हर पल रंग बदलती है फिल्मी दुनिया - भाग 2 Swati द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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हर पल रंग बदलती है फिल्मी दुनिया - भाग 2

आज पता चल रहा है की घर घर होता है ,और साथ में मां के हाथ का खाना जन्नत कह सकते हैं इसमें कोई दो मत नहीं हैं जन्नत कहने में ।
वो धीरे धीरे अपनी मन को टटोलने लगी , मैने हल्के लफ्जों में पूछा तो क्या आप हीरोइन बनी .?
वो फिर से जैसे अपने अतीत में खो गई ऐसा लग रहा था जैसे कल की ही बात हो उन्होंने बताया हीरोइन बनने का तो भूत मुझसे तब ही उतार गया जब मेने मेरे जैसे हजारों को हर रोज लोगो के आगे पीछे भागते देखा मेने देखा कैसे कोई कैसे किसी के जिंदगी को तर बितर कर सकता है , कोई किसी को किस हद तक तोड़ सकता है ।
मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी की मैं उनके तलबे चाटू
मुझमें टैलेंट था ,मैं सुंदर थी यही मेरा गुमान था,मैं अपने सपने को किसी के पैरो तले कुचलबाना नही चाहती थी । मैने रोज डायरेक्टर के आने जाने के वक्त पे गेट पे खड़ी रहती थी चिलचिलाती धूप तो कभी बारिश , ओह बम्बई की बारिश आह भरते हुए बोला ।
मैने फिर पूछा क्या था बंबई की बारिश में उन्होंने मुस्कुराया और बोला क्या बताऊं वो बंबई की बारिश , नहीं आती तो नही आती और आती तो जाने का नाम न लेती ।
उसी बारिश में घंटो घंटो खड़े रहना फिर भी कोई उम्मीद न दिखाई देती थीं ,मैं बस यही सोचती अगर हीरोइन न बन पाई तो अब जाऊंगी भी कहां ।
घर तो पहले ही छोर दिया था , वहां न किसी को जानती थी न मुझे कोई जानता था ।
मेरे भीतर बस यही चल रहा था की मुझे हीरोइन बनना है चाहे जो हो जाएं।
मैं पूरा पूरा वक्त उधर खड़ी रहती भूखे प्यासे कोई देखने वाला नही होता उस सपनो की दुनिया में । सबको बस अपने सपनो की पड़ी हैं । इधर मेरे पास सब पैसे खत्म हो रहे थे ।
मुझे फिर से गोदाम में जाके नौकरी करनी थी , गोदाम वाले चाचा ने पूछा बेटी तुम यहां क्यों आई हो तब मुझसे रहा नही गया और मैने बोल दिया , जी चाचा हीरोइन बनने ।
चाचा बहुत जोर का ठहाके लगा कर हसने लगे ,मेने पूछा क्या हुआ चाचा जी आप क्यू हस रहे हो , उन्होंने मुझसे कहा अरे बिटिया तुम क्यों ऐसी जगह फसना चाह रही हो जहां से निकलना दुबारा इतना मुश्किल है । मैने कहा मैं कुछ समझी नहीं तब उन्होंने कहा ये वो दलदल है जो दूर से देखने में बहुत अच्छा और बहुत ज्यादा रंगीन दिखाई देता है ।
मैने उनसे पूछा ऐसा क्या है इस दुनिया में चाचा ..?
उन्होंने कहा अरे बिटिया तुम एक बार जो यहां फस जाओगी तो यहां के लोग तुम्हे बोटी बोटी नोच खायेंगे और फिर बोलेंगे जा तू दिखा तू क्या कर सकती है इस दुनिया के लिए ।
चाचा ने तो वो बात खुल कर नही कहीं थी , पर फिर भी मुझे उनका इशारा समझ आ गया था ।
मैने चाचा को थैंक्यू बोला और वहां से चुपचाप निकल गई ।
और मैने सोचा घर से भाग कर तो एक गलती किया ही है अब वापस घर जाकर उसका प्राश्चित किया जाए ।
मैने अपना सामान समेटा और वहां से निकल गई ।
इतने दिनो में घर से दूर रहने का दुख और दुनिया कैसी हैं इसकी सच्चाई दोनो से सामना हुआ ।
अपना घर और अपने मां बाप जैसा इस दुनिया में कोई नहीं होता इतना तो पता चल चुका था ।
थी है इस दुनिया की सच्चाई।।

Swati