Kahani Saraswati aur Sanskar ki - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

कहानी सरस्वती और संस्कार की - 4

पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा कि संस्कार ने बताया कि सरस्वती कोई लडकी नहीं बल्कि उसके माता–पिता हैं। संस्कार ने अपने माता–पिता के बारे में और उनके आशीर्वाद के कारण अपनी कामयाबी के बारे में बताया। लेकिन संस्कार को अजीब तब लगा जब सरस जी ने स्टेज से नीचे उतरने के लिए मना कर दिया। अब आगे…

सरस जी ने धीरे से संस्कार से कहा, "तुम नीचे जाकर बैठो। मुझे अभी सबसे कुछ कहना है।"

संस्कार ने अचंभित होते हुए कहा, "लेकिन पापा…"

सरस जी ने अपनी आंखें बंद करके संस्कार को नीचे जाने के लिए कहा तो संस्कार ने भी फिर कुछ नहीं कहा और रेवती जी के साथ शिवम के पास वाली चेयर्स पर जाकर बैठ गया।

सरस जी ने हाथ में माइक पकड़कर पहले संस्कार की तरफ देखा और फिर वहां बैठे सभी लोगों से कहा, "जैसा कि संस्कार ने बताया कि मैं उसका पिता हूं, मैं आईएएस ऑफिसर संस्कार शर्मा का पिता हूं और ये बात मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी की बात है।"

सरस जी ने संस्कार की तरफ देखकर कहा, "आज इसकी वजह से पूरे जिले में मेरा नाम है। आज दुनिया मुझे और मेरी धर्मपत्नी को ये कहकर बुलाती है कि ये देखो एक आईएएस ऑफिसर के माता–पिता जा रहे हैं। ये सुनकर कानों में मिश्री जैसे घुल जाती है, बहुत ही फक्र होता है अपने बेटे पर।"

"उसे लगता है कि उसे दुनिया के सबसे अच्छे माता–पिता मिले हैं पर उसे गलत लगता है। हम सबसे अच्छे माता–पिता नहीं हैं, हम तो वैसे ही हैं जैसे बाकी माता–पिता होते हैं पर असली बात ये है कि तुम बहुत अच्छे बेटे हो।"

नम आंखों से सरस जी ने कहा, "अच्छे माता–पिता तो हर किसी के पास होते हैं पर अच्छे बेटे–बेटियां नसीबवालों को ही मिलते हैं और हमने शायद पिछले जन्म में कुछ ज्यादा ही पुण्य किए हैं जो हमें ऐसा बेटा मिला है।"

उन्होंने आगे कहा, "संस्कार जब छोटा था तो मैं हमेशा एक गाना गया करता था। आज भी मैं वही अपने बेटे के लिए गाना चाहता हूं।" कहकर सरस जी ने गाना शुरू किया।

"तुझे सूरज कहूं या चंदा
तुझे दीप कहूं या तारा
मेरा नाम करेगा रोशन
जग में मेरा राज दुलारा

तुझे सूरज कहूं या चंदा
तुझे दीप कहूं या तारा
मेरा नाम करेगा रोशन
जग में मेरा राज दुलारा

मेरे बाद भी इस दुनिया में
ज़िंदा मेरा नाम रहेगा
जो भी तुझ को देखेगा
तुझे मेरा लाल कहेगा

तेरे रूप में मिल जायेगा
मुझ को जीवन दोबारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा

तुझे सूरज कहूं या चंदा
तुझे दीप कहूं या तारा
मेरा नाम करेगा रौशन
जग में मेरा राज दुलारा"

(Song– तुझे सूरज कहूं या चंदा, Film– एक फूल दो माली)

गाते–गाते सरस जी का गला रूंध गया और वो रोते–रोते वहीं बैठ गए। संस्कार ने अपनी गीली आंखों को साफ करते हुए स्टेज पर आकर सरस जी को गले लगा लिया। सभी ने एक बार फिर से जोरदार तालियां बजा दीं।

खाना खाकर सभी लोग अपने–अपने घर चले गए। बस कॉलेज का स्टाफ, संस्कार, सरस जी, रेवती जी और शिवम वहीं पर रह गए।

सरस जी, रेवती जी और आनंद जी(मिस्टर शुक्ला) एक तरफ खड़े होकर बातें कर रहे थे।

आनंद जी ने सरस जी और रेवती जी से कहा, "सरस जी! सच बताऊं तो आपको हीरे जैसा बेटा मिला है।"

सरस जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "जी, बिलकुल सही कहा आपने। हम बहुत ही ज्यादा भाग्यशाली हैं।"

रेवती जी ने स्टाइल मारते हुए कहा, "आखिर बेटा किसका है!"

