"प्रिय गौरी,
यह उपहार उन शब्दों से भरा है जो अक्सर मेरे होंठों पर आ कर रुक जाते हैं। मैंने इस किताब में अपने दिल की गहराईयों को उतारा है, एक ऐसा सफर जिसमें हर मोड़ पर तुम हो। इसे पढ़ो, और शायद तुम समझ पाओ कि मेरी खामोशियाँ क्या कहना चाहती हैं।
इसे सिर्फ एक किताब के रूप में न देखना, बल्कि इसे मेरे दिल की धड़कन के रूप में देखना जो तुम्हारे लिए हर पल महसूस करती है। मैं उम्मीद करता हूं कि जब तुम ये पढ़ोगी, तो तुम्हें मेरे प्रेम की गहराई का अहसास होगा।"
" यह सिर्फ तुम्हारे लिए"
प्रस्तावना
प्रिय पाठक,
जब हम प्रेम की गहराइयों में डुबकी लगाते हैं, तो हम अक्सर खुद को उसकी अथाह धाराओं में बहते हुए पाते हैं—कभी उथल-पुथल भरी, तो कभी शांत और सुकून भरी। यह किताब, "छुपा लब्ज़ों का सफर", एक ऐसी ही यात्रा का आख्यान है, जो आपको ले जाएगी दो दिलों के बीच की उस पुल की सैर पर, जहां प्रेम तो है, पर उसका इज़हार अधूरा है।
शिवाय और गौरी, दो ऐसे पात्र हैं जिनकी कहानी में प्रेम और वेदना का अद्भुत संगम है। शिवाय, जो अपने प्रेम को गौरी के समक्ष रखता है, वह प्यार जो उसके दिल की गहराइयों से उपजा है। यह किताब उन भावनाओं का संग्रह है जो शायद कभी पूरी तरह से व्यक्त नहीं हो पाईं, लेकिन जिनका असर शिवाय और गौरी दोनों के जीवन पर पड़ा।
इस किताब के माध्यम से, मैं आपको निमंत्रण देता हूं कि आप उस यात्रा में हमारे साथ शामिल हों, जहां प्रेम के कई रंग हैं—कभी खुशी के, कभी गम के। जहां हर पल कुछ नया सिखाता है, हर लम्हा कुछ नया बताता है।
आइए, देखते हैं कि क्या शिवाय का अधूरा प्रेम अपनी मंजिल पा सकता है या फिर इस यात्रा में उसे कुछ नया सीखने को मिलता है। यह किताब न केवल एक प्रेम कहानी है, बल्कि यह उस यात्रा का चित्रण है जो हमें बताता है कि प्यार हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन यह हमेशा खूबसूरत होता है।
आपके साथ इस यात्रा में आपका साथी,
हर्षित मिश्रा
सारांश
"छुपा लब्ज़ों का सफर" एक मार्मिक प्रेम कहानी है जो दो युवा दिलों, शिवाय और गौरी के बीच उभरते प्यार को उजागर करती है। शिवाय, एक अंतर्मुखी युवक, अपने दिल की गहरी भावनाओं को गौरी के प्रति व्यक्त करने के लिए संघर्ष करता है। उसकी भावनाएं एक किताब के रूप में सामने आती हैं, जिसे वह गौरी को देता है, उम्मीद में कि यह उनके बीच की खाई को पाट सकेगी।
जैसे-जैसे गौरी किताब के पन्ने पलटती है, वह शिवाय की गहराई से अनकही भावनाओं को महसूस करती है, लेकिन उसकी प्रतिक्रिया उनके रिश्ते में एक नया मोड़ लाती है। गौरी द्वारा शिवाय से दूरी बना लेने की प्रतिक्रिया ने न केवल शिवाय को गहराई से आहत किया, बल्कि उसे जीवन की उस विडंबना का भी अहसास दिलाया जहां प्यार हमेशा परिपूर्ण नहीं होता।
इस कहानी के माध्यम से लेखक हमें यह समझाने का प्रयास करते हैं कि प्रेम कभी-कभी उन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता जो हम इससे रखते हैं, लेकिन यह हमें जीवन के अधिक गहन सत्यों से परिचित कराता है। "छुपा लब्ज़ों का सफर" न केवल एक प्रेम कहानी का चित्रण करता है, बल्कि यह हमें अनचाहे परिणामों के साथ समझौता करने और जीवन की विसंगतियों को स्वीकार करने की कला भी सिखाता है।
अगस्त 2023
डॉक्टर अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी(एकेटीयू) के छात्र, शिवाय मिश्रा, अपने नए सफ़र में, नए सपनों की तलाश में आगे बढ़ रहा था। उसने सोचा भी नहीं था कि उसकी ज़िन्दगी में एक ऐसा पल आएगा जो उसे हमेशा याद रहेगा।
सुबह की पहली किरणें कमरे में झाँक रही थीं जब शिवाय की नींद खुली। वह रोज की तरह अपने फोन को उठाता है और अधखुली आँखों से नोटिफिकेशन बार को स्क्रॉल करता है। उसकी नजरें 'Snapchat' पर ठहर जाती हैं, जहाँ एक अनदेखा स्नैप पड़ा है, 'गौरी' नाम की आईडी से। उत्सुकता में वह तुरंत उसे खोलता है।
स्क्रीन पर जो चित्र सामने आता है, वह शिवाय को एक पल के लिए सांसें रोक देता है। वह एक खूबसूरत लड़की की तस्वीर थी, जिसकी मासूमियत भरी मुस्कान और चमकती आँखें शिवाय को बेहद भाई। वह तस्वीर में गौरी की आँखों की गहराई में डूबने लगता है, जैसे वो उसे कुछ कहना चाहती हों।
वह खुद को इस बात पर हैरान पाता है कि कैसे एक सिंपल स्नैप ने उसे इतना प्रभावित किया। गौरी की वह छवि उसके मन में बस गई थी, और शिवाय ने महसूस किया कि वह उसे जानने के लिए उत्सुक है। उसने फौरन गौरी को एक जवाबी स्नैप भेजा, उम्मीद करते हुए कि यह बातचीत का आरंभ करेगा।
इस तरह शुरू हुआ उनका संवाद, जहां धीरे-धीरे मैसेज के जरिए दोनों के बीच एक गहरा रिश्ता बनने लगा।
उस शाम की हवा में शादी की खुशबू घुली हुई थी। शिवाय, जो अपने दोस्त की बहन की शादी में गोमतीनगर जा रहा था, उसने रास्ते में एक सुंदर फूलों का गुलदस्ता खरीदा। वह गुलदस्ता उसने विशेष रूप से शादी की शुभकामनाएँ देने के लिए चुना था। गाड़ी में बैठे हुए, उसने सोचा कि यह पल गौरी के साथ साझा करना अच्छा रहेगा। उसने गुलदस्ते की एक खूबसूरत तस्वीर ली और उसे स्नैपचैट पर गौरी को भेज दिया।
तारीख थी 29 अक्टूबर 2023। शिवाय के मन में एक हल्की सी उम्मीद जगी कि शायद गौरी इस गुलदस्ते को देखकर मुस्कुराए। उसने फोन को वापस जेब में रखा और शादी की रस्मों में शामिल हो गया।
कुछ ही देर बाद, उसकी जेब में फोन वाइब्रेट हुआ। एक नया नोटिफिकेशन था—'Your snap is saved in chat.' शिवाय ने फोन निकाला और देखा कि गौरी ने उसके स्नैप को सेव किया था। उसे यह जानकर खुशी हुई कि गौरी ने उसके भेजे हुए स्नैप को महत्व दिया। शायद यह उसके लिए एक संकेत था कि गौरी अब उसे और अधिक ध्यान से देख रही थी।
इस घटना ने शिवाय को एक नई उम्मीद से भर दिया। वह महसूस करने लगा कि शायद गौरी के साथ उसकी दोस्ती अब एक नए स्तर पर जा रही थी। उस रात वह सोचता रहा कि आगे उनकी बातचीत में क्या नया मोड़ आएगा।
दिन बीतते गए, और शिवाय और गौरी के बीच की वर्चुअल दोस्ती धीरे-धीरे मजबूत होती जा रही थी। वे रोजाना एक-दूसरे को स्नैप्स भेजते, जिससे उनके बीच की बातचीत और भी सहज होती जा रही थी। एक दिन गौरी ने एक स्नैप भेजा, जिसमें वह एक सुंदर पार्क में बैठी हुई थी। शिवाय ने पहली बार उसके स्नैप पर प्रतिक्रिया दी, "खूबसूरत।"
कुछ ही मिनटों में, उसे गौरी से एक चैट का नोटिफिकेशन मिला। उसने जल्दी से खोला और पाया कि गौरी ने लिखा था, "थैंक्स😊"। उसकी सादगी भरी प्रतिक्रिया ने शिवाय के दिल को छू लिया। वह तुरंत टाइप करता है, "हे।"
"हैलो," गौरी का जवाब आया।
शिवाय के मन में एक सवाल था, जो उसे पिछले कुछ दिनों से परेशान कर रहा था। उसने गौरी के हाल ही के स्नैप में देखा था कि उसने 'मानस कॉम्प्लेक्स, विकास नगर' की लोकेशन डाली थी। शिवाय ने सोचा, यह अच्छा मौका है उससे पूछने का।
"आप विकास नगर से हो? मेरे में ये स्नैपचैट सारे विकासनगर वालों का सजेशन देता है," शिवाय ने पूछा, उम्मीद करते हुए कि यह सवाल उनकी बातचीत को और गहराई में ले जाएगा।
वह इंतजार करने लगा कि गौरी क्या जवाब देगी। उसकी उंगलियां फोन को मजबूती से पकड़े हुए थीं, मानो उसकी अगली प्रतिक्रिया पर सब कुछ निर्भर करता हो।
शिवाय ने अपने फोन की स्क्रीन पर नजरें गढ़ाए रखीं। कुछ ही क्षणों में, उसके फोन में एक नोटिफिकेशन बिंबित हुआ। वह उत्सुकता से उसे खोलता है और पढ़ता है, "नहीं, मैं लखनऊ से हूँ, विकास नगर से नहीं 😄"। गौरी का जवाब पढ़कर शिवाय को थोड़ी हैरानी हुई, लेकिन साथ ही एक मुस्कान भी उसके चेहरे पर आ गई।
उसने तुरंत फिर से टाइप करना शुरू किया, "आपके स्नैप में विकास नगर की लोकेशन पड़ी थी।" वह थोड़ा असमंजस में था कि गौरी का विकास नगर से क्या संबंध हो सकता है।
गौरी ने जल्दी से जवाब दिया, "वहां मेरे नाना जी रहते हैं 😊"। इस जवाब ने शिवाय को थोड़ी राहत दी, और उसने सोचा कि यह बातचीत उन्हें और भी नजदीक ला सकती है।
शिवाय ने एक और प्रश्न किया, "आप लखनऊ यूनिवर्सिटी में कौन सा कोर्स कर रहे हो?" उसे पहले से पता था कि गौरी लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ती है, क्योंकि उसने उसके स्नैप्स में यूनिवर्सिटी के परिसर की तस्वीरें देखी थीं।
गौरी का उत्तर आया, "BSc in Yoga Therapy।" शिवाय ने सोचा कि यह एक दिलचस्प विषय है और इसे लेकर शायद वह गौरी से और अधिक बातें कर सके। उसने अपनी दिलचस्पी और बातचीत को बढ़ाने के लिए गौरी के कोर्स के बारे में कुछ और जानने की सोची।
यह सब उनकी दोस्ती को नई गहराइयों में ले जा रहा था, और शिवाय को लग रहा था कि वे अब एक-दूसरे को और भी बेहतर समझने लगे हैं
उस रात के बाद, शिवाय और गौरी की बातचीत थोड़ी ठंडी पड़ गई थी। दिन बीतते गए, और दोनों के बीच संवाद में कोई खास प्रगति नहीं हुई। लेकिन एक दिन, एग्जाम की रात को, शिवाय ने अपनी किताबों के बीच से समय निकालकर एक स्नैप भेजा जिसमें उसकी स्टडी टेबल पर पड़ी किताबें और नोट्स नजर आ रहे थे। स्नैप का कैप्शन था, "अभी बहुत पढ़ना है।"
अगले दिन, गौरी का जवाब आया, जिसने उसके दिन की शुरुआत में थोड़ी हंसी जोड़ दी। उसने लिखा, "तुम लोग पढ़ते भी हो? हम तो बिना पढ़े ही एग्जाम देने चले जाते हैं 😂"। शिवाय ने गौरी के इस हल्के-फुल्के तरीके की सराहना की और उसे यह महसूस कराया कि गौरी का अंदाज़ भी कितना निराला है।
शिवाय ने तुरंत एक मुस्कुराता हुआ इमोजी के साथ जवाब दिया, "हम इंजीनियरिंग वाले हैं, बिना पढ़े तो काम नहीं चलता। लेकिन तुम्हारा कॉन्फिडेंस लेवल कमाल है!"। इस तरह, उनके बीच की बातचीत फिर से शुरू हो गई, और दोनों ने एक-दूसरे की पढ़ाई की आदतों और तैयारी के तरीकों पर हंसी मजाक किया।
नवंबर और दिसंबर के महीने धीरे-धीरे बीतते गए, और शिवाय और गौरी लगातार एक दूसरे को स्नैप्स भेजते रहे। उनकी दोस्ती में एक सुखद लय बन गई थी। लेकिन एक दिन, शिवाय ने देखा कि कई दिनों से गौरी के कोई स्नैप नहीं आए थे। उसने चिंतित होकर अपना फोन उठाया और देखा कि आखिरी स्नैप पांच दिन पहले आया था।
उसने तुरंत एक संदेश टाइप किया, "हैलो मैम, आपसे स्ट्रीक टूट गई मेरी।" उसने सोचा कि शायद गौरी व्यस्त होगी या कुछ जरूरी काम में लगी होगी। वह अपने फोन को बार-बार चेक करता रहा, लेकिन दो दिन बीतने के बावजूद कोई जवाब नहीं आया।
इस बात ने शिवाय को गहराई से परेशान कर दिया। उसे लगने लगा कि शायद गौरी ने सोशल मीडिया छोड़ दिया है या उससे दूरी बना ली है। उसकी दोस्ती की उम्मीदें धुंधली पड़ने लगीं। वह सोचता रहा कि क्या हुआ होगा, क्या उसने कुछ गलत किया था या कोई बात ऐसी कह दी थी जो गौरी को बुरी लगी हो।
शिवाय का मन अनेक प्रश्नों से भर गया था, और वह इस अनिश्चितता से जूझने लगा। उसकी चिंता उसे रातों की नींद हराम करने लगी, और वह बेसब्री से गौरी के जवाब का इंतजार करने लगा।
एक सप्ताह का समय बीत गया था, और शिवाय को गौरी से कोई जवाब नहीं मिला था। वह हर दिन अपने फोन की स्क्रीन को देखता, उम्मीद करता कि शायद आज कुछ अलग हो। लेकिन हर बार, उसकी उम्मीदें टूट जातीं।
फिर एक दिन, जैसे ही वह स्नैपचैट खोलता है, उसे एक फ्रेंड सजेशन मिलता है - "A friend you might know: Gauri"। शिवाय का दिल एक पल के लिए रुक सा गया। क्या यह वही गौरी है? उसने बिना समय गवाएं उस आईडी पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी। दो दिन बाद, रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली गई।
अगले दिन, उस आईडी से एक स्नैप आता है, जो एक प्यारे से कुत्ते का था। शिवाय थोड़ा निराश हुआ, सोचते हुए कि शायद यह वह गौरी नहीं है जिसे वह जानता है। लेकिन दो दिन बाद, एक और स्नैप आता है। इस बार जब शिवाय उसे खोलता है, तो उसमें गौरी नजर आती है।
यह वही गौरी थी, जिसे उसने अपने पुराने स्नैप्स में देखा था। गौरी की पुरानी आईडी में उसके नाम के आगे एक स्टार लगा होता था, और यही विशेषता शिवाय को उसे पहचानने में मदद करती थी। शिवाय के चेहरे पर खुशी की एक बड़ी लहर दौड़ गई। उसे लगा कि शायद किस्मत ने उन्हें फिर से दोस्ती के लिए मिलाया है।
वह तुरंत गौरी को एक मैसेज भेजता है, अपनी खुशी और उत्साह को शब्दों में पिरोते हुए, उम्मीद करते हुए कि इस बार उनकी दोस्ती और भी मजबूत हो कर आगे बढ़े।
जैसे ही गौरी और शिवाय की स्नैपचैट दोस्ती फिर से शुरू हुई, उनके बीच के संवाद और भी गहरे होते गए। एक दिन, गौरी ने बाबा नीम करोली की एक तस्वीर के साथ एक स्नैप भेजा। शिवाय ने तुरंत उस स्नैप को सेव कर लिया और जिज्ञासा से पूछा, "क्या तुम भी नीम करोली बाबा को मानती हो?"
