राजा और मदिरा - भाग 1 नंदी द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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राजा और मदिरा - भाग 1

एक धार्मिक राजा हुआ करता था ,,,,,
यज्ञ , दान,धर्म,कल्याण कारी कर्म में उसकी रुचि खूब थी।

पूरे राज्य में नए मंदिर बंधवाना , गरीबों को सेवा करना आदि काम में राजकोष का खूब धन लगाया जाता था,राजकर्मी तथा सैनिकों को भी ये सूचना थी की किसी भी निसहाय की सेवा करने में पैर पीछे मत लेना।।
राजमहल के पास के जंगल में एक वैश्या की कोठी हुआ करती थी,राजा विलासी तो नही था लेकिन हमेशा वैश्या की कोठी के बारे में खयाल रखता था,जरूरत पड़ने पर धन की जरूरतों को पूरी करता था।

ये बात राजमहल के महामंत्री को भली भाती पता थी,और वो ये बातो से राजा के खिलाफ रहता था,मंत्री राज्य की सुरक्षा हेतु राजा को कई बार वैश्या को जंगल से हटाने बोल चुका था।।धर्म और दान में लगे राजा को वैश्या से परेशानी तो थी नहीं परंतु मंत्री जी को डर था कि राजा कही गलत रास्ते पे ना चल जाए।।।

वैश्या कभी राजा को छूने या खुश करने की कोशिश नही करती थी, क्यू की उसको पता था कि राजा का मंत्री राजमहल में वैश्या को शरण या स्थान दोनो ही नही देगा।
राजा कभी कभी वैश्या के बारे में अच्छी बाते मंत्री से कर लेता था।
अब हुआ यूं कि राजा का अच्छा सा राज्य और खूब धन धान्य देखकर आसपास के राजाओं ने आक्रमण करने का फैसला लिया।।राजा को इस बात की सूचना मिली ,राजा ने अपने सैनिकों और प्रदेश के लोगो को सूचित किया तो सबने राजा को खूब सहयोग किया ।

कुछ समय बाद आसपास के राजाओं ने आक्रमण करके ये राजा को परास्त किया और राजा के सहयोगी और परिवार जनों को मार दिया ।।राजा कैसे भी करके वहा से बच के निकल गया।मंत्री जी राजमहल के गुप्तद्वार से जंगल की और चल दिए।।

अब राजा के पास न खुद का महल रहा,ना रहने की कोई जगह, तब उसे जंगल में रहने वाली वो गणिका की याद आई। एक तरफ से राजा वैश्या के कोठी पे पहुंच ने चल दिए,दूसरी ओर मंत्री जी का मार्ग भी वही गणिका की कोठी तक जा रहा था।

अब राजा लगभग कोठी तक पहुंच चुके थे,तो दूर से मंत्री जी ने देख लिया,उसने राजा को सूचित किया की महल में बस उसको और कुछ सैनिकों को छोड़कर सब मारे जा चुके है और रानी और उनके परिवार के लोग भी परमात्मा को प्राप्त हुए है।
राजा विषाद में सबकुछ भूल बैठा और खूब निराश हो गया,वो गणिका कि कोठी तरफ चल दिया ।मंत्री के लाश कोशिश के बाद भी राजा को रोकना संभव नहीं हुआ।

कोठी के अंदर राजा को देखकर वो गणिका खूब आश्चर्य चकित हुई ,उसने तुरंत ही राजा के लिए रहने और उसके खानपान की सुविधा करवा दी,लेकिन राजा के चेहरे पे कोई रुचि नहीं दिखाई दी।गणिका को पता था की राजा धर्म और दान के कार्यों में खुश रहते है,तो उसने राजा को सांत्वना दी की भले ही उनकी विजय नही हुई,परंतु दान धर्म का कार्य वो यही कोठी से कर सकते है और धन की आवश्यकता को वैश्या पूरी करेगी।

विषाद में मग्न राजा को वैश्या के बोले गए शब्दो की कोई असर नहीं दिखी,,तभी मंत्री वहां आ पहुंचा उसने देखा तो राजा को हालत परिवार को खोने के बाद बेसुध सी हो गई थी।मंत्री जी ने राजा को खूब समझाया ,और वह से चलने के लिए कोशिश करने लगा।राजा ने मंत्री जी को जाने के लिए इशारा करके वही कमरे में सो गया।

रात के समय में उसकी निंद्रा भंग हुई और उसने गणिका को पुकारा,गणिका के आते ही उसने गणिका से मदिरा लाने के लिए बोला,राजा का ये रूप देखकर एक बार गणिका भी आश्चर्य में झेप गई।राजा ने दूसरी बार जब ऊंची आवाज में गणिका से मदिरा के लिए बोला तब गणिका को होश आया की राजा ने मदिरा के लिए उसको पुकारा है।गणिका ने अपने कोठी में पड़े महंगे महंगे मदिरा और मदिरा के बर्तनों को राजा के सामने लाके रखवा दिया ,राजा मदिरापान में होश खो बैठा और पूरी रात मदिरापान करने में बीता दिया।।
सुबह होते ही मंत्री फिर भी राजा के पास वापिस आया ,राजा को हालत देखकर वो मन ही मन दुखी हुआ,वो ना राजा को कुछ बोल सकता था न समझा सकता था क्यू कि राजा को न के बराबर होश था।
मंत्री वैश्या को मदिरा राजा को न देने का आदेश देके चला गया और राजा होश में आए तब सूचित करने को कहा ।
राजा को होश आया तब वो बिस्तर पे थका हारा और विरह में मायूस सा खुद को पाया,उसने खुद के विरह को भुलाने के लिए मदिरा और ग्रहण करना चाही लेकिन मंत्री के आदेश के बाद सारी मदिराए राजा के कमरे से हटा ली गई थी,राजा ने अपने शोकाकुल मन को दूर करने का कोई और उपाय ढूंढ ने लगा,तब आचार विचार मदिरा के नशे में न देखते उसने गणिका को अपने पास सोने का आदेश दिया।

पूरी रात गणिका के साथ सोने के बाद भी राजा ने गणिका को छुआ तक नहीं था,बस उसको किसी के साथ और प्यार की जरूरत थी, सुबह होते ही वो गणिका राजा के पास से जाकर अपने कमरे में जाने के लिए निकली तब मंत्री ने ये दृश्य देखा,,,
मंत्री के मन में प्रश्न या की राजा ने ये क्या कर दिया?
कुछ राजा के सहयोगी लोगो ने राजा का वो राज्य को दुश्मन राजाओं के चंगुल से छुडाके वापिस ले लिया था उसकी सूचना देने मंत्री राजा के पास आया था।।

अब प्रश्न ये है की राजा खुद को पवित्र साबित कैसे करेगा??
क्या राजा धार्मिक होते हुए भी अपवित्र हुआ है?
क्या राजा ने ये कदम उठा के सही किया?
खुद की राय जरूर दे।