लाल इश्क - भाग 1 Mini द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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लाल इश्क - भाग 1

" दोपहर का समय था उज्जैन के सड़कों पर पुलिस गाड़ियों कि सायरन बजाती हुई शिप्रा नदी कि ओर बढ़ी ....
 
 
उज्जैन के पूरी सरकारी महकमों में हलचल हुई और राहत कार्य के लिए उज्जैन कलेक्ट्रेट परिसर पर फोन कि घंटियां घनघना उठी....
 
पीए साहब दौड़ते हुए उज्जैन आईपीएस अधिकारी मिस सुगंध चौधरी के केबिन में दरवाजा नॉक करके अंदर आया मैडम फोन पर अपने अधिकारियों से बात कर रही थी जब उसने फोन डिस्कनेक्ट किया तो पीए साहब ने कहा "मैडम गाड़ी तैयार है ..
 
आईपीएस सुगंध चौधरी अपने चेयर से उठी और फोन पकड़ कर लंबी डग भरते हुए बोली " शुक्ला जी यहां के सारे हॉस्पिटल को सूचित कर दो घायलों के ट्रीटमेंट जल्द से जल्द शुरू करें और मुफ्त इलाज कि आदेश दीजिए ..
 
पीए शुक्ला साहब कलेक्टर मैडम के पीछे-पीछे चलते हुए हां में जवाब देते जा रहे थे…..
 
कमिश्नर सर ने एक्शन में उन गुडों के लिए फोर्स भेजे हैं वो कौन लोग हैं...????
 
जी मैडम मेरी बात हुई है जल्दी रिपोर्ट आ जाएगी ...
 
शुक्ला जी कितने लोग हताहत हुए हैं कोई जानकारी मिली क्या ..???
 
नहीं मैडम जी अभी घायलों को अस्पताल रिफर कर रहें हैं ...
 
शुक्ला जी सरकारी एम्बुलेंस और निजी हॉस्पिटलों के भी एम्बुलेंस लगा दो कमी नहीं होनी चाहिए हताहत हुए लोगों के बचाव कार्य में...
 
जी मैडम ...
 
आईपीएस सुगंध चौधरी अपनी सरकारी गाड़ी के पास आई तो गाड़ी का ड्राइवर मैडम के लिए दरवाजा खोला वो पीछे बैठी ..
 
ड्राइवर जल्दी से ड्राइविंग सीट पर आया और बैठा पीए शुक्ला साहब भी सामने पैसेंजर सीट पर बैठा ...
 
मैडम ने हुकुम दिया " रहीम शिप्रा नदी के तरफ ले जाओ गाड़ी...
 
ड्राइवर ने सिर हिला कर गाड़ी स्टार्ट किया और चल पड़ी गाड़ी...
 
पीए शुक्ला साहब ने चिंता होकर बोला " मैडम अभी वहां पुलिस गई है वहां स्थिति बिगड़ी होगी विचलित कर देने वाली...
 
 
मैडम के भौंहें तन गये गुस्से में फिर बोली " विचलित कर देने वाली होगी तो नौकरी छोड़ कर सब घर में जाकर बैठ जाओ डर के मारे , आपको पेमेंट क्यों मिलती है शुक्ला जी ,जनता के खिदमत के लिए ना ...!!
 
सॉरी मैडम ....!!
 
 
ठीक है दोबारा मेरे सामने फिजुल कि बात मत बोलिएगा ..!!
 
ओके मैडम....!!
 
गाड़ियां दनदनाती हुई नदी के कुछ दूर पर रुकी और मैडम के संत्री और पुलिस कांस्टेबल से लेकर ड्राइवर मैडम को घेरे हुए मैडम के साथ सड़क पर चलने लगे पीए शुक्ला साहब मैडम के आगे आगे बताते हुए चल रहा था रास्ता बनाते हुए
 
रास्ता छोड़िए आप लोग मैडम के लिए , वो तेज आवाज में बोल रहा था , कलेक्टर को देखकर पुलिस आ गई और रास्ता बनाते हुए उस फायरिंग वाली जगह पर आए फिर हताहत लोगों के पास आकर मैडम पूछने लगी " ये कैसे हुआ तुम लोगों ने क्या देखा ....
 