गौरी का जवाब एक मिनट बाद आया, "हाँ, बहुत ज्यादा। बाबा मेरे फेवरेट हैं।" उसके मैसेज में आंसू भरी आंखों वाला इमोजी था, जो उसकी गहरी भावनाओं को दर्शा रहा था।
शिवाय ने तुरंत उसे अपनी और बाबा की बॉन्डिंग के बारे में बताया। वह नीम करोली बाबा का बड़ा भक्त था। उसने गौरी को बताया कि कैसे बाबा ने उसे कई मुश्किलों से निकाला है और जब भी वह किसी बात को लेकर परेशान होता है, तो उसे बाबा से उसका जवाब मिल जाता है, जो कि उसे किसी चमत्कार से कम नहीं लगता।
उस दिन उन दोनों की काफी बात हुई। यह साझा आध्यात्मिक आस्था उनके बीच एक नई समझ और नजदीकी का कारण बनी। गौरी ने भी अपने अनुभव शिवाय के साथ साझा किए, जिससे उनकी दोस्ती और भी मजबूत हो गई
उस दिन शिवाय और गौरी की लंबी और गहरी बातचीत हुई। जैसे-जैसे उनकी बातचीत आगे बढ़ी, शिवाय ने हिम्मत करके वह सवाल पूछा जो उसे परेशान कर रहा था। "तुमने वो स्नैप क्यों बंद कर दिया था?"
गौरी का जवाब थोड़ा उदास करने वाला था। उसने कहा, "मैं उसका पासवर्ड भूल गई थी। वो आईडी लॉगिन ही नहीं हुई, और मेरी सारी फोटोस उसमें चली गईं।"
शिवाय ने गौरी की इस समस्या को समझते हुए, उसे सांत्वना दी। "यह तो बहुत बुरा हुआ। पर अच्छा है कि तुमने नई आईडी बना ली और हम फिर से बात कर पा रहे हैं।"
उस दिन गौरी ने शिवाय को भगवद् गीता की एक फोटो भेजी। शिवाय ने उत्सुकता से पूछा, "तुम गीता भी पढ़ती हो?"
गौरी का जवाब आया, "हाँ, जब मैं ज्यादा परेशान होती हूँ, तब।" शिवाय, जो पहले ही गीता पढ़ चुका था, उसने तुरंत गौरी को बताया, "मैं गीता पढ़ चुका हूँ, और आज के ज़माने में भी ऐसी लड़कियां हैं, मुझे नहीं पता था।"
गौरी ने तुरंत जवाब दिया, "मुझे देखकर नहीं लगता ना कि मैं ऐसी हूँ, लेकिन मैं हूँ।" शिवाय को यह सुनकर खुशी हुई। वह सोचने लगा कि शायद उसे मिलता-जुलता कोई इंसान मिल रहा था, जो उसकी तरह आध्यात्मिक रूचियों को साझा करता है।
उस दिन की बातचीत ने शिवाय को एक नए विचार में डाल दिया। वह सोच में पड़ गया कि क्या उसे गौरी से दोस्ती का प्रस्ताव रखना चाहिए। "क्या मुझसे दोस्ती करोगी?" उसने पूरे दिन सोचा, उसे यह प्रश्न कैसे पूछना है और क्या होगा अगर वह हाँ कह दे।
उस रात, शिवाय बहुत ज्यादा परेशान होकर सोने गया। बिस्तर पर लेटे-लेते उसने बाबा नीम करोली से प्रार्थना की, "बाबा, मैं क्या करूं? मुझे रास्ता दिखाइए।" प्रार्थना करते-करते ही वह सो गया, और उसकी नींद में एक विशेष घटना घटित हुई।
सपने में उसे बाबा नीम करोली के दर्शन हुए। बाबा ने उससे कहा, "तुम उसकी ज़िंदगी में भेजे गए हो, अब सब अच्छा ही होगा। तुम्हें मैंने भेजा है।" यह सुनते ही शिवाय की आँख खुल गई। वह घड़ी की तरफ देखता है; समय सुबह के 3:37 बजे थे।
शिवाय को इस संदेश से बहुत सांत्वना और खुशी मिली। उसे लगा कि बाबा ने उसके प्रश्नों का उत्तर दे दिया था। वह फिर से आराम से सो गया, और अगली सुबह खुशी से उठा। उस दिन उसने सोचा कि वह गौरी से दोस्ती का प्रस्ताव रखेगा।
थोड़ी देर बाद, शिवाय ने हिम्मत जुटाई और गौरी को एक संदेश भेजा, "हेलो।" गौरी का जवाब जल्दी आया, "हेयू।"
शिवाय ने पूछा, "कैसे हो तुम?" गौरी ने उत्तर दिया, "बढ़िया।" शिवाय की धड़कनें तेज हो गईं, उसने सांस ली और टाइप किया, "क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?"
गौरी ने थोड़ा संकोच करते हुए जवाब दिया, "हूँ…" शिवाय ने तुरंत हास्य का सहारा लिया और कहा, "टेंशन न लो, मैं तुमपे लाइन नहीं मारूंगा।"
गौरी ने राहत की सांस लेते हुए जवाब दिया, "हा, हम दोस्त बन सकते हैं। मैं उम्मीद करूंगी कि तुम लाइन नहीं मारोगे।"
बातचीत के दौरान, गौरी ने पहल करते हुए मैसेज टाइप किया, "क्या हम तुम्हें इंस्टा पे ऐड कर सकते हैं?" शिवाय, जो पहले से ही उनकी दोस्ती से खुश था, उत्साहित होकर जवाब दिया, "हाँ, ज़रूर।"
शिवाय के लिए यह एक खास पल था क्योंकि पहली बार कोई लड़की ने उससे सोशल मीडिया पर जुड़ने की पहल की थी। उसने तुरंत गौरी को अपनी इंस्टाग्राम ID दी। थोड़ी देर में ही गौरी की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई, जिसे शिवाय ने तुरंत स्वीकार किया और गौरी को फॉलो बैक भी किया।
इस कदम ने उनकी दोस्ती को और भी मजबूत कर दिया, और दोनों अब इंस्टाग्राम पर भी एक-दूसरे के जीवन के पलों को साझा करने लगे
शिवाय ने इंस्टाग्राम पर गौरी को मैसेज किया, "Hello Gauri Shivaay Is Here " गौरी ने शिवाय के अकाउंट को देखा जिसमें बहुत सारे फॉलोवर्स थे, और पूछा, "तुम एक इन्फ्लुएंसर हो क्या?"
शिवाय ने जवाब दिया, "नहीं यार, मैं एक लेखक हूँ।" शिवाय को लिखना पसंद था और वह काफी समय से एक किताब लिखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन काम के चक्कर में वह लिख नहीं पा रहा था।
गौरी ने उत्साहित होकर जवाब दिया, "वाह, लेखक!" शिवाय ने तुरंत अपने कुछ लिखे हुए पन्नों की कहानी उसे भेजी और पूछा, "ये कैसा है?"
गौरी का जवाब आया, "बहुत बढ़िया।" शिवाय को गौरी के जवाब से बहुत खुशी हुई, और उसने महसूस किया कि आज उसके मन का हो रहा था। वह गौरी से और भी ज्यादा बात करने लगा
शिवाय ने गौरी से पूछा, "और बताओ, अपने बारे में। अब हम अच्छे दोस्त तो बन चुके हैं।" गौरी ने जवाब दिया, "हाँ, पूछो।"
शिवाय ने पूछा, "तुम्हारी फैमिली में कौन कौन है?" गौरी ने तुरंत जवाब दिया, "मैं, मम्मी, पापा, और भाई।"
फिर शिवाय ने कहा, "अच्छा।" गौरी ने आगे बताया, "मैं फैमिली की वजह से ज्यादा परेशान रहती हूँ।"
शिवाय ने पूछा, "क्यूँ?" गौरी ने जवाब दिया, "अपने पिता जी की वजह से।" शिवाय ने पूछा, "क्यूँ, पापा से क्यूँ?"
गौरी ने कहा, "He was so toxic. मुझे अपने पापा से कभी पापा वाली फील नहीं आई।" उसके मैसेज में आँसू वाले इमोजी के साथ जैसे कि वो बहुत ज्यादा दुखी है।
शिवाय इस जवाब से समझ गया कि गौरी अपने पिता के साथ अपने संबंधों में कितनी परेशान थी। वह उसे सांत्वना देने की कोशिश करता है, और उसे आश्वस्त करता है कि वह हमेशा उसके साथ है अगर उसे किसी से बात करने की जरूरत हो
गौरी ने कहा, "हम अपनी परेशानी ज्यादा शेयर नहीं करते, लेकिन हमने तुमसे की। शायद ये तुम्हें स्पेशल होने का फील करा रहा होगा।" इससे शिवाय को यह महसूस हुआ कि गौरी उस पर विश्वास करती है और उसे अपना खास दोस्त मानती है।
गौरी ने आगे अपनी ज़िंदगी के बारे में बताया कि कैसे एक बार उसने एक गाने पर वीडियो बना दिया था, जिसका मतलब वह नहीं जानती थी। उसके पापा ने उसे इसके लिए बहुत डांटा और भरी सभा में उसकी बेइज्जती कर दी, जो शायद उसके दिल में घर कर गई थी। इससे गौरी को बहुत दुख पहुँचा था।
उसने यह भी बताया कि उसके पापा उसकी मम्मी को भी समझते नहीं थे। उसकी माँ बीमार रहती थी और एक बहुत सीधी इंसान थीं, लेकिन अपने बच्चों के कारण वह उनके साथ बनी रहती थीं, ताकि उनके बच्चों को अच्छा भविष्य मिल सके।
गौरी ये बातें बताते हुए भावुक हो गई। शिवाय ने उसे सांत्वना देने की कोशिश की और उसे बताया कि वह हमेशा उसके साथ है, चाहे कुछ भी हो। शिवाय ने उसे बताया कि वह उसकी बातें सुनने के लिए हमेशा मौजूद रहेगा और उसे हर संभव मदद करेगा।
शिवाय ने गौरी को बताया कि वह एक बहुत ही शरीफ इंसान है और वह दुनिया की भीड़ से अलग है। उसने गौरी से कहा, "मैं दुनिया की चकाचौंध से दूर रहना पसंद करता हूं। मेरे लिए, सादगी और ईमानदारी सबसे अहम हैं।" गौरी ने सुना और कहा, "यार, आज भी इतने अच्छे लोग हैं।"
शिवाय ने फिर गौरी के साथ अपने अतीत की एक बहुत ही निजी और दर्दनाक कहानी साझा की। उसने बताया कि कैसे उसे एक लड़की से बहुत प्यार था लेकिन उस लड़की ने उसे धोखा दे दिया था। यह घटना शिवाय के लिए बहुत दुखद थी, और उसने बताया कि उसे अपने पास्ट से बाहर निकलने में दो साल लग गए थे। शिवाय ने कहा, "गौरी, शायद तुम पहली ऐसी लड़की हो, जिससे मैं उस घटना के बाद इतना खुलकर बात कर पा रहा हूं।"
उनकी बातचीत ने एक नई गहराई को छुआ, और शिवाय ने गौरी के साथ और भी कई बातें साझा कीं। फिर शिवाय ने गौरी से कहा, "तुम भी बताओ अपने बारे में कुछ।"
गौरी ने बताया, "मैं भी किसी से प्यार करती थी, लेकिन उसने भी मुझे धोखा दिया। वह लड़का एक साथ कई लड़कियों से बात करता था। मुझे उससे निकलने में समय लग गया। मैंने अपनी होशियारी से उसे पकड़ लिया था। बाद में पता चला कि वो जिस लड़की से बात करता था, वो उसको बहुत मानती थी। उसने अपने पैसों से उसे iPhone दिलवाया, लेकिन मेरा रिलेशन दो महीने में ही टूट गया।"
शिवाय ने तुरंत कहा, "यार, लोगों को मिलता क्या है ऐसा करके?" गौरी ने जवाब दिया, "बस उन्हें लड़कियां मिले और कुछ नहीं।"
शिवाय ने कहा, "कोई बात नहीं, जो होता है अच्छे के लिए होता है।" इस बातचीत से शिवाय और गौरी ने महसूस किया कि उनके अनुभव समान हैं और उन्होंने एक-दूसरे के दर्द को समझा
गौरी ने आगे बताया, "वो लड़का तुम्हारे ही घर के आस-पास के इलाके में रहता है।" यह सुनकर शिवाय कुछ हैरान हुआ। वह जानना चाहता था कि क्या वह उस लड़के को जानता है या नहीं।
शिवाय ने पूछा, "ओह, सच में? तुम उसका नाम बता सकती हो? हो सकता है कि मैं उसे जानता हूँ।" गौरी ने थोड़ा संकोच करते हुए उसका नाम बताया।
शिवाय ने उस नाम को सुना और सोचने लगा। उसे लगा कि उसने इस नाम को पहले भी सुना था, लेकिन वह तुरंत किसी विशेष व्यक्ति को याद नहीं कर पाया।
इस खुलासे ने शिवाय को थोड़ा परेशान कर दिया, क्योंकि उसे यह जानकर चिंता हो रही थी कि कहीं उसका कोई परिचित इस तरह के व्यवहार में लिप्त न हो। उसने गौरी से कहा, "मैं इस बारे में जानकारी देखूंगा। अगर मुझे कुछ पता चले, तो मैं तुम्हें बताऊंगा।"
दिनों दिन, शिवाय और गौरी की बातचीत और भी नियमित हो गई। शिवाय ने गौरी को रोज़ 'गुड मॉर्निंग', 'गुड इवनिंग' और 'गुड नाइट' कहना शुरू कर दिया था। यह सब उसने बिना ज्यादा सोचे-समझे शुरू किया था, लेकिन अब वह खुद को रोक नहीं पा रहा था। गौरी के प्रति उसकी भावनाएं धीरे-धीरे गहराती जा रही थीं।
हर सुबह उसका मैसेज भेजना, शाम को उसकी दिनचर्या के बारे में पूछना, और रात को उसे शुभ रात्रि कहना शिवाय के लिए एक अनिवार्य दिनचर्या बन गई थी। उसे अहसास होने लगा था कि शायद वह गौरी के लिए कुछ ज्यादा ही महसूस करने लगा है।
क्या यह प्यार की शुरुआत थी, या फिर बस एक गहरी दोस्ती का अहसास? शिवाय इस सवाल से जूझने लगा था। उसका दिल कुछ और कह रहा था, लेकिन दिमाग में अभी भी संशय था। वह गौरी के प्रति अपनी बढ़ती हुई भावनाओं को समझने की कोशिश कर रहा था।
शिवाय ने सोचा कि शायद वह गौरी के साथ अपने जीवन को और भी साझा करना चाहता है। वह उसके साथ अधिक समय बिताने, उसके साथ और भी गहराई में बातचीत करने की इच्छा रखने लगा था। उसने महसूस किया कि गौरी के साथ उसकी दोस्ती कुछ और ही मायने रखने लगी थी
शिवाय ने गौरी से पूछा, "तुम लखनऊ कब वापस आ रही हो?" क्योंकि गौरी सेमेस्टर एग्जाम के बाद अपने घर गई हुई थी और अब शिवाय को गौरी के वापस आने का इंतजार था, ताकि वह उससे आमने-सामने मिल सके। शिवाय को अहसास हो गया था कि शायद उसे गौरी से प्यार होने लगा था।
गौरी ने जवाब दिया, "अभी यूनिवर्सिटी से कोई नोटिस नहीं आई है। मैं खुद घर पर बोर हो जाती हूं, पापा से बहुत दुखी हूं हम।" गौरी की यह बातें शिवाय को और भी चिंतित कर देती हैं। उसे लगता है कि गौरी को उसके समर्थन की जरूरत है, और वह उसे यह बताना चाहता है कि वह हमेशा उसके लिए वहाँ है।
शिवाय ने गौरी को आश्वासन दिया कि वह जब भी लौटेगी, उसका स्वागत करेगा और उसे अपनी पूरी समर्थन देगा। उसने गौरी से कहा, "जब भी तुम लखनऊ वापस आओ, मैं तुमसे मिलने आऊंगा। तुम्हें कभी भी अकेला महसूस नहीं करने दूंगा।"
शिवाय ने गौरी से कहा, "जब तुम लखनऊ आओगी, तब मैं तुम्हें यहाँ की सबसे अच्छी जगहें दिखाऊंगा।" उसने उत्साहित होकर आगे बताया, "मैं तुम्हें सारे मंदिर घुमाऊंगा और अच्छे-अच्छे रेस्टोरेंट्स में खाना खिलाऊंगा। ये सब मेरी तरफ से दोस्ती में तुम्हारे लिए।"
गौरी ने इस प्रस्ताव को सुनकर मुस्कुराया और खुशी व्यक्त की। वह इस तरह के आत्मीय और खुले स्वागत से अभिभूत हो गई। उसने शिवाय से कहा, "वाह, मैं सच में उत्साहित हूँ! तुम्हारी यह प्लानिंग सुनकर लग रहा है कि लखनऊ आने का इंतजार करना मेरे लिए और भी मुश्किल हो गया है।"
शिवाय इस बातचीत से और भी प्रेरित हुआ। उसकी इच्छा थी कि गौरी को भी उसके लिए वैसी ही भावनाएं आएं, जैसी उसे गौरी के लिए आई थीं। वह गौरी के साथ अपने समय को खास बनाना चाहता था, ताकि उनकी दोस्ती में नए आयाम जुड़ सकें और शायद भविष्य में कुछ और भी।
शिवाय ने सोचा कि वह गौरी के साथ बिताए गए हर पल को खास बनाएगा, और उसने अपने दिल में यह ठान लिया कि वह गौरी को दिखाएगा कि वह उसके लिए कितना खास है
30 जनवरी को, शिवाय शॉपिंग के लिए निकला था। वह दुकान के ज्वैलरी सेक्शन में खड़ा था और उसकी नजर एक खूबसूरत झुमके पर पड़ी। उसने सुना था कि जब कोई व्यक्ति किसी लड़की से सच्चा प्यार करता है, तो वह हमेशा उसे इज्जत देना चाहता है। उस पल में शिवाय को ऐसा ही कुछ महसूस होने लगा था।
वह विभिन्न डिज़ाइन्स वाले झुमकों को देख रहा था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि गौरी के लिए कौन सा चुने। अनिश्चितता में, उसने झुमकों की एक फोटो क्लिक की और उसे गौरी को इंस्टाग्राम पर भेज दिया। उसने लिखा, "हाय यार, मुझे अपनी चाचा की बिटिया के लिए झुमके लेने हैं। बताओ कौन सा लूँ?"