"मेरा", सरस जी ने भी अपना कॉलर उठाते हुए जवाब दिया

उनकी बात पर तीनों ही हँस दिए। दूर खड़े संस्कार ने जब उन्हें हंसते हुए देखा तो शिवम के साथ वहां पर आ गया।

संस्कार ने वहां आकर सभी से पूछा, "अरे, हमें भी तो बताइए कि किस बात पर इतना जोर–जोर से हँसा जा रहा है?"

सरस जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "कुछ नहीं बेटा। हमने सोचा रो तो बहुत लिए अब थोड़ा हँस भी लें।"

उनकी बात पर फिर से सभी हँस दिए।

बहुत देर से चुप शिवम ने अब अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, "अरे, यार! कब से आप लोग यही बातें लेकर बैठे हैं! अब घर चलना भी है या नहीं?"

सभी ने गर्दन हिलाकर जाने के लिए हां कर दिया। आनंद जी भी वहां से अपने घर चले गए। शिवम, सरस जी, रेवती जी और संस्कार आगे बढ़ने लगे।

"एक मिनट!", संस्कार की इस बात पर सभी लोग अचानक से रुक गए।

रेवती जी ने पूछा, "क्या हुआ, बेटा?"

संस्कार ने भौंहे सिकोड़ते हुए पूछा, "आरू कहां है?"

सरस जी और रेवती जी ने एक दूसरे को देखा फिर सरस जी संस्कार से बोले, "बेटा! हमने सुबह उससे कहा था कि हमारे साथ चल, आज बहुत स्पेशल दिन है तेरे भाई के लिए। पर उसने कहा कि आज उसका कॉलेज का कुछ असाइनमेंट है।"

"कोई असाइनमेंट नहीं है उसका। असली बात तो ये है कि उसका आने का मन ही नहीं था। एक ये बेटा है और दूसरा वो भी...। दोनों को देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि दोनों भाई हैं।", रेवती जी ने आरू को ताना मारते हुए कहा।

सरस जी ने कहा, "पहले घर तो चलो। बाद में देख लेंगे उसे।" कहकर सरस जी रेवती जी के साथ बाहर चले गए।

शिवम ने धीरे से संस्कार के कान में कहा, "टॉस! यार आय थिंक आंटी सही कह रही हैं।"

संस्कार को उसकी बात कुछ समझ नहीं आई तो शिवम ने उसे समझाते हुए कहा, "मुझे तो लगता है कि ये किसी लड़की का चक्कर है।"

"बकवास बंद कर। कुछ भी बोलता रहता है। वो ऐसा नहीं है।", संस्कार ने उसे फटकारते हुए कहा।

शिवम ने मुंह बनाते हुए कहा, "अरे तुझे क्या पता? जब तू ट्रेनिंग पर था तब से उसे नोटिस कर रहा हूं मैं। कुछ ज्यादा ही जल्दी कॉलेज निकल जाता है।"

संस्कार ने फिर से उसे डांटते हुए कहा, "हां, तो पढ़ाई ज्यादा करने लगा होगा।"

संस्कार की बात पर शिवम पेट पकड़कर हँसने लगा तो संस्कार उसे घूरते हुए बोला, "अब हँस क्यों रहा है?"

शिवम ने हँसते हुए ही कहा, "वो और पढ़ाई। दोनों का दूर–दूर तक कोई रिश्ता ही नहीं है। तुझे पता है बचपन से टॉप 10 की लिस्ट में आता था वो। पढ़ाई की नहीं, शैतानी की लिस्ट में।"

संस्कार ने दांतों को भींचते हुए कहा, "अब तेरा बहुत हो रहा है। मेरे सामने मेरे ही भाई की इंसल्ट?"

शिवम ने संस्कार के गाल पकड़ते हुए कहा, "अले ले ले... देखो आरु का भाई बुरा मान गया।"

फिर संस्कार का गाल छोड़ते हुए उसने कहा, "और सच बताऊं मैं तेरे भाई की इंसल्ट नहीं कर रहा हूं बल्कि उसकी सच्चाई बता रहा हूं।"

संस्कार ने फीका सा मुस्कुराते हुए कहा, "तू सारी दुनिया को अपनी तरह क्यों समझता है? अब मुंह बंद कर और चुपचाप घर चल।"

शिवम ने मुंह बनाते हुए कहा, "ओके टॉस सर!"

संस्कार ने चिढ़ते हुए कहा, "ये टॉस–टॉस क्या होता है?"

शिवम ने संस्कार के गले में अपना हाथ डालते हुए कहा, "अरे, यार! बताया तो था TOSS– दी ओबेडिएंट संस्कार शर्मा।"

संस्कार ने उसके पेट पर हल्का सा मुक्का मारा और फिर अपना हाथ उसके गले में डालकर उसे बाहर ले गया।

अगले एपिसोड में हम चलने वाले हैं पता चलेगा कि संस्कार की पोस्टिंग कहां है? और क्यों उस जगह का नाम सुनकर सरस जी और रेवती जी चौंक जाएंगे?तो पढ़िएगा जरूर अगला एपिसोड।

–हेमंत शर्मा


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