अरेंज्ड लव मैरेज Hitesh Parmar द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अरेंज्ड लव मैरेज




कितना मुश्किल होता है ना किसी गैर को अपना बनाना? कोई जिसे कभी साथ ना रखा हो उसिके साथ पूरी ज़िन्दगी बिताना!

"लिसन, तुम इस छोटे से गाऊ के एक छोटे से व्यापारी, मै कभी तुम्हे अपना पति नहीं मानूंगी!" मै उसे बस कह ही डालना चाहती थी! आफ्टेरोल मै एक पढ़ी लिखी लड़की हूं! जॉब अगर करू तो भी इससे तो ज्यादा ही कमा सकती हूं!

"क्यू?! तुम क्यूं जाना चाहती हो?!" शादी के दूसरे ही दिन जब मैंने अपने घर जाने की बात की तो सुरेश ने मना तो नहीं ही किया! बल्कि वो तो अपनी बाइक पर खास मुझे मेरे घर छोड़ने अा रहा था!

मंद मंद हवाओं मै सरसराती हुईं हमारी बाइक कोई पानी मै फटाफट तैरती नौका की तरह जा रही थी!

कई देर तक जब हमने कुछ भी बात नहीं की तब आखिर कर सुरेशने अपनी चुप्पी तोड़ी - "क्यू?! तुम क्यूं जाना चाहती हो?!"

यह वो सवाल था जिसका जवाब खुद मुझे भी नहीं पता था! आखिर क्यों में खुदको हमेशा सुरेश से ऊपर देखती हूं! आखिर क्या कमी है उसमे?!

एक बहुत ही अच्छा परिवार, प्यार करने वाला पति और वैसे ही रिश्तेदार! एक खुशहाल ज़िन्दगी के लिए और चाहिए भी क्या?!

वैसा भी नहीं था कि मुझे वो अच्छा नहीं लगता था, बस वो थोड़ा कम पढ़ालिखा था तो मै उसे...

आखिर जब सुरेश ने दोबारा वहीं सवाल किया तो मै मानो की होश मै आईं!

"बस युही! घर की याद आ रही थी!" मैंने उसे जवाब दिया। अभी के लिए तो मैंने ये सवाल टाल दिया था मगर आखिर मै कब तक इसे बचती रहूंगी?!

जब मा ने पहेली बार उसकी फोटो बताई थी मै तो मना ही कर रही थी, मगर मेरे घर वाले ही नहीं माने - "पढ़ी लिखी है तो क्या शादी नहीं करेगी! अच्छा लड़का है, तुझे शादी करनी ही पड़ेगी!" उन्होने जैसे की मुझे मनाने की कसम ही खा ली थी! आख़िरकर मुझे शादी करनी ही पड़ी!

इस सोच विचार मै कब घर अा भी गया, मुझे कोई होश नहीं रहा...

"अपना ध्यान रखना!" सुरेश ने मुझे जाते वक्त कहा था, एक ग्लास पानी पी कर वो तुरंत ही अपने घर की ओर बढ़ गए थे, जैसा कि पहले से तय था।

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पढ़ने का शोख तो मुझे बचपन से था, इसीलिए सोशियल मीडिया से ज्यादा मेरे एकाउंट ई बुक्स की एप्स पे ज्यादा थे!

उस दिन भी मै अपनी मनपसंद एप पे स्टोरीज पढ़ना चाहती थी। एक स्टोरी कब से ट्रेंड कर रही थी, उसे ही पढ़ना शुरू किया। पढ़ते पढ़ते स्टोरी मै में खुद खो सी गई! स्टोरी इतनी अच्छी थी कि कोई जवाब नहीं जब लेखक की प्रोफाइल पे गई तो हैरान ही रह गई! वो कोई ओर नहीं मेरा ही पति सुरेश था!

उसके रिड काउंट दस हजार से भी ज्यादा थे! मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि एक छोटे से गाऊ का व्यापारी मानव संवेदनाओं को इतनी बारीकी से जान सकता है!

मेरे मन मै जो बात घर कर गई थी कि वो बहुत ही सामान्य है वो अब बिल्कुल नहीं रही थी! वो मेरे लिए बहुत ही स्पेशीअल बन गया था!

उस रात मेरे खुद के पति की कहानियां पढ़ने मै मुझे नींद ही नहीं अा रही थी! क्या मस्त लिखते है वो, मै मनोमन उनसे प्यार कर रही थी! अरेंज्ड मैरेज तो हुईं थी पर अब जाकर हमारी अरेंज्ड लव मैरेज हुईं थीं!