गुनगुनाते पंछी DINESH KUMAR KEER द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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गुनगुनाते पंछी

1. शरारती बच्चा

चिंटू बहुत शरारती बच्चा था । वह अक्सर शरारत करता था और लोगों को परेशान करके खूब हँसता था । एक दिन चिंटू को शरारत सूझी । उसके पास कुछ रुपये थे । चिंटू को भूख लगी थी । उन रुपयों से चिंटू ने एक किलोग्राम केले खरीदे । केले खाकर चिंटू सड़क किनारे एक बरगद के पेड़ के पीछे छुप गया और एक - एक करके केले सड़क पर छुप - छुप कर फेंकने लगा ।
दोपहर का समय था । एक बुजुर्ग व्यक्ति दवाई लेकर अपने घर की ओर जा रहा था । सहसा वह सड़क पर पड़े छिलके से फिसल कर गिर गया । चिंटू हँसने लगा ।
बुजुर्ग व्यक्ति जैसे - तैसे उठ कर अपने घर की ओर चल दिया । कुछ देर बाद एक साइकिल वाला फिसल कर गिर गया । इस तरह से लगातार हादसे होते रहे ।
कुछ देर बाद चिंटू की माँ बाजार से कुछ सामान लेने के लिए घर से बाहर निकली और उसी सड़क के पास जा पहुँची । तेज चाल होने के वजह से वह केले के छिलके को देख नहीं पायी और फिसल कर गिर गयी । गिरते ही चीख निकल पड़ी - "हे भगवान ! मुझे बचाओ ।" इतना कह कर चिंटू की माँ बेसुध हो गयी ।
चिंटू हँसने वाला था, पर उसे अपनी माँ की आवाज सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ । वह तुरन्त माँ की तरफ भागा । माँ की हालत देखकर चिंटू जोर - जोर से रोने लगा और बोला - "माँ ! आँखें खोलिये । आपको कुछ नहीं होगा ।
मैं आप को बहुत प्यार करता हूँ । मैं आपको डॉक्टर के पास ले चलता हूँ ।"
कुछ ही देर में चिंटू आस - पास के लोगों की सहायता लेकर माँ को डॉक्टर के पास ले गया । माँ को होश आते ही चिंटू ने सारा सच माँ को बता दिया और रो - रोकर माँ से माफ़ी माँगी । अब शरारत न करने का वादा किया ।
चिंटू की माँ ने चिंटू को समझाया - "बेटा ! जैसे तू मुझे मानता है, वैसे हर कोई अपनों को मानता है । जब कोई तेरी शरारत से तकलीफ में पड़ता होगा, उसका परिवार कितना दुःख सहता होगा । अब तू कोई ऐसा काम न करना, जिससे किसी को तकलीफ हो । तू ऐसा काम करना जिससे सबको खुशी मिले ।"
"ठीक है माँ ! आज से मैं अच्छा बच्चा बनकर दिखाऊँगा, जिससे आपको मुझ पर गर्व महसूस होगा ।" यह सुनकर चिंटू की माँ बहुत प्रसन्न हुई।

संस्कार सन्देश :- हमें किसी को गम देने के बजाय खुशी देने की कोशिश करनी चाहिए ।

2.
नही आते यूं बातो में ज़रा से सिरफिरे हैं हम,
ना चिकना घडा समझो ज़रा सा खुरदरे हैं हम,
ज़माना यू तो कहता है कि मिश्री से हो तुम मीठे
अगर तुम नीम हो जाओ, ज़रा से फिर खरे हैं हम।

3.
जो बीत गयी वो बात न कर
नव वर्ष की नयी चेतना उमंग मन मे भर।

मुश्किल सही सब भूलना क्या रह गया क्या खो दिया
मन को तेरे जो भिगो दे अब वह हिसाब ना कर,
बीत जाता है समय भी अच्छा हो या बुरा
सोच कर बीते पलों को यूं समय जाया ना कर।
जो बीत गयी अब वह बात न कर।

यूं ना रख निस्तेज मन को रचने दे नयी कल्पना
फिर सजे आंगन तेरा रच ले तू ऐसी अल्पना,
जो चले अविरल समय संग वह समय को जीत ले
जो भरे ऊर्जा मन में ऐसी सोच का संचार कर।
जो बीत गई वह बात न कर।

थे जो क्षण अनुपम बीते वक़्त की सौगात में
चुन ले वो मोती जो खुशियों भरे जज्बात थे,
है तेरा संसार सुखमय ईश का आभार कर
सीख कर बीते समय से नयी भोर का आगाज कर।
जो बीत गई अब वह बात न कर
नये दिन की नई चेतना उमंग मन में भर।

4.
पसंदीदा मुक्तकों में से एक...

कोई खुश है यहाँ कितना पता चलता नहीं ऐसे।
बहुत गमगीन है कोई मगर दिखता नहीं वैसे।
नहीं कोई यहाँ मीटर लगाकर हाथ पर देखूं,
सजे रंगमंच पर किरदार में ढलता नहीं कैसे।।