खूनी पंजा Suresh Chaudhary द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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खूनी पंजा

राकेश की शादी पर छोटे भाई किशोर सहित सभी मित्र बड़े खुश नजर आ रहे थे, गांव में एक परंपरा होती है, भाभी की गोद में छोटे देवर को बैठना होता है। किशोर ने इस परंपरा का भली प्रकार से निर्वहन किया। देखते ही देखते सभी काम उत्साह के साथ किए गए। देवताओं के पूजन के बाद सुहाग रात की रस्म भी पूरी की गई। राकेश सहित पूरा परिवार इस बात को ले कर फूला नहीं समा रहा था कि बहु बहुत ही सुन्दर आई है, शायद पूरे परिवार में इतनी खूबसूरत बहु अब तक नही आई थी।
सुहाग रात की अगली सुबह जब राकेश शौच के लिए खेतों की ओर चला गया, घर में शौचालय था, लेकीन केवल महिलाओं के लिए।
काफी समय बितने के बाद भी जब राकेश घर वापस नहीं आया तो मां के और बहु के अंदर थोड़ी घबराहट होने लगी।
,, क्यों जी, राकेश अभी शौच से वापस नहीं आया, आप कहीं जा कर देख आओ,,।
,, आ जायेगा, कहीं दोस्तों के पास रुक गया होगा,,। पिता ने हल्के में कह दिया। लेकीन मां का दिल जोर जोर से धड़कने लगा। बहु चाह कर भी अपनी व्यथा कह न सकी। धीरे धीरे वक्त बीतता गया और शाम हो गई, तब पूरा परिवार राकेश की तलाश में निकला। इधर उधर देखा, अचानक एक बच्चे ने बताया कि वहां तेज सिंह के गन्ने के खेत में शायद कोई पड़ा हुआ है, सभी बदहवास हालत में उधर ही दौड़ पड़े, देखा राकेश का मृत शरीर पड़ा हुआ है। आनन, फानन में पुलिस को सूचना दी गई और शव को पोस्ट मार्टम के लिए भेजा गया, नई नवेली बहु के लिए जैसे पूरी दुनिया ही उजड़ गई,। रोते रोते कभी बेहोश हो जाती तो पानी के छींटे मार कर होश में लाई जाती।
पोस्ट मार्टम के बाद दाह संस्कार किया गया। जिस परिवार में कल खुशियां मनाई जा रही थी वही आज मातम पसरा हुआ है।
हिंदू परंपरा के अनुसार तेहरवी की रस्म अदा की गई। अब बहु के बारे मे बात चलने लगी। राकेश की मां ने बहु को ले कर अशुभ बातें कहना शुरू कर दिया लेकीन कुछ भी हो बहु के बारे में सोचना तो पड़ेगा ही।
परिवार की राय ले कर बहु की शादी किशोर से करने का फैसला लिया गया। किशोर से जब इस बारे में पूछा गया तो वह भी दुखी हो कर बोला,, घर की इज्जत के लिए इतना तो मैं कर ही सकता हूं,, और मन मारकर बहु का हाथ किशोर के हाथ में दे दिया गया, मां तो किसी भी कीमत पर बहु को अपने घर में रखना ही नहीं चाहती थी लेकिन बड़ो के सामने मां की एक भी नहीं चली। आधे अधूरे मन से सभी रस्म अदा की गई।
बहु को एक बार फिर से दुल्हन के जोड़े में सेज पर बैठाया गया और किशोर दो घूंट शराब की ले कर बहु के पार आ गया।
,, जानू सच में तुम बहुत ही खूबसूरत हो, तुम्हें जब मैने पहली ही नजर में देखा था, जब ही सोच लिया था कि कुछ भी हो और किसी तरह से भी तुम्हें अपनी बनाऊंगा और देखो मैंने तुम्हें अपनी बना लिया,,,। यह सब सुनते ही बहु ने हैरानी के साथ किशोर की ओर देखा, लेकीन कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नही की।
,, अब इन बातों से कोई मतलब नहीं है मुझे, अब तो मैं तुम्हारी हो ही गई हूं, लो दूध ली लो,,,। और कहने के साथ ही बहु ने दूध का गिलास उठा कर किशोर को दे दिया। किशोर ने भी जल्दी में और एक ही श्वांश में दूध पी लिया। थोड़ी देर बाद किशोर को लगा जैसे श्वान्श रुक रही हो।
,, यह तुमने दूध में क्या पिला दिया,,।
,, तुम अपने आपको बहुत ही होशियार मानते हो न,, जब पूरा परिवार मेरे पति के लिए रो रहा था तब तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान थी, मै तभी समझ गई थी कि हो न हो तुमने ही मेरे पति को मारा है, अब मैंने अपने पति की हत्या का बदला ले लिया है,,। और कहते कहते बहु ने बेड सीट के नीचे से एक छोटी शीशी निकाली और उसमें से एक घूंट पी ली।
कुछ ही देर में किशोर के साथ साथ बहु भी बेदम हो गई।