नव संवत्सर कैसा होगा--
सनातन धर्म कि मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने जिस दिन सृष्टि कि रचना का शुभारम्भ किया था उसी दिन से नववर्ष का भी शुभारम्भ माना जाता जो चैत मास के शुक्लपक्ष कि प्रतिपदा से शुरू होता है ।
सनातन नव वर्ष के प्रथम दिवस से सृष्टि कि जननी जगत माता के नौ रुपों कि नौ दिन का अनुष्ठान कलश स्थापना एव उपवास पूजन वंन्दन के साथ शुरू होता है ।
नव संवत्सर कि शुरुआत चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने किया था नव संवत्सर जिस वार दिवस से प्रारम्भ होता है उस संवत्सर का राजा उसी दिवस का ग्रह होता है नवसंवत्सर 2081 का शुभारम्भ 9 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार से हो रहा है अतः नव सवंत्सर का राजा मंगल एव मंत्री शनि है नव संवत्सर का नाम पिंगल होगा साथ नव शक संवत 2048 भी क्रोधी नाम से जाना जाएगा ।
नवसंवत्सर कि विशेषता यह है कि पूरे वर्ष 7 क्रूर ग्रह एव मात्र 3 शुभ ग्रहों के मंत्रिमंडल से संचालित होगा क्रूर ग्रहों कि संख्या अधिक होने के कारण उथल पुथल कि संभावना से इनकार नही किया जा सकता है ।
राहु मंगल शनि के कारण प्राकृतिक प्रकोप केतू के कारण संक्रमण या संक्रामक बीमारियों की संभावना बनती है मंगल शनि राहु के कारण राजनीतिक उथल पुथल की संभावनाएं बनती प्रतीत होती है ।
शुक्ल पक्ष चैत प्रतिपदा 8 अप्रैल 2024 को रात्रि 11.50 मिनट से 9 अप्रैल 8.30 मिनट रात्रि तक है सर्वादसिध्द योग वैधृत योग के संयोग बनते है प्रश्न यह उठता है कि सनातन नव वर्ष का भारतीय उपमहाद्वीप एव सम्पूर्ण वैश्विक परिपेक्ष्य में क्या प्रभाव पड़ेगा सम्पूर्ण विश्व मे या कहा जाय तो अधिकांश विश्व मे नव वर्ष के रूप में ईस्वी सन के प्रथम दिवस से ही नववर्ष शुभारम्भ को महत्व दिया जाता है जबकि विश्व के सभी धर्मों के मत के अनुसार उनके अपने अपने नववर्ष का आरंभ होता है ।
भारत मे नव सवंत्सर के शुभारम्भ के प्रथम दिन उत्तर भारत मे वासंतिक नवरात्रि से जगत जननी माँ की उपासना से शुरू होता है तो महाराष्ट्र में गुड्डी पड़वा कर्नाटक में उगादि पूर्वोत्तर में विहू आदि उत्सवों के साथ होता है ।
सबसे पहले नवसवंत्सर में बिभिन्न राशियों का क्या प्रभाव होगा एव अनिष्ट से बचने के लिए क्या उपाय करने चाहिए।
कुल 12 राशियों
मेष,बृष,मिथुन,कर्क,सिंह,कन्या,तुला,वृश्चिक,धनु,मकर,कुम्भ ,मीन समाज जीवन को कैसे प्रभावित करेंगे।
भारत के परिपेक्ष्य में नव संवत्सर कैसा रहेगा महत्वपूर्ण है सबसे पहले
राजनीतिक हालात क्या होंगे यह आवश्यक है--
नव सवंत्सर के प्रारम्भ होते ही जिसका पूर्णक मूलांक 3 है भारत की जनता 18 वी लोकसभा के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए मतदान करेगी ।
यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योकि केंद्रीय सत्ता शासन का निर्धारण ही संसदीय चुनाव के द्वारा भारत मे होता है लोक सभा चुनाव -2024 में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत बड़ी चुनौती तो नही होगी बावजूद इसके यह चुनाव कठिन एव अनेक मामलों में ऐतिहासिक होगा पहला भारत की स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस के पण्डित जवाहर लाल नेहरू के अलावा किसी के नेतृत्व में लागातार तीन बार सरकार बनाने का मत भरतीय जनता ने नही दिया यह प्रथम अवसर होगा जब भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार अपने यशस्वी तेजस्वी नेता श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी के शसक्त सक्षम सबल दूरदृष्टि के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रही है।
दूसरा महत्वपूर्ण पूर्ण तथ्य यह है इस चुनाव का कि 150 वर्ष पुरानी पार्टी कांग्रेस को अपनी खोई जमीन के लिए यह ऐतिहासिक चुनाव होंगे यह चुनाव कांग्रेस के भविष्य का बहुत हद तक निर्धारण करने वाले है।
तीसरा भारत वर्ष के मजबूत संकल्पों का चुनाव भी होगा यह चुनाव।
लोकसभा चुनावो के साथ साथ उड़ीसा आंध्र प्रदेश अरुणाचल एव सिक्किम में भी चुनाव होंगे जिनका परिणाम निम्नानुसार होगा।
नव संवत्सर में ही झारखंड हरियाणा महाराष्ट्र एव दिल्ली कि विधानसभाओं के लिए चुनाव होने होंगे।
उड़ीसा-
उड़ीसा में बीजू जनता दल राज्य में सरकार बनाने में सफल मेरी गणना के अनुसार ।
आंध्र प्रदेश -
आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी कि सरकार है मेरी गणना के दो परिणाम चन्द्र बाबू नायडू को मजबूत मानते है और जगन मोहन रेड्डी को चुनौती देती प्रतीत होती है लेकिन एक महत्वपूर्ण गणना का परिणाम तेलंगाना कि तरह आश्चर्य जनक परिणाम कि तरफ संकेत करते है आंध्रा प्रदेश में परिणाम मेरी गणना के अनुसार महत्वपूर्ण होंगे क्योकि आंध्र प्रदेश के जन मानस अपने भविष्य को लेकर स्प्ष्ट लेकिन अंतर्मुखी है गणना के तीनों नायक जगन मोहन रेड्डी चन्द्र बाबू नायडू और कांग्रेस में बहुत अंतर नही बताती मेरी गणना चन्द्र बाबू पर भरोसा कर सकती है आंध्र की जनता।।
आरुणांच प्रदेश-
अरुणांचल प्रदेश की राजनीतिक एव शासन जो वर्तमान में है उस पर कोई विशेष अंतर पड़ेगा ऐसा मेरी गणना नही मानती अर्थात अरुणांचल प्रदेश में वर्तमान ही कायम रहेगा।।
सिक्किम -
सिक्किम में विशेष परिवर्तन को इंगित करती है मेरी गणना।
भारत मे लोक सभा चुनावों के बाद अक्टुबर नवम्बर -2024 में जिन राज्यो के चुनाव होने है उनमें प्रमुख है
महाराष्ट्र--
महाराष्ट्र एक चुनौती भरा राज्य है देश कि आर्थिक राजधानी मुंबई भी महाराष्ट्र में ही है यहाँ चुनाव के दौरान बहुत राजनीति उथल पुथल की संभावना के साथ भारतीय जनता पार्टी कि सत्ता वापसी बताती है।
झारखंड---
सदैव से यह नवगठित राज्य चर्चा में रहा है इस राज्य का राजनीतिक महत्व भी बहुत है आदिवासी बाहुल्य एव प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है मेरी गणना इसे अर्जुन का विजय अभियान मानती है और परिवर्तन आवश्य होगा।