शिवाय ने यह बात इसलिए छुपाई क्योंकि वह नहीं चाहता था कि गौरी को यह जानकर बुरा लगे कि वह उसके लिए झुमके खरीद रहा है। वह चाहता था कि यह एक सरप्राइज रहे।
गौरी ने तुरंत जवाब दिया, "तुम मुझे ये फोटोस WhatsApp पर कर दो, यहाँ लोड होने में समय ले रही है।" यह शिवाय के लिए एक खास पल था क्योंकि गौरी ने पहली बार उससे बिना मांगे उसका नंबर मांगा था। शिवाय ने बिना देरी किए अपना नंबर दिया और उधर से आया "हाय" का मैसेज देखकर उसने तुरंत गौरी का नंबर सेव किया।
फिर उसने झुमके की कुछ और फोटो भेजी। गौरी ने देखकर कहा, "तुमने लिए तो नहीं? ये बहुत बड़े हैं, मत लेना। और डिज़ाइन भेजना मुझे।"
शिवाय ने जवाब दिया, "नहीं, मैंने नहीं लिए।" तब तक दुकान बंद हो चुकी थी। शिवाय ने गौरी को सूचित किया, "अब दुकान बंद हो गई है। बाद में जब मैं दोबारा आऊंगा, तब फोटो भेजूंगा।"
इस नए विकास से शिवाय और गौरी के बीच का संचार और भी निजी और व्यक्तिगत हो गया था। दोनों के बीच की भावनात्मक बंधन और मजबूत होने लगी थी, और शिवाय ने महसूस किया कि वह गौरी के साथ और भी अधिक समय बिताना चाहता है।
गौरी की इस तरह की प्रतिक्रियाओं से शिवाय को उत्साह मिल रहा था, और वह बेसब्री से गौरी के लखनऊ वापस आने का इंतजार कर रहा था।
गौरी ने बातचीत के दौरान कहा, "यार, लखनऊ आकर मुझे सबसे पहले अपना रूम बदलना है। मैं यहाँ अकेले रहती हूँ और ये जंगल के साइड पड़ जाता है।" शिवाय ने तुरंत प्रतिक्रिया दी, "मैं इसमें तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूँ। मैं ढूँढ दूंगा तुम्हें।" इसके बाद शिवाय ने अपने हर एक दोस्त को कॉल किया, "भाई, इंजीनियरिंग साइड रूम चाहिए, मेरी एक फैमिली की गर्ल के लिए।" उसके कई दोस्तों ने उसे कई रूम्स के बारे में बताया।
गौरी ने बातचीत में आगे कहा, "अब मैं आऊंगी, कहीं कोई जॉब ढूंढूंगी और साइड से पढ़ाई भी करूंगी।" शिवाय ने तुरंत कहा, "मैं इसमें तुम्हारी मदद कर सकता हूँ।" उसने तुरंत अपनी कंपनी में बात की और एक जगह फिक्स कर ली। उसने गौरी को बताया कि जॉब का इंतजाम हो गया है।
गौरी ने भावुक होते हुए लिखा, "मेरे लिए इतना क्यों कर रहे हो तुम? तुम तो मुझे ठीक से जानते भी नहीं।" शिवाय ने तुरंत जवाब दिया, "मैं ऐसा ही हूँ। मैं जिसको अपना मानता हूँ, उसकी मदद करता हूँ।"
उस रात 10:43 पर, शिवाय ने गौरी को WhatsApp पर मैसेज करना शुरू किया और उनकी बातचीत रात के 12:40 तक चली। शिवाय ने गौरी से पूछा, "लखनऊ में तुम कहाँ-कहाँ घूमी हो? क्या-क्या फेमस खाया है?"
गौरी ने जवाब दिया, "जनेश्वर पार्क, फीनिक्स मॉल, हजरतगंज वगैरह वगैरह।" शिवाय ने कहा, "आओ मिस, तुम्हें खूब घुमाऊंगा यहाँ।" गौरी ने कहा, "ज़रूर, हमारी बहुत सारी वाइब्स मैच हो गई हैं।"
शिवाय ने लिखा, "आओ लखनऊ, फिर घूम जाएगा।" गौरी ने कहा, "ज़रूर, मैं बस सैटरडे-संडे फ्री होती हूँ, लेकिन घूमेंगे तो मज़ा तो आएगा।" शिवाय ने बताया, "मैं ऑफिस से 7 बजे फ्री होता हूँ।"
गौरी ने कहा, "लेकिन उस टाइम मैं नहीं आ सकती, रात हो जाती है।" शिवाय ने जवाब दिया, "आना तुम, मैं बॉडीगार्ड बन के तुम्हें तुम्हारे घर तक ड्रॉप कर के आऊंगा।"
फिर उनकी बातचीत और भी व्यक्तिगत हो गई। शिवाय ने पूछा, "क्या खाया खाने में?" गौरी ने कहा, "खिचड़ी काली दाल वाली, मम्मी ने जबरदस्ती खिला दिया।"
गौरी ने शिवाय को बताया, "तुम्हें पता है, लखनऊ में कई बार बिना खाए ही सो जाती थी, पर यहाँ आई तो सब कुछ टाइम टू टाइम होता है।" शिवाय ने जवाब दिया, "यार, माँ तो माँ होती है ना, भूख नहीं भी होगी तो खिलाएगी जरूर।" फिर हंसते हुए उसने लिखा, "अब बिना खाए नहीं रहोगी लखनऊ में।"
गौरी ने मजाक में लिखा, "हाँ, I will call you।"
गौरी ने लिखा, "यार, मैं तुम्हें एक बात बता दूँ, शायद हम तुमसे रोज बात न कर पाएं। कभी-कभी मैं इनबॉक्स से बिल्कुल दूर रहती हूँ, ये मत समझना कि मैं तुम्हें इग्नोर कर रही हूँ। मैंने सोचा तुम्हें पहले से ही क्लियर कर दूँ, नहीं तो मैं बिना किसी कारण के इरिटेट हो जाती हूँ।"
शिवाय ने समझदारी से जवाब दिया, "कोई बात नहीं, हमारी बॉन्डिंग स्ट्रॉन्ग हो जाएगी, फिर खुद ही आप बात कर लोगे हमसे।"
गौरी ने शिवाय से पूछा, "तुमने कभी पेट रखा है?" शिवाय ने जवाब दिया, "हाँ।"
फिर गौरी ने अपने पेट के बारे में बताया, जो एक कुत्ता था नाम तुफ्फी, जिसे वह बहुत मानती थी। तुफ्फी न केवल उसका पेट था बल्कि उसके परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य भी था। गौरी ने बताया, "लेकिन पिछले कुछ महीने पहले उसकी मृत्यु हो गई। वह बीमार रहता था। गौरी की जान बसती थी उसमें।"
यह सुनकर शिवाय ने गौरी को सहानुभूति प्रकट की। उसने कहा, "मुझे बहुत दुख हुआ यह सुनकर। जानवर हमारे जीवन में बहुत खास होते हैं, और उनका जाना हमें बहुत प्रभावित करता है।" उसने गौरी को आश्वासन दिया कि वह इस दुखद समय में उसके साथ है।
शिवाय ने लिखा, "मैं तुम्हें कभी गलत काम में पड़ने नहीं दूंगा। मैं अपने इंसान की भलाई चाहता हूँ हमेशा।" यह संदेश गौरी के लिए एक सुरक्षा की भावना जगाने वाला था, जिससे उसे महसूस हुआ कि शिवाय उसकी परवाह करता है और उसके हित में चिंतित है।
गौरी का जवाब आया, "अये... that's so sweet ❤️"। इस दिल वाले इमोजी के साथ उसका जवाब न केवल शिवाय की बातों की सराहना कर रहा था, बल्कि उनके बीच की भावनाओं की गहराई को भी दर्शा रहा था
जब गौरी का रिप्लाई अचानक बंद हो गया, तो शिवाय को लगा कि शायद उसका फोन स्विच ऑफ हो गया हो या फिर वह सो गई हो। वह थोड़ा चिंतित हुआ, लेकिन उसने सोचा कि गौरी ने शायद अपने फोन को चार्ज पर लगाया होगा या दिन भर की थकान के बाद सो गई होगी। इसलिए, उसने फैसला किया कि वह उसे परेशान नहीं करेगा और सुबह तक इंतजार करेगा।
शिवाय ने एक आखिरी मैसेज भेजा, "अच्छी रात की नींद लो, जब जागो तब बात करते हैं। 🙂" उसने यह मैसेज भेजने के बाद अपने फोन को रख दिया और सोने की तैयारी करने लगा
गौरी ने मैसेज किया, "मैं सो गई थी, सॉरी।" शिवाय ने तुरंत जवाब दिया, "कोई बात नहीं, उम्मीद है अच्छी नींद आई होगी।"
इसके बाद, शिवाय ने बातचीत को आगे बढ़ाते हुए पूछा, "तो बताओ, आज का दिन कैसा रहा?" गौरी ने अपने दिन के बारे में बताया, और उन्होंने आगे की योजनाओं और रुचियों पर चर्चा की।
गौरी ने कुछ विशेष बातें शेयर कीं जैसे कि वह किन किताबों को पढ़ रही है और उसे कौन सी नई फिल्में पसंद आईं। शिवाय ने भी अपने हालिया पसंदीदा गानों और मूवीज के बारे में बात की। उन्होंने आने वाले वीकेंड में मिलने की योजना भी बनाई, जहां वे साथ में कुछ समय बिता सकेंगे
जब शाम में शिवाय के मोबाइल पर गौरी का मैसेज आया, "हाय शिवाय, मैं कल लखनऊ आ रही हूँ," तो शिवाय का दिल खुशी से झूम उठा। वह इस खबर से इतना खुश हुआ कि जैसे कोई अपने बहुत करीबी को मिलने वाला हो। उसने तुरंत गौरी को जवाब दिया, "वाह! यह तो खुशी की बात है। सफर सुरक्षित रहे। बताओ कितने बजे पहुंचोगी?"
शिवाय ने गौरी के स्वागत की योजनाएं बनाना शुरू कर दिया। उसने सोचा कि वह गौरी को स्टेशन से लेने जाएगा और उसे लखनऊ की कुछ खास जगहें दिखाएगा जो उन्होंने पहले बात की थी। उसने सोचा कि वह गौरी को कुछ लोकल खाने की जगहें भी दिखाएगा और वे दोनों मिलकर एक अच्छा समय बिता सकेंगे।
उसने अपने दोस्तों को भी मैसेज कर दिया कि गौरी आ रही है और वह चाहता था कि सब कुछ परफेक्ट हो। शिवाय के लिए, गौरी का आना केवल एक दोस्त का आना नहीं था, बल्कि वह किसी खास के आने की तैयारी में था, जिसके साथ उसके गहरे जज्बात जुड़े हुए थे
गौरी का मैसेज आया, "मैं कल निकलूंगी और वहां एक भैया हैं, उनके साथ रूम देखूंगी पहले।" शिवाय को यह सुनकर थोड़ा बुरा लगा क्योंकि उसने गौरी के आने की खुशी में कई योजनाएं बनाई थीं। वह गौरी के साथ समय बिताने और उसे लखनऊ दिखाने की उम्मीद कर रहा था।
हालांकि, शिवाय ने अपनी निराशा को व्यक्त नहीं किया। उसने समझा कि गौरी के लिए रहने की व्यवस्था भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसलिए उसने उसे बिना कुछ बताए सकारात्मक रूप में प्रतिक्रिया दी, "ठीक है।"
शिवाय ने अपने आप को यह याद दिलाया कि गौरी का सहज और आरामदायक महसूस करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। उसने सोचा कि एक बार गौरी की रहने की व्यवस्था हो जाने के बाद, वे दोनों शहर में समय बिता सकते हैं और अपनी दोस्ती को और गहरा कर सकते हैं।
इसलिए, उसने गौरी को और भी संदेश भेजे जिसमें उसने उसके सफल और सुरक्षित पहुँचने की कामना की।
गौरी ने सुबह मैसेज किया, "हेलो, मैं निकल गई हूँ घर से।" इस मैसेज ने शिवाय को खासा उत्साहित किया और वह उसे यात्रा की जानकारी देने के लिए कहता रहा। वह थोड़ी-थोड़ी देर बाद गौरी से पूछता रहा, "कहाँ पहुंचे? तुम कैसे हो? क्या हाल है?"
शाम को गौरी लखनऊ पहुंच गई और उसने बाइक पर बैठे हुए अपना स्नैप भेजा। इस स्नैप को देखकर शिवाय को थोड़ा ईर्ष्या महसूस हुई, उसे लगा कि शायद गौरी किसी लड़के के साथ है। उसके मन में सवाल उठने लगे, "क्या ये कोई लड़का है?"
इस विचार ने शिवाय को कुछ परेशान कर दिया, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को संयमित रखने की कोशिश की। उसने गौरी से सीधे इस बारे में न पूछते हुए, उसे स्वागत संदेश भेजा, "वेलकम बैक टू लखनऊ! उम्मीद है तुम्हारी यात्रा अच्छी रही।"
उस दिन पहली बार ऐसा हुआ था कि गौरी ने शिवाय के किसी भी मैसेज का जवाब नहीं दिया। शिवाय को लग रहा था कि शायद गौरी लखनऊ में अपने दोस्तों के साथ व्यस्त हो गई है और उसे भूल रही है। यह सोचकर उसे बहुत बेचैनी हो रही थी।
थोड़ी देर बाद, गौरी ने एक स्नैप भेजा, जिसमें वह दोस्तों के साथ मोमोज खा रही थी। शिवाय के लिए यह और भी दर्दनाक था क्योंकि वह उसका इंतजार कर रहा था और उसने उसे एक भी रिप्लाई नहीं दिया था। उस रात शिवाय बहुत परेशान हो गया।
शिवाय ने इस बारे में सोचा कि कैसे उसे इस स्थिति को संभालना चाहिए। उसने फैसला किया कि वह गौरी से बात करने का इंतजार करेगा और देखेगा कि वह खुद इस बारे में क्या कहती है। उसने अपने आप को याद दिलाया कि जल्दबाज़ी में कोई फैसला करना सही नहीं होगा और गौरी को भी अपने स्पेस और समय की जरूरत हो सकती है।
शिवाय की रातें बेचैनी और इंतजार में कट रही थीं। हर वक्त वह अपने फोन की ओर देखता, उम्मीद करता कि शायद गौरी का कोई संदेश आया हो। वह पल-पल पर नोटिफिकेशन बार को स्वाइप करता, पर हर बार उसकी निराशा की गहराई और बढ़ जाती। उस रात उसे निराश होकर ही सोना पड़ा, और वह सोचता रहा कि शायद गौरी ने उसे भूल दिया हो।
अगली सुबह, जैसे ही उसकी आँखें खुलीं, उसने बिना कोई पल गवाएं अपना फोन उठाया। उसके मन में एक आशा थी कि शायद गौरी का कोई संदेश आया हो। लेकिन फोन पर कोई नया संदेश नहीं था। वह सारा दिन परेशान और चिंतित रहा। उसने गौरी को एक 'हाय' लिख भेजी, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया।
शाम को 6 बजे जब गौरी का जवाब आया, "हेलो! तुम्हें पता है यार, कल मैं बहुत थक गई थी और रूम भी देखना पड़ा। और जहां मैं रहती हूँ वो भी गंदा पड़ा था, मैं कल से काम कर के थक गई हूँ," शिवाय को थोड़ी राहत मिली। लेकिन उसके मन में अब भी एक घबराहट थी। कहीं गौरी उससे दूर तो नहीं होने वाली है? क्या उनकी दोस्ती खत्म तो नहीं हो रही है? वह अब 24 घंटे गौरी के बारे में सोचने लगा था। शायद अब उसे गौरी से लगाव होने लगा था।
शिवाय का यह भावनात्मक उलझन उसे गहराई से प्रभावित कर रही थी। वह अपने दिल की गहराई से गौरी के प्रति अपनी भावनाओं को महसूस कर रहा था, और इससे उसकी बेचैनी और भी बढ़ गई थी। उसे लग रहा था कि उसके और गौरी के बीच का रिश्ता अब सिर्फ दोस्ती से कहीं ज्यादा हो गया है
उस दिन उनकी ज्यादा बात नहीं हुई। गौरी ने शिवाय के संदेशों को नजरअंदाज कर दिया, जैसे वह किसी गहरी सोच में डूबी हो या फिर कुछ और ही वजह हो। शिवाय सोचने लगा, "ये इतना बदल क्यों गई? क्या ये वही वाली गौरी है जिससे मैं मिला था, या कुछ और?"
