ऐक लडकी ऐसी भी Avinash Pawar द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ऐक लडकी ऐसी भी

Nandurbar, Maharashtra

Aastha hospital...

ऐक लड़का जिसके गोद मे उसने ऐक लड़की को पकड कर रखा था। वो जलदी जलदी आस्था होस्पिटल में उस लड़की

को उठा कर ले गया। और चिल्ला कर बोला.

''डोक्टर... डोक्टर...''

एक डोक्टर जो सामने से आरहा था। वो उसके पास आ कर बोला क्या हुआ इस लड़की को ? वो लड़का बोला डॉक्टर

इसने ज़हर पिलिया से। डोक्टर बोला " ओ माई गॉड "

इसे जल्दी से ओप्रेशनथेटर में लेआओ लड़की को

ओप्रेशनथेटर लेजाया गया । लड़का बहार ही खडा था वो वहां यहा से वहां घुम रहा था करिब 1 घट़ा हो गया वो घुम ही रहा था। कि उसनेओउसने देखा कि ओप्रेशनथेटर कि लाईट लाल से हरी हु वो जल्दी से वहां गया । देखा कि डॉक्टर बहार आया ओर कुछ कहने वाला था कि लड़के ने कहा ।

"क्या हुआ डॉक्टर ठीक तो हे ना "

लड़के को इतना डर ते देखा तो डॉक्टर ने कहा।

अब वो लड़की ठिक हे ज़हर ज्यादा शरिर में फेला नहीं था इस लिए ज्यादा दिक्कत नहीं आई वेसे तुम उसके क्या लगते डॉक्टर ने कहा तो वो लड़का कुछ नहीं बोला डॉक्टर ने फिर से उसे हिलाते हुए कहा

" हेलो भाई क्या दोस्त हो उसके "

लड़का बोल जि हां वेसा ही कुछ समझे लो। डॉक्टर ने कहा ठीक है तुम उसे मिल सकते हो लड़के ने बोला ठीक है डॉक्टर, डॉक्टर ने उसे पुछा वेस तुम्हरा नाम क्या है।

'' लडका बोला जि मेरा ध्रुव है "

ठीक है ऐसा बोलकर डॉक्टर चला गया वहां से

ध्रुव अंदर गया और उसके पास जाकर बैठ गया और उसके हाथ पर हाथ रखकर बोला तुमने ऐसा क्यों किया लड़के ने कहा तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं। मर भी ऐसा बोल ने ही वाली थी कि ध्रुव ने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा ऐसा मत बोलो तुम्हारे बिना में कुछ भि नहीं । ये सब बातें हो ही रहीं थीं कि बाहार कब से एक लड़का वह बातें सुन हीं रहा था और उसेने ध्रुव को आवाज लगाइए।

" ध्रुव इधर 2 मिनट बाहर आ "

ध्रुव ने जब आवाज का पीछा किया तो देखा बाहर उसका दोस्त खड़ा था जो कुछ दिनों पहले ही दोस्त बना था।

ध्रुव बाहर आया और बोला अजय तू यहां क्या कर रहा है कुछ नहीं दवाई लेने आया हूं मां के लिए पर तू यहां और यह लड़की कौन है ।

ध्रुव थोडी देर खामोश रहा अजय ने फिर पूछा बोलना तु खामोश क्यों है क्या में तेरा दोस्त नहीं, हु ध्रुव ने कहा नहीं यार ऐसि बात नहीं हे। अजय ने कहा तो फिर बता ना ध्रुव थोडी देर खामोश फिर कहा, ठीक है मे तुमे सब बताता हूं।

4 साल पहले...

मे गुजरात में रेह था मे वहीं मोबाइल कंपनी में काम करता था मैं कंपनी के बोस से 1महीने की छुट्टी लि अपने गांव जाने

के लिए बोस ने छुट्टी दे दी फिर मैं अपनी मां को फोन किया

रिंग थोड़ी देर बजीं ध्रुव कि मां जानकी ने फ़ोन उठाया...