हरियाणा-
निश्चित रूप से यह एक ऐसा राज्य है जहाँ भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत कठिन चुनौती पेश आने वाली है यदि भारतीय जनता पार्टी हरियाणा विधान सभा चुनावों को जीतने में सफल होती है तो यह आश्चर्यजनक ही होगा मेरी कोई गणना विजयी नही बताती है।
मौसम एव कृषि--
नव सवंत्सर के राजा मंगल के मंत्रिमंडल में 7 क्रूर ग्रहों का स्थान है एव मात्र तीन ही शुभग्रह है अतः मौसम एव प्रकृति में असंतुलन के उथल पुथल कि सम्भावन बहुत अधिक है लेकिन ऐसे कोई भयंकर हालात बनेंगे जिसकी संभावना बनते नही दिखती चक्रवात तूफान बाढ़ सूखा का प्रकोप बढेगा कृषि उपज पिछले सवंत्सर कि तुलना में अधिक होगी दुग्ध मत्स्य दलहन तिलहन एव खाद्यान्न कि स्थिती सुदृढ रहेगी।।
आर्थिक स्थिती--
अनेक वैश्विक उतार चढ़ाव के वावजूद मेरी गणना भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को स्थिर बताती है विकास दर 7.5% के साथ महंगाई एव मुद्रास्फीति में मामूली उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है जो सब्जी एव फलों के उत्पादन प्रभावित होने के कारण सम्भव होगा निर्यात एव आयात के मध्य अंतर 3 से पांच प्रतिशत कि कमी आ सकती है अच्छे आर्थिक सकेत है।
संक्रमण --
नवसंवत्सर के मंत्रिमंडल में क्रूर ग्रहों के प्रभावी होने के परिणाम स्वरूप नव संवत्सर संसय संदेह से भरा होगा अतिबृष्टि संक्रमण आदि कि सम्भावनाए बनती है मेरी गणना बहुत स्प्ष्ट करती है की ना तो कोई हानि कारक अतिबृष्टि होगी ना ही संक्रमण कि सम्भावना होगी जिससे राष्ट्रव्यापी प्रभाव पड़े ।
निष्कर्ष--
नवसंवत्सर पिंगल नव संवत क्रोधी जो दोनों के नाम से ही अनिष्ट सूचक प्रतीत होते है मैंने नवसंवत्सर के पूरे वर्ष कि गणना क्रूर ग्रहों कि प्रमुखता कि नाकारात्मकता के आधार पर किया है और गणना में सभी तथ्यों को सम्मिलित किया है जिससे निष्कर्ष यह निकलता है कि नव संवत्सर मिश्रित फल दाई शुख शांति सवृद्धि का ही वर्ष होगा क्रूर ग्रह भी विनम्रता पूर्वक जनकल्याण हेतु कार्य को बाध्य होंगे।।
ग्रहों के अनुसार गणना एव निवारण---
सम्पूर्ण संसार की कुल आबादी आठ सौ करोड़ है और पल प्रहर लाखो प्राणि मनुष्य जन्म लेते है एव जीवन छोड़ते है स्प्ष्ट है एक ही राशि के किसी मनुष्य के लिए कोई वर्ष दिन शुभ होता है तो किसी के लिए अशुभ अतः राशि गणना पर सिर्फ शुभ को ही आधार मानकर की जाती है और केवल गणना का सारांश या केंद्रीय भाव ही बताए जाते है मैंने भी इसी अवधारणा पर गणनाएं कि है और निवारण भी दिया है--
मेष-- मेष राशि वालो पर बृहस्पति कि विशेष कृपा होगी संयम धैर्य के साथ संतुलित जीवन शुभ वर्ष ( नारायण कवच समय ना हो तो ॐ हनुमते नमः
समयानुसार जपे)
वृष--
शनि एकादश भाव मे बृहस्पति कि कृपा उन्नति एव सुख शांति अवश्यसंभावी ( ॐ नमः शिवाय ) यदि नियमित जपे तो आशा से अधिक सफलता सम्भावित।
मिथुन--