रात भर उसकी नींद उचटी रही। वह बार-बार गौरी के उन पलों को याद करता रहा जब वे दोनों घंटों बातें करते थे, हंसी मजाक करते थे, और एक-दूसरे की संगति में खुश रहते थे। उसे लगा जैसे वह गौरी अब कहीं खो गई है।
शिवाय ने सोचा कि शायद गौरी पर कुछ दबाव हो, या फिर वह नई जगह, नए लोगों में खुद को समायोजित करने में व्यस्त हो। उसने तय किया कि वह गौरी को कुछ समय देगा, ताकि वह खुद को संभाल सके और फिर से उसी पुरानी गौरी बन सके जिसे वह जानता था।
शिवाय ने उसे एक और संदेश भेजा, "मुझे पता है तुम पर शायद कुछ दबाव है, लेकिन मैं हमेशा यहां हूँ अगर तुम्हें किसी बात की जरूरत हो। अपना ख्याल रखना।" इसके बाद वह इंतजार करने लगा, उम्मीद करते हुए कि गौरी फिर से उसके साथ वैसे ही बातें करने लगे जैसे पहले करती थी।
शिवाय ने अपने मन में एक निश्चय किया। उसने फैसला किया कि वह अब खुद से गौरी को संदेश नहीं भेजेगा। वह यह देखना चाहता था कि क्या गौरी उसे याद करती है, क्या वह उसे मिस करती है। दो दिन तक उसने कोई संदेश नहीं भेजा और बस गौरी द्वारा भेजे गए स्नैप्स को देखता रहा। वे स्नैप्स जिनमें गौरी अपने दोस्तों के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय की कैंटीन में मस्ती करती दिख रही थी, या फिर क्लास में अपने दोस्तों के साथ बैठी हुई थी।
ये स्नैप्स देखकर शिवाय को गौरी की और भी याद आने लगी। उसे महसूस हुआ कि वह गौरी से मिलना चाहता है, उसे गौरी से बहुत सारी बातें करनी थीं। उसके दिल में एक उम्मीद थी कि गौरी भी उसे याद कर रही होगी, लेकिन गौरी से कोई संदेश न आने से वह थोड़ा निराश भी हो रहा था।
आखिरकार, उस उम्मीद पर कायम रहते हुए कि शायद गौरी उससे संपर्क करे, शिवाय ने तय किया कि वह गौरी के लिए एक सरप्राइज प्लान करेगा। वह गौरी को उसके पसंदीदा कॉफी शॉप में मिलने का निमंत्रण देने का सोच रहा था,। उसके दिल में एक उम्मीद थी कि शायद यह मुलाकात उनकी दोस्ती को फिर से उसी मजबूती से जोड़ दे जैसा कि पहले था।
शिवाय ने सोचा कि उसे सबसे पहले अपने काम से छुट्टी लेनी होगी ताकि वह गौरी से मिलने के लिए पूरी तरह तैयार रह सके। उसने तुरंत अपने बॉस को मैसेज किया, "मैं आज बीमार हूँ और ऑफिस नहीं आ सकता।" यह कहकर शिवाय ने अपने लिए समय निकाला ताकि वह गौरी से मिलने की योजना पर ध्यान केंद्रित कर सके।
पढ़ाई और जॉब के साथ-साथ अब जिम्मेदारियों का बोझ उस पर भारी पड़ने लगा था, लेकिन उसे लग रहा था कि उसे अपनी जिंदगी में किसी अपने की जरूरत है, किसी ऐसे व्यक्ति की जो उसकी भावनाओं को समझ सके।
शिवाय ने अपनी योजना को और भी चालाकी से आगे बढ़ाया। उसने अभिमन्यु को फोन कर कहा कि वे सीधे लखनऊ विश्वविद्यालय चलें और वहां से गौरी को एक स्नैप भेजें। शिवाय को विश्वास था कि इसे देखकर गौरी जरूर प्रतिक्रिया देगी। उसने यह योजना अभिमन्यु के साथ तुरंत शेयर की और उसे अपने घर बुलाया ताकि वे दोनों मिलकर विश्वविद्यालय जा सकें।
इसी बीच, गौरी ने एक स्नैप भेजा जिसमें वह अपने दोस्तों के साथ कोल्ड ड्रिंक पी रही थी। शिवाय ने इस पर तुरंत जवाब दिया, "आज हम भी आएंगे यूनिवर्सिटी, मुझे कुछ काम है।" मिनट भर बाद गौरी का जवाब आया, "अच्छा, आना तो बताना यार, मिलते हैं।"
शिवाय को नई उम्मीद जगी। उसने तुरंत पूछा, "तुम फ्री कब होती हो?" गौरी ने जवाब दिया, "दोपहर 1 बजे तक।"
यह सुनकर शिवाय ने फौरन तैयारियां कीं और अभिमन्यु के साथ योजना के मुताबिक लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंच गया। उसने गौरी को यूनिवर्सिटी का स्नैप भेजा, जिससे गौरी को पता चल जाए कि वह वहां है और उससे मिलने का इच्छुक है।
शिवाय की इस योजना में उसका पूरा ध्यान गौरी से मिलने और उसके साथ समय बिताने पर केंद्रित था। उसे उम्मीद थी कि यह मुलाकात उनकी दोस्ती को नई ऊर्जा और गहराई प्रदान करेगी
जैसे-जैसे वह कैंटीन के पास पहुंच रहा था, उसकी उत्सुकता और भी बढ़ती जा रही थी। वह सोच रहा था कि गौरी उसे देखकर क्या प्रतिक्रिया देगी। क्या वह भी उसे उतना ही मिस कर रही होगी जितना वह कर रहा था?
शिवाय ने स्कूटी पार्क की और तेजी से गेट नंबर 2 की तरफ बढ़ा। उसने गौरी को देखा जो विनायक कैंटीन के सामने खड़ी थी। गौरी के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी, जिसे देखकर शिवाय की चिंताएं कुछ कम हुईं।
जैसे ही शिवाय कैंटीन के सामने पहुंचा, उसकी आँखें उम्मीद से चारों ओर देखने लगीं। वह गौरी को ढूंढ रहा था, जिससे वह आज तक केवल तस्वीरों में मिला था। आस-पास के शोरगुल और छात्रों की भीड़ के बीच, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था।
एक मिनट बाद, शिवाय की नज़रें एक खूबसूरत लड़की पर टिक गईं, जो पेड़ की छाँव में खड़ी थी। वह लाल रंग का सूट पहने हुए थी, और उसके खुले हुए बाल हल्की हवा में लहरा रहे थे। उसकी खूबसूरती ऐसी थी कि जैसे कोई परी धरती पर उतर आई हो। सूरज की किरणें उसके चेहरे पर पड़ रही थीं, जिससे उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी।
शिवाय ने धीरे-धीरे उसकी ओर कदम बढ़ाए। उसके हर कदम के साथ उसकी धड़कनें तेज होती जा रही थीं। जैसे ही वह गौरी के पास पहुंचा, उसने गहरी साँस ली और उसे धीरे से पुकारा, "गौरी?"
गौरी ने पलटकर देखा, और उसकी मुस्कान ने शिवाय के दिल को छू लिया। वह उसे देखकर मुस्कुराई और बोली, "शिवाय? आखिरकार हम मिल ही गए।"
उस पल, समय मानो थम सा गया था। शिवाय ने गौरी के सामने खड़े होकर, उसके चेहरे को निहारा। वहाँ कुछ खास था जो उसे गौरी की ओर खींच रहा था—एक अनकहा संबंध, एक गहरी भावना, जिसे वह शब्दों में बयां नहीं कर सकता था।
जैसे ही गौरी और शिवाय की मुलाकात हुई, गौरी ने शिवाय से हाथ मिलाया और उसे अपने एक विदेशी दोस्त से मिलवाया, जिसका नाम ओरव था। गौरी की अंग्रेजी बहुत अच्छी थी, इसलिए वह आसानी से किसी भी विदेशी से बात कर सकती थी। शिवाय की अंग्रेजी उतनी अच्छी नहीं थी क्योंकि उसने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया था।
गौरी ने ओरव को शिवाय से मिलवाते हुए कहा, "Orav, he is Shivaay, my friend. He is making a robot." ओरव ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए पूछा, "Oh? What kind of robot?"
शिवाय को ओरव की अंग्रेजी समझ नहीं आई। उसने गौरी की तरफ देखते हुए कहा, "ये क्या बोल रहा है?"
गौरी धीरे से मुस्कुराई और बोली, "पूछ रहा है कि कैसा किस टाइप का रोबोट?"
शिवाय ने थोड़ा संभलते हुए कहा, "ओह, ये एक सर्विस रोबोट है, जो बुजुर्ग लोगों की मदद करने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है।" गौरी ने शिवाय की बात को फिर से ओरव को अंग्रेजी में समझाया।
ओरव ने इसमें दिलचस्पी दिखाई और कहा, "That sounds fascinating! How does it work?" गौरी ने फिर से धैर्यपूर्वक उनके बीच अनुवादक की भूमिका निभाई।
जैसे ही ओरव ने अपनी टैक्सी बुक की और उसे जाने के लिए तैयार होने का संकेत मिला, उसने गौरी को कुछ अंग्रेजी में कहा, जिसका शिवाय को पूरी तरह से अंदाजा नहीं था। गौरी ने शिवाय से कहा, "चलो, हम इसे टैक्सी तक छोड़कर आते हैं।" शिवाय ने बिना कुछ सोचे उसके साथ चल दिया।
वे दोनों ओरव के साथ टैक्सी तक गए। रास्ते में गौरी और शिवाय के बीच बातचीत होती रही। शिवाय गौरी की खूबसूरती में खोया हुआ था, उसके हर शब्द, हर मुस्कान में डूबता जा रहा था। उसे लग रहा था कि वह गौरी की खूबसूरती को देखकर ही सारी दुनिया भूल चुका है। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था, और उसे महसूस हुआ कि शायद यह वही प्यार है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि पहली नजर में ही हो जाता है।
ओरव को टैक्सी में बिठाने के बाद, गौरी और शिवाय वापस लौटने लगे। शिवाय ने इस मौके का इस्तेमाल किया और गौरी से उसकी जिंदगी, उसके सपने और उसके शौक के बारे में पूछा। वह हर शब्द को गौर से सुन रहा था, उसे महसूस हो रहा था कि गौरी के साथ बिताया हर पल उसके लिए अनमोल था
जैसे ही ओरव चला गया, शिवाय और गौरी वापस लौटने लगे। गौरी बातें करती जा रही थी, अपने दिन के अनुभवों, अपने विचारों को साझा कर रही थी, जबकि शिवाय उसमें पूरी तरह से खोया हुआ था। उसकी आंखें गौरी के चेहरे पर टिकी हुई थीं, उसके हर शब्द को सुन रहा था, उसकी हर हंसी में खो जा रहा था।
वह गौरी की उपस्थिति को महसूस कर रहा था, जैसे एक माँ अपने बच्चे के प्यार में खो जाती है। उसे एहसास हुआ कि वह गौरी के प्रति जो भावनाएँ रखता है, वो सिर्फ आकर्षण नहीं बल्कि गहरा प्रेम है। जब कोई इंसान प्रेम में होता है, तो दुनिया की सारी चीजें अर्थहीन सी लगने लगती हैं, और उसके लिए सिर्फ उस एक व्यक्ति का साथ ही सब कुछ होता है।
विनायक कैंटीन से निकलकर शिवाय और गौरी ने एक और कैंटीन की ओर कदम बढ़ाया जहां कम भीड़ थी। गौरी ने वहां एक आरामदायक जगह चुनी और दोनों ने चाय का ऑर्डर दिया। जब चाय आई, शिवाय ने एक सिप लिया और कहा, "चाय अच्छी है," हालांकि उसे पता था कि चाय उतनी अच्छी नहीं थी जितनी वह आमतौर पर पीता था। लेकिन वह गौरी के साथ खुश था और उसे बुरा महसूस नहीं कराना चाहता था।
गौरी ने शिवाय की प्रतिक्रिया पर धीरे से हँसते हुए कहा, "क्या सच में? मैंने देखा है तुम अच्छे-अच्छे कैफे में चाय पीते हो, फिर ये?" उसकी इस बात ने शिवाय को एक पल के लिए मुस्कुरा दिया। वह समझ गया कि गौरी उसे चिढ़ा रही है।
शिवाय ने गौरी की ओर देखा और नरमी से कहा, "हाँ, ये सच है कि मैं अक्सर अच्छी जगहों पर चाय पीना पसंद करता हूँ, लेकिन आज मैं जहाँ भी हूँ, तुम्हारे साथ हूँ, वहीं मेरे लिए खास है। तुम्हारी कंपनी इस चाय को भी खास बना देती है।"
गौरी ने इस बात को सुनकर गहरी नज़रों से शिवाय को देखा। उसकी आँखों में एक विशेष प्रकार का आभार और स्नेह था, जो शायद उसने पहले कभी शिवाय में नहीं देखा था।
उस पल में, दोनों के बीच की बातचीत और भी गहरी हो गई। वे अपनी जिंदगी, अपने सपने, और अपने अनुभवों के बारे में बात करते रहे।
जैसे ही गौरी और शिवाय फैकल्टी के पास पहुंचे, गौरी ने उत्साह से उसे अपने विभाग की विशेषताएँ बताईं। वहाँ उन्हें गौरी के कुछ सीनियर्स मिले, जिनसे गौरी ने शिवाय का परिचय करवाया। सीनियर्स ने शिवाय का स्वागत किया और उनसे बातचीत शुरू की।
बातचीत के दौरान, सीनियर्स कुछ ऐसी बातें कर रहे थे जो शिवाय को असहज महसूस करा रही थीं। उनका बात करने का ढंग ऐसा था जो शायद एक युवती के सामने उचित नहीं था। वे कुछ भद्दे मजाक कर रहे थे, जिससे शिवाय को लगा कि यह न केवल अनादरपूर्ण है बल्कि गौरी के लिए भी असहज कर देने वाला हो सकता है।
शिवाय ने इस बात को महसूस किया और उसे बहुत बुरा लगा, लेकिन वह जानता था कि इस परिस्थिति में कैसे संयम बरतना है। उसने तय किया कि वह इस मामले को ध्यानपूर्वक संभालेगा। उसने बातचीत की दिशा बदलने की कोशिश की, गौरी को आराम देने के लिए और भी विषयों की ओर मोड़ दिया।
"वैसे, गौरी तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है?" शिवाय ने पूछा, जिससे विषय बदल सके और गौरी को उस असहज स्थिति से बाहर निकाल सके।
गौरी ने सहजता से जवाब दिया और बातचीत को अपनी पढ़ाई की ओर मोड़ दिया, जिससे माहौल थोड़ा हल्का हो गया। शिवाय ने महसूस किया कि गौरी ने उसके प्रयास की सराहना की और वह थोड़ी और सहज महसूस करने लगी।
जैसे ही गौरी का सीनियर उसे गेट तक छोड़ने का प्रस्ताव देता है, गौरी शिवाय की ओर मुड़कर देखती है, उसकी आँखों में एक प्रश्न था। शिवाय के मन में उलझन थी। उसे गौरी के साथ और समय बिताने की इच्छा थी, लेकिन वह गौरी पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डालना चाहता था। इसलिए जब गौरी ने दोबारा पूछा कि क्या वह चली जाए, तो शिवाय ने भारी मन से कहा, "हाँ, तुम चली जाओ।"
गौरी ने शिवाय के चेहरे पर एक गहरी नजर डाली और सीनियर की बाइक पर बैठ कर चली गई। शिवाय वहाँ खड़ा रह गया, उसे गौरी के जाने का एहसास कुछ अधिक ही बुरा लगा। वह सोचता रहा कि अगर गौरी रुक जाती तो वह उसके लिए टैक्सी कर देता, वे और समय साथ बिता सकते थे।
शिवाय को एहसास हुआ कि उसकी भावनाएं गौरी के लिए कितनी गहरी हो चुकी थीं और गौरी का उस तरह जाना उसे कितना आहत कर गया था। वह वहां अकेला खड़ा रह गया, अपने विचारों में डूबा हुआ। उसने सोचा कि शायद उसे गौरी के साथ अपनी भावनाओं के बारे में ज्यादा खुलकर बात करनी चाहिए थी। उसने फैसला किया कि वह गौरी से अगली बार मिलेगा, तो अपनी भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करेगा, ताकि कोई भी गलतफहमी न रहे।
जैसे ही शिवाय लखनऊ विश्वविद्यालय से बाहर निकलता है, वह गौरी को कुछ स्नैप भेजता है जो उनके साथ बिताए गए क्षणों की यादें दर्शाते हैं। गौरी उन स्नैप्स को देखती है, लेकिन तुरंत कोई जवाब नहीं देती। शिवाय इस बात से थोड़ा चिंतित हो जाता है क्योंकि उसे उम्मीद थी कि गौरी कुछ जवाब देगी।
शाम को गौरी का संदेश आता है, "हेलो यार, तुम्हें बुरा तो नहीं लगा मैं वहां से चली गई। असल में मेरी लड़कियों वाली प्रॉब्लम हो गई थी, तो मैंने सोचा पैदल जाना पड़ेगा। क्यों ना लिफ्ट मिल रही है ले ली जाए।"
यह संदेश पढ़कर शिवाय को राहत महसूस हुई कि गौरी ने उसे अपने मन की बात समझाई और वह स्वीकार कर रही है कि उसे अचानक क्यों जाना पड़ा। शिवाय ने तुरंत जवाब दिया, "नहीं यार, मुझे बुरा नहीं लगा। मैं समझ सकता हूँ। मुझे बस चिंता हो रही थी कि सब ठीक है ना। तुम अब कैसी हो?"
