हिंदुस्तान का नेतृत्व नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा ज्योतिष शास्त्र में हिंदी पीडीएफ

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हिंदुस्तान का नेतृत्व

हिंदुस्तान का नेतृत्व---

भारत सयुक्त रूप से पाकिस्तान बांग्ला देश अफगानिस्तान के संयुक्त
स्वरूप था जो चंद कबाइली शक्तियों द्वारा गुलाम इसलियें बनाया गया कि यहाँ के शासक राजा क्षुद्र स्वार्थों के कारण आपस मे लड़ते झगड़ते रहते थे कभी कभी तो ऐसा भी हुआ कि एक राजा ने सिर्फ निहित स्वार्थों के चलते दूसरे राजा को नीचा दिखाने के लिये बाहरी ताकतों को आमंत्रित कर गौरवशाली राष्ट्र की महिमा मर्यादा को धूल धुसित किया खैर मेरा विषय इतिहास के काले अध्याय को पलटना नही है मैं भारत से हिंदुस्तान बने राष्ट्र के राष्ट्रीय सामाजिक भविष्य के मद्देनजर ज्योतिष विज्ञान के आधार पर कुछ सार्थक तथ्यों को स्पष्ठ करना है।भारत गुलामी के बाद पन्द्रह अगस्त सन उन्नीस सौ सैंतालीस को मध्य रात्रि धर्म के आधार पर बटकर हिंदुस्तान स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदित हुआ चौदह अगस्त सन सैंतालीस को पाकिस्तान स्लामिक राष्ट्र भारत से जब अलग होकर नए राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया उस समय भारत की कुंडली पंचग्रही युक्त योग था और मिथुन लग्न था जो प्रतिक्रिया वादी और अस्थाई चित्त को ही निरूपित करता है इसी कारण अकारण रक्त पात और नोवा खाली जैसी उग्र रक्तरंजित घटनाएं हुई यह तो था तात्कालिक कारण स्थाई रूप से पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिरता को सदैव के लिये जीवित रखेगा साथ ही साथ पाकिस्तान का वजूद सिर्फ हिंदुस्तान के विरोध और अस्थिरता पर निर्भर होगा चाहे वह कश्मीर में कबीलों का विद्रोह हो या सन पैंसठ या इकहत्तर या कारगिल या कश्मीर सहित हिंदुस्तान के बिभिन्न भागो में उग्र वादी गतिविधियां यह पाकिस्तान को अपनी आजादी के साथ मूल गुण के रूप में एक स्वतन्त्र राष्ट्र के जन्म के साथ जन्मजात प्राप्त है उंसे समाप्त कर पाना सर्वथा असंभव है।
भारत विखंडित होकर हिंदुस्तान के रूप में पन्द्रह अगस्त सन उन्नीस सौ सैंतालीस को मध्य रात्रि बारह बजे के
बाद अस्तिव में आया उस समय शनि की महादशा चल रही थी कर्क राशि बृष लग्न राहु विराजमान था यह हिंदुस्तान की कुंडली प्रथम भाव है द्वितीय भाव मे लग्नेश स्वामी शुक्र एव मिथुन राशि का मंगल तृतीय भाव मे कर्क राशि सूर्य शनि बुध शुक्र पंचग्रही योग जो शुभाशुभ है छठे भाव मे तुला लग्न का बृहस्पति है सप्तम भाव मे बृहस्पति और केतु है।
आजादी के तत्काल बाद हिंदुस्तान को अनेको विपरीत और अशुभ परिस्थितियों से एक साथ जूझना पड़ा जिसमे राष्ट्र का एकात्म स्वरूप बनाने में रियासतों का विलय और कश्मीर समस्या राष्ट्र पिता की बर्बर हत्या।
हिंदुस्तान का भविष्य आज भी बाहरी तत्वो से अधिक आंतरिक स्वार्थी तत्वो
संसय में है और रहेगा विचार धारा की अस्पष्ठता के कारण है हिंदुस्तान का सफल नेतृत्व कर वही सफल दिशा में ले जाने में सफल होगा जिसे शनि का विशेष कृपा प्राप्त होगी और जिसका जन्म सोलह अगस्त से इकत्तीस मार्च के मध्य हुआ होगा।कदाचित यदि इस संयोग के विपरीत यदि हिंदुस्तान का नेतृत्व किसी के हाथों में गया तो अभी तो संभव नही है यदि संभव हुआ भी तो हिंदुस्तान की वास्तविकता में ऊदल पुथल और हानिकारक होंगे ।
आने वाले पच्चीस वर्षो में हिंदुस्तान सक्षम आथिर्क रूप से सबल होकर विश्व सक्षम सबल देश के रूप में स्थापित होकर महिला शशक्तिकरण औद्योगिक विकास के साथ साथ अनेको आयाम स्थापित करेगा चीन शत्रु की तरह बार बार आचरण करेगा मगर चीन की दशा बहुत दिनों तक यह नही रहेगी वह अपनी ही बिडंबना से समाप्त होगा यूरोपीय राष्ट्रों एव अमेरिका जैसे राष्ट्र विश्व की मानवीय मूल्यों के अग्रिम पंक्ति होंगे जिसमें भारत की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी रूस लोकतांत्रिक राष्ट्र के रुप में भारत के शुभचिंतकों में रहेगा।