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राधा? - 1

उस रात को उसके साथ लंबी सैर बोले तो लॉन्ग ड्राइव पे जाना क्या बेहतरीन आभास को याद दिलाता है। उस रात को जब जब सोचता हूं क्या तड़प जाग जाती है सीने में क्या ही बताऊं। फिर भी बताता हूं। चांदनी रात थी समय 8 पार हुआ था, मैं रात्री भोजन की तैयारी में था कि अचानक उसका कॉल आया वोय हीरो, कहां व्यस्त हो? मैने बताया और कहां आपकी ख्वाबों में खोया हूं। फिर क्या था बोली आइए ख्वाबों की दुनिया से निकलकर चलते है एक लंबी सैर पे थोड़ा थकान दूर करने। दिन भर काम करके वह भी ऊब जाती थी ऊपर से आज उसका पति घर पे नहीं था। फिर क्या था जा पहुंचा मैडम के पास दीदार करते ही मेरी भी बेकरारी कम हुई। नीली सारी पहनी कमसिन फिगर में आ बैठी मेरी बाईक पे। फिर शुरू हुए उसकी कमर में गुदगुदी करने वाली शैतानी। छेड़ने में तो उसकी बराबरी कोई कर ही नहीं सकती। 8 किलोमीटर के सफर में उसकी बदमाशी का एक एक तरीका में उसका मेरे गर्दन को चूमना तो कभी कभी जोर से पकड़ के हग करना क्या ही बताऊं पूरा जिस्म ही हिल जा रहा था। सफ़र यूहीं चलता रहा प्यार की बातें होती रही फिर माता वन देवी की मंदिर के पास जा रुका। माता को प्रणाम किया दोनों ने फिर अब वापस भी आना था 9 बज गए थे और बिजली भी चमक रही थी। लेकिन मैडम कहां समझने वाली अभी तो बहुत कुछ बाकी थी बड़ा टारगेट में आई थी कई दिनों का हिसाब करने में लगी थी। जोर से हग की और बोली अभी कहां जाने देंगे हीरो इस सुनसान रात में अभी बहुत हिसाब बाकी है फिर उसने धीरे धीरे अपने दांतों से अपनी नीचे वाली रसीली होठों को काटने लगी मना किया तो मेरा ही होठ काटने लगी समझ गया कि आज बच्चे को छोड़ेगी नहीं। फिर क्या था मैने भी उसके होठों को चुसने लगा सच्ची बड़ा मीठा लगता था मन करता था चूसते रहूं। शरीर में गजब का ऐठन आ रही थी और जब जब उसकी सांसे तेज हो रही थी मेरे हाथ तो बदमाशी करना शुरू कर दिया था, उसके जिस्म का कौन कौन सा हिस्सा छुए जा रहा था बताने की जरूरत ही नहीं है आप समझ चुके होंगे। फिर किसी प्रकार अपने आप को नियंत्रण में लाया और मैडम को घर वापस चलने के लिए मनाया क्योंकि बारिश आने के आसार थे ऊपर से दोनों की जिस्म की गर्मी ये बयां कर थी इतने से काम चलने वाला नहीं है फिर भी किसी प्रकार उसे बाईक पे बैठाया और चल पड़ा। बारिश भी रिमझिमाने लगी और कुछ दूर आते ही बारिश तेज हो गई, मानो हमें ठंडक देने आई है। लेकिन मैडम कहां ठंडा होने वाली अब तो अब कही भी दांत काटना शुरू कर दी यहां तक मैं नियंत्रण में था लेकिन जब उसकी नाजुक सी मुलायम मुलायम हाथों ने कपड़ों के अंदर हरकतें शुरू कर दी तो समझ गया कि बाबू भाई आज तो तेरा हो गया। बस कुछ दूर में ही मुख्य मार्ग से कट लिए और गांव कि ओर जाने वाली रास्ते में घने बरगद के पेड़ के नीचे जा रुका। रात तो बहुत हो ही चुकी थी किसी के आने का आसार तो था नहीं फिर क्या वही हुआ जो होना था नहीं समझे तो अगले वृतांत में बताता हूं।


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