लेखक-डॉ.सुनील जाधव
मो.९४०५३८४६७२
गंगाधर की पत्नी गंगा उस दिन गुस्से में थी | उसका गुस्सा उसे पुलिस थाने ले आया था | वह अपने पति परमेश्वर पर क्रोधित थी | उस दिन उसके मस्तक पर तीसरे नेत्र की ज्वाला को देखा जा सकता था | वह पुलिस थाने पहुँच गयी थी | वह गुस्से में दरोगा जी के सामने खड़ी हो गयी | वह अपने पति की शिकायत तो करना चाहती तो थी किन्तु दरोगा जी अभी फोन पर व्यस्त थे | और अपनी पत्नी से बतिया रहे थे | बतियाते-बतियाते वे अपनी पत्नी को बागबान फिल्म का गाना सुना रहे थे | मैं यहाँ तू वहाँ जिन्दगी हैं कहाँ | दरोगा जी के गीत से साफ झलक रहा था कि दरोगा जी मिसेज दरोगा अर्थात अपनी पत्नी से कितना प्यार करते हैं | सामने रोमांटिक सिन चल रहा था | किन्तु दरोगा के इस रोमांटिक सिन और उनके गीत ने गंगाधर की पत्नी गंगी को और भी गुस्सा आ रहा था | गंगी को सामने खड़ा देखकर दरोगा जी ने गंगी को हाथों से बैठने का इशारा किया | और गंगी बैठ गयी | और दरोगा की बात खत्म होने का इन्तजार करने लगी | कुछ क्षण बाद दरोगा की बात खत्म हुई | और दरोगा ने नाक पर खिसका हुआ चश्मा बाएं हाथ से उपर करते हुए | मुँह में पान चबाते हुए पूछा, “ जी कहिये मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ ?” इस पर प्रतीक्षा रत गंगी ने कहा, “ जो वो एक शिकायत दर्ज करवानी थी |”
दरोगा – “ अरे.. हम तो इसीलिए यहाँ बैठे हैं कि जनता की शिकायत का समाधान करें | कष्टों का निवारण करें | माफ करना आपको जरा इंतजार करना पड़ा | जब होम मिनिस्टर फोन पर हो तो.. सारी दुनिया एक तरफ और हमारी होम मिनिस्टर साहिबा एक तरफ | उन्हें समय देना ही पड़ता हैं | वह हमारी अर्धांगिनी जो ठहरी |.. तो बताइये आपको क्या शिकायत हैं ?
गंगी – “जी वो...दरोगा साहब ..|”
दरोगा – आजी आगे कुछ न कहिये .. हम समझ गये | हमारे पास रोज ऐसे कई केसेस आते हैं | हम तुरंत पहचान लेते हैं कि सामने वाला क्या शिकायत लेकर आया हैं | तुम्हारे पति का कहीं बाहर चक्कर-वक्कर चल रहा हैं ना ?
गंगी – जी नहीं दरोगा साहब ..
दरोगा – नहीं ... शराब पीकर आपकी पिटाई जरूर करता होगा | मैं ऐसे कई पतियों को जानता हूँ जो अपनी भोली-भाली और मासूम पत्नी की शराब पीकर पिटाई करते हैं | उनको मैं अपने इस डंडे से ठीक कर चूका हूँ | पत्नियाँ यहाँ रोते हुए आती हैं और जाते समय हँसते हुये जाती हैं| तुम भी निराश नहीं होउगी | ”
गंगी – “ नहीं दरोगा साहब .. वह बात नहीं हैं ..
दरोगा – “उसका किसी और के साथ चक्कर नहीं चल रहा हैं, वह शराब नहीं पीता और पिटाई भी नहीं करता | तो क्या शिकायत लेकर आये हैं आप ?
गंगी – दरोगा साहब, दरअसल बात यह हैं कि वो मेरे लिए गाते नहीं हैं ...
