रेलवे स्टेशन पर आ कर मैने सबसे पहले गाड़ियों की सूची देखी। देख कर पता लगा कि प्रयाग राज जाने वाली गाड़ी शाम के छह बजे जायेगी, थोड़ी भूख भी लग चुकी है लेकिन मैंने अपने कोट की अंदरूनी जेब में देखा तो चार सौ रूपये देख कर थोड़ी राहत की शवांस ली और और स्टेशन पर लगे एक स्टॉल पर आ कर एक कप चाय पी और एक अपरिचित व्यक्ति से पूछा
,, भाई साहब प्रयाग राज जानें वाली ट्रेन कौन से प्लेट फार्म पर आयेगी,,।
,, नंबर तीन पर,,। उसके कहते ही मुझे याद आया, हां चार्ट पर भी यही लिखा था, फिर मुझे याद क्यों नहीं रहा, हो सकता है कि उम्र का असर हो या यह भी हो सकता है कि पत्नि के गुजर जानें का असर माइंड पर आ गया हो, खैर जो भी हो माइंड भी आंखों की तरह से धुंधला पड़ गया है। प्लेट फार्म नंबर एक से तीन तक आने में थोड़ा सांस भी फूल गया । छह बज कर दस मिनट पर गाड़ी आई और मैं स्लीपर कोच में किसी तरह से भीड़ में से होकर धीरे धीरे अपनी सीट तक आया, मेरे लिए सीट तक आना भी एक जंग जीतने जैसा प्रतीत हुआ। मैं थकान के कारण एक दम से बर्थ पर गिर सा गया। पास की दूसरी सीट पर बैठे यात्रियों की आपसी बात से पता चला कि गाडी अभी आधा घंटा बाद चलेगी। मैं आंखें बंद करके लेटा रहा, करीब बीस मिनट बाद एक आवाज ने मुझे आंखे खोलने के लिए मजबूर कर दिया।
,, क्या मैं कुछ देर के लिए आपकी बर्थ पर बैठ सकती हूं,,। लगा जैसे आवाज मैं बहुत दिनों के बाद सुन रहा हूं, मैं बैठ गया और आने वाली महिला की ओर देखा,
,, बैठ जाओ,,।
,, धन्यवाद,,। कहते हुए वह महिला बैठ गई
लेकीन उसकी आवाज ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया मैं सोचता रहा कि यह कौन है
,, आप कहां से है,,। हिम्मत करके मैने पूछा, पहले सोचा कि कहीं बुरा न मान जाएं
,, आप की आवाज़ कुछ,,। आधे अधूरे शब्दों में कहा उसने
,, मैं भी यही सोच रहा था,,। मैने कहा
,, आप कहीं सिद्धार्थ तो,,.
,, जी आपने सही पहचाना लेकीन आप,,।
,, नही पहचाना अपनी अनु को,। सुनते ही वज्रपात सा हो गया।
,, अनुराधा तू तू तुम,,। हकला कर रह गया मैं
,, हां सिद्धू मैं,,,।
,, यह क्या हालत हो गई है आपकी,,।
,, आप कह कर पराई कर रहे हो,,।
,, पराई तो आप उसी दिन हो गई है, जब आपने मुझ जैसे गरीब का हाथ छोड़ कर एक अमीर लड़के के साथ शादी कर ली थी ,,,।
,, जीवन की शायद सबसे बड़ी गलती वो ही थी , लेकीन सच कहूं तो मैं आज तक भी तुम्हे नही भुला पाई, मैं आज भी तुम्हें उतना ही मिस करती हूं, जितना जवानी में किया करती थीं,,।
,, खैर छोड़ो इन बातों को, बताओं कहां जा रही हो,,।
,, मैं प्रयाग राज जा रही हूं कहीं चैन नही मिलता, सोचा वहीं चल कर देखूं,,,।
,, और तुम्हारे पति, बच्चे,,।
,, पति तो शादी के दो साल बाद ही, और बच्चा कोई नहीं है,, और आप,,।
,, मैं भी अकेला हूं,,
,, सिद्धू क्या हम बचे हुए दिन साथ साथ,,।
,, तुमने मेरे दिल की बात कह दी,,। और कहने के साथ ही अनु का हाथ अपने हाथों में ले लिया।