वो निगाहे.....!! - 23 Madhu द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो निगाहे.....!! - 23




मायूर हाल में आते हुये उसे अमर जी दिख गये जो पसीने से लथपथ अपना एक हाथ सीने पर रख सहला रहे थे l उनको उस हालत में देख मायूर तुरंत हि उनके पास आके ,,,क्या हुआ अंकल?आप ऐसे क्यों बैठो हो ?इस वक़्त मायूर के चेहरे पर घबराहट थी l वो फ़ौरन हि वही से तेज को आवाज देता है!
मायूर को देख अमर जी को उन औरते कि बाते दिमाग में चलने लगी वो मायूर को देखते ही गश खाकर गिरने वाले थे कि मायूर उन्हें सम्भाल लिया l
अंकल..... जोरो से चीखा!
आवाज इतनी तेज थी कि धानी कि मम्मी रसोईघर से आ गई अमर जी को इस हाल में देख उनके कदम लडखडा गई सोफ़ा नहीं होता तो गिर हि पड़ती l
तब तक तेज भी आ गया था अमर जी को इस हाल में देख वो भी एक पल को घबरा उठा फिर तुरंत हि सम्भल गया तुरंत हि मायूर को बोल.... मायूर मैं गाड़ी निकालता हूँ तू फ़ौरन हि अंकल को लेकर आ हमे तुरंत हि होस्पिटल जाना पड़ेगा l
बेटा मैं भी चलुगी इन्हें अकेले नहीं छोड़ सकती l खुद को संयत कर धानी कि मम्मी बोली इस समय उनकीआंखॆ आँसूओ से डबडब थी l
नहीं आन्टी सब ठीक होगा अंकल कुछ नहीं होगा वो बिल्कुल ठीक हो जायेगे... ठीक है आप भी चलिये l
धानी कि मम्मी अपना सिर हिला दि l
यहाँ दी तो है ही फ़ौरन हि श्री को मेसेज कर वो लोग होस्पिटल के लिये निकल पड़े l
मायूर रास्ते में अपने माँ पापा को भी मेसेज कर देता है l क्योंकि इस वक़्त धानी कि मम्मी को भी सम्भालना जरुरी था जो कि उर्मी जी बखूबी सम्भाल लेती l

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हास्पिटल....!

इस वक़्त धानी के फ़ादर साहब (धीमान) को एग्जामिन किया जा रहा था l
मायूर बेटा क्या हुआ धीमान को? सुबह हि तो हमारी बात हुई थी तब तो एकदम बढिया था!प्रकाश जी परेशानी से बोले l साथ उर्मी जी भी बोली हा मायूर बताओ क्या बात है?
मायूर ~पता नहीं क्या हुआ माँ पा अंकल को? जब मैं अंकल को देखा तो वो अपना सीना सहला रहे थे l फिर मैं जीजे के साथ यहाँ आ गया !
मायूर कि बात सुनकर प्रकाश जी के माथे पर सल पड़ गये !
वो कुछ बोले नहीं! बस मायूर का सिर सहला दिया!
मायूर तेज बेटा कहाँ है दिख नहीं रहे हैं?
वो माँ जीजे किसी से बात फोन पर बात कर रहे है अभी आते हि होंगे !
उर्मी जी धानी के मम्मी राधा जी के पास आ गई ! भाभी जी उनके कन्धे पर हाथ धरे बोली l
अपनत्व का स्पर्श पाकर राधा जी उर्मी जी के गले लग बिलख पडी l
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मायूर कि चीख कि आवाज धानी के कमरे नहीं पहुची थी !
धानी और श्री बाते कर रही थी कि मेसेज कि टून से श्री मेसेज देखने लगी l मेसेज को देख श्री आंखें बड़ी बड़ी हो गई फ़ौरन हि खुद को संयत कर लिया इस समय धानी को कुछ नहीं बता सकती थी !
क्या हुआ श्री किसका मेसेज है? धानी श्री को देखते हुये बोली!
अरे वो मायूर का मेसेज है वो माँ ने मम्मी पापा को घर बुलाया है उन्हें लेकर मायूर और तेज भी साथ चले गये घर!
हैं? धानी आश्चर्य से!
कुछ काम होगा तू चुपकर! अब पूरी बात बता नहीं तो तुझे एक थप्पड़ लगाऊगी समझी! धानी का ध्यान भटकाने के लिये झूठे गुस्से से श्री बोली!
श्री वो मैं.. वो मैं! धानी हिचक रही थी!

तू धनिया से बकरी कब बन गई ?घूरते हुये श्री !

धानी श्री को घूरी! वो मैं पता नहीं कैसे मैं मायूर को पसंद करने लगी! बचपन से उससे चिढ़ मचती थी ये चिढन कब प्यार में बदल गई मुझे नहीं पता चला! मैं तुझे बताने हि वाली थी लेकिन समझ नहीं आया कैसे कहुँ ये बात कहिं तू नाराज ना हो जाय! एक साँस में धानी बोल गई धानी कि आंखें मिची हुई थी!

लो पानी पी लो नहीं तो तुम्हारी साँस फ़ूलने लगेगी! पागल तुझसे क्यों नाराज होऊगी भला ये तो बहुत बड़ी खुशख़बरी कि बात है पागल औरत! घूरते हुये श्री बोली l

तू तू सच्ची में नाराज नहीं है ना? हाय कितना सुकून मिला नहीं तो सोच सोच कर मैं आधी हुई जा रही थी कहकर झट से श्री के गले लग गई!


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वामा ~ हैलो वेद क्या हुआ? भाई बता रहे थे तुमने फोन किया था! वो मैं फोन घर पर भूल गई थी!

वेद ~ तु... तुम ना फोन साथ रखा करो पता नहीं है क्या मुझे तेरे से बात किये बिना नहीं रहा जाता है ! झुलझुलाते हुये बोला!





क्रमशः!!