शिवाय ने इस तरह से गौरी को दिखा दिया कि वह उसकी परवाह करता है और उसके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए चिंतित है
दो दिन के छोटे से अंतराल के बाद, जहां उन्होंने सिर्फ सामान्य स्नैप्स का आदान-प्रदान किया, शिवाय ने गौरी को एक मैसेज भेजा। "हेलो, कैसी हो दोस्त?" उसके संदेश में उसकी गर्मजोशी और गौरी के प्रति उसकी निरंतर दोस्ती की भावना साफ झलक रही थी।
गौरी ने जवाब दिया, "अच्छी हूँ," और इसके साथ ही उनके बीच सामान्य बातचीत शुरू हो गई। वे दोनों अपने दैनिक जीवन, छोटी-छोटी घटनाओं और अपने विचारों को साझा करने लगे।
इस तरह की नियमित और आरामदायक बातचीत ने उनके बीच की दोस्ती को और मजबूत कर दिया। शिवाय और गौरी दोनों के लिए यह एक सुखद अनुभव था क्योंकि उन्हें एक-दूसरे की संगति में आराम मिलता था।
इस दौरान, शिवाय ने महसूस किया कि उसकी भावनाएँ गौरी के लिए केवल दोस्ती से कुछ ज्यादा थीं। उसने सोचा कि शायद आने वाले समय में वह गौरी के साथ अपनी इन गहरी भावनाओं को भी साझा करेगा
शिवाय ने गौरी को शाम की चाय पर मिलने का प्रस्ताव भेजा और गौरी के जवाब की प्रतीक्षा कर रहा था। गौरी का जवाब आते ही, जिसमें उसने संकोच के साथ पूछा कि मुलाकात कहाँ होगी, शिवाय ने बताया कि वे इंजीनियरिंग कॉलेज पर मिलेंगे। गौरी ने सहमति जताई और शाम 5 से 6 के बीच आने का वादा किया। उसने यह भी कहा कि वह मार्केट जा रही है और वहाँ से लौटने के बाद आएगी।
शिवाय इस मुलाकात को लेकर खुश था और सोच रहा था कि पिछली बार वह गौरी से मिलने खाली हाथ चला गया था। इस बार उसने तय किया कि वह गौरी के लिए कुछ खास लेकर जाएगा। उसने गौरी के लिए कुछ स्नैक्स खरीदे, जिसे वह उनकी शाम की मुलाकात के दौरान उसे देना चाहता था। यह स्नैक्स खरीदना उसकी तरफ से एक प्यारा इशारा था, जिसे वह गौरी के साथ साझा करना चाहता था, ताकि उनकी मुलाकात और भी यादगार बन सके।
शिवाय के लिए यह न केवल एक मुलाकात थी बल्कि वह गौरी के साथ अपनी दोस्ती को एक नए स्तर पर ले जाने का मौका देख रहा था। वह चाहता था कि यह शाम उन दोनों के लिए खास हो और उनके बीच की दोस्ती और भी मजबूत हो
शाम के पाँच बजे थे जब शिवाय अपने दफ्तर से निकल पड़ा, उसके मन में गौरी से मिलने की उत्सुकता और थोड़ी बेचैनी भी थी। उसने गौरी को मैसेज किया, "कहाँ हो? कब तक पहुंचोगी?" गौरी का जवाब आया कि वह रास्ते में है और ऑटो में बैठी हुई है। शिवाय चौराहे पर पहुंच कर उसका इंतजार करने लगता है।
जैसे ही गौरी वहाँ पहुंचती है, उसने फोन पर शिवाय से पूछा, "कहाँ हो तुम?" शिवाय ने उत्तर दिया, "यहीं हूँ," और उसने आस-पास नजरें दौड़ाईं। भीड़ में गौरी को खोजना कोई मुश्किल काम नहीं था, क्योंकि वह सबसे अलग नजर आ रही थी—एक साधारण टी-शर्ट के ऊपर नीले रंग का जीन्स ब्लेज़र और खुले हुए बाल जो हल्की हवा में लहरा रहे थे। उसकी यह सादगी और अनायास खूबसूरती शिवाय के दिल को गहराई से छू गई।
गौरी की ओर बढ़ते हुए शिवाय की धड़कनें तेज हो गईं। जब वह गौरी के करीब पहुंचा, उसने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो।" गौरी ने शर्माते हुए उसकी प्रशंसा का जवाब दिया, और दोनों ने एक साथ आगे की ओर कदम बढ़ाया।
वे दोनों ने नजदीकी कैफे में जाने का फैसला किया जहां वे शांति से बैठकर चाय पी सकें और एक-दूसरे के साथ समय बिता सकें। उस खूबसूरत शाम में, चाय की चुस्कियों के साथ उनकी बातें और भी मधुर हो गईं। शिवाय ने गौरी के लिए खरीदे गए स्नैक्स निकाले, जिसे देख गौरी के चेहरे पर खुशी की एक मीठी मुस्कान खिल उठी।
उस खास दिन, 14 फरवरी को, जिसे प्रेमी-प्रेमिकाओं का दिन भी कहा जाता है, शिवाय को यह ध्यान नहीं था कि यह वैलेंटाइन डे है। वह और गौरी उसी दिन मिल रहे थे, और शिवाय के लिए यह संयोग से भरा पल था। वह गौरी के साथ बिताए हर पल को खूबसूरती से संजो रहा था और चाह रहा था कि ये लम्हें थोड़ी देर और ठहर जाएं।
दोनों कैफे में बैठे थे, जहां आसपास के माहौल में प्यार का जश्न मनाया जा रहा था। जोड़े अपने-अपने खास तरीके से इस दिन को मना रहे थे। शिवाय और गौरी के बीच की बातचीत में भी एक मिठास घुल रही थी, और शिवाय को महसूस हो रहा था कि गौरी के साथ बिताया गया हर पल कितना कीमती है।
शिवाय ने उस विशेष दिन पर गौरी के साथ होने के महत्व को महसूस किया और सोचा कि शायद यह सही समय है अपनी भावनाओं को उसके सामने व्यक्त करने का। वह थोड़ा नर्वस था, लेकिन उसने सोचा कि वह गौरी को बताएगा कि वह उसके लिए कितना खास है और उसके दिल में क्या है।
शिवाय के मन में गौरी के प्रति जो प्यार और भावनाएं थीं, वो उसे भारी कर रही थीं। वह उसे अपने दिल की बात बताना चाहता था, लेकिन उसे यह डर भी सता रहा था कि कहीं गौरी यह न सोचे कि इतनी जल्दी में वह कैसे प्यार में पड़ सकता है। वह जानता था कि प्यार किसी समय का मोहताज नहीं होता; यह एक ऐसी भावना है जो कभी भी, कहीं भी उभर सकती है और जब यह होती है, तो सब कुछ अनायास ही सही लगने लगता है।
लेकिन उस विशेष शाम, वैलेंटाइन डे के अवसर पर, शिवाय ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का साहस नहीं जुटा पाया। उसने बजाय इसके एक सुरक्षित रास्ता चुना। उसने गौरी से कहा, "गौरी, आओ चलें, मोमोस खाने चलते हैं।" इस तरह उसने वातावरण को हल्का करने की कोशिश की।
गौरी ने भी उसकी बात मान ली और दोनों निकल पड़े मोमोस खाने। उनका साथ चलना, उनकी बातें, हंसी-मजाक यह सब शिवाय के लिए बहुत मायने रखता था। भले ही उसने उस पल अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कीं, लेकिन उसे गौरी के साथ बिताए हर पल से प्यार था।
उन्होंने एक स्थानीय मोमोस की दुकान पर जाकर अपनी पसंद के मोमोस का आर्डर दिया। वे दोनों बातें करते हुए, हंसते हुए और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हुए मोमोस का आनंद ले रहे थे। इस तरह, शिवाय की वैलेंटाइन डे की शाम गौरी के साथ बिताने का सपना पूरा हुआ, भले ही उसने अपनी पूरी भावनाओं को व्यक्त नहीं किया, लेकिन वह उसके साथ खुशी के पल बिताने में सफल रहा।
शाम ढलने लगी थी और सूरज अपनी आखिरी किरणों को बिखेरते हुए आसमान को सुनहरा रंग दे रहा था। गौरी ने घर जाने की इच्छा जताई, लेकिन शिवाय के मन में तो जैसे कोई तूफान उठ रहा था। उसकी ख्वाहिश थी कि यह पल कुछ और देर ठहरे। हल्की-हल्की चलती हुई ठंडी हवा में, उसका मन गौरी के साथ बिताए गए लम्हों में खो गया। वह धीरे से उसकी ओर देखता, उसकी आँखों में बसी मुस्कुराहट को समेटने की कोशिश करता।
उसने शाम को देखते हुए, उस पल को ज़ेहन में बसा लिया और फिर धीरे से गौरी को ऑटो में बैठाया। जिस स्नैक्स को उसने प्यार से गौरी के लिए चुना था, उसने उसे एक थैले में बांध कर दिया। गौरी ने उस थैले को लेते हुए मुस्कुरा दी और कहा, "हमने यह एक्सपेक्ट नहीं किया था, शायद ये मिलना ख़ास था।" और फिर, ऑटो स्टार्ट होते ही चल पड़ा।
शिवाय वहाँ खड़ा, ऑटो को जाते हुए देखता रहा। उसके दिल में एक ही खयाल था, "काश ये शाम वापस से सुबह हो जाए और मैं कुछ पल गौरी के साथ और बिता सकूं।" लेकिन समय के साथ, ऑटो की दूरी बढ़ती गई और गौरी उसकी आँखों से ओझल हो गई।
इसके बाद, गौरी चली जाती है और घर पहुँचने के बाद उसने शिवाय को एक संदेश भेजा। संदेश में लिखा था, "मैं अभी पहुँच गई हूँ, और हाँ, थैंक्स फॉर टुडे।" शिवाय ने जैसे ही उस संदेश को पढ़ा, उसके दिल में एक अजीब सी उलझन महसूस हुई। उस पल में उसे एहसास हुआ कि वह गौरी से प्यार करने लगा है। वह पहले से उसकी ओर आकर्षित तो था ही, लेकिन अब यह भावना और भी गहरी हो गई थी।
उस रात, शिवाय ने अपने आपको बार-बार उन पलों को याद करते हुए पाया, जब वे साथ थे। उसने सोचा कि कैसे उन्होंने शाम को साथ बिताया था और कैसे गौरी ने उसे थैंक्स कहा था। वह उलझन में था कि इस प्यार का इजहार कैसे करे। क्या वह भी उसे उसी नजर से देखती है? क्या उसे भी वही एहसास है जो उसे हो रहा था? शिवाय ने उस रात को करवटें बदलते हुए गुजारी, सोचते-सोचते कि क्या वह अपने दिल की बात गौरी को बता पाएगा ?
शिवाय की दोस्ती अवनि से थी, जो न केवल उसकी बहन की तरह थी, बल्कि एक अच्छी दोस्त भी थी। शिवाय जब भी किसी उलझन में होता या उसे किसी बात की खुशी होती, वह सबसे पहले अवनि को ही बताता। उनकी रोज़ की बातें होती थीं और वे एक-दूसरे के सबसे अच्छे साथी थे।
उस रात, जब शिवाय गौरी के बारे में सोच-सोच कर परेशान हो रहा था, उसने अवनि को फोन किया। फोन उठाते ही उसने अवनि को सारी बातें बता दीं। उसने उसे बताया कि कैसे गौरी के साथ बिताए गए पलों ने उसके दिल में कुछ नई भावनाएं जगा दी हैं, और कैसे उसने उसे ऑटो में बैठाया था। शिवाय ने उसे बताया कि कैसे वह गौरी को देखते ही उसकी धड़कनें तेज हो जाती हैं और कैसे उसका मन करता है कि वह गौरी के साथ और समय बिताए।
अवनि ने उसे ध्यान से सुना और फिर कहा, "शिवाय, शायद तुम्हें उससे प्यार हो गया है।" उसके इन शब्दों ने शिवाय को और भी ज्यादा सोच में डाल दिया। अवनि ने उसे सलाह दी कि वह अपने दिल की सुने और अपनी भावनाओं का इजहार करे।
"तुम्हें उससे बात करनी चाहिए, उसे बताना चाहिए कि तुम कैसा महसूस करते हो। हो सकता है कि वह भी तुम्हारे बारे में वैसा ही सोचती हो," अवनि ने उसे प्रोत्साहित किया।
शिवाय ने अवनि की बातों पर विचार किया और सोचा कि शायद वह सही कह रही है। उसे गौरी से अपनी भावनाओं के बारे में बात करनी चाहिए। यह उसके लिए एक नया कदम होगा, लेकिन वह जानता था कि उसे यह कदम उठाना ही होगा।
गौरी और शिवाय की बातचीत जारी रही थी, लेकिन एक दिन गौरी ने शिवाय को सूचित किया कि अगले कुछ दिनों तक उनकी बातचीत में व्यवधान आ सकता है। "अब शायद हम दो-तीन दिन अच्छे से बात न कर पाएं क्योंकि पापा घर आ रहे हैं, और मुझे उनके साथ समय बिताना होगा," गौरी ने कहा। शिवाय ने इस बात को समझते हुए सहमति व्यक्त की।
दो दिन बीत गए और इस दौरान गौरी ने शिवाय के किसी भी संदेश को देखा तक नहीं। शिवाय ने चिंतित होते हुए एक संदेश भेजा जिसमें लिखा था, "क्या तुम मुझे इग्नोर कर रही हो?" पांच घंटे के बाद गौरी का जवाब आया। उसने लिखा, "तुम्हें बताया था कि पापा आने वाले हैं। हमें कमरा शिफ्ट करना है और बहुत काम है। कल से दो मिनट की भी फुर्सत नहीं मिली।"
इस संदेश ने शिवाय को थोड़ी राहत पहुंचाई, क्योंकि उसे यह समझ आया कि गौरी व्यस्त है, न कि उसे नजरअंदाज कर रही है। शिवाय ने सोचा कि वह गौरी को उसके काम में व्यवधान नहीं डालेगा और उसके काम पूरे होने का इंतजार करेगा। इस बीच, वह अपनी भावनाओं को संभालने का प्रयास करता रहा, गौरी के साथ अपनी भावनाओं का इजहार करने का सही समय तलाशते हुए।
शिवाय और गौरी के बीच की बातचीत कुछ दिनों तक ठंडी पड़ी रही। शिवाय, जो अपने दिल में गौरी के लिए गहरी भावनाएँ रखता था, उसे गौरी का बार-बार संदेशों को अनदेखा करना बहुत खटकने लगा। एक दिन उसने नहीं रहा जाता और उसने गौरी से पूछ ही लिया, "तुम मुझे क्यों इग्नोर कर रही हो? क्या मैंने कुछ गलत कहा या तुम्हें कुछ बुरा लगा?"