मिथुन राशि वालो के लिए शुभ फलदायी शुभ कि प्रबल संभावना।( ॐ नारायणो नमः) का जप समयानुसार अवश्य करे।
कर्क-
कर्क राशि वालो के लिए अवसर उपलब्धि से परिपूर्ण वर्ष होगा पदोन्नति कि विशेष सम्भावना है स्वास्थ आदि कोई व्यवधान नही।( सिर्फ हनुमानाष्टक का पाठ अवश्य करे)
सिंह-
नई उपलब्धियों कि संभावना आतिरेक भवनात्मक उफान नियंत्रित एव संतुलित रहे सफलता प्राप्त होगी।
(बुधवार को भगवान गणेश कि स्तुति या शिवाष्टक सफलाओ कि एव आयाम बढ़ा देगा)
कन्या- उत्तम वर्ष सेहत को लेकर आशंकाएं है आशातीत सफलता मिलेगी ।( मंगल भवन अमंगल हारी द्रहऊ सो दसरथ अजीर बिहारी को जब भी समय मिले दोहराए मंगल ही मंगल)
तुला-
शुख शांति एव धार्मिक अनुष्ठान का वर्ष लेकिन शत्रुओं से सतर्क रहने की आवश्यकता आंतरिक शत्रु जो स्वास्थ्य को प्रभावित करते है बाह्य शत्रु जो सफलाओ के मार्ग में बाधा बनते है। ( सर्व मंगल मांगले शिवे सर्वार्थसाधिके शरणे त्रयम्बक गौरी नारायणी नमस्तुते) का जप जब भी अवसर मिले अवश्य करें निर्वाध सफलता मिलेगी।
बृश्चिक-
शनि कि कुदृष्टि से बेवजह कि परेशानियों का आगमन लेकिन शनि ही सहायक होकर उन्हें समाप्त कर सफलता दिलाएगा निःसंदेह।( कुंजिका स्त्रोत्र का नियमित सुबह शाम पाठ सभी बाधाओं से मुक्त कर सफल बनायेंगा) यदि यह सम्भव ना हो तो (सर्व बाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतांयहम मनुष्यामद परसादें संसती न भविष्यति) का ही नियमित जब भी समय मिले जप करे।
धनु--
आर्थिक परेशानी सम्भावित है स्वास्थ्य गत भी कुछ परेशानी सम्भावी प्रतीत होती है लेकिन परेशानियों के मध्य अकल्पनीय सफलाओ के आसार भी प्रबल है जो सगे सम्बंधि के लिए ईर्ष्या का कारण बन सकते है।( राम नारायणः ) मात्र का निरंतर जप करे कदापि किसी स्थिती में ना छोड़े ।
मकर--
मिश्रित फलदायी वर्ष सफलता स्वास्थ पारिवारिक सामाजिक स्थिति में आश्चर्यजनक परिवर्तन सफलाओ के नए द्वार खोलेगा लेकिन सतर्कता क्रोध कि उग्रता से बचना होगा ।( श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव ) का जप निरंतर करे गीत के रूप में कल्याण होगा।
कुम्भ-
शुभ अशुभ कि बराबर सम्भावना के साथ महत्वपूर्ण वर्ष सोच समझ कर निर्णय ले एव संयम को व्यवहार का आचरण आवरण बनाए सफलता आपकी प्रतीक्षा कर रही है उतिष्ठ एव जागृत भव।( प्रति सुबह उठते ही अपने माता पिता का आशीर्वाद ग्रहण करे यदि सम्भव ना हो तो उनके दर्शन करें एव स्नान के उपरांत भगवान भास्कर को अर्घ दे) प्रगति अवश्यसंभावी।
मीन--
संसय भय भ्रम में ना पड़े आपके लिए
सर्वोत्तम समय वर्ष आपके स्वागत के लिए आवश्यकता है सहज शांत एव विनम्र स्वागत एव सात्विक अंतर्भाव की ( ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का निरंतर जप करे) प्रत्येक इच्छा पूर्ण होगी।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश सेवा निबृत्त प्राचार्य ( ज्योतिषविद ,साहित्यकार, प्रेरक वक्ता)