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताने लगे पूरा वाकया........
 
कुछ देर पहले शिप्रा नदी के आसपास मेला भरा हुआ था दो गुटों में झड़प हुई और गुंडे एक दूसरे पर फायरिंग करने लगी जिससे भगदड़ मच गई और अफरातफरी होने लगी मासूम लोग जान बचाने के लिए भागने लगे मेला में बहुत दूर दूर से लोग आए है इसलिए बहुत भीड़ भाड़ थी बहुत लोग गिरकर कुचले गए हैं , जिसमे कुछ कि जान चली गई और बहुत लोग घायल हुए ...
 
 
आईपीएस सुगंध चौधरी थोड़ी देर तक घायलों से जानकारी लिया और आसपास जाकर देखी फिर पुलिस को हिदायत दिया " जो भी जिम्मेदार है उसके ऊपर सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए , मुझे रिपोर्ट कल सुबह मेरे केबिन में चाहिए वो कौन लोग हैं , ये माफी के काबिल नहीं है , रिमांड में भेजने कि प्रक्रिया तेज कर दो ...
 
तभी कमिश्नर सर भी मुआयना करने आए और बोले " आप चिंता ना करें जो भी विक्टिम है सज़ा मिलेगी बहुत लोग हैं यहां कोई तो होगा प्रत्यक्षदर्शी जो उन लोगों को पहचानता होगा...
 
आईपीएस सुगंध चौधरी ने कमिश्नर सर से बोली" ओके सर मुझे इत्तिला कीजिएगा ,वो बोलकर वहां से जाने लगी ....
 
उज्जैन के एक पुरानी बस्ती में एक मकान है जहां कुछ नौजवान लड़के इक्कठा है वो लगभग दर्जनों में है कुछ बैठे हैं तो कुछ लोग इधर उधर टहल रहे हैं उनकी चेहरे पर चिंता झलक रही थी वो आपस में बातें भी कर रहे थे बीच-बीच में " भैयाजी बच्चा यादव के आदमियों ने शुरू किया था अब छोटे हुकुम को कौन समझाएगा कि गलती उनकी थी इस झड़प में ...
 
एक मुस्टंडा दबंग आदमी ने भड़कते हुए भौंहें तन कर खड़ा हुआ और बोला " चुप बे...साले तुम लोगों को गोलियां बरसाने कि जरूरत ही क्या थी देख लेते सालों के चेहरे और मौका देखकर उठा लेते उन लोगों को फिर बताते उज्जैन में किसकी तुती बोली जाती है वो बिहारी उज्जैन में राज करना चाहते हैं इसलिए अपने आदमियों को सर में चढ़ा कर रखा है ...
 
एक नौजवान ने कहा " हम लोग ओजस छोटे हुकुम के इज्जत पर आंच आने नहीं देंगे , पुलिस पकड़ लिया तो नाम भी नहीं लेंगे कि हम उसके कार्यकर्ता हैं ...
 
फिर वो मुख्य आदमी ने गुर्राते हुए कहा" साले ... तेरी हिम्मत कैसे हुई छोटे हुकुम के नाम लेने कि इज्जत से सिर्फ छोटे हुकुम बोल और एक्स्ट्रा दिमाग मत लगाओ इसमें उसका कोई हाथ नहीं है ...
 
 
बस्ती से दस किलोमीटर कि दूरी पर एक बड़े से मार्केटिंग एरिया के पास दो एकड़ जमीन पर बना शानदार बिल्डिंग जो एक कंपनी है और नाम है "राजपुरोहित एंड सन् ग्रुप" नीले नीले ग्लासों में सजा यह बिल्डिंग हजारों लाखों लोगों कि जीविका का मंदिर है जहां से उसे काम के बदले पैसे मिलते हैं परिवार को पालने के लिए ...
 