दरोगा – गाते नहीं हैं ? मैं कुछ समझा नहीं | क्या मुझे आप समझा सकते हैं !
गंगी – दरोगा जी, वो ..मेरा मतलब वह गाते नहीं हैं ..मेरे ...
दरोगा – “ अरे .. गाना तो अच्छी बात हैं | आपके पति गाते नहीं हैं | बड़े नीरस हैं आपके पति उन्हें तो गाना ही चाहिए | अब यह देख लो मेरी सुबह गीत से ही होती हैं | बाथरूम में गाता हूँ | फिर भगवान के सामने गाता हूँ | फिर पत्नी के सामने गाता हूँ | ऑफिस जाते समय पत्नी के लिए गाता हूँ | ऑफिस से आने के बाद पत्नी के लिए गाता हूँ | ऑफिस से घर जाने के बाद पत्नी के लिए गाता हूँ | सोते समय गाता हूँ | बस अपनी जिन्दगी एक गीत हैं | मेरा मानना हैं कि गीत के बिना जीवन नीरस हैं | और आपका पति नीरस हैं |
गंगी – दरोगा जी .. मेरे पति गाते हैं | वे नीरस नहीं हैं | वह भी सुबह होते ही गाते हैं | नहाते समय गाते हैं | भगवान के लिए गाते हैं| माँ के लिए गाते हैं | पिता के लिए गाते हैं | बच्चों के लिए गाते हैं | दोस्तों के लिए गाते हैं | यहाँ तक की पड़ोसिन के लिए भी गाते हैं |
दरोगा – तो बात यह हैं कि आपका पति पड़ोसिन के लिए गाते हैं | इसीलिए आपको शिकायत करनी हैं |
गंगी – जी नहीं दरोगा जी | वे किसी के लिए भी गाये मुझे उनसे इस बात पर कोई शिकायत नहीं हैं | पर ..
दरोगा – पर क्या..... आपके पति गाते हैं .. नीरस नहीं | पड़ोसिन से आपको शिकायत नहीं | आखिर आपको किस बात के लिए शिकायत हैं | मैं कुछ समझा नहीं |जरा खुलकर बताइये |
गंगी – दरोगा जी...दरअसल बात यह हैं कि मेरे पति सबके लिए गाते हैं पर.. वो मेरे लिए गाते नहीं हैं | यही मेरी शिकायत हैं |
दरोगा जी जोर से हँस पड़े | अब तक तो उनके पास पत्नियाँ अपने पति की कुछ और मामले में शिकायत लेकर आया करती थी | किन्तु आज पहली बार ऐसी शिकायत सुनकर वे हँस पड़े और फिर गंगी की गम्भीर मुद्रा देखकर वे भी गम्भीर हो गये | दरोगा गंगी की और देखकर कहने लगे | “ तो मामला संगीन हैं | आपके पति अर्थात आपके वो ... माँ-बाप, बच्चे-भगवान, दोस्त-पड़ोसी मेरा मतलब सबके लिए गाते हैं किन्तु आपके लिए गाते नहीं हैं | सच में ही यह मामला बड़ा ही गम्भीर हैं | आप ने तो देखा हैं कि मैं अपनी पत्नी के लिए ही गाता हूँ | मेरे लिए मेरा दोस्त -पड़ोसी सबकुछ वहीं हैं | मेरे गीत के बिना उसकी सुबह नहीं होती और नाही दिन कटता हैं | और नाही रात | मेरे कहने का मतलब यह हैं कि जब पति नाम का जीव गा सकता हैं तो वह एक बार दुनिया के लिए ना गाये तो चलेगा किन्तु अपनी पत्नी के लिए गाना जरूरी हैं | इस मामले मैं आपके साथ हूँ | आप देखते जाइए मैं उसे ऐसे ठीक करता हूँ कि वह सारी दुनिया के लिए गाना गाना ही छोड़ देगा और बस अपनी पत्नी के लिए ही रात और दिन गाता रहेगा |” दरोगा हवालदार को आवाज देता हैं | “हवलदार जरा इधर आइये | आप अपने साथ और एक हवालदार साथ में ले लीजिये | आप इनके घर जाइए और इनके पति को जिस अवस्था में हैं, जैसे हैं, वैसी ही उठा कर लेकर आइये |” दोनों हवलदार पहलवान थे | दरोगा की बात सुननी थी कि वे तुरंत अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए निकल पड़े | उनके लिए दरोगा का आदेश.....