" हेलो कोन फोन में आवाज आई "

"मां मैं ध्रुव, ध्रुव ने कहा "

ध्रुव बेटा‌ तु कितने दिन हो गए तूने ऐक बार भी हमें फ़ोन किया

ऐसा केहने लगि ओर कुछ कहने वाला थी कि ध्रुव बिचमे बोला।

" मां , मां मेने 1महीने कि छुट्टी लि है "

में आज साम कि ट्रेन से गांव आ रहा हूं जानकी कि आवाज, ठीक है बेटा येेेे तो अछा किया तुने, ध्रुव कि आवाज आई चलों मां मैं फोन रख ता हूं। ठीक है बेटा ऐसा कह कर फ़ोन रख दिया । ध्रुव ने गुजरात से महाराष्ट्र जाने के लिए चलथान रेलवे स्टेशन पर गया रेलवे में बेठा 7: बजें नंदुरबार रेलवे स्टेशन पहुंच गया फिर वहां से अपने गांव वारुल जाने वाले बस में बैठा कुछ ही देर में बस वारुल कि सड़क पर पहुंचीं।

''कंडक्टर.''

'' चला रे... वारुल "

कंडक्टर ने मराठी में आवाज लगाई

ध्रुव निचे उतरा वारुल कि सड़क पर निकल पड़ा वो जा ही रहा था की सामने से, 3 लड़के बाइक लेकर तेजी से उसके पास आ कर बाइक खड़े कीऐ 3 नो लड़के निचे उतरे तिनो लड़के अपने मुंह पे मास्क लगा था उन तिनो में से दो लड़के आगे आए।

और ध्रुव के हाथ पकड़ लिया, ध्रुव ने कहा कोन हो तुम लोग तिसरे लड़के कि भारी आवाज़ आई,


" चलबे..तेरे पास जितने भी पेसा है वो हमें दें दे "

" ध्रुव बोला "

' नहीं दुंगा '

तिसरा लड़का बोला ठीक है फिर ऐसे बोला कर उस लड़के ने अपनी जेब से चाकू निकाला फिर ध्रुव के पास बढ़ने लगा,ध्रुव थोडा डरा वो लड़का ध्रुव के पास पहुंच गया उस लड़के ने चाकू हवा में उठाया,ध्रुव ने अपनी आंखों को बंद कर लिया। थोडी देर खामोशी छाई रही फिर वो तिनों लड़के जोर जोर से हंस ने लगे।


" हां...हां...हां "‌

ध्रुव सोचने लगा कि ये लोग हंस क्यों रहे है, तभी वो लड़के अपने अपने मास्क उतार ने लगे।

वो ओर कोई नहीं ध्रुव के बचपन के दोस्त थे, उनमें से ऐक लड़का जो देखने में पतला दुबला सा था उसका नाम चिकु था वो बोला।

" इसकी सकल तो देख ने लायक थी "

" ससूरा डर के मारे सकल पे बारा बज गऐ थे ""

"ध्रुव बोला "

तुम लोग कोन हो ?

" तिसरा लड़का था जिसका नाम विकी था वो बोला

अरे.तु हमे नहीं पेह चानता केसे पेहचा ने गा अब तो तु बडा जो हो गया छोटा था तब पेहचा ता था विकी इतना बोल कर चुप हो गया ।


ध्रुव ने ध्यान से उसे देखा और पेहचान ने कि कोशिश कि वो ओर कोई और नहीं ध्रुव के बचपन का सबसे अच्छा दोस्त " विकी "था ।

ध्रुव ने उसे अपने गले लगा लिया और बोला "

अबे साले वो चाकू गलती से अगर मुझे लग जाता तो साले अभी तक में यमराज के पास पहुंच जाता।

दुसरा लड़का जिसका नाम अर्जुन था वो बोला

ये तो अछा होता हमें तूज से छूटकारा तो मिल ता

'' पेहला लडका बोला ''

अरे." बस तुम दोनों ही गले लगो गे कि हम दोनों को भी लगा ओगे ऐसा बोल कर चारों दोस्त गले लग गये "


" ध्रुव बोला अरे बस करो अब क्या यही रहने का इरादा है क्या "

" चिकु बोला "

तुम कहो तो यही रहते यही तम्बू गाड देते हैं

" अर्जुन बोले "

" ओय बस कर तुझे यहां रेहान है तो यही रेह हम तो चले चल चिकु "

ऐसा बोल कर ध्रुव विकी और अर्जुन आगे बढ़ गऐ

" चिकु बोला "