उस बिल्डिंग के अंदर दौ सौ वर्ग फुट में बने मीटिंग हाल में बड़े स्तर पर मीटिंग हो रही थी , क्या राजनीतिक दल तो क्या बिजनेस मैन यहां सभी अपने फायदे के लिए मीटिंग में हाजिर था , राजपुरोहित एंड सन् ग्रुप में इस मीटिंग का लीडर ओजस राजपुरोहित था सभी लग्ज़री सोफे पर आराम से बैठे बातों का सिलसिला जारी था कि ओजस के कान में आकर उसका पर्सनल मैनेजर फुसफुसाया फिर वो ओजस से अनुमति मांगकर सिल्वर स्क्रीन पर्दे के साइज़ का टीवी स्क्रीन चालू किया जहां शिप्रा नदी के मेले में हुई भगदड़ का समाचार लोकल न्यूज चैनल पर चल रही थी वहां बैठे सभी कि निगाहें स्क्रीन पर जाकर रुक गई और चेहरों में चित्कार नजर आने लगी...
 
फिर वहां बैठे सभी महानुभावों ने देख सुनकर आपस में बातचीत करने लगे " जरूर बच्चा यादव का हाथ हो सकता है इन गुटों में झगड़ा कराने कि अभी दो महीने बाद महापौर के लिए चुनाव है और वो हमारे राजनीतिक दलों पर निशाना साधा है ..एक राजनेता ने अपना ओपिनियन रखा ...
 
 
फिर उनमें से एक और उम्रदराज आदमी ने कहा " सही बोल रहे हैं " तिवारी जी , खार खाए बैठे हैं सत्ता के लिए ...कुछ बोलेंगे छोटे राजपुरोहित जी आपकी क्या राय है ..??
 
ओजस ने कहा सर्द आवाज में " वो जो भी है बक्सा नहीं जाएगा , गलती कि सज़ा केवल मौत ,खून के बदले खून ये रूल्स है हमारा ,हर हर महादेव ....वो बोलते खड़े होकर अपने कोट ठीक किया और वहां से जाने लगा ....
 
ओजस के पर्सनल मैनेजर ओजस के पीछे पीछे चलते हुए सारी घटना का विस्तार देने लगा " सर ..उन गुटों में हमारे नीचे स्तर के लड़के थे खोजबीन हुआ तो नाम आपके आ सकते हैं ये फूल प्लान बच्चा यादव ने बनाया है ...
 
ओजस लंबी डग भरते हुए कंपनी के बाहर आया और अपनी गाड़ी में बैठते हुए कहा "हॉस्पिटल चलो हताहत हुए लोगों से मिलने ...
 
ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट किया और जाने लगी उसके साथ ही तीन गाड़ियां पीछे पीछे निकली ....
 
 
सीटी हॉस्पिटल उज्जैन....
 
 
आईपीएस सुगंध चौधरी मरीजों से मिलकर उनके बारे में जानकारी ले रही थी कुछ देर में हॉस्पिटल और मरीजों के जायजा लेने के बाद वो हॉस्पिटल से बाहर लॉबी में आ रही थी तभी उसकी नजरें एक रौबदार आवाज सुनी वो खड़े हो गई और सामने से आते हुए शख्स को घूरते हुए देखने लगी आंखों में ढेर सारे प्रश्न उमड़ पड़े और मन में बुदबुदायी " पांच सालों में कितना बदल गये हो ये तुम्हारे हुलिया से पता चल रहा है चेहरे पर जो मासुमियत रहती थी उसे लंबे बियर्ड से छुपा लिये हो छोटे-छोटे बालों को तरतीब से रखा करते थे अब बाल लंबे हो गये है क्यों बदल गये पंडित जी ना फोन ना कोई मैसेज हम स्कूल के समय का दोस्त थे बाकी रिश्ते का ना सही , दोस्ती को तो याद कर लेते ......
 
 
जी वो शख्स है "ओजस राजपुरोहित" .. ओजस भी अपने सामने सुगंध को देखकर देखते रहा उसकी चाल धीमी हो गई थी सुगंध के आंखों में अपने लिए जगह ढूंढने लगा .....
 
 
हर हर महादेव 🙏