हास्य का तड़का - 36 Devaki Ďěvjěěţ Singh द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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हास्य का तड़का - 36

साहित्यिक कल्पना की परिचर्चा में
रंगमंच पर सभी सब्ज़ियां उपस्थित हैं
सुनाने को अपनी कथा

😯सारी सब्जियां बोली 😯
🙏भाइयों एवं बहनों 🙏
💬आओ सुन लो 💬
हमारे मन की कथा/व्यथा

करेला जी बहुत उदास
😮 बोले
कड़वे होने पर भी देते हैं बीमारियों को मात
फिर भी नहीं खाना चाहता है
हमें कोई आज
कुछ लोग खाते भी है ऐसे
नाक मुह हो गए टेढ़े जैसे 😵‍💫🥴🤥

फिर भिंडी जी बोली 😮
मैं हरी कोमल फिर भी
लोग दूर भागते
कहते हैं तुम चिपचिप करती
घर में औरतें झिकझिक करती

इतने में लौकी बोली 😮
मैं हूं सुन्दर सुडौल
मुझे देख औरतों को
होती हैं बड़ी जलन
चुभा कर नाखूनों से
बिगाड़ देती हैं मेरा तन बदन

लौकी की बातें सुनकर मटर बोली
सही कह रही हो बहन
अपने स्वाद की खातिर
लोग करते हैं मेरा चीरहरण

सबकी सुनते हुए बैगन बोला 😯
तुम क्या जानो दर्द
हमारी लेखिका
अपने बैगन के भरते के स्वाद की खातिर
बन जाती हैं बेरहम
बड़े प्यार से तेल लगाकर
सीधे पकाती हैं आग पर

सब सब्जियों की व्यथा सुन सुन कर बोर होते हुए
साहित्यिक चर्चा में तड़का लगा कर, बातों का रुख घुमा कर 😯 कटहल बोला

आलू के बारे मे कुछ नहीं बोलोगी तुम लोग
🤔
आलू का नाम सुनते ही
सारी सब्जियां शर्मा गयी 🥰🥰
और शर्माते हुए बोलीं -
वे तो हमारे सरताज हैं
उनके बिना हमारा जीवन बेकार है
हम सब गोपियां तो वो हमारे
कृष्ण कन्हैया राजकुमार हैं 😘

तभी पीछे से कद्दू दादा निकलकर आए, बोले
चुप करो तुम लोग 🤫
दिखता नहीं वो आलू ,
आज कल के छोरों की तरह
एक नंबर का फ्लर्टबाज है
हर सब्जी के साथ उसका टांका भिड़ा हैं
वो एक नंबर का धोखेबाज हैं

दादू की बातें सुनकर आलू गुस्से में बोला 😡
मुझे धोखेबाज कह रहे हो
मिर्ची, अदरक, लहसून, प्याज, टमाटर
को कोई कुछ नहीं बोलेगा
इनका भी तो सब सब्जियों से टांका भिड़ा हैं

तभी जिम्मीकन्द बाबा बोले
खामोश !🤫
वे सब शाही परिवार से हैं 🤴
उनके आगे तुम्हारी क्या बिसात हैं

प्याज रानी जी खुश होते हुए बोलीं👸
हमारे तो बहुत ठाठ हैं
शाकाहारी हो या मांसाहारी
सबको खूब रुलाते हैं फिर भी
हमारे बिना नहीं चलता किसी का काज है
बढ़ते हैं हमारे दाम छूते हैं आसमान
फिर भी नहीं कम होते हैं हमारे ठाठ बाट

इतने में राजकुमारी मिर्ची बोली 👰‍♀️
मैं भी कमसिन हरी भरी
मुझे खाने वालों की नहीं कोई कमी
रुला रुला कर करती हूँ सबका मुह लाल
हर ईंट का जवाब पत्थर से दे कर
करती हूँ सबका बुरा हाल
फिर भी दुनिया नहीं करती मेरा तिरस्कार

तभी अंत में परवल, तोरई, पालक,गोभी, शलगम, चुकंदर, सहजन सारी सब्जियां मिलकर बोली 😯
क्या करें बाबा 🤔

हम सभी सब्ज़ियां पौष्टिक तत्वों की खान हैं
फिर भी इन शाही सब्जियों के बिना
हमारी नहीं कोई अपनी पहचान हैं

जिम्मीकन्द बाबा बोले 😯
बच्चों सिर्फ एक बात याद रखना ☝️
मृत्यु अटल सत्य है 💬
"जो इस दुनिया में आया है उसे एक दिन जाना हैं
चार दिन की है जिन्दगी फिर गृहणियों के हाथों कट कर मर जाना हैं "

इसी के साथ साहित्यिक कल्पना की परिचर्चा समाप्त होती है
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद
😃😃🙏🙏🙏🙏🙏😃😃