कैसी ये कशिश Ankit Mukade द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आई कैन सी यू - 41

    अब तक हम ने पढ़ा की शादी शुदा जोड़े लूसी के मायके आए थे जहां...

  • मंजिले - भाग 4

                       मंजिले ----   ( देश की सेवा ) मंजिले कहान...

  • पाठशाला

    पाठशाला    अंग्रेजों का जमाना था। अशिक्षा, गरीबी और मूढ़ता का...

  • ज्वार या भाटा - भाग 1

    "ज्वार या भाटा" भूमिकाकहानी ज्वार या भाटा हमारे उन वयोवृद्ध...

  • एक अनकही दास्तान

    कॉलेज का पहला दिन था। मैं हमेशा की तरह सबसे आगे की बेंच पर ज...

श्रेणी
शेयर करे

कैसी ये कशिश

कैसी ये कशिश (kaise ye Kashish) (Part - 1)

मैं आज एक कहानी लिखने जा रहा हूं, जो मेरी तो नही है मगर उन सबकी है, जो कभी प्यार में हरे हो। मैं तो हरा या जीता यह important नही है, बस ऐसा है कि इस कहानी के किरदार पूरी तरह काल्पनिक है।
तो हमारी कहानी के हीरो है इंदर वर्मा, जो एक प्रायमरी स्कूल टीचर है, और वह सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाते है।

और हीरोइन है, मायरा सिंह जो MBA graduate पूरा करके अपना एक बिजनेस चालान चाहती है, मगर उसको प्लैकेमेंट मिलने में वक्त था और उसे जॉब के ऑफर आ राहे थे मगर वो खुद का कोई ट्राई करना चाहती थी।

" अब मैं आखरी बार इस कहानी के और आपके बीच में आराहा हू, यही बताने के लिए की, दोनो की बीच मुलाकात कैसे हुई यह बताने के लिए, दोनो को कैसा मिलना और बिछड़ जाना यह तो कहानी में आप पढ़ लेना "


वैसे तो दोनो के रूट अलग जगह से है मगर दिनों को रहना एक जगह था, मायरा पंजाब से थी और इंदर मुंबई में ही रहा उसके बाबा पहले उत्तराखंड में रहते थे फिर काम के कारण वह मुंबई शिफ्ट हो गए।
दोनो मुंबई के पास में मरीन ड्राइव के पास में एक कॉलोनी में रहते थे, और दोनो एक दूसरे के पसोड़ी है। अब मुलाकाते रोज होने लगी, दोनो अलेके ही रहते थे, मगर इंदर के पैरेंट दोनो इस दुनिया में नहीं रहे उनकी एक कार accident में मौत हो गई, मगर उसने घर (फ्लैट) का नाम मां बाबा के नाम से ही रखा था, राजनीति (राजेश - परिणीति)।

मायरा के पापा ने वो उससे मिलने आते रहते थे, तो उसके घर में आना जाना चला रहता था, मायरा के पेरेंट्स को इंदर पे भरोसा था, उन्हें लगा की इंदर सेटल है, जॉब भी करता है, और दोनो पड़ोसी भी है, उनके मन में बात थी की अगर मायरा कुछ करे या न करे उसकी शादी तो इंदर जैसे ही लड़के से करनी है।

Date - 12 January 2006
मायरा ने इंदर को काल किया - "इंदर मेरा न एक पालसर आने वाला है तो तुम रिसीव कर लेना, मैं थोड़ा बाहर आई हु।"
इंदर - "ठीक है, तुम आराम से आओ, मैं रिसीव कर लूंगा।"
दोनो ज्यादा बात नहीं करते थे, hi, kaha ho, kaise, बस इसके आगे ना उन्हें कुछ लगा मगर, एक बार कुछ ऐसा हुआ की, दोनो की लाइफ में ऐसा इंसीडेंट हुआ की दोनो बोहत करीब आ गए।

