रिश्तो में ईगो .. ︎︎αʍί.. द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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रिश्तो में ईगो ..

कैसे हो दोस्तों ...
आशा करती हूं कि मजे में ही होगे।

आज मैं पहली बार मातृ भारती पर आपके सामने एक बहुत ही छोटी सी कहानी लेकर आई हूं। जो आंचल और ऋषिकेश की है।

दोस्तों इगो घमंड गुरुर क्या है ?
यह सारी चीज हमारे अंदर के इमोशंस भावनाएं ही होती है । जो हर किसी में कम या ज्यादा होती है। लेकिन इसका अंजाम कभी-कभी गलत हो सकता है।

तो मैं बात कर रही थी आंचल और ऋषिकेश की,,

आंचल और ऋषिकेश एक ही कंपनी में काफी समय से कम कर रहे थे। दोनों में अच्छी खासी दोस्ती भी थी। धीरे-धीरे वह दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला। दोनों ने अपने प्यार का तगड़े तरीके से इज़हार भी किया। बहोत ही ज्यादा खुश थे दोनों अपने प्यार को लेकर। साथ काम करना, साथ खाना पीना काफी वक्त बिताते थे एक दूसरे के साथ।

फीर हालात ये हुऐ कि आंचल को अचानक से अपने कुछ पर्सनल रीजन की वजह से अपनी वो जोब छोड़नी पडी और अब कहीं और जोब करने लगी।

अब बात ये हो रही थी कि दोनों की काम करने की जगह अलग थी। काम अलग था तो इसी वजह से दोनों एक दूसरे को थोड़ा कम वक्त दे पाते थे।

तो कई बार इस वजह से हल्की-फुल्की नोकझोंक हो जाया करती थी। अब प्यार है तो थोड़ी बहोत नोकझोंक तो होनी लाजमी है।

अब एक बार ये हुआ कि आंचल को एक हफ्ते के लिए शहर से कहीं दूर काम की वजह से अचानक से जाना पड़ा । और ये बात आंचल ऋषिकेश को घर से निकलने के बाद बता पाती है।

आंचल : ऋषिकेश में कुछ दिनों के लिए दिल्ली जा रही हूं। तुम मेरी फिक्र मत करना और अपना ध्यान रखना सही से खाना-वाना खाना। वगेरा वगेरा और एक दूसरे को आई लव यू कह के फोन रख दिया।

लेकिन अब ऋषिकेश को लगने लगा था कि आंचल के जीवन में अपने काम से बढ़कर और कुछ नहीं। वो मुझे इतनी अहमियत अपनी जिंदगी में नहीं दे रही है।

वो जो होता है ना एक इनसिक्योरिटी सा फील होना किसी के लिए वैसा ही कुछ हो रहा था।

अब इस एक हफ्ते में इन दोनों की इतनी ज्यादा बातें नहीं हो पाती थी। क्योंकि कभी ऋषिकेश बिजी होता था। तो कभी आंचल बिजी होती थी। या फिर कभी ये हो जाता था कि ऋषिकेश फोन करता तो आंचल मीटिंग मे बिजी होती इसी वजह से वह फोन नहीं उठा पाती थी। तो ऋषिकेश मन ही मन थोड़ा उदास हो जाता था।
फिर एक बार शाम के टाइम आंचल ऋषिकेश को फोन लगाती है प्रमोशन मिलने की खुशी में,,
लेकिन तब ऋषिकेश फोन नहीं उठाता है।
तो आंचल मानती है सो गया होगा, थका होगा, या किसी काम में बिजी होगा। कोई बात नहीं कल सुबह में घर पहोच के पहले उसे खुशखबरी दूंगी।

घर पहुंचते ही सीधा आंचल ऋषिकेश से मिलने जाती है। लेकिन वो घर पर नहीं मिलता फोन करती है तो फोन नहीं उठाता।

अब आंचल थोड़ा सा डरने लगती है। घबराने लगती हैं। ऐसा क्या हुआ होगा कहां है ऋषिकेश ?

आंचल अपने दोस्तों से और ऋषिकेश के ऑफिस के स्टाफ से सभी से पूछताछ करती हैं।

तो ऑफिस से पता चलता है की ऋषिकेश हर रोज ऑफिस आता है। अपना काम करता है। और चला जाता है।

ऋषिकेश का ये बर्ताव आंचल को बहोत अचंभित सा लगता है।

आंचल कुछ दिन तक तो ऋषिकेश से बात करने की कोशिश तो करती है। लेकिन ऋषिकेश कभी-कभी फोन उठाता है तो कभी फोन उठा कर भी बात किए बिना फोन काट लेता है।
( ऋषिकेश के मनमे ये बात घर कर जाती है कि आंचल के जीवन में उसकी कोई अहमियत नहीं है। )

अब आंचल से रहा नहीं जाता है और वो एक दिन ऋषिकेश से मिलने उसके घर चली जाती है।

आंचल दोपहर से ऋषिकेश का इंतजार करती है। तब जाकर रात को उसका इंतजार खत्म होता है और ऋषिकेश आता है।

