काश्मिरी पंडित - भाग 2 Nikita Patil द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

काश्मिरी पंडित - भाग 2

धीरज ने कश्मीर के इस यात्रा को बहुत सोच समझकर तैयार किया था। वह अपनी नववधू शालू के साथ हनीमून मनाने के लिए यहां आया था। उन्होंने सोचा था कि इस यात्रा से वह और शालू दोनों एक-दूसरे के करीब आएंगे और उनकी ज़िन्दगी का नया अध्याय शुरू होगा।

धीरज: शालू, यह तो बहुत खुशी की बात है कि हम अपनी शादी के बाद काश्मीर जा रहे हैं। मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि हम वाकई इस सुंदर जगह में होंगे।

शालू: हाँ, धीरज, यह सच है। हमारी शादी के बाद कुछ दिनों के लिए यहां रहना एक सपने की तरह है। हम यहां हनीमून मनाएंगे और खूबसूरत यादें बनाएंगे।

धीरज और शालू कश्मीर पहुंचते हैं और अपने रोमांटिक हनीमून का आनंद लेने लगते हैं। एक दिन, जब उन्होंने अपने होटल के कमरे में छिपे हुए कैमरे को देखा, उनका दिल डर से डर गया। धीरज ने बिना सोचे समझे उसे चालू कर दिया था।

धीरज: (चिंतित होकर) शालू, यह कैमरा यहां कैसे आया? हमें कोई देख रहा है क्या?

शालू: (भयभीत होकर) मुझे नहीं पता, धीरज। यह कैसे हो सकता है? क्या हमारी गोपनीयता खतरे में है?

धीरज और शालू बहुत चिंतित हो जाते हैं। उन्हें अपने मन में अनेक सवाल उठने लगते हैं। फिर उन्हें एक अजीब से फ़ोन आता है।

धीरज: (फ़ोन उठाते हैं) हालो?

अहमद: तुम शालू के साथ यहां क्या कर रहे हो?

धीरज: (चिढ़ाते हुए) तुम कौन हो? और तुम कैसे जानते हो कि हम यहां हैं?

फ़ैज़ल: हम तुम्हें बहुत अच्छे से जानते हैं, धीरज भैया। तुम्हारी सुहागरात का वीडियो हमारे पास है। अब तुम्हें हमारी बात माननी होगी।

धीरज: (घबराते हुए) नहीं, यह कैसे हो सकता है? तुम ऐसी बातें कैसे कर सकते हो?

शालू: (रोते हुए) धीरज, मुझे डर लग रहा है। कृपया हमें बचा लो।

धीरज और शालू दोनों बहुत चिंतित हो जाते हैं। उन्हें मालूम होता है कि यह दोनों लोग उन्हें धमका रहे हैं। धीरज और शालू की आंखों में आँसू आ जाते हैं।

धीरज: (बहुत संतुष्ट होकर) तुम लोग जो भी करना चाहते हो, कर लो। मैं और शालू जीवनभर एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे। तुम्हारी धमकियों से हमें डर नहीं लगता।

अहमद: (हैरान होकर) तुम बहुत ही बेवकूफ़ हो, धीरज भैया। हम तुम्हारी शालू को इतनी आसानी से छोड़ देंगे नहीं। तुम्हें बहुत पछतावा होगा।

फ़ैज़ल: हाँ, तुम बेवकूफ़ हो, धीरज। तुम्हारी शालू अब हमारे हक़ में है।

धीरज: (निडरता से) तुम दोनों ग़लती कर रहे हो। तुम्हें यह नहीं पता कि कश्मीरी पंडितों की ताक़त क्या होती है। हम अपनी शालू को कभी नहीं छोड़ेंगे।

धीरज और शालू के बीच एक गहरी नजदीकियाँ हो जाती हैं। धीरज अपनी शालू को संभालने के लिए सब कुछ करने को तैयार है। वे अपनी दृढ़ता और साहस के साथ आगे बढ़ते हैं, जानते हुए कि उनकी प्रेम कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई है।

इसलिए वे दोनों दोनों मामले के तह तक जातें हैं और अपने मित्रों की सहायता से फ़ैज़ल को ढूंढते हैं।
अपने पुलिस मित्र के द्वारा धीरज ने फ़ैज़ल का मोबाइल जप्त किया और उसमें से अपने निजी विडियो डीलीट किए।