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होली

होली पर

चंद सबरंग होलियाना समाचार

यशवंत कोठारी

1-सेल्फ पब्लिशिंग

सरकार ने सेल्फ पब्लिशिंग के क्षेत्र में हो रही उठा पटक को देखते हुए इस क्षेत्र में नए नियम बनाने के लिए एक समिति बनाने का फैसला किया है ,तब से प्रकाशकों व उनके दलालों ने इस समिति में घुसने के प्रयास शुरू कर दिए हैं कुछ लेखक भी इस दिशा में सक्रिय हो गए हैं. उन का कहना है की जब पूरे पैसे देकर किताब छपती हैं तो प्रकाशक को समिति में क्यों रखा जाय?

२-लेखको की पद यात्रा

कुछ उत्साही लेखकों ने अपनी रचनाओं के प्रकाशन हेतु संपादकों व प्रकाशकों के दफ्तर तक पद यात्रा की योजना बनाई है वे किसी प्रायोजक की तलाश में है ताकि सायं -कालीन आचमन का मामला फिट बैठ सके, इस सम्बन्ध में एक कवि का कहना है कि सफल होने का यह एक आसान नुस्खा है जो मुझे मंज़ूर नहीं. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि पद यात्रा से कुछ होना जाना नहीं है रचना में दम होना चाहिए. 

३-विदेश यात्रा

बहुत सारे लेखक बिना अनुमति के फिजी व अन्य देशों में जा रहे हैं. सरकार के नोटिस में आने के बाद इस पर गंभीर चर्चा हो रही है जो लेखक अपने परिवार से मिलने जायेंगे वो वापस आकर इस यात्रा को सरकारी नहीं बता सकेंगे न ही वे साहित्य में इस का लाभ ले सकेंगे , लेकिन लेखक हैं की मानते नहीं. 

४- कवयित्रियों की गणना

देश भर में कवयित्रियों की जन -गणना की जा रही है. विशेषज्ञों के अनुसार इनकी जनसँख्या में धीरे धीरे वृद्धि हो रही है जो सरकारी प्रयासों का सुफल है. यदि जरूरी हुआ तो सरकार एक नयी परियोजना शुरू करेगी,जो इस काम में महिलाओं की मदद करेगी. वैसे भी घरेलू टोंट बाज़ी व काव्य में उनका जवाब नहीं. 

५लेखकों को कार्ड

जो लेखक केवल कविता लिख कर जीवन यापन करना चाहते हैं उनके लिए सरकार ने बी पी एल कार्ड जारी करने का फैसला किया है. इच्छुक कवि जिला अधिकारी के कार्यालय में संपर्क करे. इन कवियों का निशुल्क इलाज़ भी प्रस्तावित है. कवि सम्मेलनों में लटके झटके बंद करा दिए जायेंगे. 

६-पुरस्कारों की राशनिंग

सरकार ने कला साहित्य संस्कृति के लिए दिए जाने वाले सम्मानों व पुरस्कारों की राशनिंग करने की घोषणा की है इस मामले में एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया की अधिकांश सम्मान पुरस्कार कुछ चुनिन्दा लोग ही ले लेते हैं सब का विकास हो इसलिए केंद्र सरकार राशन से कार्ड बना कर सब को पुरस्कार या सम्मान देगीं. अंगूठे का उपयोग करने की मनाई होगी. पैसे लेकर पुरस्कार देने वाले निर्णायकों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जायगा. 

वंचितों को पहले अवसर देने का निर्णय भी सरकार ने किया है’ आदिवासी वनवासी कवियों को प्राथमिकता दिए जाने की भी घोषणा सरकार द्वारा जल्दी ही किये जाने की संभावना है. 

७-अकादमियों के काम काज पर नज़र –

सरकार देश की सभी कला –साहित्य अकादमियों पर नज़र रखने के लिए एक नियामक संस्था बनाने पर विचार कर रही है.. इस संस्था में सत्ता धारी दल के लेखकों को ही शामिल किया जायगा. ध्रुवीकरण का पूरा लाभ लाभार्थी को दिया जायगा, जो कवि पाला बदल कर आयेंगे उन को वरीयता दी जायगी. अकादमियों में केवल समितियां बनाने वाले अध्यक्ष के खिलाफ कार्यवाही की जायगी. 

८ –पुस्तक क्रय नीति

अक्सर यह देखा गया है की पुस्तकों के क्रय के लिए जो समिति बनती है उस से कुछ ही लोगों को लाभ मिलता है सरकार ने तय किया है की पुस्तक केवल सरकारी संस्थाओं से छपेगी व उनको ही क्रय किया जायगा. सरकार के संपादक- प्रकाशक ही सब तय करेंगे. सरकार लेखकों को दी जाने वाली रॉयल्टी व मानदेय को भी नियमित करने का प्रयास करेगी. 

९-लेखकों के फोटो, परिचय, बायोडाटा  की जाँच -

यह जाँच का काम एजेंसियों से कराया जायगा ,इस समाचार से लेखकों में हडकंप मच गया है कई लेखक संगठन इस का विरोध करना चाहते हैं लेकिन डर के मारे चुप है. 

इसी प्रकार साहित्य कला संस्कृति की शोध पर भी सरकार नज़र रखने की सोच रही है ताकि फर्ज़िवाडे पर कुछ तो अंकुश लगे. सरकार का मानना है कि आलोचकों का रवैय्या ठीक नहीं है कई लेखको में फ़ैल रहे अवसाद का कारण आलोचकों की उपेक्षा- वृत्ति है इस सम्बन्ध में सरकार जल्दी ही आलोचकों के लिए दिशा निर्देश जारी करेगी ताकि लेखकों व लेखिकाओं में व्याप्त अवसाद को दूर किया जा सकेगा, यदि कवि चाहे तो सरकारी अस्पतालों में निशुल्क इलाज़ की सुविधा का लाभ ले सकते हैं. 

(ये सब होली के मूड में लिखे गए काल्पनिक समाचार हैं )

 

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