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लोक कथा - 2

समझदार किसान और जादुई बीज


एक समय की बात है, हरे-भरे खेतों के बीच बसे एक शांतिपूर्ण गाँव में, राम नाम का एक बुद्धिमान किसान रहता था। राम को उनकी कड़ी मेहनत के लिए जाना जाता था, लेकिन उनकी बुद्धि और चतुराई के लिए भी उनकी प्रशंसा की जाती थी। ग्रामीण अक्सर उनसे सलाह और मार्गदर्शन मांगते थे।

एक दिन हरि नाम का एक गरीब किसान भारी मन से राम के पास पहुंचा। हरि ने कहा, “राम, मेरी फसल साल दर साल खराब हो रही है। मैं अपने परिवार को खिलाने के लिए संघर्ष करता हूं। कृपया, क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?”


जादुई बीजों का थैला
राम ने एक क्षण सोचा और फिर मुस्कुराया। उन्होंने कहा, “हरि, मेरे पास आपके लिए सिर्फ एक उपाय है। मेरे पास जादुई बीजों का एक थैला है जो आपके खेतों को बदलने की शक्ति रखता है। इन बीजों को बोएं, और आप एक भरपूर फसल देखेंगे।”

जैसे ही राम ने उन्हें एक छोटी थैली सौंपी, हरि की आँखें आशा से चौड़ी हो गईं। “याद रखें,” राम ने चेतावनी दी, “ये बीज जादुई हैं, लेकिन वे आपकी परिश्रम और देखभाल की भी मांग करते हैं।”

हरि ने राम को धन्यवाद दिया और अपने बंजर खेतों में जादू के बीज बोने के लिए घर पहुंचे। उन्होंने राम की सलाह का सावधानीपूर्वक पालन किया, प्रत्येक दिन बीजों को पानी देना और उनका पोषण करना।




लालची जमींदार


सप्ताह बीत गए, और हरि को विस्मय हुआ, उसके खेत जीवंत पौधों से खिल उठे। फ़सलें उसके द्वारा देखे गए किसी भी फ़सल से लंबी और स्वस्थ हो गईं। ग्रामीणों ने परिवर्तन पर अचंभा किया और चमत्कार देखने के लिए हरि के खेत में उमड़ पड़े।

राघव नाम के एक लालची जमींदार के कानों तक हरि की समृद्ध फसल की खबर पहुंची। हरि की सफलता से जलते हुए राघव ने जादू के बीजों को चुराने की योजना बनाई। अंधेरे की आड़ में, वह हरि के खेत में घुस गया और बीजों की थैली चुरा ली।

चोरी से बेखबर, हरि ने अपनी दिनचर्या जारी रखी, पौधों की देखभाल पहले की तरह की। लेकिन फसलें मुरझाने लगीं और मरने लगीं। वह तबाह हो गया था।

व्याकुल होकर हरि एक बार फिर राम के पास पहुंचे। आंखों में आंसू लिए उसने राम को चोरी हुए बीजों और अपनी बर्बाद हुई फसलों के बारे में बताया।


कड़ी मेहनत और ज्ञान


राम ने करुणापूर्वक सुना और कहा, “हरि, याद रखें कि सच्चा धन भौतिक संपत्ति में नहीं है, बल्कि ज्ञान और अनुभव में है। हालांकि बीज चोरी हो गए थे, लेकिन उनके पोषण से प्राप्त ज्ञान आपके भीतर रहता है। अपने खेतों को साधारण बीजों से फिर से लगाएं, और आपकी कड़ी मेहनत और ज्ञान आपको सफलता की ओर ले जाएगा।”

राम की बातों से उत्साहित होकर, हरि ने उनकी सलाह को दिल से लगा लिया। उन्होंने लगन से नए बीज बोए, अपने खेत को पुनर्जीवित करने के लिए अथक परिश्रम किया। उसकी लगन रंग लाई और एक बार फिर उसके खेत लहलहा उठे।

हरि के लचीलेपन और दृढ़ संकल्प की चर्चा पूरे गाँव में फैल गई। उनकी कहानी से प्रेरित होकर, ग्रामीणों ने कड़ी मेहनत, धैर्य और अपने भीतर निहित शक्ति के महत्व को सीखा।


उस दिन से, हरि आशा और लचीलापन का प्रतीक बन गए, सभी को याद दिलाते हुए कि सच्चा जादू बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि मानव आत्मा की शक्ति में रहता है।

और इसलिए, बुद्धिमान किसान और जादू के बीज की कहानी जीवित रही, प्रेरणादायक पीढ़ियों को खुद पर विश्वास करने और अपने स्वयं के प्रयासों से प्रचुरता पैदा करने की क्षमता।

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