थोड़ी देर बाद गौरी का जवाब आया, "अरे यार, तुम इतना क्यों सोचते हो? ऐसा कुछ नहीं है। सच बताऊँ तो तुम जो बार-बार बोलते हो—रोज़ की तरह खाना खा लेना, समय पर सो जाना—शायद इससे हमें यह लगता है कि हम कमजोर हैं।"
यह सुनकर शिवाय को बहुत बुरा लगा। उसकी नियत तो केवल गौरी की देखभाल करने की थी, लेकिन उसे एहसास हुआ कि उसकी यह देखभाल गौरी को बंधन में डाल रही थी। वह दिल से गौरी को पसंद करने लगा था, इसलिए उसने तुरंत माफी मांगते हुए कई इमोशनल संदेश भेजे। उसने लिखा, "मुझे माफ कर दो, मेरा इरादा तुम्हें असहज महसूस कराने का नहीं था।"
इस परिस्थिति के तनाव में, शिवाय ने बिना सोचे-समझे गौरी से कह दिया, "मैं तुमपे लाइन नहीं मार रहा हूँ, तुम चाहो तो मुझे भाई कह सकती हो।" यह शायद उसकी ओर से एक सुरक्षात्मक कदम था, क्योंकि वह गौरी को खोना नहीं चाहता था और न ही उसे बुरा महसूस कराना चाहता था। उसके ये शब्द उसकी उस घबराहट को दर्शाते थे जो उसे गौरी से दूर होने के डर से महसूस हो रही थी
गौरी ने शिवाय के संदेश का जवाब देते हुए कहा, "मैं तुम्हें अच्छे से जानती हूँ। तुम्हारी इमेज हमारे दिमाग में सबसे पॉजिटिव है।" गौरी के इस आश्वासन ने शिवाय को थोड़ा सहज महसूस कराया। वह समझ गया कि उसकी चिंताएँ और देखभाल कभी-कभी गौरी के लिए अधिक हो सकती हैं, और उसने उसे आश्वासन दिया कि वह भविष्य में ऐसी बातें नहीं कहेगा जो गौरी को असहज कर सकती हैं।
"मैं समझता हूँ, और मैं वादा करता हूँ कि आगे से ऐसी बातें नहीं करूंगा जो तुम्हें असहज करें। मैं बस तुम्हारा ख्याल रखना चाहता था, लेकिन मैं समझता हूँ कि हर किसी को अपनी जगह और स्वतंत्रता चाहिए होती है," शिवाय ने कहा।
इस बातचीत के बाद, उनकी बातें फिर से सामान्य हो गईं। उनके बीच की समझ और गहरी हुई, और वे एक-दूसरे के साथ और अधिक सहज और खुले हो गए। शिवाय और गौरी ने फिर से अपने रोज़मर्रा के विषयों पर बातचीत शुरू की, जिससे उनका रिश्ता और मजबूत होता गया
शिवाय अपनी भावनाओं को जाहिर करने का सही समय तलाश रहा था, लेकिन गौरी के साथ हालिया घटनाक्रम ने उसे और भी सावधान बना दिया था। वह यह सोचने लगा कि शायद थोड़ा और समय लेकर, जब वे एक दूसरे को और अच्छे से समझ जाएंगे, तब अपनी भावनाओं का इज़हार करना उचित होगा। इसलिए, उसने फैसला किया कि वह कुछ दिनों बाद गौरी को अपने दिल की बात बताएगा।
उनकी बातचीत अब रोज़मर्रा की सामान्य बातों तक सीमित हो गई थी, जिसमें वे एक-दूसरे का हालचाल पूछते थे। फिर एक दिन, एक खास मौका आया जब गौरी ने कहा, "तुम्हें पता है, मेरी ज़िंदगी में कोई आया है।"
यह सुनते ही शिवाय का दिल बैठ गया। उसके दिल में एक पल के लिए जैसे समय थम गया। उसने जिस प्यार की अभिव्यक्ति के लिए दिन गिने थे, वह अब जैसे उससे दूर जा रहा था। उसके मन में तरह-तरह के विचार आने लगे। क्या अब भी उसे अपनी भावनाओं का इज़हार करना चाहिए? क्या अब भी उसके लिए कोई मौका है?
शिवाय के दिल में जैसे तूफान उठ गया। गौरी के उन शब्दों ने उसे अंदर तक हिला दिया, और उसकी आंखों से अनायास ही आंसू बह निकले। उसने जो सपने संजोए थे गौरी के साथ एक सुखद जीवन के, वो सभी एक पल में चूर-चूर हो गए थे। उसके मन में उम्मीद की एक मधुर धुन बजती रही थी कि एक दिन वह गौरी को अपने दिल की बात बता पाएगा, और शायद वह भी उसे समझ पाएगी। लेकिन अब, वह सब कुछ जैसे धुंधला गया था।
शिवाय का दिल टूटा हुआ महसूस कर रहा था, और वह अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था। उसके सपने, उसकी आशाएँ, उसकी ख्वाहिशें—सब कुछ जैसे उससे छीन लिया गया था। वह सोच रहा था कि उसके साथ यह सब क्यों हो रहा है। क्यों उसकी खुशियाँ, उसके सपने, उसे इस तरह से त्यागने पर मजबूर कर रहे थे?
उसने अपने आप को एक कोने में सिमटते हुए पाया, अकेला और टूटा हुआ। उसे लगा जैसे उसकी सारी उम्मीदें और खुशियाँ उसकी पहुँच से बाहर हो गई थीं। वह रोता रहा, उसके दिल की पीड़ा को कोई नहीं समझ सकता था। उस पल में, शिवाय ने महसूस किया कि प्यार में पड़ना कितना दर्दनाक हो सकता है, खासकर जब वह प्यार एकतरफा हो।
शिवाय ने अपने दिल की पीड़ा को छुपाए रखा और गौरी के साथ वही खुशमिजाज और सहायक रवैया अपनाया जो उसने हमेशा से दिखाया था। उसने खुद को समझाया कि जिसे वह प्यार करता है, उसकी खुशी में ही उसकी खुशी होनी चाहिए। इसलिए जब गौरी ने अपने जीवन में किसी नए व्यक्ति के बारे में बताया, तो शिवाय ने तुरंत पूछा, "कौन है वो?"
गौरी ने उस व्यक्ति की कुछ जानकारी और उसकी फोटो शिवाय के साथ साझा की। शिवाय ने देखा कि वाकई वह लड़का सुंदर था। लेकिन शिवाय के मन में उसके प्रति संदेह था, और वह गौरी की सुरक्षा के लिए चिंतित हो उठा। इसलिए उसने उस लड़के की इंस्टाग्राम आईडी की तहकीकात की। उसके द्वारा पोस्ट की गई सामग्री और उसके दोस्तों के साथ की गई बातचीत से शिवाय को यह आभास हो गया कि वह व्यक्ति जितना बाहर से दिखता है, अंदर से उतना अच्छा इंसान नहीं है।
इस परिस्थिति ने शिवाय को और भी अधिक विचलित कर दिया। उसे समझ में आया कि गौरी को उसकी भावनाओं का अंदाजा नहीं था, और वह यह भी जान गया कि गौरी एक ऐसे व्यक्ति के प्रति आकर्षित हो रही है जो शायद उसके लिए सही नहीं है। यह जानकारी शिवाय के लिए दोहरी पीड़ा का कारण बनी, एक तो उसकी अपनी अधूरी मोहब्बत की वजह से और दूसरी गौरी की संभावित असुरक्षा की वजह से
शिवाय का दिल पहले से भी ज्यादा टूट गया जब गौरी ने उसे बताया कि वह उस व्यक्ति के साथ चार दिन बाद डेट पर जा रही है। हालांकि शिवाय के अंदर एक तूफान उमड़ रहा था, फिर भी उसने अपनी भावनाओं को छुपाए रखा और गौरी को सहारा दिया। उसने गौरी से कहा, "जाना, मगर आराम से।" उसके इन शब्दों में गौरी के प्रति उसकी चिंता और देखभाल झलक रही थी, यह जताते हुए कि वह गौरी की खुशी को सबसे ऊपर रखता है।
उस रात, उनकी बातचीत 'गुड नाइट' कहने के बाद समाप्त हो गई, और दोनों ने फोन रख दिया। शिवाय अकेला बैठा, अपने विचारों में डूबा हुआ। उसने सोचा कि शायद यह उसके लिए भी एक अवसर हो सकता है कि वह अपनी भावनाओं को समझे और गौरी के लिए जो बेहतर हो, उसे स्वीकार करे।
उस रात शिवाय को नींद नहीं आई। उसके दिल में गहरा दर्द था, लेकिन उसने फैसला किया कि वह गौरी के जीवन में खुशी भरे पलों की कामना करेगा, भले ही उसके अपने दिल की कीमत पर हो। वह जानता था कि सच्चा प्यार वही है जो समर्पण की भावना से ओत-प्रोत होता है, और उसने इसे दिल से स्वीकार किया।
उस रात शिवाय अपने आंसुओं के साथ संघर्ष करते हुए अपने गुरु बाबा नीम करोली से प्रार्थना कर रहा था। उसका दिल भरा हुआ था दर्द और निराशा से, और वह पूछ रहा था, "जब मिलाना नहीं होता तो क्यों मिलाते हो मुझे लोगों से?" उसकी आवाज में टूटन और वेदना साफ झलक रही थी। वह रोते-रोते थक कर सो गया, और उसकी नींद में उसे एक अद्भुत सपना आया।
सपने में, बाबा नीम करोली उसके सामने प्रकट हुए। उन्होंने शिवाय को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "क्यों परेशान होते हो? मैंने ही तुम्हें उसकी जिंदगी में भेजा है। सबर रखो और उसके लिए समर्पित रहो।" बाबा के ये शब्द शिवाय के दिल को छू गए। उनकी आवाज में एक गहराई थी, जो शिवाय को एक नई दृष्टि दे रही थी।
जब शिवाय सुबह उठा, तो उसे अपने सपने की बातें याद थीं, और उसने महसूस किया कि उसे एक नई दिशा मिल गई थी। उसे लगा कि शायद उसकी भूमिका गौरी के जीवन में कुछ और ही है। बाबा की बातों ने उसे समझाया कि सच्ची सेवा और समर्पण में ही उसका असली पथ है।
शिवाय ने फैसला किया कि वह गौरी की खुशी और सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगा, भले ही इसका मतलब है कि वह अपनी खुद की भावनाओं को पीछे छोड़ दे। यह उसके लिए एक नया आध्यात्मिक जागरण था, और उसने अपने गुरु की शिक्षाओं को दिल से अपना लिया।
शिवाय ने अपने दिल को कठोर कर लिया था और अपने जीवन में आगे बढ़ने की ठानी थी। चार दिन बाद, गौरी ने इंस्टाग्राम पर एक कहानी पोस्ट की जिसमें वह उस लड़के के सीने पर सिर रखे हुए थी और फोटो के कैप्शन में लिखा था, "मुस्कुराइए क्या पता ये दांत कब गिर जाए।" यह देखकर शिवाय का दिल फिर से उदास हो गया।
उसने गहरी सांस ली और सोचा, "उसकी खुशी में ही मेरी खुशी है।" इस पल ने उसे और भी अधिक विचारशील बना दिया। उसे एहसास हुआ कि शायद यदि वह आज शक्ल से थोड़ा और सुंदर होता, तो शायद उसे भी वह प्यार मिलता जो आज गौरी किसी और को दे रही थी। यह सोच उसे कहीं न कहीं और भी अधिक टूटने का अहसास कराती थी, लेकिन फिर भी उसने खुद को संभाला।
शिवाय ने इस स्थिति को स्वीकार करने का प्रयास किया और खुद को यह याद दिलाया कि असली सुंदरता व्यक्ति के चेहरे में नहीं बल्कि उसके चरित्र में होती है। वह अपनी भावनाओं को पोषित करने और गौरी के लिए खुश रहने का प्रयास करने लगा, भले ही उसका दिल कितना ही पीड़ित क्यों न हो।
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, शिवाय और गौरी के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। इस चुप्पी ने शिवाय को गहराई से प्रभावित किया। उसके जीवन में एक रिक्तता सी महसूस होने लगी, जैसे उसका सब कुछ उससे दूर चला गया हो। वह अब पहले जैसा नहीं रहा था; उसकी उर्जा कम हो गई थी, और वह काफी सहमा हुआ और चुपचाप रहने लगा था। उसकी खुशमिजाजी और जिंदादिली कहीं खो गई थी।
शिवाय ने खुद को अपने काम में व्यस्त करने की कोशिश की, लेकिन उसका मन नहीं लग रहा था। उसके दिल और दिमाग में गौरी के बारे में विचार घूमते रहते। वह हर समय सोचता कि क्या गौरी खुश है, क्या वह सुरक्षित है, और क्या उस व्यक्ति ने उसका ध्यान रखा है। ये सवाल उसे बेचैन कर देते।
वह इस दर्द और अकेलेपन को समझने की कोशिश कर रहा था, और धीरे-धीरे उसने समझा कि जीवन में कभी-कभी कुछ चीजें हमारे हाथ में नहीं होतीं। उसने खुद को इस भावनात्मक उलझन से उबारने के लिए ध्यान और योग की ओर रुख किया, और धीरे-धीरे अपनी आत्मा को शांति देने की कोशिश की।
इस प्रक्रिया में, शिवाय ने महसूस किया कि जब हम किसी को दिल से प्यार करते हैं, तो उसकी खुशी के लिए अपनी खुशी का त्याग करना पड़ता है। वह इस बात को स्वीकार करने लगा कि उसे गौरी की खुशी के लिए खुश रहना होगा, भले ही वह खुशी उसके साथ न हो।
एक दिन, शिवाय ने अपने दिल की सारी हिम्मत जुटाकर गौरी को एक संदेश लिखा। उसके "हेलो" का जवाब गौरी ने भी "हेलो" के साथ दिया। शिवाय ने धीरे-धीरे बातचीत को आगे बढ़ाया, पहले उसने गौरी का हाल-चाल पूछा, और फिर उसकी जिंदगी के बारे में सवाल किया। गौरी ने बताया कि उस लड़के ने उसे छोड़ दिया है। उस लड़के ने पिछले तीन दिनों से उसके संदेशों को नहीं देखा था, और वह इसे लेकर काफी परेशान थी।
यह सुनकर शिवाय के दिल में द्वंद्व महसूस हुआ। एक ओर, वह गौरी के उदास होने की वजह से दुखी था। वह नहीं चाहता था कि गौरी को कोई भी तकलीफ हो। लेकिन दूसरी ओर, उसे यह जानकर थोड़ी खुशी भी हुई कि शायद अब उसे गौरी की जिंदगी में फिर से एक जगह बनाने का मौका मिल सकता है।
इस पल में शिवाय ने महसूस किया कि सच्चे प्यार में स्वार्थ नहीं होता। उसने गौरी को दिलासा देने का फैसला किया, उसे बताया कि वह हमेशा उसके साथ है, चाहे कुछ भी हो जाए। शिवाय ने गौरी को समझाया कि कभी-कभी जीवन में जो होता है, उसमें कोई न कोई बेहतरी छिपी होती है, और उसने उसे आश्वस्त किया कि वह अपने अनुभवों से मजबूत बनकर उभरेगी।
शिवाय ने गौरी को सहारा देने का वचन दिया, उसके लिए वहाँ रहने की प्रतिबद्धता जताई, और उसे यह भरोसा दिलाया कि वह कभी भी अकेली नहीं है।
शिवाय ने गौरी के साथ हुई अपनी बातचीत और उसकी वर्तमान भावनात्मक स्थिति को अवनि के साथ साझा किया। अवनि ने सुनने के बाद कहा, "अब बोल दो उसे कि तुम उससे प्यार करते हो।" शिवाय ने जवाब दिया, "मेरी हिम्मत नहीं होती।" इस पर अवनि ने एक सुझाव दिया, "तुम्हें लिखना पसंद है, एक काम करो, अपने निस्वार्थ प्रेम को तुम एक किताब में लिख कर गौरी को दो। वह जरूर समझेगी।"
शिवाय को यह विचार बेहद पसंद आया। उसने फौरन इस पर काम शुरू कर दिया। वह गौरी के लिए एक किताब लिखने लगा, जिसमें उसने अपनी सारी भावनाएं और गौरी के प्रति अपने अनंत प्रेम को शब्दों में बयान किया। यह किताब उसके दिल की गहराइयों से निकली एक कलाकृति बन गई, जिसमें उसने गौरी के साथ बिताए हुए पलों को, उसके प्रति महसूस किए गए हर एहसास को, और अपनी हर उम्मीद को समेट लिया था।
इस प्रोजेक्ट में शिवाय ने अपनी सारी ऊर्जा और समर्पण लगा दिया। उसने सोचा कि यह किताब न केवल गौरी को उसके प्रेम का एहसास कराएगी, बल्कि उसे यह भी बताएगी कि वह किस हद तक उसके लिए महत्वपूर्ण है। शिवाय ने इस किताब को गौरी को देने की योजना बनाई, जिससे वह अपने दिल की गहरी बातों को उसके सामने रख सके
शिवाय ने अपने प्यार को कलम की नोक पर उतारना शुरू कर दिया था। हर दिन वह कुछ न कुछ लिखता, और जैसे-जैसे वह लिखता गया, उसका प्यार गौरी के प्रति और भी गहरा होता गया। उसने गौरी के साथ बिताए गए खास पलों को याद किया, उन लम्हों को कागज पर उतारा जब उसने गौरी की मुस्कान में अपनी खुशियाँ देखीं, उन बातों को लिखा जो उन्होंने साझा की थीं, और उन भावनाओं का वर्णन किया जो उसने गौरी के लिए महसूस की थीं।
प्रेम में पड़ा हुआ एक व्यक्ति वाकई में अपनी प्रियतमा के लिए सब कुछ कर सकता है। शिवाय ने इसे चरितार्थ किया जब उसने गौरी का एक स्केच बनाने का निर्णय लिया। उसने अपने कमरे में बैठकर गौरी की एक तस्वीर के सामने स्केचबुक और पेंसिल थामी, और धीरे-धीरे उसके चेहरे की रेखाओं को कागज पर उतारना शुरू किया। वह चाहता था कि यह स्केच गौरी की सुंदरता और उसके चरित्र को पूरी तरह से प्रकट करे।
शिवाय ने हर विवरण पर ध्यान दिया, गौरी के बालों की लहराती हुई रेखाएं, उसकी आंखों की चमक, और उसके होंठों की मुस्कान को बड़े प्यार से खींचा। उसकी कला में उसकी भावनाएँ झलक रही थीं, और यह स्केच न केवल एक तस्वीर बन गया, बल्कि शिवाय के प्यार का प्रतीक भी बन गया।
इस कलाकृति को वह उस किताब के साथ गौरी को देने का इरादा रखता था, जिसे वह लिख रहा था। यह सब कुछ उसके प्यार की गहराई और समर्पण को दर्शाने के लिए था, एक उम्मीद के साथ कि गौरी उसकी भावनाओं को समझेगी और उसकी अनूठी प्रेम कहानी को महसूस करेगी।
