खिचड़ी 2 फिल्म समीक्षा Mahendra Sharma द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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खिचड़ी 2 फिल्म समीक्षा

खिचड़ी 2 फिल्म समीक्षा
ये फिल्म नहीं हंसी का एटम बम है। अगर आपको कोई दिल या मस्तिष्क को बीमारी नहीं और ज्यादा हंसने से आपके फेफड़े फूल नहीं जाते तो अपने जोखिम पर इस फिल्म को सह परिवार देख सकते हैं। फिल्म को सिनेमा में शायद इसके हिस्से के  दर्शक नहीं मिले पर ओटीटी पर मिलने की अतिशय संभावना है। जी फाइव ओटीटी पर यह फिल्म उपलब्ध है।

यह  फिल्म खिचड़ी श्रुखला की दूसरी फिल्म है पर इस शृंखला की पहली फिल्म 2010 में आई थी और खिचड़ी शृंखला का टीवी सीरियल करीब 100 एपिसोड तक चला था जो 2002 में शुरू हुआ था। शृंखला के सभी किरदार बेहद मजाकिया हैं, एक बाबूजी हैं, उनकी बहू हंसा और बेटा प्रफुल, एक बहु जयश्री और उनका भाई हिमांशु। ये कलाकार जिन्हें टीवी पर 22 साल पहले जिस अंदाज में जिस तरह किरदार को प्रस्तुत करते अनुभव किया और आज उन्ही को उसी अंदाज में देखो तो आपको लगेगा  जैसे कुछ नहीं बदला , ये  लोग वही जादू नए पैकेट में फिर से लेकर आए हैं।

बाबूजी का किरदार समझदार बुजुर्ग का है जो थोड़ी बहुत तर्क की बातें करते हैं, जयश्री भी समझदार है पर लॉजिक व्यंगत्मक है। प्रफुल और हंसा मतलब पति पत्नी, मतलब हंसी का टाइम बॉम्ब। हंसा का भाई हिमांशु, उसका भी अंदाज एकदम हटके। उसका डायलॉग ’ किसी को पता नहीं चलेगा ’ आज तक लोग घर में मस्ती करते वक्त बोलते हैं। हंसा और प्रफुल के डायलॉग मतलब हंसी का क्षितिज। कोई एक अंग्रेजी के शब्द को हंसा नहीं समझती तो प्रफुल उसका ऐसा लॉजिक देकर समझते हैं जो किसी के लॉजिक में कभी नहीं आ सकता।

अब बात करते हैं फिल्म की, कहानी है एक देश है जिसका नाम है ’ पान थुकिस्तान ’ , उसके शहंशाह अपने देश के सरमुखत्यार हैं और अपनी प्रजा को परेशान करके आनंद लेते हैं। उन्होंने भारतीय वैज्ञानी का अपहरण कर लिया है। अब इस शहंशाह की शक्ल है प्रफुल जैसी। तो भारतीय एजंसी चाहती है की प्रफुल का परिवार पान थुकिस्तान जाए और शहंशाह को प्रफुल से बदल दे। ताकि वैज्ञानिक का पता चले और दुनिया विनाश से बचे।

फिल्म में हिमांशु गुम हो गया तो उसकी पत्नी परमिंदर जेल में रिपोर्ट लिखने गई। जब जेलर ने कहा कि ये जेल है पुलिस स्टेशन नहीं , यहां रिपोर्ट नहीं लिख सकते तो परमिंदर ने कहा मेरे घर के समीप यही आता है तो आप रिपोर्ट लिखो। फिर उनसे जेलर ने कहा गुमशुदा की तस्वीर दिखाओ तो परमिंदर ने डेढ़ दिन के हिमांशु की तस्वीर दिखाई। जेलर ने कहा क्या हिमांशु डेढ़ दिन का बच्चा है तो परमिंदर ने कहा नहीं उसे हम हुए डेढ़ दिन ही हुआ है इसलिए डेढ़ दिन वाली तस्वीर लेके आई।
अब इस प्रकार की कॉमेडी देखने बैठो तो दिल थाम के बैठना।

फिल्म का निर्माण किया आतिश कपाड़िया और जेडी मजीठिया ने, निर्देशन और लेखन है आतिश कपाड़िया का। ये जोड़ी साराभाई vs साराभाई टीवी सिरीज़ में भी हिट रही और आतिश ने वाघले की दुनिया टीवी सिरीज़ का निर्देशन और लेखन भी किया है। ये सब टीवी सिरीज़ अपने समय की टीवी सीरियल में सुपर हिट सिरीज़ हैं । आतिश ने निर्देशन के साथ बहुत ही मेहनत से लेखन भी किया है, तभी खिचड़ी सीरीज आज तक लोगों को याद रही है।

फिल्म भले सिनेमा में नहीं चली, पर ओटीटी पर 40 या अधिक उम्र के लोगों को बहुत आकर्षित करेगी। वैसे मेरे पूरे परिवार को पसंद आई। पर इस जुर्म और शोर शराबे वाली वेब सिरीज़ और फिल्मों के रहते यह हल्की फुल्की कॉमेडी हमेशा प्राथमिकता में बहुत पीछे रह जाती है।

सुप्रिया पाठक मतलब हंसा, राजीव मेहता मतलब प्रफुल, जमनादास मजीठिया मतलब हिमांशु, अनंग देसाई मतलब बाबूजी, वंदना पाठक मतलब जयश्री। सहायक मेहमान कलाकारों में प्रतीक गांधी और फरहा खान भी हैं।

जी फाइव पर फिल्म देखें और खिचड़ी की पुरानी टीवी सिरीज़ हॉट स्टार पर है।

आपको यह समीक्षा कैसी लगी, अवश्य बताएं, रेटिंग करें, टिप्पणी अवश्य करें।

– महेंद्र शर्मा