ही ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का सिद्धांत प्रतिपादित किया, उसी पर चला। तुम्हारे इस्लाम को अरब से बाहर मस्जिद के लिए कहीं किसी ने जगह नहीं दी तो इस सनातन देश ने ही पहली मस्जिद बनाने की जगह दी, बनवाई भी, जो आज भी केरल के कोडंगलूर में चेरामन जुमा मस्जिद के नाम से है।
“इस्लाम को तो इसके लिए इस सनातन देश, सनातनियों का सदैव ऋणी होना चाहिए, धन्यवाद करना चाहिए। लेकिन दुःखद यह है कि इस्लाम के माननेवालों ने खड़े होने, बैठने की जगह मिलने, व्यवस्थित होने के बाद सनातनियों, सनातन देश पर ही हमले शुरू कर दिए, देश के टुकड़े कर दिए, हमले आज भी जारी हैं। मुझे तुम जो समझाने का प्रयास कर रही हो, यह राष्ट्रांतरण की रणनीति का ही एक हिस्सा है।
“तुम स्त्रियों की बात कर रही हो तो यह भी बता दूँ कि हमारे यहाँ स्त्री को देवी माना गया है। उनकी पूजा तक होती है, जबकि तुम्हारे यहाँ तो स्त्रियों को दोयम दर्जे का और मर्दों की खेती कहा गया है। मर्दों को सारी आज़ादी है और स्त्रियों को बुर्क़े और पर्दे के पीछे अँधेरे में रखते हैं। पृथ्वी को चपटी बताते हैं।
“सारे मज़हब एक यही बात कहते हैं कि, जो उनकी बातों को मानता है वही सही है, बाक़ी सब ग़लत लेकिन सनातन धर्म कहता है सभी को अपने हिसाब से विचार रखने मानने का अधिकार है . . .”