लव ट्रेजेडी - 2 Gaurav द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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लव ट्रेजेडी - 2

कुछ दूर गाड़ी चलाने के बाद एक पेट्रोल पंप से हल्का आगे पेड़ की छांव के नीचे रोड के किनारे गाड़ी रोक देता है रोड पर गाड़ियों की आवा जाही हो रही थी इक्का-दक्का लोग आ जा रहे थे। सैम ने जहां गाड़ी रुकी थी उसके आगे पीछे दुकाने थी सैम:-यह जगह ठीक है थोड़ी देर सुस्ता लेता हूं। प्रिया:-पिछली बार जहां तुमने गाड़ी रुकी थी वह इतनी बकवास जगह थी। सैम:-बकवास जगह नहीं थी बल्कि अच्छी जगह थी ऑसम प्लेस प्रिया:-बाबू ऐसी सुनसान जगह ठीक नहीं होती चोरी चकारी रेप मर्डर कुछ भी हो जाता है. सैम:-पता है मुझे, तभी तो मैं वहां नहीं रुका और वैसे भी तुम मेरे साथ हो. प्रिया:-मुझे ऐसी जगह से डर लगता है तभी मैंने तुम्हें चलने कहां।

सैम:-जब मैं तुम्हारे साथ हूं तो डरा मत करो।

प्रिया:-रहने दो मैं जानती हूं तुम इतनी भी बहादुर नहीं हो।

सेम:-मैं बहादुर नहीं हूं... डर तो तुम रही थी।

प्रिया:-मैं नहीं डरती।

सैम .. वैसे अगर तुम्हें डर लग रहा है और तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है तो मैं तुम्हें वापस छोड़ सकता हूं वैसे भी हम ज्यादा दूर नहीं आए हैं.

प्रिया:-मैं कोई भी काम बिना भरोसे कि नहीं करती। तुम्हें खुद पर पूरा भरोसा नहीं होगा मुझे अपने आप पर है।

सेम:-अभी यह कैसा भरोसा हुआ एक तरफ तुम अपने पर भरोसा करती हो और तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं।

प्रिया.. भरोसा है..भरोसा है मुझे, मुझे पता है, मैंने ही तुमसे कहा था, मैं जानती हूं कि मेरे घरवाले इस शादी के लिए तैयार नहीं होते।
सैम.. देखो मेरी तरफ से कोई जबरदस्ती नहीं है मैंने अपने घरवालों से बात तो नहीं की, पर मैं जानता हूं मेरे घरवाले मना नहीं करेंगे, वह बहुत खुले विचारों के हैं।
प्रिया.. मेरे घरवाले ऐसे नहीं है, मेरे पापा पॉलीटिशियन है तुम्हें तो मैंने सब बता दिया था

प्रिया के पापा को मिनिस्टर, राजनेता, कलेक्टर-डीएम, कमिश्नर, पुलिस वाले, सब के सब प्रिया के पापा को जानते हैं, उनका बहुत नाम है, स्टेट क्या उनकी सेंटर तक पहुंच है,उनके रहन-सहन,कपड़े देखकर कोई कह नहीं सकता कि वह पुराने विचारों के हैं, वह सिर्फ दिखने में मॉडर्न है, प्रिया की मांं भी ऐसी है, उन्हीं पुरानी दकियानूसी विचार की, और मेरे भाइयों को भी ऐसा बना दिया है। सैम को प्रिया के घर वालों के बारे में यह सब जानकारी थी सैम को प्रिया के घरवालों के बारे में अंदाजा था वह जानता था कि उसकी शादी घरवालों की इजाजत से नहीं हो सकती। सैम को लग रहा था की इस तरह घर से भागकर शादी करना ठीक नहीं है पर उन दोनों ने यह चांस लिया है इसलिए दोनों थोड़ा चिंतित भी है

सैम.. मैं थोड़ा चिंतित हूं..

प्रिया अगर तुम्हारे मन को सही नहीं लग रहा तो तुम अपना डिसीजन बदल सकती हो।

प्रिया:- सब ठीक है।

सैम:- मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं।

मैं चाहता हूं कि तुम खुश रहो हर हाल में।

प्रिया:-मैं खुश हूं कोई प्रॉब्लम नहीं।

सैम:- नहीं... मैं तुम्हें वापस छोड़ देता हूं अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है।( प्रिया को प्यार से समझाते हुए)
प्रिया:- नहीं-नहीं.. अब मैं वापस नहीं जा सकती।
सैम:- क्यों ? ( आश्चर्य से )
प्रिया:- क्योंकि.. मैं अपने कमरे में एक चिट्ठी छोड़कर आई हूं

सैम:-चिट्ठी ? (फिर से आश्चर्य होकर बोलता है)

प्रिया:- मैंने उसमें सब कुछ लिख दिया है कि मैं जा रही हूं हमेशा के लिए..
सैम:- सब कुछ लिख दिया।

मेरे बारे में भी.. ग्रेट..
प्रिया:- नहीं..न मैं ने तुम्हारे बारे में कुछ नहीं लिखा

बस इतना लिख कर आई हूं मैं जा रही हूं घर छोड़कर।
सैम:- थैंक्स....

