आपने ज़िंदगी बदल दी Wajid Husain द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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आपने ज़िंदगी बदल दी

क़ाज़ी वाजिद की कहानी - नेक सलाह

वह एक मज़बूत कद-काठी वाली महिला थी, और अपने जैसा मज़बूत और भारी पर्स कंधे पर उठाए चल रहा थी। रात के लगभग ग्यारह बजे थे और वह सड़क पर अकेली घर के रास्ते पर चल रहा थी। एक लड़का पीछे से दौड़ता हुआ आया और उसका पर्स छीनने की कोशिश करने लगा। इससे पर्स का फीता टूट गया। खीच-तान में लड़का संभल न सका और वहीं सड़क पर गिर गया।
तभी महिला ने लड़के को शर्ट का कॉलर पकड़कर उठाया और तब तक थप्पड़ मारे, जब तक कि उसके दांत न बजने लगे। अब लड़का पूरी तरह उसकी पकड़ में आ चुका था।... फिर वह बोली, 'क्या तुम्हें यह काम करते हुए शर्म नहीं आई?'...'आई थी मैडम।' लड़के ने ढिठाई से कहा।...महिला फिर बोली, 'तब तुमने ऐसा काम क्यों किया?'...लड़का बोला, 'मैं यह सब नहीं करना चाहता था मगर...' उसकी बात पूरी होते ही महिला बोली, 'तुम झूठ बोल रहे हो।' ... लेकिन तभी दो-तीन लोग वहां आकर रुक गए और उन दोनों को देखने लगे। लड़का घबरा गया। वह गिड़गिड़ाने लगा, 'मुझे माफ कर दो मैडम, मुझसे गलती हो गई...।'
'हां-हां क्यों नहीं...और देखो तुम्हारा मुंह कितना गंदा हो रहा है? मुझे लगता है कि घर चलकर पहले तुम्हारा चेहरा धुलवाना होगा। क्या तुम्हारे घर में किसी ने तुमसे यह नहीं कहा कि तुम अपना मुंह धो लो?' 'नहीं मैडम' लड़के ने कहा। 'तो आज तुम्हारा चेहरा धुलेगा ही...।' महिला ने कहा और आगे बढ़ने लगी। उसके पीछे डरा हुआ लड़का घिसटने लगा। लड़का लगभग 14- 15 की उम्र का रहा होगा। दुबला-पतला मरियल सा पैरो में टेनिस शूज़ और ब्लू जींस पहने था। महिला बोली, 'तुम मेरे बेटे होते तो तुम्हें बताती कि क्या सही है और क्या गलत, पर पहले तो मुझे तुम्हारा गंदा चेहरा धोना है। क्या तुम्हें भूख लगी है?'
'नहीं मैडम',घबराया बालक बोला, 'मैं केवल यह चाहता हूं कि आप मेरा कॉलर ढीला कर दे। 'चलते-चलते महिला ने लड़के से कहा, 'ख़ैर, चलो अब मेरे घर, तुम्हें बताती हूं। तुम भी क्या याद रखोगे कि सरस्वती देवी से कभी तुम्हारा पाला पड़ा था।'
लड़के के चेहरे से पसीना चू रहा था और वह किसी तरह ख़ुद को महिला की गिरफ्त से आज़ाद करने का प्रयास कर रहा था। चलते हुए सरस्वती देवी थोड़ा ठहरीं अब उन्होंने लड़के की बांह पकड़ ली थी और उसे अपने साथ घसीट रहीं थी। घर पहुंचकर वह लड़के को अंदर ले गई। बड़ा सा हाल पार करके वह कमरे में पहुंची, कमरे की बत्ती जलाई और बाहर का दरवाज़ा खोल दिया। वहां लड़के को कुछ और आवाज़ें भी आ रही थी। इसका मतलब था कि सरस्वती देवी के साथ कुछ लोग और भी रहते हैं, लड़के की घबराहट बढ़ रही थी। कमरे में ले जाकर उन्होंने लड़के को छोड़ दिया और पूछा, 'तुम्हारा नाम क्या है लड़के?'
'सलमान...',उसने धीमे से जवाब दिया। 'तो सलमान, जाओ वहां नल लगा है, तुम पहले मुंह-हाथ धो लो तब तक मैं कुछ खाने को बनाती हूं---।' महिला ने निर्देश दिया।
लड़के ने पहले दरवाजे़ की ओर देखा और फिर महिला की ओर। इसके बाद वह चुपचाप वाश बेसिन की तरफ चला गया। महिला ने हिदायत दी, 'वहां एक धुला तोलिया रखा है, उससे चेहरा पोछ लेना।' इसके बाद महिला ने उसे खाना खिलाया।
लड़के ने घबराए स्वर में कहा, 'कहीं आप मेरी कुर्बानी तो नहीं करने वाली है? क़ुर्बानी से पहले बकरे को नहलाते-धुलाते और खिलाते हैंं।' 'अरे भला कैसे और क्यों? मैं ऐसा कुछ नहीं करना चाहती।' महिला ने कहा, अच्छा मुझे यह बताओ कि तुम्हें मेरा पर्स झपटने की क्या ज़रूरत थी ?'...,'कल ईद है, बहन को ईदी देनी थी।' महिला भावुक हो गई, उसने लड़के को सौ रुपए दिए, 'बहन को ईदी दे देना, फिर कहा, 'बच्चे मुझे तुम पर भरोसा है, आज से तुम एक नेक बच्चे बनकर रहोगे।' लड़के ने श्रद्धा से बस इतना पूछा, 'कहीं आप वही तो सरस्वती मां नहीं है जिनकी मूर्ति हमारे स्कूल में लगी है और हम उस पर फूल चढ़ाते हैं?'... 'नहीं बच्चे मेरा उनका क्या मुकाबला, मैं तो उनके चरणों की धूल हूं।'... 'आपने जिंदगी बदल दी?' लड़का बस इतना बोल पाया। और वह रुआसा हो गया।
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