Prayaschit - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रायश्चित - 2

अमन के शब्दों को सुन कर एक पल के लिए चुप हो गई अनुपमा।
,, कहीं आप यह तो नही सोच रहे हो कि मैंने तो कभी आपसे प्यार किया ही नहीं,,।
,, शायद, अगर आपने कभी मुझ से प्यार किया होता तो आप कभी यह नहीं कहती कि मुझे नफरत है तुम्हारी शक्ल से भी और तुम्हारा चेहरा देखकर मेरा सारा दिन खराब हो जाता है,,।
,, यह बात नहीं है अमन, इनफेक्ट तुम बहुत झूठ बोलने लगे थे और फिर बहुत सारा कर्जा भी कर लिया था तुमने,,।
,, हां मैं मानता हूं कि मैने झूठ बोलना शुरू कर दिया था और मुझ पर कर्जा भी बहुत हो गया था, लेकिन क्या कोई अपना किसी अपने को मुसीबत के दौर में छोड़ता है, जैसे आपने मुझे छोड़ दिया था,,।
यह सुन कर अनुपमा पल भर के लिए चुप हो जाती हैं।
,, और एक बात, आपने कभी अपने दिमाक से काम लिया ही नहीं, जो कुछ आपके माता पिता कह देते थे वहीं सच था, आपके माता पिता ने कभी चाहा ही नहीं कि आपका घर बसे, मेरी सबसे बड़ी गलती यही थी कि मैने आपके माता पिता के फ्लैट के पास फ्लैट लिया,,।
,, अमन शायद तुम कल भी गलत थे और आज भी गलत ही सोच रहे हो,,।
,, आपने ठीक कहा, मैं कल भी गलत था और आज भी गलत हूं, जब आपने अपने सामने अपने भाई से मुझ पर हाथ उठवाया था, अरे सोचो कोई महिला कैसे सहन कर सकती है कि उसके सामने उसके पति पर कोई हाथ उठाएं लेकिन आप ने कह कर वो काम कराया जो पूरी तरह से अनुचित था, क्यों,,। अमन धारा प्रवाह कहने लगा।
,, अमन मेरा विश्वास करो मैं नही चाहती थी कि वो सब हो,,।
,, अगर आप नही चाहती थी तो विरोध क्यों नही किया,,।
,, मैं नही जानती कि मैं उस समय विरोध क्यों नहीं कर पाई,,।

,, मैं बताऊं कि आप उस समय विरोध क्यों नहीं कर पाई,,।
,, हां बताओ,,। धीमी आवाज में कहा अनुपमा ने
,, क्योंकि आप नफरत करती थी मुझ से और आज भी नफरत ही करती हो मुझ से,,। अमन के शब्दों में थोड़ा क्रोध उभर आया।
,, नही अमन नही जो तुमने कहा वो पूरी तरह से सच नही है माना कि उस समय मैं कम बुद्धि के कारण तुम्हें समझ नहीं पाई, तुम मुझे छोड़ कर चले गए और मैं बिल्कुल अकेली हो गई, लेकिन आज,,।
,, क्या कहा मैं छोड़ कर चला गया, याद करो वो दिन, दिन ही क्या आप तो प्रतिदिन कहा करती थी कि मैं तुम्हारे साथ नही रह सकती, तब मजबूरन मुझे घर छोड़ना पड़ा, जब भी मैं घर आता, मुझे आपकी गालियों का सामना करना पड़ता था, तब क्या करता मै, बताओं,,।
,, सच पूछो तो मैं आज अकेली हो गई हूं,,।
,, कहां गए आपके माता पिता, कहां गया वो आपका भाई,,।
,, न पूछो अमन न पूछो, सच्चाई तो यह है मैं तुम्हें खो कर जान पाई हूं कि प्यार क्या होता है,,।,,
,, तभी तो आपने मुझे तलाश किया,,।
,, नही कर पाई अपने झूठे अहम के लिए, लेकिन आज जब मैने तुम्हें यहां शादी में देखा तो खुद को रोक नहीं पाई, तुम्हें पाना मेरा मकसद नहीं है बस प्रायश्चित के लिए माफी मांगना चाहती हूं, बस एक बार के लिए मुझे माफी दे दो और खुश रहो अपने बीवी और बच्चों में,।
,, क्या कहा बीवी बच्चों में, आप से अलग हो कर क्या मैं शादी करता, आपने यह सोच भी कैसे लिया,,। कहते कहते थोड़ा भावुक हो गया अमन
,, अगर वास्तव में तुमने शादी नहीं की है तो लौट आओ मेरे पास अमन, आज बिल्कुल तन्हा हो गई हूं,,। और अनुपमा की आंखे भर आई, आंसू पलकों के तट बंद तोड़ कर गालों पर बहने लगे। अनायास ही अमन ने अपनी दोनों बाहें फैला दी और अनुपमा कटे हुए पेड़ की तरह अमन की बाहों में समा गई। आस पास खड़े दोस्तों ने इस नई पहल का तालियां बजा कर स्वागत किया।

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