ऋषिकेश को देखकर आंचल खुश तो हो जाती है। लेकिन दिल में कुछ खलबली सी भी होती है। कि ऋषिकेश को क्या हुआ है ? जो मुझसे बातें नहीं कर रहा है। और नाराज है।

ऋषिकेश बिना कुछ बोले घर में चल जाता है और आंचल को भी घर में बुलाता है।

ऋषिकेश के बर्ताव से आंचल को अब लग रहा था कि जैसे रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे हैं।

कुछ देर तक दोनों शांति से बैठे रहते हैं। और फिर बाद में आंचल से रहा नहीं जाता। आंचल गुस्से में उठकर बोलने लगती हैं " क्या बात है क्या हुआ है ऋषिकेश ? ऐसा क्युं बिहेव कर रहे हो तुम मेरे साथ ? और गलती क्या है मेरी ?

ऋषिकेश : अब हमारे रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे हैं। क्योंकि तुम्हारे जीवन में मेरे लिए कोई अहमियत नहीं है। तुम्हारे लिए तुम्हारा काम तुम्हारी फैमिली तुम्हारी खुशियां यही सब इंपॉर्टेंट है। मैं नहीं। इसलिए अब हमारे बीच कुछ नहीं हो सकता। अौर अब में इस बेअहमियत वाले रिश्ते को और आगे नहीं बढ़ा सकता। तो इस रिश्ते को हम यहीं पर खत्म करते हे और अपनी अपनी लाइफ में मुव ओन कर देते हैं। ( इतना बोल के ऋषिकेश सीधा अपने कमरे में चला जाता है। )

यह सुनकर आंचल अंदर से हिल जाती है। टूट जाती है। जैसे कि दिल से बिखर जाती हैं।
और फिर आंचल वहां से चली जाती है।

ऋषिकेश आंचल प्यार से बहोत करता है लेकिन अपने इस एक ईगो की वजह से वो आंचल से बात नहीं कर रहा होता कि आंचल सामने से आकर बात करेगी।

और आंचल के लिए तो जैसे ऋषिकेशने रिश्ता ही खत्म कर दिया था। तो वो कभी उससे मिलने नहीं गई। और ऋषिकेश की सारी बातें उसने बहोत ज्यादा दिल पर ले ली थी। क्योंकि वो भी ऋषिकेश से बहोत प्यार करती थी। लगभग हर दिन दोनों एक दूसरे को आमने-सामने देख भी लेते थे रास्ते में । फिर भी अपने अपने एक इगो की वजह से ऐक दूसरे से बात नहीं करते थे। ऐसे करते-करते 6 महीने निकल जाते हैं।

अब कुछ दिनों से आंचल दिखाई दे नहीं रही थी। तो उसे लग रहा था कि सामने से मैं आंचल को फोन कैसे करूं ? अपनी तरफ से उसने आंचल के बारे में पता लगाने की कोशिश भी की। मगर कुछ पता नहीं चल पा रहा था। अब ऋषिकेशने आंचल को फोन करने की भी कोशिश की, लेकिन उसका फोन नहीं लग रहा था। अब उसे रहा नहीं गया। और उसने आंचल के दोस्तों से पूछा। मगर कहीं से पता नहीं चल पा रहा था आंचल के बारे में। अब कुछ दिन और बीत गए थे।

एक दिन ऋषिकेश को आंचल की बहोत पुरानी और पक्की फ्रेंड मिल जाती है याशिका..

एक दूसरे को हाय हेलो करने के बाद ऋषिकेश यशिका को आंचल के बारे में पूछता है।

ऋषिकेश : यशिका आंचल के बारे में कुछ पता है ? कि आजकल वह कहां पर है ? क्या कर रही है ?

यशिका : नहीं ऋषिकेश पता नहीं लेकिन हां जब से उसकी जॉब चेंज हुई थी वो कुछ ज्यादा ही स्ट्रेस में थी।
उसे प्रमोशन तो मिला था लेकिन ऑफिस का काम ज्यादा और परिवार का कोई टेंशन भी था। फिर उसके बाद में उसे कोई बीमारी हो गई थी। जिसकी वजह से वो ये शहर छोड़ कर चली गई। अभी कुछ समय से तो उसका फोन भी नहीं लग रहा है। और पता नहीं वो कहां पर है ! लेकिन अपने परिवार के साथ गइ थी। इसलिए मैंने कुछ इतना ध्यान नहीं दिया।

ऋषिकेश : थैंक यू ..
इतनी बात करके यशिका वहां से चली जाती है।

अब ऋषिकेश को अपनी गलती का एहसास होता है। अपने एक ईगो की वजह से उसने अपना प्यार खो दिया।

अब ऋषिकेश आंचल को ढूंढें भी तो कैसे वो कैसी है ? कहां पर है ? झींदा भी हे या नहीं । उसके बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। आंचल जैसे दुनिया में कहीं खो कर रह गई थी।

" कभी-कभी ये होता है कि ,,
किसी से रुठकर मूंह मोडने में एक पल भी नहीं लगता ,,
और उसे मनाने में या वापस पाने की कोशिश में पूरी जिंदगी निकल जाती है। "

अमी.../