मेरे जीवन के सच्चे अनुभव - 1 Vaibhaav Bhardwaaj द्वारा विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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मेरे जीवन के सच्चे अनुभव - 1

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम वैभव भारद्वाज है। दोस्तों आज मैं आपको अपने एक उपचार की कहानी के बारे में बताउगा जिसे पढ़कर आपको हंसी भी आएगी लेकिन आपको ज्ञान भी मिलेगा। ये बात उस समय की है ज़ब देश की राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में एक घर के सभी सदस्य ने आत्म हत्या कर ली थी। वो समय ऐसा समय था जब हर जगह बस इसी केस को लेकर चर्चा था। चाहे न्यूज़ चैनल हो या सोशल साइट फेसबुक हो बस हर जगह केवल यही मुद्दा उठा हुआ था। उस समय मैं एक संस्थान जो की पश्चिम बंगाल राज्य में है उसमे कार्यरत था। एक दिन किसी व्यक्ति का हमारे ऑफिस में कॉल जाता है और वो अपनी समस्या के बारे में बताता है। व्यक्ति का अपना नाम बताता और अपना निवास दिल्ली में बताता हैं। दिल्ली ग़ाज़ियाबाद से सटा हुआ है। इसीलिए इस केस को मुझे सौपा गया। ऑफिस से बात होने मैंने उस व्यक्ति से बात की। और उससे मिलने के लिए गया। ज़ब मैं उससे पहली बार मिला और उसके बात करने का अंदाज उसके तरीके से ऐसा महसूस हुआ जैसे की इसके साथ कोई परानार्मल एक्टिविटी से संबधित समस्या नहीं है। बल्कि इसके साथ कोई साइकोलॉजिकल समस्या है। लेकिन मैं बिना किसी जाँच के बिना किसी सबूत के निष्कर्ष तक नहीं जा सकता था। तो ऐसे में मैंने धैर्य रखते हुए उसके बातचीत उसकी समस्या सुनी और उसके द्वारा उसके बताये गए दावे के तौर पर उसकी कुछ रिकॉर्डिंग सबूत के लिए जो उसने रखी थी वो उससे मैंने ली। और उसकी एक साधारण काउंसलिंग करके वहाँ से चला आया। घर आने पश्चात मैंने उसके द्वारा दिए गए सबूत की ऑडियो क्लिप मैंने सुनी तो मेरा शक यकीन में बदल गया। ये सभी बात मैंने अपने सीनियर को बताई। और काफ़ी देर डिसकस करने के बाद हम लोग एक निष्कर्ष तक पहुँचे की हम इसके परिवार वालो से बात करेंगे और इसका इलाज मुफ्त में करेंगे। उस समय बुराड़ी वाला हत्या कांड ज़ोरो शोर पर था। मन में एक अजीब डर था। लेकिन हमनें उसकी मदद करने की ठान ली थी। क्युकी ये शख्स एक गॉर्ड की नौकरी करता था और उसकी समस्या ये थी की उसकी पत्नी इसको तंत्र क्रिया करके मरना चाहती और उसकी जायदाद हड़पना चाहती है।
अब जैसे ही हमने इलाज का दौर शुरू किया तो उससे बोला आप अपने घर पर हमको लेकर जाओ या फिर हमारी किसी से बात कराओ लेकिन उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया। इस केस को छोड़ना इसीलिए नहीं सोचा की कभी इसको कोई ठग ले। फिर हमने भी इसके साथ वही सोच वाला ट्रीटमेंट स्टार्ट किया। और उसके रिजल्ट का इंतजार किया। वो एक दिन का इंतजार मानो ऐसा लग रहा है कितने महीने हो गए। फाइनली वो दिन आया जिसका मुझे इंतजार था। और जैसे मुझे पता लगा मेरी ये टेक्नोलॉजी काम कर गयी मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। हमने इसके लिए वही इसकी सोच वाली थेरेपी इस्तेमाल की। जिस पर उसका विश्वास था। केवल और केवल 10 रूपये की लौंगे और एक निम्बू के द्वारा उसका पूरा इलाज हो गया।

और उसको इसका लाभ भी मिला। तो दोस्तों मेरा कहने का मतलब सिर्फ इतना है की विश्वास से बड़ा इलाज कुछ नहीं है।
मैं सिर्फ यही कहना चाहता सबसे पहले बीमारी की जड़ को समझें और अपने क्लाइंट को विश्वास दिलाये की आप उसकी समस्या समझ गए है। बस वही से आपके क्लाइंट को आराम मिलना शुरू हो जायेगा। ये मेरा वास्तव का अनुभव है. जो मैंने आज आपसे शेयर किया। तो दोस्तों बताना आपको मेरी कहानी कैसी लगी। अगर आपका प्यार और सपोर्ट मिलता रहा तो आगे भी ऐसी सच्ची कहानी आपके साथ शेयर करुँगा।

वैभव भारद्वाज
डायरेक्टर
कॉउन्सिल फॉर परानार्मल एंड स्पिरिचुअल रिसर्च
918826443249
919818512804