समता मूलक समाज की शिक्षा प्रणाली - अंतिम भाग संदीप सिंह (ईशू) द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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समता मूलक समाज की शिक्षा प्रणाली - अंतिम भाग

भाग - 2 शेष से आगे......


समता मूलक समाज की शिक्षा प्रणाली - 3


यह सब कार्य करने के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत शिक्षा पर और 7 प्रतिशत स्वास्थ्य पर जब तक नियाजित नहीं किया जायेगा हम नदी के किनारे बैठकर तमाशा देखते रहेंगें नदी को पार नहीं कर पायेगें ।

जब हम व्यावसायिक शिक्षा की बात करते है तब हम छोटे बड़े सभी घरेलू अतिलघु उद्योग , ग्रामीण उद्योग लघु उद्योग जैसे बढई , कुम्हार का काम तेल मशीनों का आना , हथकरथा उद्योग , कालीन उद्योग , गोबी , रंगाई आदि का विकास अत्यन्त आवश्यक है ।

तकनीकी शिक्षा- आज दो पहिया , चार पहिया उद्योग का जमाना है , स्कूटर , मोटर साइकिल कार छोटी गाड़ियाँ , बड़ी गाड़ियाँ तथा ट्रक , ट्रैक्टर , क्रेन रोड रोलर इत्यादि की रिपेयर की रखरखाव की शिक्षा देना आदि अत्यन्त आवश्यक है इससे भी कुछ हद तक बरोजगारी दूर होगी ।

पैरा मेडिकल सर्विसेज- नर्सिग, पैथॉलाजिकल, एजूकेशन , अल्ट्रासाउण्ड , एक्सरे इत्यादि का ज्ञान देना इसी तरह से टेली कम्यूनिकेशन , टेलिफोन , टी ० वी ० , मोबाइल आदि के रखरखाव की शिक्षा देना ।

हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि उपरोक्त तमाम तरह की शिक्षा जो नौजवानों को स्वरोजगार मुखी व स्वावलम्बी बना सके । 15 - 20 वर्ष की उम्र में इसका परिपक्व ज्ञान कराकर इस बेरोजगारी के समस्या का निदान किया जा सकता है ।

जब आपने तकनीकी शिक्षा के द्वारा शिक्षित कर दिया और बैंको के माध्यम से इन्फ्रा स्ट्रक्चर व उपलब्ध राष्ट्रीया तब बेरोजगारी , भ्रष्टाचार , अपराध इत्यादि समस्याओं से अपने आप निजात मिल जायेगी ।

और देश में एक समता मूलक समाज की अपने आप में व्यवस्था शिक्षा के माध्यम से ही हो जायेगी और अपने संविधान द्वारा प्रदत्त नियमों से यहाँ के नागरिकों में प्रथम कर्तव्यों का ज्ञान कराया जाए तब अधिकारों की बात की जाए ।

उपरोक्त बहस का अर्थ एक समता मूलक शिक्षा प्रणाली को लागू करके स्वस्थ समाज की स्थापना का प्रयास मात्र है । बिना शिक्षा एक रूपता के गैर बराबरी समाप्त नहीं कि जा सकती है । शिक्षा, सामाजिक न्याय और समानता प्राप्त करने का एकमात्र और सबसे प्रभावी साधन है ।

समतामूलक और समावेशी शिक्षा न सिर्फ स्वयं में एक आवश्यक लक्ष्य है, बल्कि समतामूलक और समावेशी समाज निर्माण के लिए भी अनिवार्य कदम है, जिसमें प्रत्येक नागरिक को सपने संजोने, विकास करने और राष्ट्र हित में योगदान करने का अवसर उपलब्ध हों ।

इसी सुधार क्रम मे नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत शिक्षा पद्धति मे सुधार किया गया है। यहां विस्तृत तो नहीं किंतु संक्षिप्त बताने का प्रयास कर रहा हूँ।

आज भी भारत एक विकासशील देश बना हुआ है, इसका सबसे बड़ा कारण है शिक्षा निति पर ध्यान ना देना। देश में अंतिम बार शिक्षा निति वर्ष 1986 में बनाई गई थी और वर्ष 1992 में इसमें संशोधन किया गया। यह निति कमियों से भरी हुई थी, इसके बावजूद इस पर ध्यान न देना देश के विकास में बाधक बना हुआ था।