आदेश था | वे गंगी के घर गये और गंगाधर लुंगी पर बैठे चाय की चुस्कियाँ लेते हुए अपनी पड़ोसिन को देखकर गा रहे थे | हवलदार ने उनका नाम पूछा और सीधे गंगाधर वे जिस अवस्था में थे उसी अवस्था में उठा लिया | गंगाधर चिल्लाता रहा | “ साहब आखिर मेरी क्या गलती हैं | जो मुझे ऐसे उठाकर ले जा रहे हो |” गंगाधर समझ नहीं पाया कि आखिर उसके साथ यह क्या हो रहा हैं | वह तो महज पड़ोसिन को देखकर गीत गा रहा था | उसे बाद में लगा कि हवालदार पड़ोसिन के लिए गीत गाता देखकर कहीं उसे पुलिस थाने तो नहीं ले जा रहे हैं | पर वह सोचने लगा कि पड़ोसिन ने ही कहा था, उसे गीत गाने के लिए | तो फिर .. शायद उसके पति को बुरा लगा होगा इसीलिए उसने शिकायत दर्ज कर दी होगी | बता भी सही हैं, किसी और की पत्नी के लिए गाना तो गलत बात हैं ही | पर पड़ोसिन के पति ने ही एक बार गंगाधर के पति से कहा था| “गंगाधर जी, आप जब गाते हो तो मेरी पत्नी बड़ी खुश रहती हैं | और मेरा दिन अच्छा जाता हैं | आप मेरी पत्नी के लिए गा दिया करो ताकि मेरा दिन अच्छा बीते |” गंगाधर सोच में पड़ गया कि आखिर माजरा क्या हैं | उसने ऐसा क्या किया हैं जी उसे हवलदार उठाकर ले जा रहे हैं | कहीं राह चलते मैंने किसी की पत्नी या किसी को देखकर गाता देख किसी के पति या आशिक को बुरा तो नहीं लगा होगा | पर मेरा गाना तो सबको अच्छा लगता हैं |” सोचते -सोचते गंगाधर पुलिस थाने पहुंच ही गये |
दरोगा ने गंगाधर को देखा और कहा, “ आइये ..आइये जनाब आपका ही हम इंतजार कर रहे थे | जनाब को जरा बैठाइये |” गंगाधर ने दरोगा से पूछा,” दरोगा जी, आखिर क्या बात हैं, जो मुझे इस तरह उठाकर ले आयें | मैं भी एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हूँ | मेरी भी कोई इज्जत हैं | आखिर मैं जान सकता हूँ कि मुझे यहाँ किस मामले में लाया गया हैं |” दरोगा पान चबाते एक हाथ से दूसरे हाथ में डंडा पटकते हुए कहा, “ गंगाधर जी, हम आपको सबकुछ बताते हैं | यह जो सामने मुहतरमा बैठी हैं क्या तुम इन्हें पहचानते हो ?” गंगाधर ने उस और देखा और कहा जी “हाँ मैं इन्हें जानता हूँ |” दरोगा – “कब से जानते हैं ?” गंगाधर – जी वह पिछले पन्द्रह साल से जानते हैं | मेरा मतलब यह मेरी ब्याहता पत्नी हैं | ..