शिवाय ने गौरी को भेजा गया स्केच बड़ी मेहनत और प्यार से बनाया था। गौरी ने जब स्केच देखा, तो उसने इसकी तारीफ की और धन्यवाद भी दिया। यह जानकर कि गौरी ने स्केच की सराहना की है, शिवाय को थोड़ी खुशी तो हुई, लेकिन जो गहरा असर वह गौरी पर छोड़ना चाहता था, वह नहीं हुआ। गौरी की प्रतिक्रिया में वह भावनात्मक गहराई नहीं थी जिसकी शिवाय को उम्मीद थी। उसने सोचा था कि शायद यह स्केच उनके बीच की दूरियों को कम करने में मदद करेगा और गौरी को उसके प्यार का एहसास दिलाएगा।
इस परिणाम ने शिवाय को कुछ निराश किया। उसने महसूस किया कि प्यार में सिर्फ अपनी भावनाएं व्यक्त करना पर्याप्त नहीं होता; यह जरूरी है कि दूसरा व्यक्ति भी उसे उतनी ही गहराई से महसूस करे। उसने सोचा कि शायद गौरी के लिए उसकी भावनाएं सिर्फ दोस्ती तक सीमित रहेंगी और वह उसे उस नजरिए से नहीं देख पा रही है, जैसा कि शिवाय चाहता था।
इस स्थिति ने शिवाय को एक नए सिरे से सोचने का मौका दिया। उसने फैसला किया कि वह गौरी के साथ अपनी दोस्ती को महत्व देगा और उसे अपनी खुशियों का हिस्सा बनाए रखेगा, भले ही वह उसे प्यार के रूप में न स्वीकारे। शिवाय ने यह भी सोचा कि वह गौरी के लिए अपनी लिखी हुई किताब को पूरा करेगा, क्योंकि यह न केवल उसके प्यार का इज़हार है, बल्कि उसकी भावनाओं को संजोने का एक तरीका भी है। उसने सोचा कि भविष्य में शायद यह किताब गौरी को उसके दिल की गहराई का एहसास दिला सके।
जब शिवाय के जीवन में यह दुर्घटना हुई, उसका दर्द और गहरा हो गया। उसके रिश्तेदार भाई की आकस्मिक मृत्यु ने उसे गहरे शोक में डुबो दिया। इस कठिन समय में, गौरी ने शिवाय का साथ दिया और उसे समझाया कि वह अकेला नहीं है। गौरी का यह सहयोग शिवाय के लिए एक सहारे की तरह था। गौरी ने उसे बताया कि जब भी उसे जरूरत हो, वह उसे कॉल कर सकता है।
हालांकि गौरी ने उसे यह आश्वासन दिया कि वह कभी भी उसके लिए उपलब्ध है, शिवाय ने आज तक गौरी को खुद से कभी कॉल नहीं किया था। शिवाय अक्सर अपने आप को दूसरों से अलग और आत्मनिर्भर समझता था। वह अपनी समस्याओं को खुद ही हल करने की कोशिश करता था, और दूसरों पर बोझ बनने से बचता था। इसी वजह से उसने कभी गौरी को खुद से कॉल नहीं किया था।
लेकिन इस बार की स्थिति ने शिवाय को अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया। गौरी का अनवरत समर्थन और उसकी सहानुभूति ने उसे यह एहसास दिलाया कि कभी-कभी दूसरों की मदद लेना भी ठीक होता है, और यह कि वह अकेला नहीं है। इस घटना ने शिवाय और गौरी के बीच के संबंधों को और भी मजबूत किया, और शिवाय को यह अहसास दिलाया कि गौरी उसके लिए एक सच्ची दोस्त और सहारा है।
शिवाय के लिए यह समय बेहद कठिन था। वह एक दुखद घटना से उबर ही रहा था कि उसकी जिंदगी में एक और बड़ी मुसीबत आ गई। इस बार, उसकी चार साल पुरानी और एकमात्र सच्ची दोस्त अवनि ने अपने मंगेतर के कहने पर उसे और अन्य दोस्तों को सोशल मीडिया पर ब्लॉक कर दिया। शिवाय ने अवनि से बहुत विनती की, लेकिन अवनि अपनी मजबूरी में बांधी गई थी और उसे शिवाय की बात मानने से इनकार कर दिया।
इस घटना से शिवाय को गहरा धक्का लगा। जिस दोस्त पर उसे सबसे ज्यादा भरोसा था, वही उससे दूर चली गई थी। इसके अलावा, गौरी के प्रति उसका एकतरफा प्यार उसे और भी अधिक अकेला महसूस करा रहा था। इस समय शिवाय को लगा कि वह पूरी तरह से अकेला पड़ गया है, और उसके पास कोई नहीं है जिससे वह अपने दिल की बात कह सके।
ऐसे में, शिवाय ने अपनी भावनाओं को संभालने का प्रयास किया। उसने खुद को और अधिक ध्यान और मेडिटेशन में लगाने का निर्णय लिया। उसने महसूस किया कि इस समय उसे अपनी आत्मा की शांति की बहुत जरूरत है। इसके साथ ही, वह अपनी लिखावट में भी और अधिक समय देने लगा, क्योंकि यह उसके लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक माध्यम था। उसने गौरी के लिए अपनी किताब पर काम जारी रखा, जिससे उसे अपने दुखों का सामना करने में मदद मिली।
इस तरह, शिवाय ने अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए अपनी आंतरिक शक्ति को पहचाना और उसे और अधिक मजबूती से पकड़ने की कोशिश की
जब शिवाय ने गौरी के साथ अपनी वर्तमान परिस्थितियों और अपने मन की उलझनों को साझा किया, गौरी ने उसे सांत्वना दी और सहारा देने का प्रयास किया। उसने शिवाय से कहा, "कोई बात नहीं, रिलैक्स रहो। इतना मत सोचा करो।" गौरी की इस प्रतिक्रिया ने शिवाय को कुछ हद तक शांति दी। गौरी के शब्दों में एक सरलता और समझदारी थी जिसने शिवाय को यह अहसास दिलाया कि वह अकेला नहीं है और किसी का सहारा है जो उसकी चिंताओं को समझता है।
गौरी का यह सहयोग शिवाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। यह उसे याद दिलाता है कि संवेदनशीलता और समर्थन अक्सर उन लोगों से मिलता है जो हमारी परवाह करते हैं। इसने उसे और अधिक संतुलन और धैर्य रखने की प्रेरणा दी। गौरी के इन शब्दों से शिवाय को यह भी एहसास हुआ कि जीवन की कठिनाइयों का सामना करते समय किसी की सकारात्मक सोच और सहयोग से बड़ी मदद मिल सकती है।
इस घटनाक्रम ने शिवाय को गौरी के प्रति उसके एकतरफा प्यार को भी थोड़ा अलग नजरिये से देखने का मौका दिया।
उस रात, शिवाय जैसे ही सोने के लिए लेटा, उसके सपने में फिर से बाबा नीम करोली के दर्शन हुए। बाबा ने उसे देखा और कहा, "तू फिर आज परेशान है। अपने कर्म करो, परेशान रहना कोई मुसीबत का हल नहीं है।" शिवाय ने यह सुनते ही बाबा से प्रश्न किया, "क्या गौरी उसका क्या है महाराज? मैं फंस चुका हूँ इन उलझनों में।"
बाबा ने उत्तर दिया, "मैंने तुम्हें भेजा है उसकी ज़िन्दगी में। तुम्हीं उसकी ज़िन्दगी को एक नई राह दिखाओगे और तुम ही उसकी ज़िन्दगी में महत्वपूर्ण व्यक्ति बनोगे। उसकी ज़िन्दगी में कोई और नहीं आएगा।"
इस सपने का शिवाय पर गहरा प्रभाव पड़ा। बाबा के शब्दों ने उसे एक नई दिशा और उम्मीद दी। शिवाय को यह समझ में आया कि उसकी भूमिका गौरी के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है और उसे अपनी चिंताओं को छोड़कर, अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए।
यह दर्शन और इन शब्दों ने शिवाय को अपने पथ पर चलने की शक्ति दी। उसने तय किया कि वह गौरी के साथ अपने रिश्ते को और अधिक समर्पित और सहायक बनाएगा, और अपनी भावनाओं को सही दिशा में ले जाएगा। उसने महसूस किया कि उसके कर्म ही उसे गौरी के साथ एक मजबूत और स्थायी बंधन बनाने में मदद करेंगे, और उसने इस नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया
शाम को गौरी का संदेश आने के बाद, शिवाय और गौरी के बीच बातचीत शुरू हो गई। उनकी बातचीत आरामदायक और हल्की-फुल्की थी, लेकिन कुछ देर बाद गौरी ने वॉयस कॉल कर दिया। इस कॉल में गौरी ने शिवाय से उसका हालचाल पूछा, और वे दोनों हंसी-मजाक करने लगे। हालांकि, बातचीत के दौरान गौरी अपनी पारिवारिक समस्याओं को लेकर काफी उदास थी, और बातचीत के बीच में ही उसकी आवाज़ में दुख और निराशा साफ सुनाई दे रही थी।
जैसे ही गौरी रोने लगी, शिवाय को बहुत बुरा लगा। उसे गौरी को इस तरह दुखी और रोते हुए देखना सहन नहीं हो रहा था। उसने तुरंत गौरी को ढाढस बंधाने की कोशिश की। शिवाय ने गौरी से कहा, "गौरी, तुम अकेली नहीं हो। मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। जो भी हो, हम मिलकर सामना करेंगे।" उसने गौरी को यह याद दिलाया कि वह हमेशा उसके लिए वहाँ है, चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों न हो।
इस घटना ने शिवाय को गौरी के प्रति अपने संकल्प की याद दिला दी। उसने गौरी को समझाया कि परिवार की समस्याएं कभी-कभी भारी हो सकती हैं, लेकिन वे इन्हें मिलकर हल कर सकते हैं। शिवाय ने गौरी को उसके दुखों का सामना करने में मदद करने की कोशिश की और उसे आश्वासन दिया कि वह अकेली नहीं है।
थोड़ी देर की बात के बाद जैसे ही गौरी ने उसे बताया कि उसकी ज़िन्दगी में कोई नया आया है, शिवाय के हृदय में एक बार फिर दर्द की लहर दौड़ गई। पहले तो उसे लगा कि यह शायद एक मज़ाक हो, लेकिन गौरी की गंभीरता ने उसे जल्द ही यथार्थ का सामना करने पर मजबूर कर दिया। शिवाय ने ऊपरी खुशी दिखाते हुए पूछा कि वह व्यक्ति कौन है, लेकिन अंदर से वह टूट रहा था। गौरी के वर्णन से पता चला कि वह लड़का एक प्रतिष्ठित कॉलेज से MBA कर रहा था और पढ़ाई के सिलसिले में बाहर गया हुआ था। गौरी की आवाज़ में उत्साह था जब उसने कहा कि वह लड़का बहुत क्यूट है और वह उसके वापस आने पर उसके साथ डेट पर जाएगी।
इस खबर ने शिवाय के दिल में एक गहरी वीरानी छोड़ दी। उसकी आत्मा में जैसे अंधेरा घिर आया। उसने खुद को सांत्वना देने की कोशिश की कि गौरी की खुशी में ही उसकी खुशी है, लेकिन उसका दिल इस सच्चाई को स्वीकार करने से इंकार कर रहा था। उसे लगा जैसे उसके सपने और उम्मीदें, जिन्हें उसने गौरी के साथ संजो कर रखा था, एक पल में बिखर गए थे।
वह रातभर करवटें बदलता रहा, गौरी के बारे में सोचता रहा, और उस नए व्यक्ति के बारे में जो अब उसकी जगह ले चुका था। शिवाय के लिए यह स्वीकार करना बहुत मुश्किल था कि गौरी का दिल अब किसी और के लिए धड़क रहा था। उसे यह भी डर सता रहा था कि कहीं वह गौरी के साथ अपनी दोस्ती भी न खो दे।
शिवाय के लिए, यह पुनरावृत्ति का एक दर्दनाक अनुभव था। इससे पहले भी वह गौरी को किसी और के प्रति आकर्षित होते देख चुका था, और दोनों बार उसने देखा कि गौरी को वो लोग अच्छे लगे जो शक्ल से आकर्षक थे। इस दोहराव ने उसे यह समझने पर मजबूर किया कि शायद आकर्षण की पहली बुनियादी शर्त अक्सर बाहरी रूप होती है। शिवाय को लगा कि दुनिया में अच्छे दिल की कद्र करने वाले लोग बहुत कम हैं और यदि आजकल प्यार पाना है तो शायद अच्छी शक्ल और आकर्षक रूप जरूरी है।
हालांकि यह विचार उसके मन में बार-बार उठता, उसने कभी भी इस बात को गौरी के सामने जाहिर नहीं होने दिया। उसने हमेशा खुद को संयमित रखा और गौरी के प्रति अपनी दोस्ती और समर्थन को कभी कम नहीं होने दिया। उसने सोचा कि गौरी की खुशियों में ही उसकी खुशी है, चाहे वह खुशी उसे दूसरों के साथ देखकर ही क्यों न मिले।
इस पूरी प्रक्रिया में, शिवाय ने सीखा कि जिंदगी में अगर किसी से सच्चा प्यार किया जाए, तो उसे बिना किसी शर्त के, उसकी खुशियों के लिए, बिना अपेक्षाओं के किया जाना चाहिए। यह उसे एक नई मानसिकता की ओर ले गया, जहां उसने अपने भीतर के दर्द और निराशा को स्वीकार किया और गौरी की खुशी के लिए अपनी खुशी को परे रखना सीखा
जैसे-जैसे शिवाय अपनी किताब के अंतिम पड़ाव पर पहुँचा, उसे एहसास होने लगा कि शायद उसका प्यार कभी पूरा नहीं हो पाएगा। उसने अपने दिल की गहराई से गौरी के प्रति महसूस किए गए प्रेम को शब्दों में बाँधा था, और यह किताब उसके दिल की एक निशानी बन गई थी।
शिवाय ने सोचा कि वह इस किताब को गौरी को सौंप देगा। इसके द्वारा वह अपने अनकहे और अधूरे प्यार का इज़हार कर सकेगा। उसने निर्णय लिया कि कम से कम गौरी को तो पता चले कि कोई था जो उस पर मरता था, उसे बेहद प्यार करता था। शिवाय जानता था कि प्यार करना और प्यार पाना दोनों ही अलग हैं, और कई बार प्यार करने वाले को प्यार वापस नहीं मिल पाता।
उसने अपनी सारी भावनाओं को किताब में उतार दिया और उसे गौरी को देने का विचार कर लिया। इस किताब के माध्यम से शिवाय ने न केवल अपने प्यार को व्यक्त किया था बल्कि उसने अपने अनुभवों और भावनाओं का एक खजाना भी गौरी को सौंपने का फैसला किया था। वह जानता था कि यह किताब उसके दिल के बहुत करीब है और उम्मीद करता था कि गौरी इसे पढ़कर उसकी गहरी भावनाओं को समझ सके।
शिवाय के सामने वाकई एक बड़ा सवाल था—कैसे और कब वह गौरी को वे तोहफे दे, जिन्हें उसने बड़े प्यार से चुना था, और साथ ही वह किताब भी, जो उनके बीच की बढ़ती दूरियों का पुल बन सकती थी या फिर शायद उन्हें और भी दूर कर दे। उसे डर था कि किताब पढ़ने के बाद शायद गौरी उससे बात करना बंद कर दे या फिर उसे बुरा लगे। लेकिन इसके बावजूद वह चाहता था कि गौरी को उसकी भावनाओं का पूरा एहसास हो।
जब वह एक बार सफर पर गया था, तो उसने वहां से गौरी के लिए एक जोड़ी झुमके और एक दुपट्टा खरीदा था। ये दोनों चीजें उसने बहुत सोच-समझ कर चुनी थीं, क्योंकि वह उन्हें अपने प्यार की निशानी के तौर पर गौरी को देना चाहता था। उनकी सामान्य बातचीत के दौरान शिवाय ने गौरी से पूछा कि वह उसे कब वो चीजें दे सकता है जो उसने उसके लिए लाया था। गौरी ने उत्सुकता व्यक्त की और उन्होंने रविवार की शाम को मिलने का फैसला किया।
इस मुलाकात की तैयारी में शिवाय काफी नर्वस था। उसने गौरी को वे तोहफे देने की योजना बनाई और साथ ही, उसने सोचा कि वह उसे वह किताब भी देगा जो उसने लिखी थी। शिवाय जानता था कि यह किताब और तोहफे गौरी को उसके दिल की गहराईयों का आइना दिखाएंगे। वह चाहता था कि गौरी जाने कि उसके लिए उसकी भावनाएं कितनी गहरी और सच्ची हैं, भले ही इसके परिणाम कैसे भी हों।
रविवार की शाम का इंतजार करते हुए शिवाय के मन में उम्मीद और डर दोनों ही थे, लेकिन उसने ठान लिया था कि वह अपने दिल की बात गौरी के सामने रखेगा, चाहे जो भी हो।
जैसे-जैसे रविवार की शाम नजदीक आती गई, शिवाय के मन में एक अधूरी ख्वाहिश फिर से सिर उठाने लगी—वह चाहता था कि गौरी के साथ एक फोटो ले, जिसे वह अपने पास हमेशा के लिए संजो कर रख सके। यह फोटो उसके लिए उन खूबसूरत लम्हों की यादगार होने वाली थी, जो उसने गौरी के साथ बिताए थे, और एक स्मृति चिन्ह के रूप में उसके दिल में हमेशा बसी रहने वाली थी
विवार की शाम शिवाय के लिए न केवल एक महत्वपूर्ण क्षण थी बल्कि यह उसके जीवन की एक नई दिशा भी तय करने वाली थी। उसने गौरी को वह किताब देने का निर्णय लिया था जिसमें उसने अपने दिल की गहराइयों को उतारा था। यह किताब न केवल उसके प्यार का इज़हार थी बल्कि एक तरह से उसकी भावनाओं की गवाही भी थी।
इस बात का सस्पेंस कि गौरी किताब को कैसे लेगी और उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी, शिवाय के दिल में घबराहट और उम्मीद दोनों ही भर रही थी। क्या गौरी उसके प्यार को समझ पाएगी और उसे स्वीकार करेगी, या शिवाय की यह भावनात्मक उद्घाटन उनके बीच और दूरियां बढ़ा देगी?
