राधे राधे सभी को
आज मैं ये कहानी एक छोटी सी नन्ही सी प्यारी लड़की के बारे में लिख रही हूं।
जो अपना सब कुछ सिर्फ भगवान और समय पर छोड़ कर जीवन बिताती है।
ऐसा नहीं है कि बह खुद से कुछ नही करती, ऐसा इस लिए है क्यू की बचपन से अब तक सिर्फ उसको बताया गया है कि सब कुछ भगवान की मर्जी से होता है। जब सब कुछ भगवान की मर्जी से होता है तो खुद करने की किया जरूरत है। बह मासूम बच्ची के मन में भगवान बिठा दिया है ।
तो देर ना करते है मैं ये कहानी पहले भी कुछ भाग में लिख चुकी हूं पर समय न होने के कारण मुझे आईडी बंद करना पड़ा पिछली बार मुझे बहुत प्यार और स्नेह मिला उम्मीद है मेरी कहानी को आप लोग फिर से एक बार पढ़ कर पसंद करेंगे ।ये केवल कहानी नही है कुछ भागों के अनुसार पूरी दुनिया के लोगो के बीच घर परिवार के होते हुए भी कुछ लोग कितने अकेले और असहाय होते है ये भी बताया जाएगा ।
कहानी की मुख्य पात्र एक छोटी बच्ची है जो एक एडॉब्टेट बच्ची है जिसका नाम इंडियन है। घर के लोग उसे प्यार से (इनु) बोलते है । एडॉब्टेट होने के कारण बह घर की लाडली भी है। सभी लोग उसको बहुत प्यार से रखते है तो फिर ऐसा किया हुआ उसकी जिंदगी में जो वो अपने इतने अच्छे परिवार को अपना नही पा रही आखिर किस चीज की कमी हो गई उसको तो बस यही कहानी है
इंडियन एक भरे पूरे परिवार में रहती है जहां चाचा चाची, ताऊजी ताइजी, मां पापा, भाई बहन सब है। फिर भी बह खुद को अकेले समझती है। समय कभी किसी के लिए नही रुकता बस बही समय इसको भी हादसों के तरफ ले गया। कुछ ऐसे हादसे जिनके अनुभव के लिए बह बहुत छोटी थी भगवान ने समय का सहारा ले कर उसको इस तरह हिला दिया की बह खुद को संभाल नहीं पाई ।
इनु मिस्टर गौरव की बेटी है हालाकि उनके एक बेटा होने के बाबजूद भी उन्होंने एक बेटी को गोद ले लिया। मिस्टर गौरव उसको अपनी जान से भी ज्याद प्यार करते थे । इसके लिए किसी चीज की कमी नहीं होने देते थे इनु अभी सोलह साल को हो गई थी। अपने घर से बहुत दूर बह मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी,
हॉलिडे की छुट्टियों के लिए बह बहुत खुश थी घर से पापा उसको लेने जो आने वाले थे। बह सबसे पहले सुबह उठी और अपना सारा सामान पैक किया पापा का इंतजार करते बह पानी बालकनी में पापा को देखने के लिए तरसती निगाहों से देख रही थी की उसको पापा कहीं से दिख जाए बस और बह जल्दी ही अपने घर जाए ।
तभी एक गाड़ी की आवाज ने उसे झट से चौका दिया ।
अरे हां बह उसके पापा थे।
बह मिस्टर गौरव को देख कर खुशी से सीढ़ियों से भागी और समय और भगवान की मर्जी जो नही होना था बही हुआ।
उसका पैर सीढ़ियों से फिसला और बह बालकनी के डोर से टकरा कर नीचे आ गिरी मिस्टर गौरव यह देख दंग रह गए।
आगे कहानी मां कब आयेगी के भाग (2) में
Dr. Dixit
( Mathura up)