दरोगा साहब इनसे कोई गलती हुई हैं क्या ? मैं इनकी तरफ से माफी मांगता हूँ | इन्हें माफ कर दीजिये |” दरोगा – माफी इन्हें नहीं | आपको माफ करना हैं या नहीं मैं यह सोच रहा हूँ |” गंगाधर सोच में पड़ गया कि आखिर उससे क्या गलती हो गयी | जो दरोगा जी उसे माफ करना हैं या नहीं इस पर सोच रहे हैं | गंगाधर ने फिर से पूछा,” साहब आखिर मुझसे क्या गलती हुई हैं, क्या मुझे आप बता सकते हैं | जरा अपराधी को अपना गुनाह बता देते तो सजा भुगतने में आसानी हो जाती | दरोगा साहब आप पहेलियाँ मत बूझिए, इस अपराधी का अपराध क्या हैं.. जरा बता दीजिये ?” दरोगा जी ने गम्भीर होकर ऊँचे स्वर में कहा, “ मामला गम्भीर हैं | गम्भीर नहीं संगीन हैं | इन मुहतरमा की शिकायत हैं कि आप गाते हैं ...|” गंगाधर ने बीच में बात काटते हुए कहा, साहब गाना भी कोई गुनाह होता हैं भला |” दरोगा जी ने उत्तर दिया, “ गाना गुनाह नहीं गंगाधर जी | पर गाना किसके लिए गाना चाहिए और किसके लिए नहीं | यह समझ यदि इनसान को नहीं हैं तो वह गुनाह हैं |” गंगाधर “ साहब मैं अच्छी तरह से समझता हूँ | गाना किसके लिए गाना हैं और किसके लिए नहीं | मैं भगवान के लिए गाता हूँ | अपने माता-पिता के लिए गाता हूँ | बच्चों-दोस्तों और पड़ोसी के लिए गाता हूँ | लोग मेरा गाना सुनना चाहते हैं इसलिए गाता हूँ | इसमें मैं कहाँ गुनहगार साबित होता हूँ |” दरोगा – “ गंगाधर जी, माँ-पिता, भाई-बहन, बच्चे-भगवान, दोस्त-पड़ोसी आप सबके लिए गाते हैं | इसमें कोई गुनाह नहीं हैं | पर कभी आपने अपनी पत्नी के लिए गाया हैं ?” गंगाधर जोर से हँस पड़ा, अरे तो बात यह हैं | दरोगा ने जोर से पूछा, “ मैंने तुमसे सवाल किया हैं, क्या तुमने कभी अपनी पत्नी के लिए कभी गाया हैं | जवाब मुझे हाँ या ना में चाहिए | वरना यह डंडा देख रहे हो|” गंगाधर ने ना के रूप में जवाब दिया और दरोगा ने तुरंत गंगाधर की तशरीफ पर डंडे से वार करते हुए कहा, “ आज से तुम अपनी पत्नी के लिए गाओगे समझे |” गंगाधर जोर से चिल्ला उठा | “समझ गया साहब, आज से मैं किसी के लिए भी नहीं गाऊंगा | दरोगा – क्या कहा ? गंगाधर – मेरा मतलब आज से मैं सिर्फ और सिर्फ अपनी पत्नी के लिए ही गाऊंगा | मुझे माफ कर दो दरोगा जी |” दरोगा – “मुझसे माफी मांगने से काम नहीं चलेगा | आप अपनी पत्नी से माफी मांगिये | जो पन्द्रह साल से आपके गीत का इंतजार कर रही हैं |”
गंगाधर ने अपनी पत्नी गंगी को प्यार से सम्बोधित करते हुए कहा, “ गंगी मुझे माफ कर देना | मैं अब से जिन्दगी भर तुम्हारे लिए ही गाऊंगा | “ और गंगाधर ने गीत गाना शुरू कर दिया | मैं जोरू का गुलाम बनके रहूँगा |” पत्नी खुश हुई | पत्नी ने माफ किया | मामला रफा दफा हो गया | गंगाधर समझ गया | पत्नी अर्धांगिनी होती हैं | उसे हर पल खुश रखना पति की जिम्मेदारी होती हैं|