वैसे तो दोनो 5 - 6 सालो से कॉलोनी एक high- dream building में रहते थे, जब दोनो वहा आए थे तो इंदर अपने पैरेंट्स के साथ रहता था, मायरा भी वहा नई नई आई थी, तब उसका कॉलेज शुरू हुआ था।
जब दोनो थोड़े कंफर्टेबल हो गए तो बात करने लगे, मायरा 2001 में आई थी और इंदर 1999 से।
इंदर की पढ़ाई पूरी हो गई थी और वह जॉब की तैयारी में लग गया था, 2003 में इंदर को प्राइमरी स्कूल टीचर की जॉब मिल गई, तभी से वो वही काम कर रहा था।

अब इंदर के parents उसकी शादी के सपने देख रहे थे, इसके लिए लड़की देख ने के लिए अपने गांव जा रहे थे, तब ही उनका वो आखरी दिन था, उनकी बस एक खाई में गिरने से उसमे आग लगाई, जैसे इंदर को खबर में वो अपने गांव निकल गया, कुछ रिश्ते दारोने उसे संभाल ने की कोशिश करी मगर इस बार बोहत टूट गया था इंदर, मायरा को जब पता चला तो उसने अंदाजा लगा लिया था की वो काफी टूट चुका था।

16 april 2003 को उनका एक्सीडेंट हुआ, दो दिन बाद इंदर मुंबई आया, उसने स्कूल से परमिशन ले लिया था, की 4 दिन तक वो छुट्टी पे रहेगा।

19 April 2003 को इंदर घर आया उसने घर की पूजा कराई, और सब सारे रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करके वो घर आया।

इंदर के घर सबसे पहले मायरा आई, शाम के 7:15 pm बज चुके थे, उसने आते बिना कुछ कहे दरवाजा लगाया और इंदर पास आकर बैठ गई, उसने इंदर हाथ अपने हाथ पर रखा और कहा,

"इंदर तुम चिंता मत करो, uncle-aunty नही है ये सुनके मई खुद बोहत दुखी हो गई ही, तुम तो टूट गए होंगे, तुम रोलो इंदर, मैं हू यह"

इंदर - "मायरा"

कहते ही उसने उसे गले लगाया और बोहत देर तक रोते रहा, मायरा को पता था, उसके आंसु निकल जाने बोहत जरूरी थे, इंदर को खयाल नहीं था की उसने मायरा की गले लगा कर रोया है, थोड़ी देर बाद वो सो गया।
मायरा ने सोचा उसे खाने के लिए पूछ लूं, मगर उसे उठाना नही चाहती थी, मायरा के पैरेंट्स अब गांव जा चुके थे, और उसने उसके पैरेंट्स से बात करली की आज वोह इंदर के घर रहेगी।
इंदर रोते रोते, हाल में ही सोप पर सोगाया, और मायरा दूसरे साइड सो गई।
अगले दिन मायरा जल्दी उठ कर उसने नाष्टे में पोहे बनाए, और इंदर को उठाया, वो washroom में जाकर उसने मुंह धोया, उसके बाद उसे रात की हर बात याद आगायी। बाहर आकर वो मायरा के साथ डायनिंग टेबल पर बैठ गया, और मायरा से कहा -
" thank you, Mayra तुमने मुझे कल बोहत अच्छे से संभाल लिया।

मायरा - "इंदर देखो मुझे पता था, इसलिए मैं आई थी, और तुम दोस्त और पड़ोसी भी तो मैं हक है की मेरे दोस्त के दुख में उसके साथ रहु, तुम चिंता मत करो मैंने मेरे पापा से बात करली है की, मैं तुम्हारे साथ हूं।

अब दोनो ने नष्टा किया, और मायरा अपने फ्लैट में चली गई, इस दिन के बाद दोनो text पे, कभी कभी कॉल पे बात करने लगे, दोनो की मुलाकात होने लगी, पहले बस hi/Hello तक ही सीमित थी इनकी दोस्ती, इंदर को मायरा की आदत सी होने लगी, और मायरा को भी।

(मैं कहानी को कुछ भागों (parts) में बाट रहा हु तो ये इस कहानी का पहला पार्ट है)

03 JANUARY 2024
WRITER - Ankit