प्रिया:- थैंक्स क्यों.. ?

सैम:- मेरे बारे में ना लिखने के लिए..

पता नहीं तुम्हारे घरवाले मेरे बारे में क्या सोचते।

प्रिया:- अच्छा तो ना सोचते और अब तो कभी भी नहीं सोच सकते।

सैम:- पर तुम्हें चिट्ठी लिखने की क्या जरूरत थी।

बच्चों वालों काम किया है।

प्रिया:- मुझे भी बच्चों वाली फीलिंग आ रही है आज के जमाने में चिट्ठी कौन लिखता है

सैम:-बाद में फोन करके बता देती

चिट्ठी लिखने की क्या जरूरत थी।
प्रिया:-फोन नहीं...(बताने की साहस नहीं कर सकती)

सैम.. वह मेरे मां बाप है वह परेशान ना हो इसलिए मैंने लेटर लिख दिया था।
सैम:- अभी टाइम कितना हुआ हैं
प्रिया:- सुबह के 5:30 बज रहे हैं
सैम:- ज्यादा टाइम तो हुआ नहीं..

कहो तो गाड़ी घुमा देता हूं

1 घंटे में पहुंचा दूंगा।


प्रिया:- 6:00 बजे मेरी मां मेरे कमरे में आकर मुझे उठा देती है

जब तक हम पहुंचेंगे तब तक मेरी मां को मेरा लेटर मिल चुका होगा और पढ़ भी चुकी होगी।
सैम:- तो क्या कुछ भी बहाना मार देना,क्या फर्क पड़ता है एक लेटर ही तो है कह देना मजाक कर रही थी।
प्रिया:- तुम क्या मुझे वापस छोड़ना चाहते हो?

अगर ऐसा है तो मुझे वापस छोड़ दो

मां बाप से मार सह लूंगी

भाइयों से डांट सह लूंगी।

हां पर मुझे भूल जाना

जिस से शादी कराना चाहे उससे कर लूंगी
सैम:- शुरू कर दिया इमोशनल ब्लैकमेल करना।

प्रिया:- मैं तुम्हें इमोशनल ब्लैकमेल कर रही हूं?

तुम्हें ऐसा लगता है तो गाड़ी अभी वापस घुमा लो।

सैम:- हां तो ठीक है ना नाराज क्यों होती हो

क्या ऐसा नहीं हो सकता कि मैं तुम्हें वापस छोड़ दूं

और फिर मैं तुम्हारे घर तुम्हारा हाथ मांगने आ जाऊं।
प्रिया.. तुम मेरे घर आओगे..

हिम्मत है...

जान प्यारी नहीं है क्या?

सैम:- नहीं मुझे तुम प्यारी हो

जान क्या चीज़ है हंसते-हंसते दे देंगे।

प्रिया:-जान तो मैं तुम्हारी ले लूंगी

वो भी हंसते हंसते

अगर तुमने मुझे वापस छोड़ने के बारे में सोचा भी तो।

हंसते हंसते जान दे दोगे सब कहने वाली बात होती है

सैम:-मजाक कर रहा हूं

अरे नहीं छोडूंगा प्रॉमिस।

प्रिया:-पहली बात मेरे घर वाले राजी नहीं होंगे

और वैसे भी उन्हें मैं बता दूंगी यही वह लड़का है जो मुझे भगाकर ले जा रहा था।

फिर जो तुम्हारी धुनाई होनी है तो तुम समझना।

सैम:-यार तुम मुझसे प्यार करती हो या मुझे मरवाना चाहती हो

सैम धीरे से मुस्कुराता है और जोर से हंसने लगता है और प्रिया भी हंसने लगती है. सैम:-हम ऐसे हंसते हुए साइको लगते हैं। प्रिया:-साइको जैसा काम भी तो कर रहे हैं बताओ कोई अपना घर छोड़कर भागता है क्या


अब तो बंदूक से गोली निकल चुकी है चाहे एक इंच जाए
चाहे 100 मीटर जाए दूरी मायने नहीं रखती जब समय निकल जाता है ट्रिगर दब चुका है