दूसरा अध्याय इस किताब के जरिए खुलने वाला है, जहाँ शिवाय का साहस और गौरी की संवेदनशीलता उनके भविष्य की दिशा तय करेगी। क्या शिवाय को गौरी का प्यार मिलेगा या वह फिर से अकेला रह जाएगा, यह अब इस बात पर निर्भर करता है कि गौरी उसके दिल के उन शब्दों को किस तरह से पढ़ती है और समझती है।
इस तरह, शिवाय की जिंदगी का यह खास लम्हा उन दोनों के लिए नए सिरे से शुरुआत का माध्यम बन सकता है, या फिर एक अधूरे प्यार की कहानी को आगे बढ़ा सकता है
शिवाय ने अपनी किताब के आखिरी पन्ने पर गौरी के लिए एक प्रेम पत्र लिखा, जो उसके दिल की गहरी भावनाओं का सच्चा प्रतिबिंब था। यह पत्र न केवल उसके प्यार का इज़हार था, बल्कि एक ऐसा दस्तावेज़ भी था जो उसकी भावनाओं की गहराई और निष्ठा को दर्शाता था। पत्र कुछ इस प्रकार लिखा गया था:
प्रिय गौरी,
जब मैं तुम्हें देखता हूँ, तो मेरे शब्दों की दुनिया थम सी जाती है। मेरे दिल की धड़कनें तुम्हारी हंसी में खो जाती हैं, और तुम्हारी आँखों की चमक मेरी राहों का उजाला बन जाती है। मैं जानता हूँ कि मेरे प्यार का कोई मोल नहीं है, लेकिन फिर भी मैं इसे तुम्हारे सामने रखने का साहस जुटा रहा हूँ।
इस पत्र के माध्यम से, मैं तुम्हें वो सब कुछ देना चाहता हूँ जो मेरे पास है—मेरा दिल, मेरी आत्मा, और मेरे जीवन की हर खुशी। शायद मैं तुम्हारी नज़रों में वो सब नहीं हूँ जो तुम चाहती हो, लेकिन मैं तुम्हें अपने दिल की गहराइयों से चाहता हूँ। मेरे प्यार में कोई शर्त नहीं है, कोई उम्मीद नहीं है, सिवाय इसके कि तुम खुश रहो।
मुझे पता है कि प्यार करना और प्यार पाना दोनों अलग हैं। मैं तुम्हारे प्यार की उम्मीद नहीं करता, लेकिन यह जानना चाहता हूँ कि तुमने मेरे प्यार को महसूस किया। यदि यह पत्र और मेरी बातें तुम्हें थोड़ी भी खुशी दे सकें, तो मेरा जीवन सार्थक हो जाएगा।
तुम्हारे जवाब का इंतज़ार रहेगा।
सदैव तुम्हारा, शिवाय
यह प्रेम पत्र न केवल गौरी के लिए एक उपहार था, बल्कि शिवाय के लिए एक अंतिम उम्मीद की किरण भी था। उसे उम्मीद थी कि गौरी इस पत्र को पढ़कर उसके प्यार की गहराई को समझ पाएगी और उसकी भावनाओं का मूल्यांकन करेगी। अब यह देखना बाकी था कि गौरी की प्रतिक्रिया क्या होती है और क्या वह शिवाय के प्यार को समझ पाती है या नहीं।
कुछ देर बाद उसी शाम को...
शिवाय ने गौरी को शाम में मिलने के लिए संदेश भेजा, "हाय गौरी, क्या आप शाम में फ्री हो? हम मिल सकते हैं?" गौरी, जिसे दिन भर की व्यस्तताओं के बीच शिवाय का मैसेज मिला, थोड़ी देर बाद जवाब देती है, "हाय यार, आज मेरे बुखार आ गया है। अब शायद नहीं मिल पाऊंगी।"
शिवाय, जो गौरी से मिलने की उम्मीद में था, उसके दिल को गहरा आघात पहुँचा। लेकिन वह हिम्मत न हारते हुए जवाब देता है, "कोई बात नहीं, तुम्हारे लिए कुछ मैं भिजवा रहा हूं, ले लेना।" गौरी ने उत्तर दिया, "बिलकुल।"
शिवाय ने उस किताब को भेजने का इंतजाम किया जो उसने गौरी के लिए लिखी थी, जिसमें उसके दिल की भावनाएं और प्यार का इजहार था। साथ ही, उसने एक स्केच भी बनाया था जो गौरी की छवि को दर्शाता था और कुछ सुंदर झुमके भी भेजे, जो उसने गौरी के लिए चुने थे।
"प्लीज उस किताब को जरूर पढ़ना," शिवाय ने आग्रह किया। गौरी ने हंसते हुए जवाब दिया, "ये भी कोई कहने की बात है।"
जब गौरी को वे उपहार मिले, उसने तुरंत शिवाय को संदेश भेजा, "मुझे मिल गया।" उसने किताब खोली और स्केच देखा, जिसे देखकर उसकी आँखों में आंसू आ गए। झुमके को हाथ में लेकर वह मुस्कुराई.
शिवाय के दिल में धड़कनें तेज हो चुकी थीं, और उसकी सांसें भी भारी हो रही थीं। गौरी को भेजी गई किताब में उसकी गहरी भावनाओं और प्रेम का इज़हार था, जिसे उसने बड़ी मेहनत और दिल से तैयार किया था। वह सोचता रहा कि गौरी का जवाब क्या होगा। क्या वह उसके प्यार को स्वीकार करेगी, या इससे उनकी दोस्ती पर असर पड़ेगा?
कुछ देर बाद, गौरी का मैसेज आया, जिसे पढ़कर शिवाय का दिल और भी तेजी से धड़कने लगा। गौरी ने लिखा, "यार... शिवाय, अब हमको तुमसे बात करने में अजीब लगेगा। पहले जो फ्रेंडली बात होती थी, अब शायद वो भी न हो। जो भी किये तुम, इसके लिए शुक्रिया।"
यह संदेश पढ़ते ही शिवाय को लगा जैसे उसका दिल टूट गया हो। उसे ऐसा महसूस हुआ कि उसकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा खत्म हो गया हो। उसने गौरी से अपने दिल की बात कही थी, उम्मीद की थी कि शायद गौरी भी उसे समझेगी, लेकिन गौरी की प्रतिक्रिया ने उसे गहराई से आहत किया।
शिवाय ने गहरी सांस ली और अपने आपको संभालने की कोशिश की। वह जानता था कि इस क्षण को संभालना उसके लिए बेहद कठिन होगा। उसने सोचा कि शायद वह अपनी भावनाओं को व्यक्त करके गलती कर बैठा था।
शिवाय, जो गौरी से बेहद प्यार करता था, उसे यह स्वीकार करना पड़ा कि कभी-कभी मोहब्बत की राहें वैसी नहीं होतीं जैसी हम उम्मीद करते हैं। गौरी की प्रतिक्रिया से उसे गहरा आघात पहुंचा था, लेकिन उसने खुद को संभालने का निर्णय लिया। उसने सोचा, शायद यह मोहब्बत उसके नसीब में नहीं थी।
शिवाय ने खुद को समझाया कि प्यार ऐसी भावना है जिसे हम किसी पर थोप नहीं सकते। यह भावना ऐसी है जिसे हम बिना किसी बदले की उम्मीद के भी महसूस कर सकते हैं। उसने गहरी सांस ली और अपने दिल को तसल्ली दी कि प्यार का मतलब हमेशा साथ होना नहीं होता; कभी-कभी प्यार का मतलब होता है दूसरे की खुशी में खुश रहना, चाहे वह खुशी आपसे दूर क्यों न हो।
कहानी का यह मोड़ शिवाय के लिए अप्रत्याशित और दर्द भरा था। जिस प्यार और दोस्ती को उसने अपने दिल में सहेज के रखा था, वह अचानक से दूर हो गई थी। गौरी ने उसे हर जगह से ब्लॉक कर दिया था, जिससे उनके बीच का हर संवाद का रास्ता बंद हो गया था।
सोशल मीडिया पर जहां कभी उनके बीच लगातार बातचीत होती थी, वहां अब केवल सन्नाटा था। इंस्टाग्राम पर गौरी के नाम के संदेश अब नहीं आएंगे, बस 'Instagram User' लिखा आएगा। व्हाट्सएप्प पर गौरी की तस्वीर जो कभी उसकी चैट विंडो को रोशन करती थी, अब वहां नहीं दिखेगी।
इस अचानक और तीव्र परिवर्तन ने शिवाय को गहराई से प्रभावित किया। उसे लगा कि उसकी दुनिया उजड़ गई है, और उसके प्यार का सपना अधूरा रह गया। वह खुद को समझाने की कोशिश करता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं होता, और कभी-कभी हमें उन चीजों को जाने देना पड़ता है जो हमारे लिए बनी नहीं हैं।
लेकिन इस दर्द और अकेलेपन में भी, शिवाय ने आत्म-साक्षात्कार की ओर कदम बढ़ाया। उसने सीखा कि सच्ची मोहब्बत केवल उपस्थिति में ही नहीं होती, बल्कि कभी-कभी यह दूरियों में भी निहित होती है। उसने खुद को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि जो भी हुआ, उसमें भी उसके लिए कुछ सीखने को है।
यह उसके लिए एक नई शुरुआत का समय था, जहां उसे खुद को फिर से पहचानना था और जीवन की नई चुनौतियों का सामना करना था। उसने ठान लिया कि वह इस अनुभव से मजबूत होकर निकलेगा, और अपने दिल के टुकड़ों को समेट कर एक नई यात्रा शुरू करेगा।
शिवाय की कहानी में प्यार का यह अध्याय भावनात्मक रूप से बहुत गहरा था। हफ्तों तक उसने गौरी के किसी संदेश या कॉल का इंतजार किया, उससे संपर्क करने की कोशिश भी की, लेकिन उसे कभी गौरी से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। यह अनुभव उसके लिए बहुत दर्दनाक था, लेकिन इससे उसने यह सीखा कि कभी-कभी जीवन में अधूरी बातें और अनकहे पल भी अपनी एक गहरी छाप छोड़ जाते हैं।
वक्त के साथ शिवाय ने खुद को इस दर्द से उबारने की कोशिश की और जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास किया। हालांकि, गौरी की यादें उसके दिल में हमेशा ताजा रहीं। उसकी एक झूठी उम्मीद, कि एक दिन शायद गौरी वापस आ जाए, उसे हर दिन जीने की वजह देती रही। इस उम्मीद ने उसे यह भी सिखाया कि कभी-कभी उम्मीद ही हमें जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की ताकत देती है।
शिवाय ने खुद को इस अनुभव से मजबूत किया और उसने सीखा कि जीवन में आगे बढ़ना कितना जरूरी है। वह नए रिश्ते और दोस्तियाँ बनाने लगा, अपने करियर पर ध्यान देने लगा, लेकिन गौरी के लिए उसकी वह उम्मीद कभी खत्म नहीं हुई। यह उम्मीद उसे हमेशा याद दिलाती रही कि कैसे एक सच्चे प्यार ने उसके दिल और जिंदगी को छुआ था।
शिवाय की कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी हमें उन चीजों को संजो कर रखना चाहिए जो हमें प्यारे हैं, भले ही वे हमारे साथ न हों। उसका दिल अभी भी गौरी के लिए वहीं प्यार महसूस करता है, और शायद एक दिन, कहीं न कहीं, उसकी यह उम्मीद सच हो।
इस अधूरी प्रेम कहानी के साथ, हम समाप्त करते हैं शिवाय और गौरी की यात्रा—एक ऐसी यात्रा जो अधूरी रह गई, लेकिन फिर भी उसने हमें दिखाया कि मोहब्बत के सफर में खुशियों के साथ-साथ कठिनाइयाँ भी होती हैं, और ये दोनों ही हमें जीने की नई वजह देते हैं।
इस कहानी के माध्यम से हमने देखा कि कैसे शिवाय ने अपनी मोहब्बत को व्यक्त करने की हिम्मत जुटाई, और गौरी के साथ बिताए हर लम्हे को संजोया। उनकी कहानी हमें यह भी सिखाती है कि कभी-कभी प्यार वैसा नहीं होता जैसा हम उम्मीद करते हैं, लेकिन यह हमें बदल देता है, हमें मजबूत बनाता है, और हमें जीने की नई राह दिखाता है।
इस किताब को पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। आशा है कि शिवाय और गौरी की यह कहानी आपको प्रेरित करेगी और आपके दिल को छू जाएगी। जीवन की इस यात्रा में, हमें उम्मीद की किरण हमेशा जगमगाती रहनी चाहिए, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं।
लेखक का परिचय
हर्षित मिश्रा, लखनऊ के एक प्रतिष्ठित कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई कर रहे एक युवा लेखक हैं। उनकी लेखनी में जीवन के सूक्ष्म पलों को बड़ी सहजता और संवेदनशीलता के साथ उकेरा गया है। हर्षित की रुचि लेखन में बचपन से ही रही है, और वह अपने विचारों और भावनाओं को शब्दों में पिरोने का कौशल रखते हैं। उनकी लेखनी में जीवन के अनेक आयामों को छूने की क्षमता है, जो पाठकों को गहराई से प्रभावित करती है।
हर्षित की यह पहली किताब, "छुपा लब्ज़ों का सफर" उनकी लेखन यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। वह इसे अपनी जिज्ञासा और सीखने की ललक के साथ लिख रहे हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए भी हर्षित ने अपने लेखन को अपनी प्राथमिकता बनाए रखा है, जो उनके समर्पण और जुनून को दर्शाता है।
एक सीधे-सादे लड़के के रूप में, हर्षित अपने विचारों और भावनाओं को बिना किसी आडंबर के प्रस्तुत करते हैं। उनका मानना है कि सच्चाई और सादगी में ही सुंदरता निहित होती है, और यही बात उनके लेखन को और भी विशेष बनाती है।
"छुपा लब्ज़ों का सफर" के माध्यम से हर्षित ने एक ऐसी कहानी कहने की कोशिश की है जो न केवल प्रेम के विविध रंगों को सामने लाती है, बल्कि पाठकों को अपने जीवन के गहरे अर्थों पर विचार करने का आमंत्रण भी देती है
आप लेखक से सोशल मीडिया पर इंस्टाग्राम पर उनकी आईडी @__mr_harshit के माध्यम से जुड़ सकते हैं और ईमेल के जरिए उनसे संपर्क करने के लिए harshitm983@gmail.com पर ईमेल भेज सकते हैं। ये विकल्प उनके प्रशंसकों और पाठकों को उनसे आसानी से संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान करते हैं।