स्कैम 2003, द तेलगी स्टोरी रिव्यू Mahendra Sharma द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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स्कैम 2003, द तेलगी स्टोरी रिव्यू

अगर आपने स्कैम 1992 देखी है तो ये स्कैम 2003 सीरीज देखने का रिस्क तो लेना पड़ेगा न डार्लिंग। ये मेरा नहीं सीरीज मे एक डायलॉग है । पैसा हमेशा से ही व्यक्ति की सबसे बड़ी कमजोरी और सबसे बड़ी ख्वाहिश रही है। इसे कुछ लोग कमाते हैं और तेलगी जैसे लोग बनाते हैं। पैसा कमाते हुए शायद आप थक जाओ, रुक जाओ पर पैसा बनाने वाले न थकते हैं न रुकते हैं।
 
वैसे सीरीज फिर सोनी लिव ओटी टी पर है, देखने जैसी है। देखने के कई कारण बनते हैं, एक तो है हंसल मेहता , जिन्होंने एक स्कैम 1992 दिखाकर हमारी जिज्ञासा को बढ़ा दिया है, हर कोई जानना चाहता है की किस किस ने आखिर सिस्टम को तोड मरोड़ कर पैसा बनाया, अन्य कारण है प्रेक्षक जो आजकल गुनाह और सच्ची कहानी देखना पसंद करते हैं।
 
अब्दुल करीम तेलगी स्टैंप पेपर घोटाले के मुख्य आरोपी पाए गए थे। इस घोटाले की राशि करीब 30,000 करोड़ मानी जा रही है। इस घोटाले में वह अकेला नहीं था, उसके साथ थे सरकारी अधिकारी, पुलिस, नेता और हर वह आदमी जो इस घोटाले की सीढी के पायदान बने। एक छोटी सी चोरी से प्रारंभ होने वाली बात देश के सबसे बड़े  घोटाले के तौर पर लोगों के सामने आई।
 
अब्दुल करीम तेलगी खानापुर कर्नाटक में एक मामूली फल बेचने वाला था जो ट्रेन में जाकर अपने फल बेचता था। शौकत नाम के एक व्यक्ति ने उसे मुंबई आने का आमंत्रण दिया और नौकरी देने का भी वचन दिया। अब्दुल इस अवसर को छोड़ नहीं सकता था, उसने ट्रेन पकड़ी और आ गया माया नगरी मुंबई। यहां शौकत के गेस्ट हाउस की देखरेख का काम मिला और वहीं शौकत की बेटी के साथ अब्दुल का निकाह भी हुआ।
 
अब्दुल कुछ साल सऊदी रहकर आया और फिर ट्रैवल एजेंट के काम की आड़ में उसने नकली डिग्री सर्टिफिकेट बनाकर लोगों को सऊदी भेजना भी शुरू किया। यह उसका पहला कानून तोड़ने वाला धंधा था। वह पकड़ा गया, जमानत भी हुई और बा इज्जत बरी भी हो गया। अब क्या?
 
तेलगी एक शातिर दिमाग का व्यक्ति था, उसकी बुद्धि कानून तोड़ने वाले कामों में ज्यादा तेजी से दौड़ती थी और जल्दी पैसे कमाने का लालच उससे ऐसे काम करवाता था जो सामान्य व्यक्ति की सोच से कोसों दूर है। उसे नकली कागजातों वाले काम पसंद आने लगे। डैड शेयर सर्टिफिकेट से पुराने रेवन्यू स्टैंप चुरा करके उसे केमिकल से धोकर,फिर नए की तरह बेचना शुरू किया और वहीं से उसे स्टैंप पेपर के करोड़ो रुपए के विशाल धंधे का एक बड़ा खिलाड़ी बनने के सपने आने शुरू हुए।
 
नकली स्टैंप पेपर बनाने से लेकर असली स्टैंप पेपर खुद अपनी प्रेस में छापकर, पूरे देश में बेचना एक बहुत ही बड़ा गैर कानूनी काम था जो अकेले तेलगी से होना सम्भव नहीं था, उसके लिए स्टैंप पेपर की शुरू से अंत तक की प्रक्रिया में आने वाले प्रत्येक कर्मचारी, पुलिस, प्रशासन और राजनैतिक लोगों को तेलगी लालच और घुंस देकर अपने काम निकलवाता। एक तरह से पूरे का पूरा स्टैंप पेपर या रेवेन्यू डिपार्टमेंट उसके हाथ आ चुका था और वह जब मर्जी चाहे उसे अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ सकता था।
 
इस सीरीज के माध्यम से यह दूसरी बार हुआ है की सरकारी प्रक्रिया और प्रशासन में बहुत ही बढ़ी कमज़ोर कड़ियों को बारीकी से निरीक्षण करके दिखाया गया है। पहले स्कैम 1992 में हर्षद मेहता ने बैंकिंग और वित्तीय संस्थाओं के साथ खिलवाड़ किया और यहां स्कैम 2003 में अब्दुल करीम तेलगी ने रेवेन्यू और स्टैंप पेपर के निर्माण, प्रबंध और वितरण में कमज़ोर कड़ियों का अपने लाभ के लिए दुरुपयोग किया। दोनों ही सिरीज़ में सरकारी कर्मचारी और राजनेता व्यक्तिगत लाभ के लिए सरकारी खामियों का चिट्ठा असामाजिक तत्वों को बांटते हुए दिखे।
 
स्कैम 2003 सोनी लिव ओटीटी पर प्रसारित हो चुकी है पर  अभी अधूरी है, अन्य एपिसोड नवंबर में आने का अंदेशा है। अब तक जितनी कहानी चली है उसमें फिर एक बार निर्देशक हंसल मेहता ने अपने काम का जादू दिखाया है, स्कैम 1992 की तुलना में स्कैम 2003 थोड़ी फीकी है क्योंकि शेरबजार जैसा तड़का यहां नहीं, पर तथ्य और कहानी दिखाने का तरीका लाजवाब है।
 
गगनदेव रिअर बने हैं तेलगी, वे तेलगी जैसे लग ही रहे हैं। तलद अज़ीज़, जाने माने ग़ज़ल गायक इस फिल्म में अभिनय कर रहे हैं और तेलगी के ससुर बने हैं। भावना बलसावर, शोभा खोटे की बेटी इस सीरीज में राजनेता के रूप में हैं, अन्य कलाकार नए हैं जिनका अभिनय भी ठीक ठाक है । बैकग्रांड म्यूजिक वही है जो पिछली सिरीज़ में था, बहुत ही अचंभित और रोमांचित करने वाला पार्श्व संगीत।
 
सिरीज़ के अन्य एपिसोड आने पर आगे लिखा जाएगा ऐप तक का अनुभव रोमांचित और अचंभित करने वाला ही रहा, अगर आपको तथ्यों पर बनी सिरीज़ पसंद है तो सोनी लिव पर स्कैम 2003 देखना तो बनता है।
 
- महेंद्र शर्मा 9.9.2023