अरे हमार लिऐ तो रूको ऐसा बोल कर चिकु दोडा

चारों दोस्त बाइक पर बैठे ध्रुव विकी के साथ बेठ गया ।
उसके बाद बाइक को वारूल गांव कि तरफ घुमाई रस्ते में चारों दोस्त बातें करते करते कब गांव पहोंच गये ।

बाइक को ध्रुव के घर के सामने खड़ी की उसके बाद ध्रुव और उसके दोस्त निचे उतरे ध्रुव पेहले आगे गया और घर में गया उसने देखा कि उसकी मां घर का कुछ काम कर रहीं थीं।

" ध्रुव पिछे से चुपके से गया "

और उसकी मां की आंख पे हाथ रख दिया और उसकी मां ने कहा।

" अरे कोन हे "

ऐसा बोलकर पिछे पलटी तो उसका बेटे ध्रुव को देखकर इसकी मां उसके गले लग गई ध्रुव भी उसकी मां के गले लग गया उसकी मां ने कहा "

" अरे... बेटा ध्रुव तु आ गया अरे. ये क्या तु तो कितना दुबला पतला हो गया हे,शेहर में रेह कर क्या काम पर ध्यान दे कर के खाने पीने पर भि तो घ्यान दे ता रेह।

" मां क्या तुम भी अब गांव आ गया हु अब तेरे हाथों की रोटी खा कर फिर से सुधर जाउंगा "

" ठिक है,ठीक है अब हाथ मुंह धो लें जा..मे तेरे लिए खाना बनाती हु‌ "

" ठीक हे मां "

ऐसा बोलकर जानकी खाना बना ने चली गई और ध्रुव हाथ मुंह धोने चला गया

ध्रुव के दोस्त ध्रुव का सामान घर के अन्दर ले आऐ ओर ध्रुव का सामान ध्रुव के कमरे में रख दिया और फर्स पर बेठ गये "। ओर ध्रुव का वेट कर ने लगे ‌‌‌‌‌थोडी देर तक वेट करने के बाद ध्रुव हाथ मुंह धोकर आ गया और फर्स पर बेठ गया

" विकी बोला "

क्या ध्रुव फिर तेरा काम केसा चल रहा है सब ठिक ठाक

"ध्रुव बोला "

हां.यार सब ठिक ठाक चल रहा है, और तुम सब लोग क्या कर रहे हो

" विकी बोला "

" अरे.यार तुझे तो पता हे कि बचपन में हम सभी ऐक साथ पढ़ ते थे हम सभी में से तु ज्यादा पढ़ाय में ध्यान दें ता था नोकरी ना सही शेहर में मोबाइल कंपनी में काम कर ता हे ।

" पर हम तो ज्यादा पढ़ाई में ध्यान देते नहीं थे हम से चिकु तो बस इधर उधर भटक ता था इसलिए ये आज भी ये काम नहीं कर ता ओर अर्जुन नहीं तो मेरे से पेसा मांग ता रेह ता हे "।

ओर ये अर्जुन का तो तुझे पता हे कि बचपन से ही सायरी लिख ना पसंद है। तो ये बस को भी स्कुल का कोई लडका सायरी लिख वा ने आता तो ये सायरी लिख देता ओर वो‌ लड़के इसे कुछ पैसे देते थे।

" ध्रुव बोला "

ओ..हो.. यार‌ अर्जुन अब मुझे भी ऐक सायरी सुना दे यार मे भी तो सुनु की तेरी सायरी के सी हे।

" अर्जुन बोले "

चल.ठीक है तो सुन...


।। तेरी दोस्ती ने बहुत कुछ सिखा दिया,के तेरी दोस्ती ने बहुत कुछ सिखा दिया, खामोश दुनिया को जीना सिखा दिया, कर्ज़दार हूं मैं उस खुदा का जिसने, मुझे तेरे जैसे दोस्त से मिला दिया।। 🥰


" वाह..वा.वाह...

सभी बोलने लगे, ध्रुव बोला अरे वाह अर्जुन क्या सायरी बोला तुने। चल अब बेठ जा चल विकी अब तु क्या कर ता हे बोल।

विकी बोल ने वाला कि चिकु बोला "

अरे यार ध्रुव ये तो वो अपनी दोस्त वो नहीं " नदुं "

" ध्रुव बोला "

" नदुं.. कोन नदुं ?