लेकिन अब भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई शिक्षा निति 2020 को शुरू कर दिया गया है, जोकि पुरानी शिक्षा निति से बेहतर और असरदार नजर आती है। नई शिक्षा नीति 5 3 3 4 संरचना पर आधारित है।

नई शिक्षा नीति 2020 की शैक्षणिक संरचना 5 3 3 4 के हिसाब से की गई है। इस निति को बच्चे की 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के अनुसार 4 अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया गया है।

पहले हिस्से में प्राइमरी से दूसरी कक्षा, दूसरे हिस्से में तीसरी से पांचवीं कक्षा, तीसरे हिस्से में छठी से आठवीं कक्षा और चौथे हिस्से में नौंवी से 12वीं कक्षा को शामिल किया गया है।
5 3 3 4 व्यवस्था प्रणाली को इस प्रकार समझे -

5 – फाउंडेशन स्टेज
फाउंडेशन स्टेज के अंतर्गत पहले तीन वर्ष बच्चों को आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेना होगा।इसके बाद बच्चे अगले 2 वर्ष कक्षा 1 एवं 2 स्कूल पढेंगे।
इसमें 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों को शामिल किया जाएगा। उनके लिए नया पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा और 5 वर्ष में उनका पहला चरण समाप्त हो जाएगा।

3 – प्रीप्रेटरी स्टेज
प्रीप्रेटरी स्टेज में कक्षा 3 से 5 तक की पढ़ाई होगी, इसमें 8 से 11 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को कवर किया जाएगा। यह चरण 3 वर्ष में पूरा हो जाएगा। इस स्टेज में बच्चों को विज्ञान, गणित, कला आदि की पढाई जोर दिया जाएगा।

3- मिडिल स्टेज
मिडिल स्टेज में कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई होगी, इसमें 11 से 14 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को कवर किया जाएगा। यह चरण 3 वर्ष में पूरा हो जाएगा। इस स्टेज में बच्चों के लिए ख़ास कौशल विकास कोर्स भी शुरू हो जाएंगे।

4- सेकेंडरी स्टेज
सेकेंडरी स्टेज में कक्षा 9 से 12 तक की पढ़ाई होगी जोकि, इसमें 14 से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को कवर किया जाएगा। यह चरण 4 वर्ष में पूरा होगा। इस स्टेज में बच्चों को अपने विषय का चयन करने की आजादी होगी।

वर्तमान मे विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (भारत सरकार) ने वर्ष 2020 मे शिक्षा नीति मे व्यापक परिवर्तन किया है।


नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सरकार के द्वारा कई महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जिसमें वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Eurolment Ratio-GER) को 100% तक लाना शामिल है।


शिक्षा के क्षेत्र पर केंद्र व राज्य सरकार की मदद से जीडीपी का 6% हिस्सा व्यय करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।

मानव संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत शिक्षा निति को चलाया जाता था, लेकिन नई शिक्षा 2020 लागू होने के बाद इस मंत्रालय के नाम को बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया। यह निति उच्च शिक्षा को अपनी भाषा में पढ़ने की स्वतंत्रता देने के साथ ही बच्चों को कला और खेल-कूद के क्षेत्र में बढ़ावा देती है।


केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को वर्ष 2020 से शुरू कर दिया है। अब राज्य सरकार की अनुमति से इसे राज्यों में लागू किया जाएगा। कर्नाटक और मध्य प्रदेश सरकार ने नई शिक्षा नीति को अपने राज्यों में लागू कर दिया है।


कर्नाटक नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 (राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020) लागू करने वाला देश का पहला राज्य है।

(यदि आप सब का स्नेह मिला तो नई शिक्षा नीति 2020 को ले कर उपस्थित होऊँगा वर्ना यह रचना समापन विंदु पर स्थिर हो चुकी है, सादर धन्यवाद आप सभी को)

(समाप्त)

✍🏻संदीप सिंह "ईशू"