सहारा - 2 Sonali Rawat द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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सहारा - 2

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‘‘मां की कमर का दर्द और पिताजी का ब्लडप्रेशर बढ़ता जा रहा है. अगर अब हम ने उन दोनों की उचित देखभाल नहीं की तो उन दोनों के लिए औलाद को पालनेपोसने की इतनी झंझटें उठाने का फायदा ही क्या हुआ?’’

अलका के पास मोहित के इस सवाल का कोई माकूल जवाब तो नहीं था पर उस ने अपने सासससुर को साथ न रखने की अपनी जिद नहीं बदली थी. सुबह की फ्लाइट पकड़ कर वे सब 12 बजे के करीब अपने घर पहुंच गए. पूरे सफर के दौरान अलका नाराजगी भरे अंदाज में खामोश रही थी.

अपनी ससुराल के साथ अलका की बहुत सारी खराब यादें जुड़ी हुई थीं. सास के कमरदर्द के कारण उसे पहुंचते ही रसोई में किसी नौकरानी की तरह मजबूरन घुसना पड़ेगा, यह बात भी उसे बहुत अखर रही थी. उस का मन अपने मम्मीपापा के पास जल्दी से जल्दी पहुंचने को बहुत ज्यादा आतुर हो रहा था. घंटी बजाने पर दरवाजा मोहित के पिता महेशजी ने खोला. उन सब पर नजर पड़ते ही वे फूल से खिल उठे. अपने बेटे को गले लगाने के बाद उन्होंने राहुल को गोद में उठा कर खूब प्यार किया. अलका ने अपने ससुरजी के पैर छू कर उन का आशीर्वाद पाया.

महेशजी तो राहुल से ढेर सारी बातें करने के मूड में आ गए. अपने दादा से रिमोट कंट्रोल से चलने वाली कार का उपहार पा राहुल खुशी से फूला नहीं समा रहा था. अलका और मोहित घर में नजर आ रहे बदलाव को बड़ी हैरानी से देखने लगे.

जिस ड्राइंगरूम में हमेशा चीजें इधरउधर फैली दिखती थीं वहां हर चीज करीने से रखी हुई थी. धूलमिट्टी का निशान कहीं नहीं दिख रहा था. खिड़कियों पर नए परदे लगे हुए थे. पूरा कमरा साफसुथरा और खिलाखिला सा नजर आ रहा था. ‘‘मां घर में नहीं हैं क्या?’’ मोहित ने अपने पिता से पूछा.

‘‘वे डाक्टर के यहां गई हुई हैं,’’ प्यार से राहुल का माथा चूमने के बाद महेशजी ने जवाब दिया. ‘‘अकेली?’’

‘‘नहीं, उन की एक सहेली साथ गई हैं.’’ ‘‘कौन? शारदा मौसी?’’

‘‘नहीं, उन्होंने एक नई सहेली बनाई है. दोनों लौटने वाली ही होंगी. तुम दोनों क्या पिओगे? चाय, कौफी या कोल्डडिं्रक? अरे, बाप रे,’’ महेशजी ने अचानक माथे पर हाथ मारा और राहुल को गोद से उतार झटके से सीधे खड़े हो गए. ‘‘क्या हुआ?’’ मोहित ने चिंतित स्वर में पूछा.

‘‘गैस पर भिंडी की सब्जी रखी हुई है. इस शैतान से बतियाने के चक्कर में मैं उसे भूल ही गया था,’’ वह झेंपे से अंदाज में मुसकराए और फिर तेजी से रसोई की तरफ चल पड़े. राहुल कार के साथ खेलने में मग्न हो गया. अलका और मोहित महेशजी के पास रसोई में आ गए.

‘‘घर की साफसफाई के लिए कोई नई कामवाली रखी है क्या, पापा?’’ साफसुथरी रसोई को देख अलका यह सवाल पूछने से खुद को रोक नहीं पाई. ‘‘कामवाली तो हम ने लगा ही नहीं रखी है, बहू. घर के सारे कामों में तुम्हारी सास का हाथ अब मैं बंटाता हूं. तुम यह कह सकती हो कि उस ने नया कामवाला रख लिया है,’’ अपने मजाक पर महेशजी सब से ज्यादा खुल कर हंसे.