" चिकु बोला "

अरे वही नदुं जो हमारे साथ बचपन में हमा ये साथ पढ़ ति थीं "

" ध्रुव बोला "

अरे..हा यार वो नदुं क्या कर ति हे वो अब वो तो पढ़ाई में मेरे से भी ज्यादा आगे थी।

" चिकु बोला "

हा यार पर अभी उसके पापा इस दुनिया में नहीं रहे दो साल पहले ही मर गये अब उसकी मां जिन्दा है और उसकी मां के साथ उनके पापा की दुकान दोनों मां बेटी साथ चलाती है।

" ध्रुव बोला "

हहम..पर यार तु विकी के काम बारे में बता रहा था ना..

" चिकु बोला "

हा. तो ये यहा सय वही काम कर ता हे देख नदुं कि मां को दुकान का रासन लाने के लिए किसी भरोसेमंद आदमी चाहिए और उसको पता है कि विकी भरोसेमंद

लडका है इसलिए नदुं कि मां उसे ही भेजती है और बदले में उसे कुछ पैसे देती हे तो बस उसी में उसका खर्चा चल‌ जा ता हे। ओर तुझे तो पता ही हे कि विकी नदुं से बचपन से कितना प्यार करता हे।

" ध्रुव बोला "
अरे..हा. यार में तो भुल ही गया विकी ओर नंदु दोनों बचपन से ऐक दूसरे साथ प्यार करते हैं,तो क्या यार कब करेंगा सादी‌ नदुं के साथ?

" विकी थोडा सरमा ते हुए कहा "

बस यार उसकी मां की हा हो तब भीर भी उसकी मां को मे पसंद तो‌ हु उसने ऐक दो बार मजाक में ये भी बोल दिया था कि विकी तेरी तो मे नदुं के सादी करा दुंगी।

" ध्रुव खुस हो ते हुऐ बोला "

अरे वाह यह तो बहुत अच्छी बात है

इतने में ध्रुव की मां खाना बनाकर आ गई और बोली कौन सी अच्छी बात है.?

" क्या बात है चल रही है चारों दोस्तों में.?

" ध्रुव बोला "

कुछ नहीं मां

"ध्रुव के मां ने कहां "

यह सब छोड़ो और खाना खाने के लिए भी आ जाओ चारों चारों दोस्त खाने की टेबल पर बैठ और चारों दोस्तों खाने लगे ।


" खाना खाते हुए चिकु बोला "

अरे वाह आंटी आप तो खाना बहुत ही अच्छा बनाती है

" ध्रुव बोला "

अच्छा क्यों नहीं लगेगा मेरी मां के हाथ का जो है और तुझे क्यों नहीं अच्छा लगेगा तु तो कभी भी खाता रेह ता हे कितना भी खाले पर रहेगा तो डेढ़ पसली।

" ध्रुव इतना कह ने पर‌ सभी हंस पड़े सिवाय चिकु के "

" हा...हा...हा "

" चिकु बोला "

बस बस इतना ही पतला नहीं हु में

" ध्रुव बोला "

सोरी. यार चल खाना खा.

इतना कह के सभी खाने लगे, थोड़ी देर में सभी का खाना हो गया और फर्श पर जाकर बैठ गए और बातें करने लगे थोड़ी देर बात करने के बाद ध्रुव ने कहां "

" चल यार अब मैं थोड़ा आराम करता हूं

" विकी ने कहा "

चल यार अब तु आराम कर हम शाम को मिलते हैं इतना कहकर तीनों वहां से चले गए ध्रुव अपने कमरे में आया और आराम करने लगा ।

करिब 5 बज गऐ थे ओर ध्रुव की आंख खुली ओर वो नहाने चला गया नहाने के बाद वो अपने घर के पिछे आम के खेत में टेहल ने निकला ।

वो ऐक आम के पास बेठा ओर मोबाइल में विडियो देखने लगा वो देख ही रहा था कि कहीं से ऐक पत्थर ते जी के साथ आया और ध्रुव के आंख के उपर लगा ।

" ध्रुव जोर से चिल्लाया "

आ..ह.. ओर अपने सर को पकड़ लिया ध्रुव के सर से लबा लब खुन बेह ने लगा ।

कोन‌ था वो सक्स जिस ने ध्रुव‌ को पत्थर मार था कहीं कोई ध्रुव का दुसमन तो नहीं ?..

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