व्रत - 6 Sonali Rawat द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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व्रत - 6


शाम को दफ्तर से छुट्टी कर के वह एक्टिवा पर आ रहा था कि पीछे से एक ट्रक वाले ने उसे टक्कर मारी. उस की एक्टिवा ट्रक के भारी पहियों के नीचे आ कर चकनाचूर हो गई और वह उछल कर पटरी पर जा गिरा. पत्थर से सिर टकराया और खून के फौआरे छूट पड़े. वह गिरते ही बेहोश हो गया. लोगों की भीड़ लग गई. ट्रकचालक को पकड़ लिया गया. पुलिस आई और चालक को पकड़ कर थाने ले गई. अनिल को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया. किसी ने उस की जेब में से मोबाइल ढूंढ़ निकाला और पत्नी को फोन कर दिया. वर्षा ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखा था. उस से यह दुखद समाचार सहन न हो सका. एक तो वह दिनभर की भूखीप्यासी थी, ऊपर से यह वज्रपात. दुर्घटना का समाचार सुनते ही वह बेहोश हो कर गिर पड़ी. उस की पड़ोसिनों को जब पता चला तो सभी दौड़ी आईं. बड़ी मुश्किल से उसे होश में लाया गया. जब उस की हालत कुछ सुधरी तो एक पड़ोसिन के साथ वह अस्पताल पहुंची. अनिल की हालत नाजुक थी. वह अभी तक अचेत पड़ा था. वर्षा दहाड़े मारमार कर रोने लगी. डाक्टरों ने अनिल को होश में लाने की कोशिश की. 3 घंटे बाद उस ने आंखें खोलीं. दर्द के मारे वह चिल्लाने लगा. पीठ और टांगों पर प्लास्टर बांध दिया गया और सिर में 3 टांके लगे.

वर्षा को जब यह पता चला कि अब उस का पति खतरे से बाहर है तो उस ने अनदेखी शक्ति का इस बात के लिए धन्यवाद किया कि उस ने उस के पति की जान बख्श दी. फिर करवाचौथ के व्रत की महानता का गुणगान करने लगी जिस के कारण उस के पति की आयु सचमुच लंबी हो गई थी. यह भगवान कैसा है जो पहले उस के पति को ट्रक से टक्कर लगवा कर अस्पताल भिजवाता है और अब धन्यवाद का पात्र बनता है. धन्यवाद तो डाक्टर व अस्पताल को देना चाहिए जिन्होंने उस के पति की जान बचा ली. वह घर पहुंची. चांद कभी का निकल चुका था. उस ने चांद को अर्ध्य दिया और मुंह में केवल सेब का एक टुकड़ा ही डाला और व्रत खोल लिया. रातभर उसे किसी करवट चैन न मिला. वह रातभर रोती रही और अपने पति की सेहत के लिए चिंतित रही. वह रात उस की सब से दुखद रात थी.

मुसीबत की रात समाप्त होने को नहीं आती. उस ने बड़ी मुश्किल से वह रात काटी और सुबह ही सुबह पति को देखने के लिए अस्पताल दौड़ पड़ी. अपने साथ वह चाय और ब्रैड भी ले गई. पति की बीमारी में उसे पूजापाठ करने का होश भी न रहा. जब अनिल ने उस से पूछा कि आज वह पूजा पर क्यों नहीं बैठी और चाय बना कर कैसे ले आई है तो उस ने कहा, ‘‘पूजापाठ तो बाद में भी हो जाएगा, पहले मुझे तुम्हारी सेहत की चिंता है.’’ अब अनिल ठीक होता जा रहा था. वह अभी हिलनेडुलने के योग्य तो नहीं हुआ था किंतु उसे 5 दिन के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई और वर्षा अपने पति को घर ले आई. अनिल ने अपने मातापिता को इस दुर्घटना के बारे में कोई खबर न होने दी थी. उस का खयाल था कि इस से वे बेकार परेशान होंगे.


दूसरे दिन मंगलवार था. अनिल ने कहा, ‘‘वर्षा, तुम तो हनुमानजी का व्रत रखोगी ही, आज मैं भी व्रत रखूंगा. क्या पता बजरंगबली मुझे जल्दी अच्छा कर दें.’’

‘‘नहींनहीं, तुम कमजोर हो, तुम से व्रत नहीं रखा जाएगा.’’ ‘‘इतनी कमजोर होने पर तुम सारे व्रत रख लेती हो तो क्या मैं एक व्रत भी नहीं रख सकता? मैं आज अवश्य व्रत रखूंगा.’’

‘‘मेरी बात और है, तुम्हारे शरीर से इतना खून निकल चुका है कि उस की पूर्ति करने के लिए तुम्हें डट कर पौष्टिक भोजन करना चाहिए, न कि व्रत रखना चाहिए,’’ वर्षा ने तर्क दिया.

‘‘तुम मुझे धार्मिक कार्य करने से क्यों रोकती हो? क्या तुम नास्तिक हो? फिर बजरंगबली मुझे कमजोर क्यों होने देंगे? मैं खाना न खाऊं, तब भी वे अपने चमत्कार से मुझे हट्टाकट्टा बना देंगे,’’ अनिल ने मुसकरा कर कहा.